माहे रमज़ान-उल-मुबारक

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रोज़ाना की दुआ व साइट इंडेक्स
दुश्मन के ज़ुल्म व सितम से बचने के लिए

सहरी के लिए अलग पेज 

फज्र से पहले रोज़ा शुरू करने से पहले सूरह क़द्र और ये दुआएं पढ़ें:
दुआ - या मुफ़ज़ई
दुआ - बहा
दुआ - या उद्दती
दुआ - इदरीस
तस्बीह

दुआ - अबू हम्ज़ा सुमाली
इमाम सज्जाद (अ.स.) की सिखाई हुई तवील और अहम दुआ - ज़िंदगी बदल देने वाली, माह-ए-रमज़ान में लाज़मी पढ़ने वाली दुआ।

इफ्तार का पेज तमाम दुआओं और आदाब के साथ | PDF
सूरह क़द्र की तिलावत करें, इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) ने इसकी बहुत ताकीद फ़रमाई है।

ऑडियो का नाम
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
اللَّهُمَّ لَكَ صُمْتُ وَ عَلَى رِزْقِكَ أَفْطَرْتُ وَ عَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ
बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम
अल्लाहुम्मा लका सुम्तु व अला रिज़किका अफ़्तर्तु व अलैक तवक्कल्तु
ए मेरे अल्लाह! मैं तेरे लिए रोज़ा रखता हूँ, और तेरे दिए हुए रिज़्क़ से इफ़्तार करता हूँ, और तुझी पर भरोसा करता हूँ।

जब पहला लुक़मा (निवाला) खाने लगे तो कहें
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ يَا وَاسِعَ الْمَغْفِرَةِ اغْفِرْ لِي
बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम - या वासिअल-मग़फिरति, इग़फिर ली
बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम, ऐ वो ज़ात जिसकी मेहरबानी बे-हद ओ हिसाब है, मुझे माफ़ फ़रमा।

इमाम अली (अलैहिस्सलाम) फ़रमाते थे:
بِسْمِ اللَّهِ اللَّهُمَّ لَكَ صُمْنَا وَ عَلَى رِزْقِكَ أَفْطَرْنَا
فَتَقَبَّلْ مِنَّا إِنَّكَ أَنْتَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
बिस्मिल्लाह अल्लाहुम्मा लका सुम्ना व अला रिज़किका अफ़्तर्ना
फ़तक़ब्बल मिन्ना, इन्नका अंतस्समीउल अलीम
बिस्मिल्लाह, ऐ अल्लाह! हम तेरे लिए रोज़ा रखते हैं और तेरे दिए हुए रिज़्क़ से इफ़्तार करते हैं।
एक फ़र्ज़ जो हम अदा करते हैं, और तू सुनने वाला, जानने वाला है।


आयतुल्लाह रूहुल्लाह करहवी इफ़्तार के वक़्त इमाम (अज) की मंज़ूरी हासिल करने के लिए ये 4 आमाल तजवीज़ करते हैं:
1. सूरह फ़ातिहा की तिलावत करें हज़रत नर्गिस खातून (वालिदा इमाम ज़माना (अज)) के लिए।
2. इमाम महदी (अज) को सलाम पेश करें: "अस्सलामो अलैक या साहिबल अस्र वल ज़मान"
3. इमाम हुसैन (अस) को सलाम पेश करें:"अस्सलामो अलैक या अबा अब्दिल्लाह"
4. दुआ-ए-हुज्जत पढ़ें:-"अल्लाहुम्मा कुन लिवलिय्यिक"
हवाला: मदरस्तुल क़ायम का क्लिप।

दुआए नूर (इफ्तार के वक़्त)



اللّٰهُمَّ رَبَّ النُّوْرِ الْعَظِيْمِ وَ رَبَّ الْكُرْسِيِّ الرَّفِيْعِ
अल्लाहुम्मा रब्बन नूरील अज़ीमि व रब्बल कुर्सीयिर रफीइ
ऐ अज़ीम नूर के रब, ऐ बुलंद ओ बाला आसमानों के मालिक,

وَ رَبَّ الْبَحْرِ الْمَسْجُوْرِ وَ رَبَّ الشَّفْعِ الْكَبِيْرِ
व रब्बल बह्रिल मस्जूरी व रब्बश शफिअल कबीर
ऐ बहते हुए समंदरों के रब, ऐ अज़ीम शफ़ाअत करने वाले के रब,

وَ النُّوْرِ الْعَزِيْزِ وَ رَبَّ التَّوْرَاةِ وَ الْإِنْجِيْلِ وَ الزَّبُوْرِ وَالْفُرْقَانِ الْعَظِيْمِ
व नूरील अज़ीज़ व रब्बत-तौराती वल इंजीलि वज़्ज़बूरी वल फ़ुरक़ानिल अज़ीम
ऐ बहते हुए समंदरों के रब, ऐ अज़ीम शफ़ाअत करने वाले और रौशन नूर के रब, ऐ तौरात, इंजील और अज़ीम फ़ुरक़ान के रब,

أَنْتَ إِلٰهُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَ إِلٰهُ مَنْ فِي الْأَرْضِ-
अन्ता इलाहु मन फ़िस्समावाति व इलाहु मन फ़िल अरज़ी
तू ही आसमानों और ज़मीन का वाहिद मा'बूद है।

لا إِلٰهَ فِيْهِمَا غَيْرُكَ وَ أَنْتَ مَلِكُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ
ला इलाहा फीहिमा गैरुक व अन्ता  मलिकु मन फ़िस्समावाति
तेरे सिवा कोई मा'बूद नहीं, तू ही हर चीज़ पर क़ुदरत रखने वाला है, आसमानों और ज़मीन में कोई क़ुदरत वाला तेरे सिवा नहीं।

وَ مَلِكُ مَنْ فِي الْأَرْضِ لا مَلِكَفِيْهِمَا غَيْرُك
व मलिकु मन फ़िल अरज़ी ला मलिका फीहिमा गैरुक
तू ही आसमानों और ज़मीन का मालिक है, तेरे सिवा कोई मालिक नहीं।

أَسْأَلُكَ بِاسْمِكَ الْكَبِيْرِ وَ نُوْرِ وَجْهِكَ الْمُنِيْرِ وَ بِمُلْكِكَ الْقَدِيم
असअलुका बिस्मिकल कबीरि व नूरी वज्हिकल मुनीरि व बिमुल्किकल क़दीम
मैं तुझसे तेरे अज़ीम नाम, तेरे रौशन और बरतर वुजूद, और तेरी हमेशा बाक़ी रहने वाली सल्तनत के वसीले से दुआ करता हूँ।

يَا حَيُّ يَا قَيُّوْمُ يَا حَيُّ يَا قَيُّوْمُ يَا حَيُّ يَا قَيُّوْمُ
या हय्यु या क़य्यूम, या हय्यु या क़य्यूम, या हय्यु या क़य्यूम
ऐ हमेशा ज़िंदा रहने वाले, ऐ खुद क़ायम रहने वाले, ऐ हमेशा ज़िंदा रहने वाले, ऐ खुद क़ायम रहने वाले!

أَسْأَلُكَ بِاسْمِكَ الَّذِيْ أَشْرَقَ بِه كُلُّ شَيْ‏ءٍ
असअलुका बिस्मिकल्लज़ी अशरक़ा बिहि कुल्लु शयइन 
मैं तुझसे तेरे उस नाम के ज़रिए दुआ करता हूँ जो हर चीज़ को मुनव्वर करता है,

وَ بِاسْمِكَ الَّذِيْ أَشْرَقَتْ بِهِ السَّمَاوَاتُ وَ الْأَرْضُ
व बिस्मिकल्लज़ी अशरकत बिहिस समावातु वल अरज़ू 
और तेरे उस नाम के ज़रिए जो आसमानों और ज़मीन को रौशनी बख़्शता है।

وَ بِاسْمِكَ الَّذِيْ صَلَحَ بِهِ الْأَوَّلُوْنَ وَ بِهٖ يَصْلُحُ الْآخِرُوْنَ
व बिस्मिकल्लज़ी सलहा बिहिल अव्वालून व बिही यसलहुल आख़िरून
वो नाम जिससे तमाम ज़मानों के लोग राह-ए-रास्त पर आ गए, पहले लोग भी और बाद के लोग भी।

يَا حَيُّ قَبْلَ كُلِّ حَيٍّ وَ يَا حَيُّ بَعْدَ كُلِّ حَيٍّ
या हय्यु क़ब्ल कुल्लि हय्यिन, व या हय्यु बा'दा कुल्लि हय्यिन
ऐ वो जो हर ज़िंदगी से पहले भी ज़िंदा था, और ऐ वो जो उस वक़्त भी बाक़ी रहेगा जब कोई ज़िंदगी बाक़ी न होगी।

وَ يَا حَيُّ لا إِلٰهَ إِلا أَنْتَ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ
व या हय्यु ला इलाहा इल्ला अंता, सल्लि अला मुहम्मदिन व आले मुहम्मद
ऐ हमेशा ज़िंदा रहने वाले! तेरे सिवा कोई मा'बूद नहीं, मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम) और उनकी आल पर दुरूद व सलाम भेज।

وَ اغْفِرْ لِيْ ذُنُوْبِيْ وَ اجْعَلْ لِيْ مِنْ أَمْرِي يُسْرًا وَ فَرَجًا قَرِيْبًا
वग़फिर ली जुन्नूबी वजअल ली मिन अमरी युसरन व फराजन क़रीबन
मेरे गुनाहों को बख़्श दे, मेरे मामलात को आसान बना दे, और ज़ुहूर को क़रीब कर दे।

وَ ثَبِّتْنِيْ عَلٰى دِيْنِ مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ وَ عَلٰى سُنَّةِ مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ عَلَيْهِ وَ عَلَيْهِمُ السَّلامُ
व सब्बितनी अला दीनी मुहम्मदिन व आले मुहम्मद व अला सुन्नति मुहम्मदिन व आले मुहम्मद
हमें मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम) और उनके अहल-ए-बैत के दीन पर साबित क़दम रख, उनकी हिदायत पर चला, और मोहम्मद व आल-ए-मोहम्मद (अलैहिमुस्सलाम) की सुन्नत पर क़ायम रख।

وَ اجْعَلْ عَمَلِيْ فِي الْمَرْفُوْعِ الْمُتَقَبَّلِ
वज अल अमली फ़िल मरफूइल मुतक़ब्बल
मेरे आमाल को बुलंद और मक़बूल बना दे।

وَ هَبْ لِي كَمَا وَهَبْتَ لِأَوْلِيَائِكَ وَ أَهْلِ طَاعَتِكَ
व हब ली कमा वहबत लि औलियाइक व अहलि ताअतिक
मुझे वैसे ही अता कर जैसे तूने अपने नेक और इताअतगुज़ार बंदों को अता किया।

فَإِنِّيْ مُؤْمِنٌ بِكَ وَ مُتَوَكِّلٌ عَلَيْكَ
फ़-इन्नी मोमिनुन बिका व मुतवक्किलुन अलैक
यक़ीनन मैं तुझ पर ईमान रखता हूँ और तुझ पर भरोसा करता हूँ।

مُنِيْبٌ إِلَيْكَ مَعَ مَصِيْرِيْ إِلَيْكَ وَ تَجْمَعُ لِيْ
मुनीबुन इलैक मअ मसीरी इलैक व तजमऊ ली
मैं तेरी जानिब तौबा करते हुए पलट रहा हूँ, और मेरी तमाम राहें तुझ ही पर ख़त्म होती हैं।

وَ تَجْمَعَ لئِ وَ لِأَهْلِيْ وَ وُلْدِيَ الْخَيْرَ كُلَّه
व तजमअ ली व लिअहली व वुल्दियल खैर कुल्लह
मेरे और मेरे अहल ओ अ'याल के लिए तमाम भलाईयों को जमा कर दे।

وَ تَصْرِفُ عَنِّيْ وَ عَنْ وُلْدِيْ وَ أَهْلِيَ الشَّرَّ كُلَّه
व तस्रिफु अन्नी व अन वुल्दी व अहलियश शर्र कुल्लह
और मुझसे, मेरे अहल ओ अ'याल और मेरे वालिदैन से हर बुराई को दूर कर दे।

أَنْتَ الْحَنَّانُ الْمَنَّانُ بَدِيْعُ السَّمَاوَاتِ وَ الْأَرْضِ
अं‍तल हन्नानुल मन्नानु बदीअुस समावाति वल अर्ज़
तू निहायत मेहरबान, बख़्शने वाला, और आसमानों और ज़मीन का पैदा करने वाला है।

تُعْطِي الْخَيْرَ مَنْ تَشَاءُ وَ تَصْرِفُه عَمَّنْ تَشَاءُ فَامْنُنْ عَلَيَّ بِرَحْمَتِكَ
तुअतील खैरा मन तशाऊ व तस्रिफुह अम्मन तशाऊ फ़म्नुन अलैया बिरहमतिका
तू जिसे चाहे भलाई अता करता है और जिससे चाहे उसे दूर करता है, पस अपनी रहमत से मुझ पर करम फ़रमा।

يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِيْنَ.
या अरहमर-राहिमीन
ऐ सब से ज़्यादा मेहरबान और रहम करने वाले!

यह सिफ़ारिश की जाती है कि रोज़ा इफ़्तार करने के पहले निवाले पर यह दुआ पढ़ी जाए:

بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
अल्लाह के नाम से, जो निहायत मेहरबान, बे-हद रहम करने वाला है।

يَا وَاسِعَ الْمَغْفِرَةِ اِغْفِرْ لِي
या वासिअल-मग़फिरति, इग़फिर ली
ऐ वसीअ मग़फिरत वाले! मुझे माफ़ फ़रमा।

हज़रत नबी अकरम (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम) ने यह दुआ हज़रत इमाम अली (अलैहिस्सलाम) को सिखाई और फ़रमाया कि जिब्रील (अलैहिस्सलाम) मेरे पास आए और कहा: "जो कोई भी माह-ए-रमज़ानुल मुबारक में इफ़्तार से पहले इस दुआ को पढ़े, अल्लाह उसकी दुआ क़बूल करता है, उसके रोज़े और दुआ को शरफ़-ए-क़बूलियत बख़्शता है, उसकी दस ज़रूरतें पूरी करता है, उसके गुनाहों को माफ़ फ़रमाता है, उसके ग़मों को दूर करता है, उसके दिल को सुकून अता करता है, उसकी हाजतें पूरी करता है, उसके आमाल को अंबिया और सालिहीन के आमाल के साथ बुलंद फ़रमाता है, और क़यामत के दिन उसे अपने नूरानी चेहरे के साथ चमकते चाँद की मानिंद अपने हुज़ूर में लाएगा।"
सय्यद इब्ने ताउस और कफ'अमी ने दर्ज़ ज़ेल दुआ रिवायत की है:









तारीख़वार रमज़ान की दुआओं का पेज
तारीख़ वार पेज के मज़मून का तारुफ़
तारीख़ वार पेज में बहुत सी दुआएं "तमाम तारीख़ों" के लिए मुश्तरक (कॉमन) हैं, यानी:; हर रात, | , हर दिन, | सहरी, | , इफ़्तार, | , फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद
इन उमी दुआओं के अलावा, हर रात और दिन के लिए ख़ास दुआएं भी मौजूद हैं।
"इक़बाल-उल-अमाल" (किताब सय्यद इब्ने ताऊस) में हर तारीख़ के लिए दर्ज़ ज़ेल आमाल शामिल हैं:
-शब (शाम) की नमाज़
1)शब (शाम)की दुआ (जो नबी-ए-अकरम (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम)से नक़ल हुई है)
2)शब (शाम)की दुआ (अमाल-ए-शहर-ए-रमज़ान, मुहम्मद इब्ने अबी क़रह से नक़ल)
3)मशहूर मुख़्तसर दिन की दुआ
4) दुआ असहाब की कदीम किताब से ली गई
5)एक और दिन की दुआ सय्यद इब्ने बाक़ी की
6) दुआ इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अलैहिस्सलाम) की

ख़ास दिनों के लिए ख़ास दुआएं भी मौजूद हैं, जो मुनासिब दिनों के पेज पर मिल सकती हैं:
पहली रात और दिन
13, 14, 15वीं रातें → दुआ-ए-मुजीर
17वीं रात → ख़ास दुआ
19, 21, 23वीं रातें → लैलतुल क़द्र
आख़िरी दस रातें
आख़िरी शब

<- अहम तारीख़ें ->
10 रमज़ान → हज़रत ख़दीजा (स.अ) का विसाल (ज़ौजा-ए-रसूलुल्लाह (स.))
15 रमज़ान 3 हिजरी → इमाम हसन अल-मुज्तबा (अलैहिस्सलाम) की विलादत
21 रमज़ान 40 हिजरी → इमाम अली (अलैहिस्सलाम) की शहादत

सहीफ़ा अलविया में भी महीने की मुख़्तलिफ़ तारीख़ों की दुआएं शामिल हैं।


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* * हिजरी तारीख़ें इशारतन हैं जो मुक़ाम और चाँद पर मुनहसर (निर्भित) हैं.