इमाम अली ज़ैन अलआबिदीन - अस्सजाद (अ:स)
(अलैहिस्सलाम)

इमाम हुसैन इब्न अली (अलैहिस्सलाम) के फ़र्ज़ंद और चौथे इमाम, अहल-ए-बैत (अलैहमुस्सलाम) से
मुख़्तसर मालूमात

इबादत गुज़ार (आबिदीन) और ग़मगुसार (अज़ादार) की मिसाल!
लक़ब/कुनियत:ज़ैनुलआबिदीन, अबुलहसन
वालिद: इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) | वालिदा: बीबी शहर बानो
विलादत: 15 जमादी उल-अव्वल (या 5 शाबान) 38 हिजरी |
शहादत: वलीद बिन अब्दुल मलिक के हाथों ज़हर दिया गया 25 मुहर्रम 95 हिजरी/712 ईस्वी |क़ब्र - जन्नतुल बक़ी (मदीना में)
उम्र: 57 साल
इमामत मिलने की उम्र : 22 साल
मुद्दत-ए-इमामत: 35 साल
वालिद हैं इमाम मोहम्मद बाक़िर (अलैहिस्सलाम) के
इस्लाम के ज़बूर - सहिफ़ा सज्जादिया दुआओं की किताब
दुआए अबू हमज़ा सुमाली - एक अज़ीम दुआ
ज़िंदगी पर किताबें: बी. कुरैशी | | और दूसरी किताबें
ज़िंदगी का ख़ाका PDF - अल ज़ीशान हैदर
मुनतहेल आमाल - शेख अब्बास क़ुम्मी - | जेपीसी पर ख़रीदें
विकीपीडिया
हुक़ूक़ पर रिसाला - रिसालतुल हुक़ूक़
ख़ुत्बा - दमिश्क में कर्बला के बाद
टाइमलाइन (ज़िंदगीनामा) क़फातिमा
इमाम (अलैहिस्सलाम) की नमाज़



इमाम अली इब्न हुसैन (अलैहिस्सलाम) ने वाक़िया कर्बला के बाद अपने वालिद पर सालों तक ग़रिया किया। किसी ने इमाम (अलैहिस्सलाम) से पूछा: "ए मेरे आका! आपका ग़म कम नहीं हुआ और आपका ग़रिया खत्म नहीं हुआ?" इमाम अली इब्न हुसैन (अलैहिस्सलाम) ने जवाब दिया: "तुझ पर अफ़सोस हो! याक़ूब (अलैहिस्सलाम) एक नबी थे और उनके बारह बेटे थे। उनके एक बेटे (हज़रत यूसुफ़) को अल्लाह ने उनकी आँखों से पोशीदा रखा, और उनका सर के बाल इन्तेहाई ग़म की वजह से सफ़ेद हो गए, उनकी कमर इस परेशानी की वजह से झुक गई, और उनकी आँखों की बिनाई ज्यादा रोने की वजह से धुंधला गई, और ये सब जबकि उनका बेटा इस दुनिया में ज़िंदा था। जबकि मैंने अपने वालिद, भाई और अपने ख़ानदान के अठारह अफ़राद को ज़मीन पर गिरा हुआ और शहीद होते हुए देखा, फिर मेरा ग़म कैसे कम हो सकता है और मेरे आँसू कैसे रुक सकते हैं?" [हवाला: नफ़सुल महमूम, हिस्सा 14, बाब नंबर 39]




3 मुख़्तसर ज़यारात हैं और एक आम ज़यारत हैं जन्नतुल बक़ी की
ज़यारत 1


اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا سَيَّدَ السَّاجِدِيْنَ
अस्सलामु अलैका या सय्यिदस्साजिदीन
तुम पर सलाम हो, ऐ सजदा करने वालों के रहनुमा!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا زَيْنَ الْعَابِدِيْنَ
अस्सलामु अलैका या ज़ैनुलआबिदीन
तुम पर सलाम हो, ऐ इबादत गुजारों की इज़्ज़त!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا حَلِيْفَ الْحَسَرَاتْ
अस्सलामु अलैका या हलीफ़ल हसरात
तुम पर सलाम हो, ऐ ग़म व अंदोह के शरीक!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا ذَا الثَّفَنَاتْ
अस्सलामु अलैका या ज़ात-सफ़नात
तुम पर सलाम हो, ऐ इमाम जिनके सजदे के मकामात पर ज़ख्म आए!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا صَاحِبَ الْعَبْرَاتِ
अस्सलामु अलैका या साहिबल अब्रात
तुम पर सलाम हो, ऐ रोने और मातम करने वाले!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا أسِيْرَ الْكُرُبَاتْ
अस्सलामु अलैका या असीरलकुरुबात
तुम पर सलाम हो, ऐ मुसीबतों के क़ैदी!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا أعْظَمَ آلِ الْعِبَاءِ
अस्सलामु अलैका या अज़म आललिबा
तुम पर सलाम हो, ऐ अज़ीम इबादत गुजारों में से एक!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا ابْنَ خَامِسِ أصْحَابِ أَهْلِ الْكِسَاءِ
अस्सलामु अलैका या इब्न ख़ामिस अस्हाब अहलल-किसा
तुम पर सलाम हो, ऐ चादर वाले (हुसैन) के पांचवें के बेटे

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا ابْنَ سَيِِّدِ الشُّهَدَاءِ
अस्सलामु अलैका या यब्ना सैय्यदुस शुहदा
तुम पर सलाम हो, ऐ शुहदा के सरदार के बेटे!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ يَا عِمَادَ الْأَتْقِيَاءِ
अस्सलामु अलैका या इमाद-ल-अत्किया
तुम पर सलाम हो, ऐ परहेज़गारों की मदद!

اَلسَّلامُ عَلَيْكَ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ
अस्सलामु अलैका वरहमतुल्लाहि व बरकातुह
तुम पर सलाम हो, और अल्लाह की बरकतें और नवाज़िशें तुम पर!


ज़्यारत 2


لسَّلامُ عَلَيْكَ يَا زَيْنَ العَابِدِينَ,
अस्सलामु अलैका या ज़ैनुल आबिदीन,
आप पर सलाम हो; ऐ इबादत गुजारों के फख्र!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا زَيْنَ المُتَهَجِّدِينَ,
अस्सलामु अलैका या ज़ैनुल मुतहज्जिदीन,
आप पर सलाम हो; ऐ मुजाहिदीन के फख्र!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا إِمَامَ المُتَّقِينَ,
अस्सलामु अलैका या इमामुल मुत्तकीन,
आप पर सलाम हो; ऐ परहेज़गारों के इमाम!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا دُرَّةَ الصَّالِحِينَ,
अस्सलामु अलैका या दुर्रतुस्सालिहीन,
आप पर सलाम हो; ऐ मंज़ूर नज़र के चिराग!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَلِيَّ المُسْلِمِينَ
अस्सलामु अलैका या वलीय्युल मुस्लिमीन
आप पर सलाम हो; ऐ मुसलमानों के सरदार!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا قُرَّةَ عَيْنِ النَّاظِرِينَ العَارِفِينَ
अस्सलामु अलैका या कुर्रत अयिनिन नाज़िरीनिल आरिफीन
आप पर सलाम हो; ऐ देखने वालों और आलिमों की खुशी!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا خَلَفَ السَّابِقِينَ,
अस्सलामु अलैका या ख़लफस्साबिक़ीन,
आप पर सलाम हो; ऐ पिछले लोगों के वारिस!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا وَصِيَّ الوَصِيِّينَ,
अस्सलामु अलैका या वसीय्युल वसीयीन,
आप पर सलाम हो; ऐ वसी के वसी!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا خَازِنَ وَصَايَا المُرْسَلِينَ,
अस्सलामु अलैका या ख़ाज़िन वसाया मुरसलीन,
आप पर सलाम हो; ऐ इलाही अहकाम के अमीन!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا ضَوْءَ المُسْتَوْحِشِينَ,
अस्सलामु अलैका या ज़वउल मुस्तवहशीन,
आप पर सलाम हो; ऐ तन्हा लोगों के नूर!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا سِرَاجَ المُرْتَاضِينَ,
अस्सलामु अलैका या सिराजुल मुर्ताज़ीन,
आप पर सलाम हो; ऐ तनहाई के नूर!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا نُورَ المُجْتَهِدِينَ,
अस्सलामु अलैका या नूरुल मुज्तहिदीन,
आप पर सलाम हो; ऐ मुजाहिदीन के रोशनी!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا ذُخْرَ المُتَعَبِّدِينَ
अस्सलामु अलैका या ज़ुख़रुल मुतअब्दीन
आप पर सलाम हो; ऐ इबादत गुजारों के ख़ज़ाना!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا مِصْبَاحَ العَالَمِينَ,
अस्सलामु अलैका या मिस्बाहल आलमीन,
आप पर सलाम हो; ऐ दुनिया के चिराग!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا سَفِينَةَ العِلْمِ,
अस्सलामु अलैका या सफीनतुल इल्म,
आप पर सलाम हो; ऐ इल्म के जहाज़!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا سَكِينَةَ الحِلْمِ,
अस्सलामु अलैका या सकीनतुल हिल्म,
आप पर सलाम हो; ऐ तहम्मुल के अमन!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا مِيزَانَ القَصَاصِ,
अस्सलामु अलैका या मीजानल कसास,
आप पर सलाम हो; ऐ इनसाफ़ के तराजू!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا سَفِينَةَ الخَلاصِ,
अस्सलामु अलैका या सफीनतुल ख़लास,
आप पर सलाम हो; ऐ नजात के जहाज़!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا بَحْرَ النَّدَى,
अस्सलामु अलैका या बहरन्नदा,
आप पर सलाम हो; ऐ सखावत के समुंदर!

السَّلامُ عَلَيْكَ بَدْرَ الدُّجَى,
अस्सलामु अलैका बद्रद्दुजा,
आप पर सलाम हो; ऐ तारीकी में चाँद!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الأَوَّاهُ الحَلِيمُ,
अस्सलामु अलैका अय्युहल अव्वाहुल हलीम,
आप पर सलाम हो; ऐ नरम दिल और बरदबार!

السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُهَا الصَّابِرُ الحَكِيمُ,
अस्सलामु अलैका अय्युहस्साबिरुल हकीम,
आप पर सलाम हो; ऐ सब्र व हिकमत वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا رَئِيسَ البَكَّائِينِ,
अस्सलामु अलैका या रईसल बक्काईन,
आप पर सलाम हो; ऐ रोने वालों के सरदार (ख़ुदा के ख़ौफ से)!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا مِصْبَاحَ المُؤْمِنِينَ,
अस्सलामु अलैका या मिस्बाहल मु'मिनीन,
आप पर सलाम हो; ऐ मोमिनों के चिराग!

السَّلَامُ عَلَيْكَ يَا مَوْلايَ يَا أَبَا مُحَمِّدٍ,
अस्सलामु अलैका या मौलाया या अबा मुहम्मद,
आप पर सलाम हो; ऐ मेरे आका,अबू मुहम्मद!

أَشْهَدُ أَنَّكَ حُجَّةُ اللَّهِ, وَابْنُ حُجَّتِهِ,
अशहदु अन्नका हुज्जतुल्लाह, वब्नु हुज्जतिहि,
मैं गवाही देता हूँ कि आप अल्लाह की हुज्जत हैं और उसके बेटे की हुज्जत हैं

وَأَبُو حُجَجِهِ
वअबु हुज्जजिहि
और उनके हुज्जत के वालिद हैं

وَابْنُ أَمِينِهِ, وَأَبُو أُمَنَائِهِ,
वब्नु अमीनीहि,वअबु उमनाईहि,
और उसके अमीन के बेटे और अमीन के वालिद हैं

وَأَنَّكَ نَاصَحْتَ فِي عِبَادَةِ رَبِّكَ,
वअन्नका नासह्ता फ़ी इबादति रब्बिका,
और आपने अपने रब की इबादत में मुखलिस थे,

وَسَارَعْتَ فِي مَرْضَاتِهِ,
वसारअता फ़ी मरजातिहि,
और उसकी रज़ा के लिए जल्दी की

وَخَيَّبْتَ أَعْدَاءَهُ,
वख़य्यबता अअदायिहि,
और उसके दुश्मनों को मायूस किया,

وَسَرَرْتَ أَوْلِيَاءَهُ,
वसर्रता अवलियायिहि,
और उसके करीब दोस्त को खुश किया!

أَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ عَبَدْتَ اللَّهَ حَقَّ عِبَادَتِهِ,
अशहदु अन्नका कद अबदतल्लाह हक़्क़ इबादतिहि,
मैं गवाही देता हूँ कि आपने अल्लाह की इबादत की जैसा कि उसकी इबादत की जानी चाहिए थी,

وَاتَّقَيْتَهُ حَقَّ تُقَاتِهِ,
वतत्तक़ैतहु हक़्क़ तुकातिहि,
और उससे डरते रहे जैसा कि उससे डरना चाहिए था,

وَأَطَعْتَهُ حَقَّ طَاعَتِهِ حَتَّى أَتَاكَ اليَقِينُ,
वअतअतहु हक़्क़ ताअतिहि हत्ता अताकल यक़ीनु,
और उसकी इताअत की जैसा कि उसकी इताअत की जानी चाहिए थी,

فَعَلَيْكَ يَا مَوْلايَ يَا بْنَ رَسُولِ اللَّهِ أَفْضَلُ التَّحِيَّةِ, وَالسَّلامُ عَلَيْكَ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ.
फ़अलैका या मौलाया या इब्ने रसूलिल्लाह अफ्ज़लुत तहिय्यता, वस्सलामु अलैका व रहमतुल्लाह व बरकातुहु
यहाँ तक कि मौत आप पर आ गई। पस, ऐ मेरे आका,अल्लाह के रसूल के बेटे;(आप पर) बेहतरीन सलामती और दरूद हो (अल्लाह की) रहमत और बरकतों के साथ


ज़्यारत 3
اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا اِمَامَ الْہُدیٰ
अस्सलामु अलैका या इमामल हु‍‍दा
आप पर सलाम हो, ऐ हिदायत के इमाम

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا بَدَرَالدُّجیٰ
अस्सलामु अलैका या बद्रद्दुजा
आप पर सलाम हो, ऐ बद्र अद-दुजा

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا کَہْفَ التُّقیٰ
अस्सलामु अलैका या कह्फत्तुक़ा
आप पर सलाम हो, ऐ तक़्वा की पनाह

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا قَائِدَ اَہْلِ التَّقْویٰ
अस्सलामु अलैका या क़ाइद अहलित्तक़वा
आप पर सलाम हो, ऐ अहल-ए-तक़्वा के रहनुमा

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا بَاقِرَ عَلْمِ النَّبِیِّیْنَ
अस्सलामु अलैका या बाक़िरा इल्मीन नबीय्यीन
आप पर सलाम हो, ऐ इल्म-ए-अंबिया के बाक़िर

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا زَیْنَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِیْنَ
अस्सलामु अलैका या ज़ैनस्समावात वल-अर्ज़ीन
आप पर सलाम हो, ऐ आसमानों और ज़मीन के ज़ेवर

اَللّٰہُمَّ کَمَا جَعَلْتَہٗ عَلَماً لِعِبَادِکَ وَ مُسْتَوْدَعاً لِحِلْمِکَ وَ مُتَرْجِماً لِوَحْیِکَ
अल्लाहुम्मा कमा जअल्तहु अ‍‍लमन लिबादिका व मुस्तवदा‍‍अन लि-हिल्मिका व मु‍‍तरजिमन लिव-ह्यिका
ऐ खुदा, जिस तरह तूने इसे अपने बंदों के लिए निशानी बनाया, अपनी बुर्दबारी का खज़ाना बनाया, और अपनी वही का मुतर्जिम बनाया

فَصَلِّ عَلَیْہِ اَفْضَلَ مَا صَلَّیْتَ عَلیٰ اَحَدٍ مِّنْ ذُرِّیَّۃِ اَنْبِیَائِکَ وَ اَصْفِیَائِکَ وَ رُسُلِکَ وَ اُمَنَائِکَ
फसल्ले अलैहि अफ़्ज़ल मा सल्लैत अला अहद मि‍‍न ज़ुर्रिय्यति अम्बियाइक व अस्फियाइक व रसुलिक व उमनाइक
पस, उन पर वह बेहतरीन रहमत नाज़िल फरमा जो तूने अपने नबियों, बरगुज़िदों, रसूलों और अमानतदारों में से किसी पर भी भेजी हो

یَا رَبَّ الْعَالَمِیْنَ۔
या रब्बल आलमीन
आलमीन के रब!






इमाम अली इब्न अल-हुसैन (अलैहिस्सलाम) पर बरकतें भेजने की दुआ


اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ عَلِيِّ بْنِ ٱلْحُسَيْنِ
अल्लाहुम्मा सल्ले अला अली इब्निल हुसैन
ऐ अल्लाह,(बराहे करम) अली इब्न हुसैन पर बरकतें नाज़िल फरमा

سَيِّدِ ٱلْعَابِدِينَ
सैय्यद अल-आबिदीन
इबादत गुज़ारों के सरदार

ٱلَّذِي ٱسْتَخْلَصْتَهُ لِنَفْسِكَ
अल्लज़ी इस्तख़ लस्तहु लि-नफ़्सिका
जिन्हें तू ने ख़ालिसतन अपने लिए मुंतखिब किया

وَجَعَلْتَ مِنْهُ ائِمَّةَ ٱلْهُدَىٰ
व-जअलता मिन्हु आइम्मत अल-हु‍‍दा
और उनसे हक़ की रहनुमाई करने वाले इमाम पैदा किए

ٱلَّذِينَ يَهْدُونَ بِٱلْحَقِّ وَبِهِ يَعْدِلُونَ
अल्लज़िना यहदून बिल-हक़्क़ व-बिही यअदिलून
जो हक़ की तरफ़ रहनुमाई करते हैं और उसके साथ फैसले करते हैं।

ٱخْتَرْتَهُ لِنَفْسِكَ
इख़तारतहु लि-नफ़्सिका
तू ने उन्हें अपने लिए चुन लिया,

وَطَهَّرْتَهُ مِنَ ٱلرِّجْسِ
व-तह्हरतहु मिन अल-रिज़्सा
उन्हें हर किस्म की नापाकी से पाक किया,

وَٱصْطَفَيْتَهُ وَجَعَلْتَهُ هَادِياً مَهْدِيّاً
व-अस्तफ़ै तहु व-जअलतहु हादियन मह्दिय्यन
उन्हें मुंतखिब किया, और उन्हें हिदायत देने वाला और हिदायत याफ़्ता बनाया।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَيْهِ
अल्लाहुम्मा सल्ले अलैहि
ऐ अल्लाह, उन पर बरकतें नाज़िल फरमा

افْضَلَ مَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ احَدٍ
अफ़्ज़ला मा सल्लैता अला अहदिन
बेहतरीन बरकतों के साथ जो तू ने कभी भी अपने किसी

مِنْ ذُرِّيَّةِ انْبِيَاءِكَ
मिन ज़ुर्रिय्यति अम्बियाइका
नबी की औलाद पर नाज़िल की हों

حَتَّىٰ تَبْلُغَ بِهِ مَا تَقَرُّ بِهِ عَيْنُهُ فِي ٱلدُّنْيَا وَٱلآخِرَةِ
हत्ता तबलुग़ बिही मा तक़र्रु बिही अयिनुहु फी अल-दुन्या व-अल-आखिरती
ताकि ये बरकतें उन्हें उस मक़ाम तक पहुंचाएं जो उनकी आंखों को इस दुनिया और आख़िरत में खुश कर दे।

إِنَّكَ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
इन्नका अज़ीज़ुन हकीम
बेशक तू ही ज़बरदस्त और हिकमत वाला है