ज़्यारत हज़रत अब्बास
( अलैहिस सलाम)

इमाम अली इब्न अबी तालिब (अ) और उम्मुल बनीन (स) के फ़रज़ंद
मुख़्तसर मालूमात

विलादत : 4 शाबान 26 हिजरी | शहादत: कर्बला, 10 मुहर्रम आशूरा 61 हिजरी
वालिद: इमाम अली (अ), पहले इमाम और पैगंबर (स) के जानशीन,
वालिदा: बीबी उम्मुल बनीन (स)
यह इमाम हुसैन (अ) के सौतेले भाई थे
हज़रत अब्बास (अ) ने अपनी अज़ीम क़ुर्बानी के ज़रिए ऐसी रुहानी हैसियत हासिल की जो वक़्त और जगह की क़ैद से मावरा है। मुसलमानों में उन्हें मुख़्तलिफ़ अल्क़ाब से जाना जाता है:अली का शेर, कर्बला का हीरो, हुसैन (अ) के अलमबरदार,जनाब ज़ैनब (स) के प्यारे भाई,जनाब सकीना (स) के शफ़ीक़ चाचा (सभी पर अल्लाह की रहमतें नाज़िल हों), हज़रत अब्बास (अ) को अबुल-फ़ज़्ल (फ़ज़ीलत के मालिक या बाप) कहा जाता था। कुछ रिवायात के मुताबिक़, उनका एक बेटा फ़ज़्ल था।
किताब: अल-इस्लाम | पेट बुक
उनकी अज़मत और मक़ाम: PDF किताब
रौज़ा मुबारक की वेबसाइट
हज़रत अब्बास (अ) के कारनामे और मक़ाम
इमाम सज्जाद (अ) से रिवायत है कि: "अल्लाह हज़रत अब्बास (अ) पर रहमत नाज़िल करे। उन्होंने अपने भाई को खुद पर तरजीह दी और उनके लिए अपनी जान क़ुर्बान कर दी, यहाँ तक कि उनके दोनों हाथ क़लम हो गए। पस, अल्लाह तआला उन्हें इस क़ुर्बानी के बदले में दो पर अता फरमाएगा ताकि वह जन्नत में फरिश्तों के साथ परवाज़ करें, जैसे हज़रत जाफ़र बिन अबी तालिब (अ) को अता किए गए। यक़ीनन हज़रत अब्बास (अ) को अल्लाह तआला के हाँ ऐसा बुलंद मक़ाम हासिल होगा कि तमाम शुहदा क़यामत के दिन इस जैसे मक़ाम पाने की ख्वाहिश करेंगे।"
यह भी रिवायत है कि हज़रत अब्बास (अ) चौंतीस (34) साल के थे जब वह कर्बला में शहीद हुए। उनकी वालिदा बीबी उम्मुल बनीन (स) अपने बेटों, खास तौर पर हज़रत अब्बास (अ) का नौहा पढ़ने, रोने और मातम करने के लिए जन्नतुल बक़ीअ जाया करती थीं। जो भी वहाँ से गुज़रता, उनके ग़मगीन लहजे को सुनकर अपने आँसू न रोक पाता।
दरहक़ीक़त, किसी भी मोहिब्ब-ए-अहलेबैत (अ) के लिए यह हैरानी की बात नहीं कि वह हज़रत अब्बास (अ) के ग़म में रोए, क्योंकि यहाँ तक कि मर्वान बिन हकम, जो अहलेबैत (अ) का सख़्त तरीन दुश्मन था, भी बीबी उम्मुल बनीन (स) के दर्द भरे नौहे सुनकर अपने आँसू ज़ब्त न कर सका। हज़रत अब्बास (अ) और अपने दूसरे बेटों का नौहा पढ़ते हुए, बीबी उम्मुल बनीन (स) ने निम्नलिखित शेर कहे:
يَا مَنْ رَآىٰ ٱلْعَبَّاسَ كَرَّ
या मन रआ अल-अब्बास कर्र
ए वो जो अब्बास (अ) को दुश्मनों की भीड़ पर हमला करते देख चुका,,
عَلَىٰ جَمَاهِيرِ ٱلنَّقَدْ
अला जमाहीर अन-नक़द
हैदर (अ) के बेटे थे, जो शेरों की तरह बहादुर थे।
وَوَرَاهُ مِنْ أَبْنَاءِ حَيْـ
व वरा'हू मिन अब्नाइ हैـ
मुझे बताया गया है कि मेरे बेटे के सर पर वार किया गया और उसका हाथ क़लम कर दिया गया!
ـدَرَ كُلُّ لَيْثٍ ذِي لَبَدْ
ـदर कुल्लु लैस़िन ज़ी लबद
हाय अफ़सोस! मेरे नौजवान शेर पर, क्या लोहे की ज़रब ने उसका सर झुका दिया?
أُنْبِئْتُ أَنَّ ٱبْنِي أُصيـ
उनबिअतु अन्ना इब्नी उसीـ
अगर उसके हाथ में तलवार होती, तो कोई भी उसके क़रीब आने की जुर्रत न करता।
ـبَ بِرَأْسِهِ مَقْطُوعَ يَدْ وَيْلِي عَلَىٰ شِبْلي أَمَا لَ بِرَأْسِهِ ضَرْبُ ٱلْعَمَدْ لَوْ كانَ سَيْفُكَ فِي يَدَيْـ ـكَ لَما دَنا مِنْهُ أَحَدْ
ـब बिरअसिही मक़्तूअ यद वैली अला शिब्ली अमा ला बिरअसिही ज़रब अल-अमद लव काना सैफुका फी यदैـ ـका लमा दना मिन्हू अहद
उसका सर तन से जुदा और हाथ कटे हुए हैं, हाय मेरी कमज़ोरी, मेरे शेर का यह हाल! उसके सर पर शदीद ज़रबें लगाई गईं, अगर उसके हाथ में तलवार होती, तो कोई भी उसके करीब आने की हिम्मत न करता।
बीबी उम्मुल बनीन (स) ने ये अशआर भी कहे:
لاَ تَدْعُوَنِّي وَيْكِ أُمَّ ٱلْبَنينْ
ला तद'उन्नी वैक उम्म अल-बनीन
मुझे "उम्मुल बनीन" (बेटों की माँ) न कहो,
تُذَكِّرِينِي بِلُيُوثِ ٱلْعَرِينْ
तुज़क्किरिनी बिलुयूस अल-अरीन
क्योंकि ये मुझे मेरे शेर सिफ़त बेटों की याद दिलाता है।
كَانَتْ بَنُونَ لِيَ أُدْعَىٰ بِهِمْ
कानत बनून लिय उद'आ बिहिम
मेरे वो बेटे थे जिनकी वजह से मुझे ये नाम मिला,
وَٱلْيَوْمَ أَصْبَحْتُ وَلاَ مِنْ بَنِينْ
वल-यौम अस्बहतु वला मिन बनीन
मगर आज, मेरा कोई बेटा बाकी नहीं रहा!
أَرْبَعَةٌ مِثْلُ نُسُورِ ٱلرُّبَىٰ
अर्बअतुंन  मिस्लु नुसूर अल-रुबा
वो चार थे, बुलंद चोटियों पर परवाज़ करने वाले उक़ाबों की मानिंद,
قَدْ واصَلُوٱ ٱلْمَوْتَ بِقَطْعِ ٱلْوَتِينْ
क़द वासलु अल-मौत बि-क़त'अ अल-वतीन
उन्होंने मौत का सामना किया, उनकी शह रग काटी गई।
تَنازَعَ ٱلْخِرْصانُ أَشْلاَءَهُمْ
तनाज़'अ अल-ख़िरसान अश्ला'हुम
भूखी नेज़ों की बारिश उनके जिस्मों पर बरसी,
فَكُلُّهُمْ أَمْسَىٰ صَريعاً طَعِينْ
फकुल्लुहुम अम्सा सरीअंन तअ'इन
बस सब के सब ज़ख़्मी और छलनी हो गए।
يَا لَيْتَ شِعْرِي أَكَمَا أَخْبَرُوٱ
या लैत शिअरी अकमा अखबरु'आ
हाय मेरी मुसिबत! क्या ये सच है जो मुझे बताया गया,
بِأَنَّ عَبَّاساً قَطِيعُ ٱلْيَمِينْ
बि-अन्न अब्बासं क़तीअ अल-यमीन
कि अब्बास (अ) का दायाँ हाथ काट दिया गया?




अज़ीमुल मर्तबत शेख़ जाफ़र बिन क़ुलुवैह अल-क़ुमी ने एक मुअतबर सनद के ज़रिए रिवायत की है कि अबू हम्ज़ा समाली ने इमाम जाफ़र सादिक़ (अलैहिस्सलाम) से नक़ल किया: "अगर तुम्हारा इरादा हो कि तुम दरियाए फ़रात के किनारे, हायर मुक़द्दस के मुक़ाबिल वाक़े हज़रत अब्बास बिन अली (अलैहिस्सलाम) के रोज़ा मुबारक की ज़ियारत करो, तो जब तुम उसके अहाते (साइबान) के दरवाज़े पर पहुंचो तो ये कलिमात अदा करो:


سَلاَمُ ٱللَّهِ وَسَلاَمُ مَلاَئِكَتِهِ ٱلْمُقَرَّبِينَ
सालामुल्लाहि व सालामु मलाइकतिहिल-मुक़र्रबीन
अल्लाह की सलामती और उसके बरगज़ीदा फ़रिश्तों पर ,

وَأَنْبِيَائِهِ ٱلْمُرْسَلِينَ
व अंबियाइहिल-मुर्सलीन
सलाम हो उसके भेजे हुए नबियों पर,

وَعِبَادِهِ ٱلصَالِحينَ
व इबादिहिस-सालिहीन
उसके नेक बंदों पर,

وَجَمِيعِ ٱلشُّهَدَاءِ وَٱلصِّدِّيقينَ
व जमीअिश-शुहदा वस-सिद्दीक़ीन
तमाम शहीदों पर और तमाम सच्चाई पर क़ायम रहने वालों पर,

وَٱلزَّاكِيَاتُ ٱلطَّيِّبَاتُ فِيمَا تَغْتَدِي وَتَرُوحُ
वज़्ज़ाक़ियातुत-तय्यिबातु फीमा तग़्तदी व तारूहु
और पाकीज़ा, सच्ची बरकतें, जो आती और जाती रहती हैं,

عَلَيْكَ يَا بْنَ أَمِيرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ
`अलैक़ा या बन्ना अमीरिल-मुमिनीन
आप पर हों, ऐ अमीरुल मोमिनीन के फ़रज़ंद।

أَشْهَدُ لَكَ بِٱلتَّسْلِيمِ وَٱلتَّصْدِيقِ
अशहदु लका बित्तस्लीमि वत्तस्दीकि
मैं गवाही देता हूँ कि आपने अल्लाह की रज़ा के सामने सर तस्लीम ख़म किया,सच्चाई को क़बूल किया,

وَٱلْوَفَاءِ وَٱلنَّصِيحَةِ
वल-वफ़ाई वन नसीहती
वफ़ादारी और इख़लास का मुज़ाहिरा किया,

لِخَلَفِ ٱلنَّبِيِّ صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ ٱلْمُرْسَلِ
लिखलफिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहिल मुर्सल
अल्लाह के भेजे हुए नबी (स) की नस्ल से, जिन पर और उनके अहलुल बैत पर अल्लाह की रहमत हो,

وَٱلسِّبْطِ ٱلْمُنْتَجَبِ
वस-सिब्तिल-मुन्तजबी
चुने हुए नवासे (रसूल (स)के )

وَٱلدَّلِيلِ ٱلْعَالِمِ
वज़-लीलिल-आलिमी
सच्चे दीन की रहनुमाई करने वाले,

وَٱلْوَصِيِّ ٱلْمُبَلِّغِ
वल-वसिय्यिल-मुबल्लिग़ि
अल्लाह के रसूल (स) के जानशीन,

وَٱلْمَظْلُومِ ٱلْمُهْتَضَمِ
वल-मज़लूमिल-मुहतज़़मि
और मज़लूम हस्ती के साथ।

فَجَزَاكَ ٱللَّهُ عَنْ رَسُولِهِ
फजज़ाकल्लाहु अंन रसूलिहि
अल्लाह आपको अपने रसूल (स),

وَعَنْ أَمِيرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ
व अंन अमीरिल-मुमिनीन
अमीरुल मोमिनीन (अ),

وَعَنِ ٱلْحَسَنِ وَٱلْحُسَيْنِ
व अंनिल-हसनी वल-हुसैन
हसन (अ) और हुसैन (अ)

صَلَوَاتُ ٱللَّهِ عَلَيْهِمْ
सलवातुल्लाहि अलैहिम्
इन सब पर रहमतें नाज़िल हों,

أَفْضَلَ ٱلْجَزَاءِ
अफ़ज़लल-जज़ा
बेहतरीन इनाम अता फ़रमाए,

بِمَا صَبَرْتَ وَٱحْتَسَبْتَ وَأَعَنْتَ
बिमा सबर्ता व अह्तसब्ता व अआन्ता
साबित क़दमी और सच्चाई के दिफ़ा में दी गई मदद के बदले,

فَنِعْمَ عُقْبَىٰ ٱلدَّارِ
फ-निअ'मा उक़्बद्द-दार
आख़िरत की ज़िंदगी की जज़ा कितनी अज़ीम है।

لَعَنَ ٱللَّهُ مَنْ قَتَلَكَ
लआ'नल्लाहु मन क़तलक
अल्लाह की लानत हो उस पर जिसने आपको क़त्ल किया,

وَلَعَنَ ٱللَّهُ مَنْ جَهِلَ حَقَّكَ
व लआ'नल्लाहु मन जहिल हक्कक
अल्लाह की लानत हो उस पर जिसने आपके मक़ाम को नज़रअंदाज़ किया,

وَٱسْتَخَفَّ بِحُرْمَتِكَ
वस्तख़फ़्फ़ बिहुरमतिक
और आपकी हुरमत को कम समझा।

وَلَعَنَ ٱللَّهُ مَنْ حَالَ بَيْنَكَ وَبَيْنَ مَاءِ ٱلْفُرَاتِ
व लआ'नल्लाहु मन हाल बैनाक व बैना माइ'ल-फुरात
अल्लाह की लानत हो उस पर जिसने आपको दरियाए फ़ुरात के पानी से महरूम रखा।

أَشْهَدُ أَنَّكَ قُتِلْتَ مَظْلُوماً
अशहदु अन्नका क़ुतिल्ता मज़लूमा
मैं गवाही देता हूँ कि आपको ज़ुल्म के साथ शहीद किया गया,

وَأَنَّ ٱللَّهَ مُنْجِزٌ لَكُمْ مَا وَعَدَكُمْ
व अन्नल्लाह मुंज़िज़ुल्लकुम मा वआ'दकुम
और अल्लाह यक़ीनन अपना वादा जो उसने आपके साथ किया था, पूरा करेगा।

جِئْتُكَ يَا بْنَ أَمِيرِ ٱلُمْؤْمِنينَ وَافِداً إِلَيْكُمْ
जिअ'तुक या बन्ना अमीरिल-मुमिनीन वाफिदन इलैकुम
ऐ अमीरुल मोमिनीन के फ़रज़ंद, मैं आपके हुज़ूर अपनी हाज़िरी पेश करने आया हूँ,

وَقَلْبِي مُسَلِّمٌ لَكُمْ وَتَابِعٌ
व क़ल्बी मुसल्लिमुल्लकुम व ताबिअ'
मेरा दिल आपके सामने सर तस्लीम ख़म किए हुए है,

وَأَنَا لَكُمْ تَابِعٌ
व अना लकुम ताबिअ'
और मैं आपका पैरवीकार हूँ।

وَنُصْرَتِي لَكُمْ مُعَدَّةٌ
वनुसरती लकुम मुअ'द्दतुन
मैं आपकी नुसरत के लिए तैयार हूँ

حَتَّىٰ يَحْكُمَ ٱللَّهُ
हत्ता याह्कुमल्लाहु
यहाँ तक कि अल्लाह का हुक्म आ जाए,

وَهُوَ خَيْرُ ٱلْحَاكِمِينَ
व हुवा ख़ैरुल-हाकिमीन
और वह सबसे बेहतर फ़ैसला करने वाला है।

فَمَعَكُمْ مَعَكُمْ
फ-मअ'कुम मअ'कुम
मैं आपके साथ हूँ,

لاَ مَعَ عَدُوِّكُمْ
ला मअ' अदुव्विकुम
न कि आपके दुश्मन के साथ।

إِنِّي بِكُمْ وَبِإِيَابِكُمْ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
इन्नी बिकुम व बइयाबिकुम मिना'ल-मुमिनीन
मैं उनमें से हूँ जो आप पर और आपकी वापसी पर ईमान रखते हैं।

وَبِمَنْ خَالَفَكُمْ وَقَتَلَكُمْ مِنَ ٱلْكَافَرينَ
व बिमन ख़ालफकुम व क़तलकुम मिनल-काफिरीन
और उनमें से भी हूँ जो आपके क़ातिलों और मुख़ालिफ़ों का इंकार करते हैं।

قَتَلَ ٱللَّهُ أُمَّةً قَتَلَتْكُمْ بِٱلأَيْدِي وَٱلأَلْسُنِ
क़तलल्लाहु उम्मतन क़तलत्कुम बि'ल-अयदी वल-अल्सुन
अल्लाह उन लोगों को हलाक करे जिन्होंने आपको हाथों और ज़ुबानों से क़त्ल किया।


फिर रोज़ा शरीफ़ में दाख़िल होकर, ख़ुद को रौज़े/क़ब्र पर डालकर ये कलिमात कहें:
السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلعَبْدُ ٱلصَّالِحُ
अस्सलामु अलैक़ा अय्युहल-अब्दुस-सालिह़
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के नेक बंदे,

ٱلمُطِيعُ لِلَّهِ وَلِرَسُولِهِ وَلأَمِيرِ ٱلمُؤْمِنِينَ
अल-मुतीउ लिल्लाहि व लिरसूलिहि वल-अमीरिल-मुमिनीन
जो अल्लाह, उसके रसूल (स), अमीरुल मोमिनीन (अ),

وَٱلحَسَنِ وَٱلحُسَيْنِ صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِمْ وَسَلَّمَ
वल-हसनी वल-हुसैन सलल्लाहु अलैहिम वसल्लम
हसन (अ) और हुसैन (अ) के मुती रहे।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ
अस्सलामु अलैक़ा व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु
आप पर सलाम हो और अल्लाह की रहमतें,बरकतें,

وَمَغْفِرَتُهُ وَرِضْوَانُهُ وَعَلَىٰ رُوحِكَ وَبَدَنِكَ
व मग़्फ़िरतुहु व रिज़्वानुहु व अला रूहिका व बदनिका
मग़फ़िरत हो रूह और जिस्म पर और रज़ा नाज़िल हो।

أَشْهَدُ وَأُشْهِدُ ٱللَّهَ أَنَّكَ مَضَيْتَ عَلَىٰ مَا مَضَىٰ بِهِ ٱلبَدْرِيُّونَ
अशहदु व अशहिदुल्लाहा अन्नका मदीता अला मा मदा बिहिल-बद्रिय्यून
मैं गवाही देता हूँ और अल्लाह को गवाह बनाता हूँ कि आप उसी राह पर ग़ामज़न रहे,जिस पर बद्र के जंगजू,

وَٱلمُجَاهِدُونَ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ
वल-मुजाहिदून फी सबीलिल्लाहि
अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले,

ٱلمُنَاصِحُونَ لَهُ فِي جِهَادِ أَعْدَائِهِ
अल-मुनासिहूना लहू फी जिहादि अ'दाइहि
और उसके दुश्मनों के ख़िलाफ़ जिहाद में सिदक़ दिल से काम करने वाले,

ٱلمُبَالِغُونَ فِي نُصْرَةِ أَوْلِيَائِهِ
अल-मुबालिग़ूना फी नस्रति औलियाइहि
उसके औलिया की नुसरत में अपनी जान लगाने वाले,

ٱلذَّابُّونَ عَنْ أَحِبَّائِهِ
अज़्ज़ाब्बूना अन अहिब्बाइहि
और उसके महबूबों का दिफ़ा करने वाले थे।

فَجَزَاكَ ٱللَّهُ أَفْضَلَ ٱلجَزَاءِ
फ-जज़ाकल्लाहु अफ़ज़लल-जज़ा
बस अल्लाह आपको बेहतरीन जज़ा अता फ़रमाए,

وَأَكْثَرَ ٱلجَزَاءِ
व अकसरल-जज़ा
सबसे ज़्यादा,

وَأَوْفَرَ ٱلجَزَاءِ
व औफ़रल-जज़ा
सबसे वाफ़िर,

وَأَوْفَىٰ جَزَاءِ أَحَدٍ مِمَّنْ وَفَىٰ بِبَيْعَتِهِ
व औफ़ा जज़ाए अहदिन मिम्मन वफ़ा बि'बैयतिहि
और सबसे मुकम्मल जज़ा,जो किसी भी उस शख़्स को दी जा सकती है जो अपनी बैअत पर क़ायम रहा,

وَٱسْتَجَابَ لَهُ دَعْوَتَهُ
वस्तजाबा लहू दअ'वतिहि
दीन की दावत पर लब्बैक कहा,

وَأَطَاعَ وُلاةَ أَمْرِهِ
व अता' वुलात अम्रिहि
और अपने इमाम की इताअत की।

أَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ بَالَغْتَ فِي ٱلنَّصِيحَةِ
अशहदु अन्नका क़द बालग़ता फ़िन्नसीहत
मैं गवाही देता हूँ कि आपने इंतिहा दर्जे की वफ़ादारी का मुज़ाहिरा किया,

وَأَعْطَيْتَ غَايَةَ ٱلمَجْهُودِ
व अअ'तैता ग़ायतल-मजहूदि
और अपनी तमाम तर कोशिशें अल्लाह की रज़ा के लिए वक़्फ़ कर दीं।

فَبَعَثَكَ ٱللَّهُ فِي ٱلشُّهَدَاءِ
फ-बअ'सकल्लाहु फिश-शुहदा
अल्लाह आपको शुहदा में शामिल करे,

وَجَعَلَ رُوحَكَ مَعَ أَرْوَاحِ ٱلسُّعَدَاءِ
व जअ'ला रूहक़ मअ' अरवाहिस-सुअ'दाइ
आपकी रूह को ख़ुश नसीबों की रूहों में शामिल करे,

وَأَعْطَاكَ مِنْ جِنَانِهِ أَفْسَحَهَا مَنْزِلاً
व अअ'ताक मिन जिनानि अफसहहा मंज़िला
आपको जन्नत में

وَأَفْضَلَهَا غُرَفاً
व अफ़ज़लहा ग़ुरफ़ा
सबसे बुलंद मक़ाम अता करे,

وَرَفَعَ ذِكْرَكَ فِي عِلِّيِّينَ
व रफ़आ' ज़िक्रक़ फी इ'ल्लीय्यीन
और आपका ज़िक्र इल्लीयीन में बुलंद फ़रमाए,

وَحَشَرَكَ مَعَ ٱلنَّبِيِّينَ وَٱلصِّدِّيقِينَ
व हश्रक़ मअ' नबिय्यीन वस-सिद्दीक़ीन
और आपको नबियों, सिद्दीक़ों,

وَٱلشُّهَدَاءِ وَٱلصَّالِحِينَ
व शुहदा वस-सालिह़ीन
शुहदा और नेक लोगों के साथ महशूर फ़रमाए।

وَحَسُنَ أُوْلٰئِكَ رَفِيقاً
व हसुन औलाइका रफ़ीक़ा
कितनी अज़ीम रफ़ाक़त है!

أَشْهَدُ أَنَّكَ لَمْ تَهِنْ وَلَمْ تَنْكُلْ
अशहदु अन्नका लम तहन वलम तनकुल
मैं गवाही देता हूँ कि आपने कभी कमज़ोरी नहीं दिखाई, न ही पीछे हटे,

وَأَنَّكَ مَضَيْتَ عَلَىٰ بَصِيرَةٍ مِنْ أَمْرِكَ
व अन्नका मदीता अला बसीरती मिन अम्रिक़
और आपने मुकम्मल बसीरत के साथ इस दुनिया को छोड़ा,

مُقْتَدِياً بِٱلصَّالِحِينَ
मुक्तदियअ'न बिस्सालिह़ीन
नेक लोगों की पैरवी करते हुए,

وَمُتَّبِعاً لِلنَّبِيِّينَ
व मुत्तबिअ'न लिन-नबिय्यीन
और नबियों के तरीक़े पर चलते हुए।

فَجَمَعَ ٱللَّهُ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ
फ-जमअ'ल्लाहु बैनना व बैनाक
पस अल्लाह हमें आपके साथ,

وَبَيْنَ رَسُولِهِ وَأَوْلِيَائِهِ
व बैना रसूलिहि व औलियाइहि
अपने रसूल (स) और अपने औलिया के साथ

فِي مَنَازِلِ ٱلمُخْبِتِينَ
फी मनाज़िलिल-मुख्बितीन
ख़ुशू व इंक्सारी के घरों में जमा फ़रमाए।

فَإِنَّهُ أَرْحَمُ ٱلرَّاحِمِينَ
फ-इन्नहू अरहमुर-राहिमीन
बेशक, वह सबसे ज़्यादा रहम करने वाला है।

रिवायत के मुताबिक़, यहाँ पर हज़रत अब्बास (अ) की ज़ियारत मुकम्मल होती है। मगर सय्यद इब्न ताऊस, शेख़ मुफ़ीद और दीगर उलमा ने इसमें मजीद इज़ाफ़ा किया है:"फिर आप सिरहाने की तरफ़ मुड़ें और दो रकअत नमाज़ अदा करें, इसके बाद जितनी चाहें नमाज़ें पढ़ें, और अल्लाह से दुआ करें। नमाज़ के बाद, ये दुआ पढ़ें:
दुआ बल-ज़्यारत




रिवायत के मुताबिक़, यहाँ पर हज़रत अब्बास (अ) की ज़ियारत मुकम्मल होती है।
मगर सय्यद इब्न ताऊस, शेख़ मुफ़ीद और दीगर उलमा ने इसमें मजीद इज़ाफ़ा किया है:"फिर आप सिरहाने की तरफ़ मुड़ें और दो रकअत नमाज़ अदा करें, इसके बाद जितनी चाहें नमाज़ें पढ़ें, और अल्लाह से दुआ करें।.
नमाज़ के बाद, ये दुआ पढ़ें:
اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंन व आले मुहम्मद
ऐ अल्लाह! (बराहे करम) मोहम्मद (स) और आल-ए-मोहम्मद (स) पर रहमत नाज़िल फ़रमा।

وَلا تَدَعْ لِي فِي هٰذَا ٱلمَكَانِ ٱلمُكَرَّمِ وَٱلمَشْهَدِ ٱلمُعَظَّمِ ذَنْباً إِلاَّ غَفَرْتَهُ
व ला तदअ' ली फी हाज़ा अल मकानिल मुक़र्रमी वल मशहदिल मुअ'ज़़मी ज़न-बन इल्ला ग़फरतहु
और इस मुक़द्दस मक़ाम और बा-अज़मत दरगाह में मेरे किसी भी गुनाह को न छोड़, मगर ये कि तू उसे बख़्श दे,

وَلا هَمّاً إِلاَّ فَرَّجْتَهُ
व ला हम्मंन  इल्ला फर्रज्तहु
किसी भी परेशानी को न छोड़, मगर ये कि तू उसे दूर कर दे,

وَلا مَرَضاً إِلاَّ شَفَيْتَهُ
व ला मरज़ंन  इल्ला शफैतहु
किसी भी बीमारी को न छोड़, मगर ये कि तू उसे शिफ़ा दे,

وَلا عَيْباً إِلاَّ سَتَرْتَهُ
व ला अइबंन इल्ला सतर्तहु
किसी भी ऐब को न छोड़, मगर ये कि तू उसे छुपा ले,

وَلا رِزْقاً إِلاَّ بَسَطْتَهُ
व ला रिज़्कंन इल्ला बसत्तहु
किसी भी रिज़्क़ के वसीले को न छोड़, मगर ये कि तू उसे वसीअ कर दे,

وَلا خَوْفاً إِلاَّ آمَنْتَهُ
व ला ख़ौफंन इल्ला आमन्तहु
किसी भी ख़ौफ़ को न छोड़, मगर ये कि तू उसे अमन में बदल दे,

وَلا شَمْلاً إِلاَّ جَمَعْتَهُ
व ला शम्लंन इल्ला जम-अ तोहू  
किसी भी तफ़रक़े को न छोड़, मगर ये कि तू उसे इत्तेहाद में बदल दे,

وَلا غَائِباً إِلاَّ حَفِظْتَهُ وَأَدْنَيْتَهُ
व ला ग़ाइबंन इल्ला हफिज़्तहु व अद्नैतहु
किसी भी ग़ायब शख़्स को न छोड़, मगर ये कि तू उसकी हिफ़ाज़त करे और उसे मेरे क़रीब ले आए,

وَلا حَاجَةً مِنْ حَوَائِجِ ٱلدُّنْيَا وَٱلآخِرَةِ
व ला हाजतन मिन हवाइजिद दुनिया वल आख़िरह
और मेरी कोई भी ज़रूरत, चाहे वो दुनिया की हो या आख़िरत की,

لَكَ فِيهَا رِضَىٰ وَلِيَ فِيهَا صَلاحٌ
लका फीहा रिदा वलि'या फीहा सलाहुन
जिसकी तकमील तेरी रज़ा और मेरी भलाई का सबब बने, उसे क़बूल फ़रमा।

إِلاَّ قَضَيْتَهَا يَا أَرْحَمَ ٱلرَّاحِمِينَ
इल्ला क़ज़ैतहा या अरहमर-राहिमीन
ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, तू सबसे बढ़कर रहम करने वाला है!



फिर आप मजार की तरफ वापस जाएं, कदमों के करीब रुकें और ये अल्फ़ाज़ कहें:
السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا أَبَاَ ٱلفَضْلِ ٱلعَبَّاسَ بْنَ أَمِيرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ
अस्सलामु अलैक़ा या अबा अल-फ़ज़्लिल-अब्बास इब्नेअमीरिल-मुमिनीन
सलाम हो आप पर, ऐ अबू अल-फज़्ल अल-अब्बास, अमीरुल मोमिनीन के फ़रज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ سَيِّدِ ٱلْوَصِيِّينَ
अस्सलामु अलैक़ा या ब्ना सैय्यिदिल-वसीय्यीन
सलाम हो आप पर, ऐ औसिया के सरदार के बेटे।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ أَوَّلِ ٱلْقَوْمِ إِسْلاَماً
अस्सलामु अलैक़ा या ब्ना अव्वलिल-क़ौमि इस्लामन
सलाम हो आप पर, ऐ वह जो इस्लाम में सबसे पहले दाख़िल हुए,

وَأَقْدَمِهِمْ إِيـمَاناً
व अक़दमिहिम ईमानन
सबसे पहले ईमान लाए,

وَأَقْوَمِهِمْ بِدِينِ ٱللَّهِ
व अक़वमिहिम बिदीनिल्लाहि
अल्लाह के दीन की बेहतरीन खिदमत की,

وَأَحْوَطِهِمْ عَلَىٰ ٱلإِسْلاَمِ
व अहवतिहिम अला अल-इस्लाम
और इस्लाम के सबसे ज़्यादा मुहाफ़िज़ रहे।

أَشْهَدُ لَقَدْ نَصَحْتَ لِلَّهِ وَلِرَسُولِهِ وَلأَخِيكَ
अशहदु लक़द नसहत लिल्लाहि व लिरसूलिहि व लिअख़ीक़
मैं गवाही देता हूँ कि आपने अल्लाह, उसके रसूल और अपने भाई की ख़लूस दिल से खिदमत की।

فَنِعْمَ ٱلأَخُ ٱلْمُوَاسِي
फ-निअ'मल-अख़ुल-मुवासी
आप सबसे बेहतरीन क़ुर्बानी देने वाले भाई थे।

فَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً قَتَلَتْكَ
फ-लआ'नल्लाहु उम्मतन क़तलत्क
बस अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आपको क़त्ल किया।

وَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً ظَلَمَتْكَ
व लआ'नल्लाहु उम्मतन ज़लमत्क
अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आप पर ज़ुल्म किया।

وَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً ٱسْتَحَلَّتْ مِنْكَ ٱلْمَحَارِمَ
व लआ'नल्लाहु उम्मतन इस्तहललत मिंक अल-महारिम
अल्लाह की लानत हो उस गिरोह पर जिसने आपकी हुरमत पामाल की

وَٱنْتَهَكَتْ حُرْمَةَ ٱلإِسْلاَمِ
व अन्तः कत हुरमत अल-इस्लाम
और इस्लाम की हुरमत को तोड़ा।

فَنِعْمَ ٱلصَّابِرُ ٱلْمُجَاهِدُ
फ-निअ'मस्साबिरुल-मुजाहिदु
आप सबसे बेहतरीन साबित क़दम मुजाहिद थे,

ٱلْمُحَامِي ٱلنَّاصِرُ
अल-मुहामीन नासिरु
मुहाफ़िज़, मददगार,

وَٱلأَخُ ٱلدَّافِعُ عَنْ أَخِيهِ
वल-अखुद-दाफ़िउ अंन अ'ख़ीहि
और वह भाई जिसने अपने भाई का दिफ़ा किया,

ٱلْمُجِيبُ إِلَىٰ طَاعَةِ رَبِّهِ
अल-मुजीबु इला ताअ'ति रब्बिहि
अपने रब की इताअत के लिए लब्बैक कहा,

ٱلرَّاغِبُ فِيمَا زَهِدَ فِيهِ غَيْرُهُ مِنَ ٱلثَّوَابِ ٱلْجَزِيلِ
अर-राग़िबु फीमा ज़हिद फिहि ग़ैरुहु मिना'स्सवाबिल-जज़ीलि
और वाफिर सवाब हासिल करने की ख्वाहिश की, जिसे दूसरों ने छोड़ दिया,

وَٱلثَّنَاءِ ٱلْجَمِيلِ
वत-सनाइल-जमीलि
और बेहतरीन इज़्ज़त हासिल की।

وَأَلْحَقَكَ ٱللَّهُ بِدَرَجَةِ آبَائِكَ فِي جَنَّاتِ ٱلنَّعِيمِ
व अल्हक़क़ल्लाहु बिदरजति आबाइक़ फी जन-नतिन नईम
बस अल्लाह आपको जन्नत के बाग़ात में आपके आबाओ अजदाद के दर्जे में शामिल करे।

اَللَّهُمَّ إِنِّي تَعَرَّضْتُ لِزِيَارَةِ أَوْلِيَائِكَ رَغْبَةً فِي ثَوَابِكَ
अल्लाहुम्मा इन्नी तआ'र्रज़्तु लिज़ियारति औलियाइक़ रग़्बतन फी सवाबिक़
ऐ अल्लाह! मैंने तेरे बरगज़ीदा बंदों की ज़्यारत तेरे सवाब की ख्वाहिश में की है,

وَرَجَاءً لِمَغْفِرَتِكَ وَجَزِيلِ إِحْسَانِكَ
व रजाअ' लि मग़्फिरतिक़ व जज़ीलि एहसानिक़
और तेरी मग़फिरत और तेरे वाफिर एहसान की उम्मीद में की है।

فَأَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِهِ ٱلطَّاهِرِينَ
फ-असअ'लुक अंन तुसल्लिया अला मुहम्मदिं व आलेहि अत-ताहिरीन
बस मैं तुझसे इल्तिजा करता हूँ कि तू मोहम्मद (स) और उनके पाकीज़ा अहल-ए-बैत पर रहमत नाज़िल फरमा,

وَأَنْ تَجْعَلَ رِزْقِي بِهِمْ دَارّاً
व अंन तजअ'ला रिज़्की बिहिम दारन
और मेरे रिज़्क़ को उनके वसीले से जारी फरमा,

وَعَيْشِي بِهِمْ قَارّاً
व अइशी बिहिम क़ारन
मेरी ज़िंदगी को उनके नाम से खुशगवार बना,

وَزِيَارَتِي بِهِمْ مَقْبُولَةً
व ज़ियारती बिहिम मक़बूलतन
मेरी ज़्यारत को उनके वसीले से क़बूल फरमा,

وَحَيَاتِي بِهِمْ طَيِّبَةً
व हयाती बिहिम तैय्यिबतन
और मेरी हयात को उनके तुफैल खुशहाल बना,

وَأَدْرِجْنِي إِدْرَاجَ ٱلْمُكْرَمِينَ
व अद्रिजनी इदराजल-मुकर्रमीन
मुझे इज़्ज़तदार लोगों के रास्ते पर चला,

وَٱجْعَلْنِي مِمَّنْ يَنْقَلِبُ مِنْ زِيَارَةِ مَشَاهِدِ أَحِبَّائِكَ
व अजअ'लनी मिम्मन यनक़लिबु मिन ज़ियारति मशाहिदि अहिब्बाइक़
और मुझे उनमें शामिल कर, जो तेरे महबूबों की क़ब्रों की ज़ियारत के बाद

مُفْلِحاً مُنْجِحاً
मुफलिहंन मुनजिहंन
कामयाबी और भलाई हासिल करते हैं,

قَدِ ٱسْتَوْجَبَ غُفْرَانَ ٱلذُّنُوبِ
क़द इस्तवजब ग़ुफ़रानज़-ज़ुनूब
और जो गुनाहों की मग़फिरत,

وَسَتْرَ ٱلْعُيُوبِ
व सतरल-उयूब
ऐबों के छुपने,

وَكَشْفَ ٱلْكُرُوبِ
व कश्फल-कुरूब
और मुसीबतों से नजात के मुस्तहक होते हैं।

إِنَّكَ أَهْلُ ٱلتَّقْوَىٰ وَأَهْلُ ٱلْمَغْفِرَةِ
इन्नका अहलुत्तक़वा व अहलुल-मग़्फ़िरह
बेशक, तू ही सबसे ज़्यादा डरने के लायक और बख्शने वाला है।


अगर आप रुख़्सत होने का इरादा रखते हैं, तो आप मुक़द्दस रौज़े के क़रीब जा कर ये अल्फ़ाज़ कह सकते हैं, जो अबू हम्ज़ा समाली से रिवायत किए गए हैं और दीगर उलेमा ने भी उन्हें ज़िक्र किया है:
أَسْتَوْدِعُكَ ٱللَّهَ وَأَسْتَرْعِيكَ
अस्तौदिउकल्लाह व अस्तरइक़
मैं आपको अल्लाह के सुपुर्द करता हूँ, उससे दुआ करता हूँ कि वह आपकी हिफ़ाज़त फ़रमाए,

وَأَقْرَأُ عَلَيْكَ ٱلسَّلاَمَ
व अक़रउ अलैक़ अस्सलाम
और आप पर सलामती नाज़िल फ़रमाए।

آمَنَّا بِٱللَّهِ وَبِرَسُولِهِ وَبِكِتَابِهِ
आमन्ना बिल्लाहि व बिरसूलिहि व बिकिताबिहि
हम अल्लाह, उसके रसूल (स), उसकी किताब पर ईमान लाये

وَبِمَا جَاءَ بِهِ مِنْ عِنْدِ ٱللَّهِ
व बिमा जा'अ बिहि मिन इंदिल्लाहि
और उस वही पर ईमान लाये जो अल्लाह की जानिब से नाज़िल हुई।

اَللَّهُمَّ فَٱكْتُبْنَا مَعَ ٱلشَّاهِدِينَ
अल्लाहुम्मा फ़क्तुबना मअ'श्शाहिदीन
ऐ अल्लाह! हमारे नाम गवाहों में शुमार फ़रमा।

اَللَّهُمَّ لا تَجْعَلْهُ آخِرَ ٱلعَهْدِ مِنْ زِيَارَتِي قَبْرَ ٱبْنِ أَخِي رَسُولِكَ
अल्लाहुम्मा ला तजअ'लहु आखिरल-अहदि मिन ज़ियारती क़ब्रा' इब्ने अखी रसूलिक़
ऐ अल्लाह! इस ज़्यारत को मेरे लिए आख़िरी ज़्यारत न बना,जो मैं तेरे रसूल (स) के भाई के फ़रज़ंद के रौज़े पर आया हूँ।

صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ
सल्लल्लाहु अलैहि व आलेहि
रसूल (स) और उनके अहल-ए-बैत (अ) पर सलाम हो।

وَٱرْزُقْنِي زِيَارَتَهُ أَبَداً مَا أَبْقَيْتَنِي
व अरज़ुक़नी ज़ियारतहु अबदन मा अबक़ैतनी
मुझे के मजीद मौक़े अता फ़रमा जब तक तू मुझे ज़िंदा रखे,

وَٱحْشُرْنِي مَعَهُ وَمَعَ آبَائِهِ فِي ٱلْجِنَانِ
व अहशुरनी मअ'हु व मअ'आबाइहि फिल जिनान
मुझे उनके साथ और उनके आबा-ओ-अजदाद के साथ जन्नत के बाग़ात में शामिल कर,

وَعَرِّفْ بَيْنِي وَبَيْنَهُ وَبَيْنَ رَسُولِكَ وَأَوْلِيَائِكَ
व अर्रिफ़ बैनी व बैनहु व बैन रसूलिक़ व औलियाइक़
और मुझे उनके, तेरे रसूल (स) और तेरे बरगज़ीदा बंदों के क़रीब कर।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंन व आले मुहम्मद
ऐ अल्लाह! मोहम्मद (स) और आल-ए-मोहम्मद (स) पर रहमत नाज़िल फ़रमा,

وَتَوَفَّنِي عَلَىٰ ٱلإِيـمَانِ بِكَ
व तवफ्फ़नी अला'ल ईमाने बिक़
और मुझे इस हालत में अपनी तरफ़ बुला, जब मैं तुझ पर ईमान रखता हूँ,

وَٱلتَّصْدِيقِ بِرَسُولِكَ
वत्तस्दीकि बिरसूलिक़
तेरे रसूल (स) की तस्दीक़ करता हूँ,

وَٱلوِلاَيَةِ لِعَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ وَٱلأَئِمَّةِ مِنْ وُلْدِهِ
वल-विलायति लि अली इब्नेअबी तालिब वल-आइम्मति मिन वल्दिहि
अली इब्ने अबी तालिब (अ) और उनकी नस्ल से आने वाले इमामों (अ) की विलायत पर क़ायम हूँ,

وَٱلْبَرَاءَةِ مِنْ عَدُوِّهِمْ
वल-बरा'अति मिन अदुव्विहिम
और उनके दुश्मनों से बराअ'त रखता हूँ।

فَإِنِّي قَدْ رَضِيتُ يَا رَبِّي بِذٰلِكَ
फ़-इन्नी क़द रज़ीतु या रब्बी बिज़ालिक़
ऐ मेरे रब! मैंने इसे दिल से क़बूल कर लिया है।

وَصَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
व सल्लल्लाहु अला मुहम्मदिंन व आले मुहम्मद
अल्लाह मोहम्मद (स) और आल-ए-मोहम्मद (स) पर रहमत नाज़िल फ़रमाए।




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133 मर्तबा वाला अमाल


इमाम सादिक़ (अ) के अल्फ़ाज़ में हज़रत अबुल फ़ज़्लिल अब्बास (अ) का मक़ाम व मरतबा


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اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ امِيرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ
अस्सलामु अलैक़ा या इब्ने अमीरिल-मुमिनीन
सलाम हो आप पर, ऐ अमीरुल मोमिनीन के फ़रज़ंद।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ ايُّهَا ٱلْعَبْدُ ٱلصَّالِحُ
अस्सलामु अलैक़ा अय्युहल-अब्दुस-सालिह़
सलाम हो आप पर, ऐ अल्लाह के नेक बंदे,

ٱلْمُطِيعُ لِلَّهِ وَلِرَسُولِهِ
अल-मुतीउ लिल्लाहि व लिरसूलिहि
जो अल्लाह और उसके रसूल के फ़रमानबरदार रहे।

اشْهَدُ انَّكَ قَدْ جَاهَدْتَ وَنَصَحْتَ
अशहदु अन्नका क़द जाहद्ता व नसहत्ता
मैं गवाही देता हूँ कि आपने अल्लाह की राह में जिहाद किया, इख़लास से अमल किया,

وَصَبَرْتَ حَتَّىٰ اتَاكَ ٱلْيَقِينُ
व सबरता हत्ता अता'क़ल-यक़ीनु
और तकलीफ़ों को बर्दाश्त किया यहाँ तक कि मौत आप पर आ पहुँची।

لَعَنَ ٱللَّهُ ٱلظَّالِمِينَ لَكُمْ مِنَ ٱلاوَّلِينَ وَٱلآخِرِينَ
लआ'नल्लाहु ज़्ज़ालिमीन लकुम मिनल-अव्वलीन वल-आखिरीन
अल्लाह की लानत हो उन लोगों पर जिन्होंने आप पर ज़ुल्म किया, चाहे वो पहले ज़माने के हों या बाद के।

وَالْحَقَهُمْ بِدَرْكِ ٱلْجَحِيمِ
वल्हक़हुम बिदरकिल-जहीम
और अल्लाह उन्हें दहकती हुई जहन्नम के सबसे निचले दर्जे में दाख़िल करे।