रिवायत के मुताबिक़, यहाँ पर हज़रत अब्बास (अ) की ज़ियारत मुकम्मल होती है।
मगर सय्यद इब्न ताऊस, शेख़ मुफ़ीद और दीगर उलमा ने इसमें मजीद इज़ाफ़ा किया है:"फिर आप सिरहाने की तरफ़ मुड़ें और दो रकअत नमाज़ अदा करें, इसके बाद जितनी चाहें नमाज़ें पढ़ें, और अल्लाह से दुआ करें।.
नमाज़ के बाद, ये दुआ पढ़ें:
اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंन व आले मुहम्मद
ऐ अल्लाह! (बराहे करम) मोहम्मद (स) और आल-ए-मोहम्मद (स) पर रहमत नाज़िल फ़रमा।
وَلا تَدَعْ لِي فِي هٰذَا ٱلمَكَانِ ٱلمُكَرَّمِ وَٱلمَشْهَدِ ٱلمُعَظَّمِ ذَنْباً إِلاَّ غَفَرْتَهُ
व ला तदअ' ली फी हाज़ा अल मकानिल मुक़र्रमी वल मशहदिल मुअ'ज़़मी ज़न-बन इल्ला ग़फरतहु
और इस मुक़द्दस मक़ाम और बा-अज़मत दरगाह में मेरे किसी भी गुनाह को न छोड़, मगर ये कि तू उसे बख़्श दे,
وَلا هَمّاً إِلاَّ فَرَّجْتَهُ
व ला हम्मंन इल्ला फर्रज्तहु
किसी भी परेशानी को न छोड़, मगर ये कि तू उसे दूर कर दे,
وَلا مَرَضاً إِلاَّ شَفَيْتَهُ
व ला मरज़ंन इल्ला शफैतहु
किसी भी बीमारी को न छोड़, मगर ये कि तू उसे शिफ़ा दे,
وَلا عَيْباً إِلاَّ سَتَرْتَهُ
व ला अइबंन इल्ला सतर्तहु
किसी भी ऐब को न छोड़, मगर ये कि तू उसे छुपा ले,
وَلا رِزْقاً إِلاَّ بَسَطْتَهُ
व ला रिज़्कंन इल्ला बसत्तहु
किसी भी रिज़्क़ के वसीले को न छोड़, मगर ये कि तू उसे वसीअ कर दे,
وَلا خَوْفاً إِلاَّ آمَنْتَهُ
व ला ख़ौफंन इल्ला आमन्तहु
किसी भी ख़ौफ़ को न छोड़, मगर ये कि तू उसे अमन में बदल दे,
وَلا شَمْلاً إِلاَّ جَمَعْتَهُ
व ला शम्लंन इल्ला जम-अ तोहू
किसी भी तफ़रक़े को न छोड़, मगर ये कि तू उसे इत्तेहाद में बदल दे,
وَلا غَائِباً إِلاَّ حَفِظْتَهُ وَأَدْنَيْتَهُ
व ला ग़ाइबंन इल्ला हफिज़्तहु व अद्नैतहु
किसी भी ग़ायब शख़्स को न छोड़, मगर ये कि तू उसकी हिफ़ाज़त करे और उसे मेरे क़रीब ले आए,
وَلا حَاجَةً مِنْ حَوَائِجِ ٱلدُّنْيَا وَٱلآخِرَةِ
व ला हाजतन मिन हवाइजिद दुनिया वल आख़िरह
और मेरी कोई भी ज़रूरत, चाहे वो दुनिया की हो या आख़िरत की,
لَكَ فِيهَا رِضَىٰ وَلِيَ فِيهَا صَلاحٌ
लका फीहा रिदा वलि'या फीहा सलाहुन
जिसकी तकमील तेरी रज़ा और मेरी भलाई का सबब बने, उसे क़बूल फ़रमा।
إِلاَّ قَضَيْتَهَا يَا أَرْحَمَ ٱلرَّاحِمِينَ
इल्ला क़ज़ैतहा या अरहमर-राहिमीन
ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, तू सबसे बढ़कर रहम करने वाला है!
फिर आप मजार की तरफ वापस जाएं, कदमों के करीब रुकें और ये अल्फ़ाज़ कहें:
السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا أَبَاَ ٱلفَضْلِ ٱلعَبَّاسَ بْنَ أَمِيرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ
अस्सलामु अलैक़ा या अबा अल-फ़ज़्लिल-अब्बास इब्नेअमीरिल-मुमिनीन
सलाम हो आप पर, ऐ अबू अल-फज़्ल अल-अब्बास, अमीरुल मोमिनीन के फ़रज़ंद।
السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ سَيِّدِ ٱلْوَصِيِّينَ
अस्सलामु अलैक़ा या ब्ना सैय्यिदिल-वसीय्यीन
सलाम हो आप पर, ऐ औसिया के सरदार के बेटे।
السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ أَوَّلِ ٱلْقَوْمِ إِسْلاَماً
अस्सलामु अलैक़ा या ब्ना अव्वलिल-क़ौमि इस्लामन
सलाम हो आप पर, ऐ वह जो इस्लाम में सबसे पहले दाख़िल हुए,
وَأَقْدَمِهِمْ إِيـمَاناً
व अक़दमिहिम ईमानन
सबसे पहले ईमान लाए,
وَأَقْوَمِهِمْ بِدِينِ ٱللَّهِ
व अक़वमिहिम बिदीनिल्लाहि
अल्लाह के दीन की बेहतरीन खिदमत की,
وَأَحْوَطِهِمْ عَلَىٰ ٱلإِسْلاَمِ
व अहवतिहिम अला अल-इस्लाम
और इस्लाम के सबसे ज़्यादा मुहाफ़िज़ रहे।
أَشْهَدُ لَقَدْ نَصَحْتَ لِلَّهِ وَلِرَسُولِهِ وَلأَخِيكَ
अशहदु लक़द नसहत लिल्लाहि व लिरसूलिहि व लिअख़ीक़
मैं गवाही देता हूँ कि आपने अल्लाह, उसके रसूल और अपने भाई की ख़लूस दिल से खिदमत की।
فَنِعْمَ ٱلأَخُ ٱلْمُوَاسِي
फ-निअ'मल-अख़ुल-मुवासी
आप सबसे बेहतरीन क़ुर्बानी देने वाले भाई थे।
فَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً قَتَلَتْكَ
फ-लआ'नल्लाहु उम्मतन क़तलत्क
बस अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आपको क़त्ल किया।
وَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً ظَلَمَتْكَ
व लआ'नल्लाहु उम्मतन ज़लमत्क
अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आप पर ज़ुल्म किया।
وَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً ٱسْتَحَلَّتْ مِنْكَ ٱلْمَحَارِمَ
व लआ'नल्लाहु उम्मतन इस्तहललत मिंक अल-महारिम
अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आपकी हुरमत पामाल की
وَٱنْتَهَكَتْ حُرْمَةَ ٱلإِسْلاَمِ
व अन्तः कत हुरमत अल-इस्लाम
और इस्लाम की हुरमत को तोड़ा।
فَنِعْمَ ٱلصَّابِرُ ٱلْمُجَاهِدُ
फ-निअ'मस्साबिरुल-मुजाहिदु
आप सबसे बेहतरीन साबित क़दम मुजाहिद थे,
अल-मुहामीन नासिरु
मुहाफ़िज़, मददगार,
وَٱلأَخُ ٱلدَّافِعُ عَنْ أَخِيهِ
वल-अखुद-दाफ़िउ अंन अ'ख़ीहि
और वह भाई जिसने अपने भाई का दिफ़ा किया,
ٱلْمُجِيبُ إِلَىٰ طَاعَةِ رَبِّهِ
अल-मुजीबु इला ताअ'ति रब्बिहि
अपने रब की इताअत के लिए लब्बैक कहा,
ٱلرَّاغِبُ فِيمَا زَهِدَ فِيهِ غَيْرُهُ مِنَ ٱلثَّوَابِ ٱلْجَزِيلِ
अर-राग़िबु फीमा ज़हिद फिहि ग़ैरुहु मिना'स्सवाबिल-जज़ीलि
और वाफिर सवाब हासिल करने की ख्वाहिश की, जिसे दूसरों ने छोड़ दिया,
वत-सनाइल-जमीलि
और बेहतरीन इज़्ज़त हासिल की।
وَأَلْحَقَكَ ٱللَّهُ بِدَرَجَةِ آبَائِكَ فِي جَنَّاتِ ٱلنَّعِيمِ
व अल्हक़क़ल्लाहु बिदरजति आबाइक़ फी जन-नतिन नईम
बस अल्लाह आपको जन्नत के बाग़ात में आपके आबाओ अजदाद के दर्जे में शामिल करे।
اَللَّهُمَّ إِنِّي تَعَرَّضْتُ لِزِيَارَةِ أَوْلِيَائِكَ رَغْبَةً فِي ثَوَابِكَ
अल्लाहुम्मा इन्नी तआ'र्रज़्तु लिज़ियारति औलियाइक़ रग़्बतन फी सवाबिक़
ऐ अल्लाह! मैंने तेरे बरगज़ीदा बंदों की ज़्यारत तेरे सवाब की ख्वाहिश में की है,
وَرَجَاءً لِمَغْفِرَتِكَ وَجَزِيلِ إِحْسَانِكَ
व रजाअ' लि मग़्फिरतिक़ व जज़ीलि एहसानिक़
और तेरी मग़फिरत और तेरे वाफिर एहसान की उम्मीद में की है।
فَأَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِهِ ٱلطَّاهِرِينَ
फ-असअ'लुक अंन तुसल्लिया अला मुहम्मदिं व आलेहि अत-ताहिरीन
बस मैं तुझसे इल्तिजा करता हूँ कि तू मोहम्मद (स) और उनके पाकीज़ा अहल-ए-बैत पर रहमत नाज़िल फरमा,
وَأَنْ تَجْعَلَ رِزْقِي بِهِمْ دَارّاً
व अंन तजअ'ला रिज़्की बिहिम दारन
और मेरे रिज़्क़ को उनके वसीले से जारी फरमा,
व अइशी बिहिम क़ारन
मेरी ज़िंदगी को उनके नाम से खुशगवार बना,
وَزِيَارَتِي بِهِمْ مَقْبُولَةً
व ज़ियारती बिहिम मक़बूलतन
मेरी ज़्यारत को उनके वसीले से क़बूल फरमा,
وَحَيَاتِي بِهِمْ طَيِّبَةً
व हयाती बिहिम तैय्यिबतन
और मेरी हयात को उनके तुफैल खुशहाल बना,
وَأَدْرِجْنِي إِدْرَاجَ ٱلْمُكْرَمِينَ
व अद्रिजनी इदराजल-मुकर्रमीन
मुझे इज़्ज़तदार लोगों के रास्ते पर चला,
وَٱجْعَلْنِي مِمَّنْ يَنْقَلِبُ مِنْ زِيَارَةِ مَشَاهِدِ أَحِبَّائِكَ
व अजअ'लनी मिम्मन यनक़लिबु मिन ज़ियारति मशाहिदि अहिब्बाइक़
और मुझे उनमें शामिल कर, जो तेरे महबूबों की क़ब्रों की ज़ियारत के बाद
मुफलिहंन मुनजिहंन
कामयाबी और भलाई हासिल करते हैं,
قَدِ ٱسْتَوْجَبَ غُفْرَانَ ٱلذُّنُوبِ
क़द इस्तवजब ग़ुफ़रानज़-ज़ुनूब
और जो गुनाहों की मग़फिरत,
व सतरल-उयूब
ऐबों के छुपने,
व कश्फल-कुरूब
और मुसीबतों से नजात के मुस्तहक होते हैं।
إِنَّكَ أَهْلُ ٱلتَّقْوَىٰ وَأَهْلُ ٱلْمَغْفِرَةِ
इन्नका अहलुत्तक़वा व अहलुल-मग़्फ़िरह
बेशक, तू ही सबसे ज़्यादा डरने के लायक और बख्शने वाला है।
अगर आप रुख़्सत होने का इरादा रखते हैं, तो आप मुक़द्दस रौज़े के क़रीब जा कर ये अल्फ़ाज़ कह सकते हैं, जो अबू हम्ज़ा समाली से रिवायत किए गए हैं और दीगर उलेमा ने भी उन्हें ज़िक्र किया है:
أَسْتَوْدِعُكَ ٱللَّهَ وَأَسْتَرْعِيكَ
अस्तौदिउकल्लाह व अस्तरइक़
मैं आपको अल्लाह के सुपुर्द करता हूँ, उससे दुआ करता हूँ कि वह आपकी हिफ़ाज़त फ़रमाए,
وَأَقْرَأُ عَلَيْكَ ٱلسَّلاَمَ
व अक़रउ अलैक़ अस्सलाम
और आप पर सलामती नाज़िल फ़रमाए।
آمَنَّا بِٱللَّهِ وَبِرَسُولِهِ وَبِكِتَابِهِ
आमन्ना बिल्लाहि व बिरसूलिहि व बिकिताबिहि
हम अल्लाह, उसके रसूल (स), उसकी किताब पर ईमान लाये
وَبِمَا جَاءَ بِهِ مِنْ عِنْدِ ٱللَّهِ
व बिमा जा'अ बिहि मिन इंदिल्लाहि
और उस वही पर ईमान लाये जो अल्लाह की जानिब से नाज़िल हुई।
اَللَّهُمَّ فَٱكْتُبْنَا مَعَ ٱلشَّاهِدِينَ
अल्लाहुम्मा फ़क्तुबना मअ'श्शाहिदीन
ऐ अल्लाह! हमारे नाम गवाहों में शुमार फ़रमा।
اَللَّهُمَّ لا تَجْعَلْهُ آخِرَ ٱلعَهْدِ مِنْ زِيَارَتِي قَبْرَ ٱبْنِ أَخِي رَسُولِكَ
अल्लाहुम्मा ला तजअ'लहु आखिरल-अहदि मिन ज़ियारती क़ब्रा' इब्ने अखी रसूलिक़
ऐ अल्लाह! इस ज़्यारत को मेरे लिए आख़िरी ज़्यारत न बना,जो मैं तेरे रसूल (स) के भाई के फ़रज़ंद के रौज़े पर आया हूँ।
صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ
सल्लल्लाहु अलैहि व आलेहि
रसूल (स) और उनके अहल-ए-बैत (अ) पर सलाम हो।
وَٱرْزُقْنِي زِيَارَتَهُ أَبَداً مَا أَبْقَيْتَنِي
व अरज़ुक़नी ज़ियारतहु अबदन मा अबक़ैतनी
मुझे के मजीद मौक़े अता फ़रमा जब तक तू मुझे ज़िंदा रखे,
وَٱحْشُرْنِي مَعَهُ وَمَعَ آبَائِهِ فِي ٱلْجِنَانِ
व अहशुरनी मअ'हु व मअ'आबाइहि फिल जिनान
मुझे उनके साथ और उनके आबा-ओ-अजदाद के साथ जन्नत के बाग़ात में शामिल कर,
وَعَرِّفْ بَيْنِي وَبَيْنَهُ وَبَيْنَ رَسُولِكَ وَأَوْلِيَائِكَ
व अर्रिफ़ बैनी व बैनहु व बैन रसूलिक़ व औलियाइक़
और मुझे उनके, तेरे रसूल (स) और तेरे बरगज़ीदा बंदों के क़रीब कर।
اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंन व आले मुहम्मद
ऐ अल्लाह! मोहम्मद (स) और आल-ए-मोहम्मद (स) पर रहमत नाज़िल फ़रमा,
وَتَوَفَّنِي عَلَىٰ ٱلإِيـمَانِ بِكَ
व तवफ्फ़नी अला'ल ईमाने बिक़
और मुझे इस हालत में अपनी तरफ़ बुला, जब मैं तुझ पर ईमान रखता हूँ,
وَٱلتَّصْدِيقِ بِرَسُولِكَ
वत्तस्दीकि बिरसूलिक़
तेरे रसूल (स) की तस्दीक़ करता हूँ,
وَٱلوِلاَيَةِ لِعَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ وَٱلأَئِمَّةِ مِنْ وُلْدِهِ
वल-विलायति लि अली इब्नेअबी तालिब वल-आइम्मति मिन वल्दिहि
अली इब्ने अबी तालिब (अ) और उनकी नस्ल से आने वाले इमामों (अ) की विलायत पर क़ायम हूँ,
وَٱلْبَرَاءَةِ مِنْ عَدُوِّهِمْ
वल-बरा'अति मिन अदुव्विहिम
और उनके दुश्मनों से बराअ'त रखता हूँ।
فَإِنِّي قَدْ رَضِيتُ يَا رَبِّي بِذٰلِكَ
फ़-इन्नी क़द रज़ीतु या रब्बी बिज़ालिक़
ऐ मेरे रब! मैंने इसे दिल से क़बूल कर लिया है।
وَصَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
व सल्लल्लाहु अला मुहम्मदिंन व आले मुहम्मद
अल्लाह मोहम्मद (स) और आल-ए-मोहम्मद (स) पर रहमत नाज़िल फ़रमाए।