शब् / 1-मुहर्रम का दिन
ए फ़ातिमा! हर आँख क़यामत के दिन रो रही होगी सिवाए उस आँख के जिसने हुसैन (अ) के ग़म में आँसू बहाए हों.. हज़रत नबी ए करीम (स)
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पहले मुहर्रम के रोज़े रखने की बहुत सिफ़ारिश की जाती है ताकि जायज़ ज़रूरतें पूरी हों

चाँद देखने पर मुख़्तसर दुआ "अल-मुख़्तसर मिन अल-मुन्तख़ब" में मौजूद है।
اللَّهُ أَكْبَرُ اللَّهُ أَكْبَرُ اللَّهُ أَكْبَرُ رَبِّي وَ رَبُّكَ اللَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَالَمِينَ الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي خَلَقَنِي وَ خَلَقَكَ وَ قَدَّرَكَ فِي مَنَازِلِكَ [وَ قَدَّرَ مَنَازِلَكَ‌] وَ جَعَلَكَ آيَةً لِلْعَالَمِينَ يُبَاهِي اللَّهُ بِكَ الْمَلَائِكَةَ
अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर रब्बी वा रब्बुका अल्लाह ला इलाहा इल्ला हुआ रब्बुल आलमीन अल्हम्दु लिल्लाहि अल्लधी खलकनी वा खलकका वा कद्दरका फी मनाज़िलिका [वा कद्दर मनाज़िलका] वा ज'अलाका आयतं लिल आलमीन युबाही अल्लाहु बिका अल-मलाइका
बलंद ओ बाला ख़ुदा की तमीज करो और कहो: "अल्लाह सबसे बड़ा है! अल्लाह सबसे बड़ा है! अल्लाह सबसे बड़ा है! अल्लाह मेरा रब और तुम्हारा रब है! अल्लाह तमाम जहानों का रब है। कोई माबूद नहीं सिवाए अल्लाह के। तमाम तारीफें अल्लाह के लिए हैं, जिसने मुझे पैदा किया, तुम्हें पैदा किया, तुम्हारी राह मुतय्यन की और तुम्हें दुनिया के लोगों के लिए एक निशानी बनाया। अल्लाह तुम पर फरिश्तों के नज़दीक फख्र करता है।

اللَّهُمَّ أَهِلَّهُ عَلَيْنَا بِالْأَمْنِ وَ الْإِيمَانِ وَ السَّلَامَةِ وَ الْإِسْلَامِ وَ الْغِبْطَةِ وَ السُّرُورِ وَ الْبَهْجَةِ وَ ثَبِّتْنَا عَلَى طَاعَتِكَ وَ الْمُسَارَعَةِ فِيمَا يُرْضِيكَ
अल्लाहुम्मा अहिल्लहु अलैना बिल अम्नि वल ईमानि वस सलामति वल इस्लामि वल गिबतति वस सुरूरि वल बह्जति वस्सबितना अलतआतिका वल मुसारआति फीमा युरज़िका
ए मेरे ख़ुदा! बराह करम इस महीने को अमन, ईमान, सलामती और तेरी मर्ज़ी के मुकम्मल ताबे होने का दौर बना दे।
बराह करम हमें अपनी इता'त में मज़बूती से क़ायम रख और हमें उस तरफ़ तेज़ी से चलने वाला बना दे जो तुझे पसंद है और जिससे तू राज़ी है।

اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِي شَهْرِنَا هَذَا وَ ارْزُقْنَا خَيْرَهُ وَ بَرَكَتَهُ وَ يُمْنَهُ وَ عَوْنَهُ وَ فَوْزَهُ وَ اصْرِفْ عَنَّا شَرَّهُ وَ بَلَاءَهُ وَ فِتْنَتَهُ بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ.
अल्लाहुम्मा बारिक लना फी शह्रिना हाजा वरजुकना खैरहु व बरकतहु व युम्नहु व औनहु व फौजहु व असरिफ अन्ना शर्रहु व बलाअहु व फित्नतुहु बिरहमतिका या अरहम अर्राहिमीन
ए मेरे ख़ुदा! बराह करम हमें इस महीने में बरकत अता फरमा। और बराह करम हमें इसकी फराख़दिल्ली, ख़ैर ओ बरकत, इसकी बरकत, मदद और निजात अता फरमा। और इस महीने के दौरान हमें किसी भी बुराई, बदकिस्मती और शर से महफूज़ रख।
अपनी रहमत से! ए सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे ज़्यादा मेहरबान।"

मुहर्रम के चाँद रात की एक लम्बी दुआ - इक़बाल अल'अमाल से ली गयी

اللَّهُمَّ أَنْتَ اللَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ أَسْأَلُكَ بِكَ وَ بِكَلِمَاتِكَ وَ أَسْمَائِكَ الْحُسْنَى كُلِّهَا
وَ أَنْبِيَائِكَ وَ رُسُلِكَ وَ أَوْلِيَائِكَ وَ مَلَائِكَتِكَ الْمُقَرَّبِينَ [الْمُؤْمِنِينَ‌] وَ جَمِيعِ عِبَادِكَ الصَّالِحِينَ
أَلَّا تُخَلِّيَنِي مِنْ رَحْمَتِكَ الَّتِي وَسِعَتْ كُلَّ شَيْ‌ءٍ
अल्लाहुम्मा अंता अल्लाह ला इलाहा इल्ला अन्त असअलुका बिक व बिकलिमातिका व असमाइक अल-हुस्ना कुल्लिहा व अंबियाइक व रसुलिक व औलियाइक व मलाइक्तिका अल-मुक़र्रबीं [अल-मुमिनीन] व जमीइ इबादिका अस-सालिहीन अल्ला तुखल्लियनी मिन रहमतिका अल्लती वसिअत कुल्ल शै
कहो, "ए मेरे ख़ुदा! तू अल्लाह है! तेरे सिवा कोई माबूद नहीं! मैं तुझसे तेरे नफ़्स, तेरे कलिमात, तेरे तमाम खूबसूरत नामों, तेरे अंबिया, तेरे रसूलों, तेरे वलियों, तेरे क़रीब रहने वाले फरिश्तों और तमाम सालेहीन बंदों के ज़रिए सवाल करता हूँ।
ए ख़ुदा! ए मोमिनों पर मेहरबान! मुझे अपनी उस रहमत से महरूम न कर जो तमाम चीज़ों पर मुहीत है।
يَا اللَّهُ يَا رَحْمَانُ يَا وَاحِدُ يَا حَيُّ يَا أَوَّلُ يَا آخِرُ يَا ظَاهِرُ يَا بَاطِنُ يَا مَلِكُ يَا غَنِيُّ يَا مُحِيطُ يَا سَمِيعُ يَا عَلِيمُ يَا عَلِيُّ يَا شَهِيدُ يَا قَرِيبُ يَا مُجِيبُ يَا حَمِيدُ يَا مَجِيدُ يَا عَزِيزُ يَا قَهَّارُ يَا خَالِقُ
يَا مُحْسِنُ يَا مُنْعِمُ يَا مَعْبُودُ يَا قَدِيمُ يَا دَائِمُ يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ يَا فَرْدُ يَا وَتْرُ يَا أَحَدُ يَا صَمَدُ يَا بَاعِثُ يَا وَارِثُ يَا سَمِيعُ يَا عَلِيمُ يَا لَطِيفُ يَا خَبِيرُ يَا جَوَادُ يَا مَاجِدُ يَا قَادِرُ يَا مُقْتَدِرُ يَا قَاهِرُ
يَا رَحْمَانُ يَا رَحِيمُ يَا قَابِضُ يَا بَاسِطُ يَا حَلِيمُ يَا كَرِيمُ يَا عَفُوُّ يَا رَءُوفُ يَا غَفُورُ
या अल्लाहु या रहमानु या वाहिदु या हय्यु या अव्वलु या आखिरु या जाहिरु या बातिनु या मलिकु या गनीउ या मुहीतु या समीउ या अलीमु या अलीउ या शहीदु या क़रीबु या मजीबु या हमीदु या मजीदु या अजीज़ु या क़ह्हारु या खालिकु
या मुहसिनु या मुनइमु या मअबुदु या कदीमु या दाइमु या हय्यु या कय्यूमु या फर्दु या वत्रु या अहदु या समदु या बाइसु या वारिसु या समीउ या अलीमु या लतीफु या खबीरु या जवादु या माजिदु या कादिरु या मुक़तदिरु या काहिरु
या रहमानु या रहीमु या काबिजु या बासितु या हलीमु या करीमु या अफुवु या रऊफु या गफूरु
ए खुदा! ए मोमिनों पर मेहरबान! ए यकता! ए ज़िंदा! ए अव्वल! ए आख़िर! ए ज़ाहिर! ए बातिन! ए बादशाह! ए बेनियाज़! ए हर चीज़ का एहाता करने वाले! ए सुनने वाले, ए जानने वाले! ए बुलंद! ए गवाह! ए क़रीब! ए जवाब देने वाले! ए काबिले तारीफ़! ए जलीलुल क़द्र! ए ज़बरदस्त! ए क़हार! ए ख़ालिक! ए मेहरबान! ए नेमतें अता करने वाले! ए माबूद! ए अबदी! ए हमेशा रहने वाले! ए ज़िंदा! ए खुद क़ाइम! ए यकता! ए मुनफ़रिद! ए हमेशा रहने वाले! ए ज़िंदा करने वाले! ए वारिस! ए सुनने वाले, ए जानने वाले! ए बारीकियों का जानने वाले! ए हर चीज़ से बाक़बर! ए सखी! ए बुज़ुर्ग! ए कुदरत वाले! ए ग़नी! ए क़ाहिर! ए रहमान! ए रहीम! ए क़ब्ज़ करने वाले! ए वुसअत देने वाले! ए हलीम! ए करीम! ए माफ़ करने वाले! ए मेहरबान! ए बख्शने वाले!
هَا أَنَا ذَا صَغِيرٌ فِي قُدْرَتِكَ بَيْنَ يَدَيْكَ رَاغِبٌ إِلَيْكَ مَعَ كَثْرَةِ نِسْيَانِي وَ ذُنُوبِي وَ لَوْ لَا سَعَةُ رَحْمَتِكَ وَ لُطْفِكَ وَ رَأْفَتِكَ لَكُنْتُ مِنَ الْهَالِكِينَ يَا مَنْ هُوَ عَالِمٌ بِفَقْرِي إِلَى جَمِيلِ نَظَرِهِ وَ سَعَةِ رَحْمَتِهِ أَسْأَلُكَ بِأَسْمَائِكَ كُلِّهَا مَا عَلِمْتُ مِنْهَا وَ مَا لَمْ أَعْلَمْ
وَ بِحَقِّكَ عَلَى خَلْقِكَ وَ بِقِدَمِكَ وَ أَزَلِكَ وَ إِبَادِكَ وَ خُلْدِكَ وَ سَرْمَدِكَ وَ كِبْرِيَائِكَ وَ جَبَرُوتِكَ وَ عَظَمَتِكَ وَ شَأْنِكَ وَ مَشِيَّتِكَ
हा अना जा सगीरुन फी कुद्रतिक बैन यदैक राग़िबुन इलैक मअ कसरत निस्यानी व जुबूबी व लौ ला सआत रहमतिका व लुत्फिका व रउफतिका लकुंतु मिन अल-हालिकीन या मन हुआ आलिमुन बिफकरी इला जमीली नज़रिहि व सआत रहमतिहि असअलुका बिअसमाइक कुल्लिहा मा अलिमतु मिनहा व मा लम आलम
व बिहक्किका अला खल्किका व बिक़िदमिक व अजालिक व इबादिक व खुल्दिक व सरमदिक व किब्रियाइक व जबरूतिका व अज़मतिका व शानिक व मशियतिका
यहाँ मैं तेरे सामने हूँ और तेरे कब्ज़े में हूँ! मैं तेरी तरफ़ माइल हूँ बावजूद इसके कि मेरी बहुत सी गलतियाँ और गुनाह हैं।
अगर तेरी रहमत, तेरा फज़ल और तेरी मेहरबानी न होती तो मैं हलाक होने वालों में से होता।
ए वो जो मेरे फक़्र से वाक़िफ़ है।
बराह करम मुझ पर मेहरबानी से नज़र फ़रमा और अपनी रहमत को मुझ पर वसीअ कर दे।
ए मेरे ख़ुदा! बेशक मैं तुझसे तेरे तमाम नामों के वासते से सवाल करता हूँ - वो जो मैं जानता हूँ और वो जो मैं नहीं जानता - और तेरी मख़लूक पर तेरे हक़ के वासते से! मैं तुझसे तेरे हमेशा से मौजूद होने, अबदी होने, तेरे मकाम, तेरे लाज़वाल होने, तेरी अज़मत, तेरी क़ुदरत, तेरी जलालत, तेरी बुलंदी और तेरी मर्ज़ी के वासते से सवाल करता हूँ!"
أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ وَ أَنْ تَرْحَمَنِي وَ تُقَدِّسَنِي بِلَمَحَاتِ حَنَانِكَ وَ مَغْفِرَتِكَ وَ رِضْوَانِكَ وَ تَعْصِمَنِي مِنْ كُلِّ مَا نَهَيْتَنِي عَنْهُ وَ تُوَفِّقَنِي لِمَا يُرْضِيكَ عَنِّي وَ تُجْبِرَنِي عَلَى مَا أَمَرْتَنِي بِهِ وَ أَحْبَبْتَهُ مِنِّي
अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन व अला आले मुहम्मदिन व अंन तरहमनी व तुक़द्दिसनी बिलमहात हनानिक व मगफिरतिक व रिज़वानिक व तुअस्सिमनी मिन कुल्लि मा नहैतनि अन्हु व तुवफ्फिक़नि लिमा युर्दीक अन्नी व तुजब्बिरनी अला मा अमरतनि बिहि व अहब्बतहू मिननी
मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि मुहम्मद और उनकी आल (अलैहिस्सलाम) पर अपनी बरकतें नाज़िल फरमा, मुझ पर रहम फरमा, और अपनी मेहरबानी और रज़ा से मुझे पाक कर दे।
मैं तुझसे सवाल करता हूँ कि मुझे हर उस चीज़ से बचा जो तूने मना की है और मुझे उसमें कामयाब फरमा जो तुझे पसंद है और जो तूने मुझे करने का हुक्म दिया है और जो तुझे राज़ी करता है।
اللَّهُمَّ امْلَأْ قَلْبِي وَقَارَ جَلَالِكَ وَ جَلَالَ عَظَمَتِكَ وَ كِبْرِيَائِكَ وَ أَعِنِّي عَلَى جَمِيعِ أَعْدَائِكَ وَ أَعْدَائِي
يَا خَيْرَ الْمَالِكِينَ وَ أَوْسَعَ الرَّازِقِينَ وَ يَا مُكَوِّرَ الدُّهُورِ وَ يَا مُبَدِّلَ الْأَزْمَانِ وَ
يَا مُولِجَ اللَّيْلِ فِي النَّهَارِ وَ مُولِجَ النَّهَارِ فِي اللَّيْلِ يَا مُدَبِّرَ الدُّوَلِ وَ الْأُمُورِ وَ الْأَيَّامِ
أَنْتَ الْقَدِيمُ الَّذِي لَمْ تَزَلْ وَ الْمَالِكُ الَّذِي لَا يَزُولُ سُبْحَانَكَ وَ لَكَ الْحَمْدُ بِحَمْدِكَ وَ حَوْلِكَ عَلَى كُلِّ حَمْدٍ وَ حَوْلٍ دَائِماً مَعَ دَوَامِكَ وَ سَاطِعاً بِكِبْرِيَائِكَ
أَنْتَ إِلَهِي وَلِيُّ الْحَامِدِينَ وَ مَوْلَى الشَّاكِرِينَ يَا مَنْ مَزِيدُهُ بِغَيْرِ حِسَابٍ وَ يَا مَنْ نِعَمُهُ لَا تُجَازَى وَ شُكْرُهُ لَا يُسْتَقْصَى وَ مُلْكُهُ لَا يَبِيدُ
अल्लाहुम्मा इमला क़ल्बी वकार जलालिक व जलाल अज़मतिका व किब्रियाइक व अइन्नी अला जमीइ अअदाइक व अअदाई या खैरल-मालिकीन व औसअ राज़िकीन व या मुकव्विरद्दुहूर व या मुबद्दिलल-अज़मान व या मुवलिजल-लैलि फिन्नहार व मुवलिजल-न्हारि फिल-लैल या मुदब्बिरद्दुवल व अल-उमूर व अल-अय्याम अन्त अल-कदीमु अल्लज़ी लम तज़ल व अल-मालिकु अल्लज़ी ला यज़ूलु सुब्हानक व लक अल-हम्दु बिहम्दिक व हौलिक अला कुल्लि हम्दिन व हौलिन दाईमन मा दवामिक व सातिअन बिकिब्रियाइक अन्त इलाही वलीय्युल-हामिदीन व मौला अश-शाकिरीन या मन मज़ीदहु बिग़ैर हिसाब व या मन नियामुहु ला तुजज़ा व शुक्रुहु ला युसतक्सा व मुल्कुहु ला यबिदु
ए मेरे खुदा! मेरा दिल तेरे जलाल की सुकूनत से भर गया है, और तेरी अज़मत और शान के जलाल से। ए बेहतरीन मालिक! मुझे अपने और मेरे दुश्मनों के खिलाफ मदद फरमा। ए हमारी ज़रूरतों को पूरा करने वाले बेहतरीन परवरदिगार! ए वह जो ज़माने को बदलता है। ए वह जो मौसमों को बदलता है। ए वह जो रात को दिन में और दिन को रात में मिलाता है। ए वह जो हुकूमतों, उमूर और मामूली चीज़ों को चलाता है। तू हमेशा से मौजूद है और तू ही मालिक है जो हमेशा रहेगा। तुझे जलाल हो! तारीफ तेरी है तेरी तारीफ और क़ुदरत के साथ। ऐसी तारीफ जो तेरी दाइमी है, और तेरे जलाल से रोशन है। तू मेरा खुदा है! तू तारीफ करने वालों का निगेहबान है! तू शुक्र गुज़ारों का मालिक है। ए वह जो बगैर हिसाब देता है। ए वह जिसकी नेमतों का बदला नहीं दिया जा सकता। और वह जिसका शुक्रिया अदा नहीं किया जा सकता और जिसकी सल्तनत कम नहीं होती।
وَ أَيَّامُهُ لَا تُحْصَى صِلْ أَيَّامِي بِأَيَّامِكَ مَغْفُوراً لِي مُحَرَّماً لَحْمِي وَ دَمِي وَ مَا وَهَبْتَ لِي مِنَ الْخَلْقِ وَ الْحَيَاةِ وَ الْحَوْلِ وَ الْقُوَّةِ عَلَى النَّارِ يَا جَارَ الْمُسْتَجِيرِينَ وَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ تَوَكَّلْتُ‌عَلَى الْحَيِّ الَّذِي لَا يَمُوتُ‌ الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعالَمِينَ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ مالِكِ يَوْمِ الدِّينِ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَ إِيَّاكَ نَسْتَعِينُ‌ لِنَفْسِي وَ دِينِي وَ سَمْعِي وَ بَصَرِي وَ جَسَدِي وَ جَمِيعِ جَوَارِحِي وَ وَالِدَيَّ وَ أَهْلِي وَ مَالِي وَ أَوْلَادِي وَ جَمِيعِ مَنْ يَعْنِينِي أَمْرُهُ وَ سَائِرِ مَا مَلَكَتْ يَمِينِي عَلَى جَمِيعِ مَنْ أَخَافُهُ وَ أَحْذَرُهُ بَرّاً وَ بَحْراً مِنْ خَلْقِكَ أَجْمَعِينَ اللَّهُ أَكْبَرُ اللَّهُ أَكْبَرُ وَ أَعَزُّ وَ أَجَلُّ وَ أَمْنَعُ مِمَّا أَخَافُ وَ أَحْذَرُ عَزَّ جَارُ اللَّهِ وَ جَلَّ ثَنَاءُ اللَّهِ وَ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ
اللَّهُمَّ اجْعَلْنِي فِي جِوَارِكَ الَّذِي لَا يُرَامُ وَ فِي حِمَاكَ الَّذِي لَا يُسْتَبَاحُ وَ لَا يَذِلُّ وَ فِي ذِمَّتِكَ الَّتِي لَا تُخْفَرُ وَ فِي مَنْعَتِكَ الَّتِي لَا تُسْتَذَلُّ وَ لَا تُسْتَضَامُ وَ جَارُ اللَّهِ آمِنٌ مَحْفُوظٌ وَ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ
व अय्यामुहु ला तुह्सा सिल अय्यामी बिअय्यामिक मगफूरन ली मुहऱमन लह्मी व दमी व मा वहबत ली मिनल-खल्कि वल-हयाति वल-हौली वल-क़ुव्वति अला न-नार या जारल-मुस्तजीरीन व या अरहमर-राहिमीन बिस्मिल्लाहिर-रहमानिर-रहीम तवक्कलतु अला अल-हय्यिल्लज़ी ला यमूत अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल-आलमीन अर-रहमानिर-रहीम मालिकि यौमिद-दीन इय्याक नअबुदु व इय्याक नस्तईन लि-नफ़्सी व दीनि व समई व बसरी व जसदी व जमीइ जवारिही व वालिदय्य व अह्ली व माली व औलादी व जमीइ मन यअनीनी अमरुहु व सायरि मा मलकत यमिनी अला जमीइ मन अखाफुहु व अहज़रुहु बर्रं व बहरन मिन खल्कि अजमईन अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर व अअज्जु व अजल्लु व अमनअु मिम्मा अखाफु व अहज़रु अज़्ज़ जारुल्लाहि व जल्ला सना उल्लाहि व ला इलाहा इल्लल्लाहु अल्लाहुम्म अजअलनी फी जिवारिक अल्लज़ी ला यराम व फी हिमाक अल्लज़ी ला युसतबाहु व ला यज़िल्लु व फी जिम्मतिक अल्लती ला तुख्फरु व फी मनअतिक अल्लज़ी ला युस्तज़ल्लु व ला युस्तज़ामु व जारुल्लाहि आमिनुन महफूज़ुन व ला हौल व ला कुव्वत इल्ला बिल्लाहिल-अलीयिल-अज़ीम
“बराह करम मेरे दिनों को अपने दिनों के साथ जोड़ दे, मुझे माफ़ कर दे और मेरे गोश्त, ख़ून और उन तमाम चीज़ों को जो तू ने मुझे अता की हैं जैसे मेरी तख़्लीक़, ज़िंदगी, ताक़त और कुव्वत को आग से महफूज़ रख। ए हिफाज़त करने वाले जो तेरी पनाह चाहते हैं!
ए सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे ज़्यादा मेहरबान!
"अल्लाह के नाम से, सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे ज़्यादा मेहरबान।
मैं उस पर भरोसा करता हूँ जो हमेशा रहने वाला है और कभी फ़ना नहीं होगा! "तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं! जहानों का पालने वाला, सबसे ज़्यादा रहम करने वाला, सबसे ज़्यादा मेहरबान, यौम-ए-जज़ा का मालिक।
हम तेरी ही इबादत करते हैं, और तुझसे ही मदद मांगते हैं - 1:2-5।
ए वह जिस के दिनों की गिनती नहीं हो सकती।
मैं तुझसे अपने लिए, अपने दीन के लिए, अपनी सुनने की ताक़त, अपनी देखने की ताक़त, अपने जिस्म, अपने तमाम अज्जा, अपने वालिदैन, ख़ानदान, दौलत और बच्चों, अपनी निगरानी में मौजूद सब के लिए मदद चाहता हूँ, और उन सब के लिए जो तेरे ख़ौफ़ और तेरी मख़लूक़ के ख़तरात से ज़मीन पर या समुंदर में हैं।
अल्लाह सबसे बड़ा है! अल्लाह सबसे बड़ा है! वह मुअज़्ज़ है! वह बुलंद है! वह उस चीज़ से बचाता है जिस से मैं डरता हूँ और जो मुझे धमकाती है।
जो भी अल्लाह की पनाह चाहता है उसे इज़्ज़त दी जाती है।
अल्लाह की तारीफ़ जलील-उल-क़द्र और अज़ीम है।
और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है! ए मेरे ख़ुदा! बराह करम मुझे अपने क़रीब ऐसी जगह पर क़ायम कर दे जो नाक़ाबिल-ए-तख़्लीक़ हो और अपनी ऐसी हिमायत में रख जो नाक़ाबिल-ए-नक़्ज़ या बे-इज़्ज़त न हो और अपने ऐसे अहद में रख जो कभी नहीं तोड़ा जा सकता।
बराह करम मुझे अपनी ऐसी हिफाज़त में रख जो नाक़ाबिल-ए-तख़्लीक़ हो।
जो भी अल्लाह से पनाह चाहता है उसे महफूज़ रखा जाता है।
अल्लाह के सिवा कोई तब्दीली या ताक़त नहीं, जो बुलंद ओ बाला और अज़ीम है।
اللَّهُمَّ يَا كَافِي مِنْ كُلِّ شَيْ‌ءٍ وَ لَا يَكْفِي مِنْهُ شَيْ‌ءٌ يَا مَنْ لَيْسَ مِثْلَ كِفَايَتِهِ شَيْ‌ءٌ اكْفِنِي كُلَّ شَيْ‌ءٍ حَتَّى لَا يَضُرَّنِي مَعَكَ شَيْ‌ءٌ وَ اصْرِفْ عَنِّي الْهَمَّ وَ الْحُزْنَ وَ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ [بك‌] الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ يَا اللَّهُ يَا كَرِيمُ
अल्लाहुम्मा या काफ़ी मिन कुल्लि शै व ला यक्फी मिन्हु शै या मन लैसा मिस्ला किफायतिहि शै अक्फिनी कुल्ल शै हत्ता ला यजुर्रनि मअक शै व अस्रिफ अन्नी अल-हम्म वल-हुज़्न व ला हौल व ला कुव्वत इल्ला बिल्लाह (बिका) अल-अलीयिल-अज़ीम या अल्लाहु या करीम
ए मेरे खुदा! ए वह जो हर चीज़ से बेनियाज़ है जबकि कोई भी उससे बेनियाज़ नहीं! ए वह जिसकी किफ़ायत कोई नहीं कर सकता जैसे वह करता है! बराह करम मेरी देखभाल फरमा कि कोई चीज़ मुझे तेरे होते हुए नुक़सान न पहुंचा सके।
बराह करम मुझसे ग़म और उदासी को दूर फरमा।
अल्लाह के सिवा कोई तबदीली या ताक़त नहीं - जो बुलंद ओ बाला और अज़ीम है।
ए खुदा! ए सबसे ज़्यादा सख़ी!
اللَّهُمَّ إِنِّي أَدْرَأُ بِكَ فِي نُحُورِ أَعْدَائِي وَ كُلِّ مَنْ يُرِيدُنِي سوء [بِسُوءٍ] وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهِمْ وَ أَسْتَعِينُكَ عَلَيْهِمْ فَاكْفِنِيهِمْ بِمَا شِئْتَ وَ كَيْفَ شِئْتَ وَ مِنْ حَيْثُ شِئْتَ وَ أَنَّى شِئْتَ‌ فَسَيَكْفِيكَهُمُ اللَّهُ وَ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ‌ سَنَشُدُّ عَضُدَكَ بِأَخِيكَ وَ نَجْعَلُ لَكُما سُلْطاناً فَلا يَصِلُونَ إِلَيْكُما بِآياتِنا أَنْتُما وَ مَنِ اتَّبَعَكُمَا الْغالِبُونَ‌ إِنَّا رُسُلُ رَبِّكَ لَنْ يَصِلُوا إِلَيْكَ‌ لا تَخافا
إِنَّنِي مَعَكُما أَسْمَعُ وَ أَرى‌ إِنِّي أَعُوذُ بِالرَّحْمنِ مِنْكَ إِنْ كُنْتَ تَقِيًّا اخْسَؤُا فِيها وَ لا تُكَلِّمُونِ‌ أَصْبَحْتُ وَ أَمْسَيْتُ بِعِزَّةِ اللَّهِ الَّذِي‌ لَيْسَ كَمِثْلِهِ شَيْ‌ءٌ مُمْتَنِعاً وَ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ كُلِّهَا مُحْتَرِزاً وَ بِأَسْمَاءِ اللَّهِ الْحَسَنَةِ مُتَعَوِّذاً وَ أَعُوذُ بِرَبِّ مُوسَى وَ هَارُونَ وَ رَبِّ عِيسَى‌ وَ إِبْراهِيمَ الَّذِي وَفَّى‌ مِنْ شَرِّ الْمَرَدَةِ مِنَ الْجِنِّ وَ الْإِنْسِ وَ مِنْ شَرِّ كُلِّ شَيْطَانٍ مَرِيدٍ وَ مِنْ شَرِّ كُلِّ جَبَّارٍ عَنِيدٍ أَخَذْتُ سَمْعَ كُلِّ طَاغٍ وَ بَاغٍ وَ عَدُوٍّ وَ حَاسِدٍ مِنَ الْجِنِّ وَ الْإِنْسِ عَنِّي وَ عَنْ أَوْلَادِي وَ أَهْلِي وَ مَالِي وَ جَمِيعِ مَنْ يَعْنِينِي أَمْرُهُ وَ أَخَذْتُ سَمْعَ كُلِّ مُطَالِبٍ وَ بَصَرَهُ وَ قُوَّتَهُ وَ يَدَيْهِ وَ رِجْلَيْهِ وَ لِسَانَهُ وَ شَعْرَهُ وَ بَشَرَهُ وَ جَمِيعَ جَوَارِحِهِ
بِسَمْعِ اللَّهِ وَ أَخَذْتُ أَبْصَارَهُمْ عَنِّي بِبَصَرِ اللَّهِ وَ كَسَرْتُ قُوَّتَهُمْ عَنِّي بِقُوَّةِ اللَّهِ وَ بِكَيْدِ اللَّهِ الْمَتِينِ فَلَيْسَ لَهُمْ عَلَيَّ سُلْطَانٌ وَ لَا سَبِيلٌ بَيْنَنَا وَ بَيْنَهُمْ حِجَابٌ مَسْتُورٌ وَ بِسَتْرِ اللَّهِ وَ سَتْرِ النُّبُوَّةِ الَّذِي احْتَجَبُوا بِهِ مِنْ سَطَوَاتِ الْفَرَاعِنَةِ فَسَتَرَهُمُ اللَّهُ بِهِ جَبْرَئِيلُ عَنْ أَيْمَانِكُمْ وَ مِيكَائِيلُ عَنْ شَمَائِلِكُمْ وَ مُحَمَّدٌ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ وَ سَلَّمَ
بَيْنَنَا وَ بَيْنَكُمْ وَ اللَّهُ جَلَّ وَ عَزَّ عَالٍ عَلَيْكُمْ وَ مُحِيطٌ بِكُمْ مِنْ بَيْنِ أَيْدِيكُمْ وَ مِنْ وَرَائِكُمْ وَ آخِذٌ بِنَوَاصِيكُمْ وَ بِسَمْعِكُمْ وَ أَبْصَارِكُمْ وَ قُلُوبِكُمْ وَ أَلْسِنَتِكُمْ وَ قُوَاكُمْ وَ أَيْدِيكُمْ وَ أَرْجُلِكُمْ يَحُولُ بَيْنَنَا وَ بَيْنَ‌ شُرُورِكُمْ وَ جَعَلْنا فِي أَعْناقِهِمْ أَغْلالًا فَهِيَ إِلَى الْأَذْقانِ فَهُمْ مُقْمَحُونَ وَ جَعَلْنا مِنْ بَيْنِ أَيْدِيهِمْ سَدًّا وَ مِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَأَغْشَيْناهُمْ فَهُمْ لا يُبْصِرُونَ‌ شَاهَتِ الْوُجُوهُ‌ صُمٌّ بُكْمٌ عُمْيٌ‌ طه‌ حم‌ لَا يُبْصِرُونَ
अल्लाहुम्मा इन्नी अद्रऊ बिका फी नुहूरी अअदाई व कुल्लि मन युरीदुनी सू (बिसू) व अऊज़ु बिका मिन शर्रिहिम् व अस्तईनुका अलैहिम् फअक्फिनिहिम बिमा शिअता व कैफ शिअता व मिन हैस शिअता व अन्ना शिअता‌ फसयक्फीकहुम अल्लाहु व हुआस्समीउल-अलीम‌ सनशुद्धु अज़ुदक बि-अखीक व नजअलु लकुमा सुलतानं फला यसिलूना इलैकुमा बिआयातिना अन्तुमा व मनित्तबअकुमा अल-गालिबून‌ इन्ना रुशूलु रब्बिक लन यसिलू इलैक‌ ला तखाफा इन्ननी मअकुमा असमअ व अराम इन्नी अऊज़ु बिर्रहमान मिन्का इन कुन्ता तक़िय्य इख्सऊ फीहा व ला तुकल्लिमूनी‌ असबहतु व अम्सैतु बिअज़्जतिल्लाहि अल्लज़ी‌ लैस कमिस्लिहि शै मुम्तनिअं व बिकलिमातिल्लाहि ताम्माति कुल्लिहा मुहतरिजन व बिअस्माइल्लाहि अल-हुस्ना मुतअव्विजान व अऊज़ु बिरब्बि मूसा व हारून व रब्बि ईसा‌ व इब्राहीम अल्लज़ी वफ़ा‌ मिन शर्रिल मरदत मिनल जिन्न वल इंस व मिन शर्रि कुल्ल शैतान मरीद व मिन शर्रि कुल्ल जब्बार अनिद अखज़तु समअ कुल्ल ताग़िं व बाग़िं व अदुविं व हासिद मिनल जिन्न वल इंस अन्नी व अन औलादी व अह्ली व माली व जमीइ मन यअनीनी अमरुहु व अखज़तु समअ कुल्ल मुतालिब व बसरहु व कुव्वतहू व यदयहू व रिज्लैहू व लिसानहू व शअरा व बशरहू व जमीअ जवारिहिह बिसमअिल्लाहि व अखज़तु अब्सारहुम अन्नी बिबसरिल्लाहि व कसरतु कुव्वतहुम अन्नी बिकुव्वतिल्लाहि व बिकैदिल्लाहिल मतीन फलैस लहुम अलय्य सुलतानुन व ला सबीलुन बैनना व बैनहुम हिजाबु मास्तूर व बिसतरिल्लाहि व सतरिन्नुबुव्वतिल्लज़ी एहतजबू बिहि मिन सत्तवातिल फराइना फसतरहुम अल्लाहु बिहि जिब्राईलु अं यमानिकुम् व मीकाईलु अन शामाइलिकुम व मुहम्मदुन सल्लल्लाहु अलैहि व आलेहि व सल्लम बैनना व बैनकुम व अल्लाहु जल्ल व अज़्ज़ा आलिं अलैकुम व मुहीतिं बिकुम् मिन बैन अइदिकुम व मिन वराइकुम व आखिजु बिनवासीकुम् व बिसमअिकुम् व अब्सारिकुम् व कुलूबिकुम् व अल्सिनतिकुम् व कुआकुम् व अइदिकुम् व अरजुलिकुम् यहूलु बैनना व बैन शरूरिकुम् व जअल्ना फी अनाकिहिम् अग्लालन फहिया इला अल-अज़कान फहुम मुक्महून व जअल्ना मिन बैन अइदिहिम् सद्दंन व मिन खल्फिहिम् सद्दं फअग्शैनाहुम् फहुम् ला युब्सिरून शाहतिल-वुजूह सुम्म बुक्मुन उम्म्य ताहा हम ला युब्सिरून
ए मेरे खुदा! मैं अपने दुश्मनों और उन सब से जो मुझे नुकसान पहुँचाना चाहते हैं, तेरी मदद से बचाऊंगा।
मैं उनके शर से तेरी पनाह चाहता हूँ! मैं उनके खिलाफ तेरी मदद चाहता हूँ! बराह करम उनके शर के खिलाफ मुझे जिस तरह, जिस जगह और जब भी तू चाहे, मदद फरमा।
“… "लेकिन अल्लाह तुम्हारे लिए काफी है और वह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।" (2:137)
"हम जरूर तुम्हारे बाजू को तुम्हारे भाई के जरिए मजबूत करेंगे, और तुम दोनों को इख्तियार देंगे, ताकि वह तुम्हें छू न सकें: हमारी निशानियों के साथ तुम कामयाब हो जाओगे, तुम दोनों और जो तुम्हारा साथ देंगे।" (28:35)
" …"हम तुम्हारे रब के रसूल हैं! वह हरगिज़ तुम तक नहीं पहुंच सकेंगे! - (11:81)
"मत डरो: क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ: मैं सब कुछ सुनता और देखता हूँ।" (20:46)
"मैं तुमसे (अल्लाह) सबसे ज्यादा रहम करने वाले की पनाह लेता हूँ: (करीब न आओ) अगर तुम अल्लाह से डरते हो।" (19:18)
"इसमें ज़िल्लत के साथ दाखिल हो जाओ! और मुझसे बात न करो! - (23:108)
"मैंने अल्लाह की इज़्ज़त के साथ सुबह और शाम की! उस जैसा कोई नहीं है।" (36:8-9)
"मैं अल्लाह के मुकम्मल कलिमात की पनाह लेता हूँ जो सब महफूज़ हैं।
"मैं अल्लाह के अच्छे नामों की पनाह लेता हूँ जिनमें पनाह ली जाती है।
"मैं मूसा और हारून के रब की पनाह लेता हूँ! ईसा और इब्राहीम के रब की जो वफादार थे।
"मैं बाग़ी जिन्नात या इंसानों के शर से, शैतान के तमाम पेरोकारों के शर से, तमाम ज़ालिमों के शर से पनाह लेता हूँ! मैं बाग़ियों, ज़ालिमों, जाबिरों, दुश्मनों और हसद करने वालों के कानों को अपने, अपने बच्चों, बीवी और माल व दौलत और अपनी निगरानी में मौजूद सब से दूर करता हूँ।
"मैं कानों, आंखों, ताक़त, हाथों, पैरों, ज़ुबान, बालों, त्वचा और उनके तमाम हिस्सों को अल्लाह के कानों से और उनकी आंखों को अल्लाह की आंखों से और उनकी कुव्वत को अल्लाह की ताक़त और अल्लाह की चालों से पकड़ता हूँ।
"अब उनका मुझ पर कोई इख्तियार नहीं रहा, और उनका कोई रास्ता नहीं है कि वह अल्लाह और नबी की हिफाज़त के ज़रिए मुझ पर असर अंदाज हों जो उन्हें उनके ज़माने के फ़िरऔनों के ग़ज़ब से बचाती है।
"अल्लाह ने जिब्राईल को दाएं तरफ़, मीकाईल को बाएं तरफ़ और मुहम्मद (स) को हमारे दरमियान हिफाज़त में रखा है।
"अल्लाह सबसे अज़ीम है और वह तुम पर बर्तर है, और वह तुम्हें सामने और पीछे से घेर लेता है।
"वह तुम्हारे सुनने, देखने, दिल, ज़ुबान, ताक़त, हाथ और पांव पर क़ाबू रखता है, और उसने तुम्हारे शर और हमारे दरमियान एक रुकावट बना दी है।
"हमने उनकी गर्दनों के अर्द गिर्द तौक डाल दिए हैं जो उनकी ठोड़ियों तक हैं, ताकि उनके सर ऊपर को मजबूर हो जाएं (और वह देख न सकें)।
"और हमने उनके आगे एक रुकावट और उनके पीछे एक रुकावट डाल दी है, और मजीद यह कि हमने उनको ढांप लिया है; ताकि वह न देख सकें।
"उनके चेहरे बदसूरत हो जाएं और वह बहरे, गूंगे और अंधे हो जाएं! "ता-हा" और "हा-मीम" - वह नहीं देख सकते।
اللَّهُمَّ يَا مَنْ سِتْرُهُ لَا يُرَامُ وَ يَا مَنْ عَيْنُهُ لَا تَنَامُ اسْتُرْنِي بِسِتْرِكَ الَّذِي لَا يُرَامُ وَ احْفَظْنِي بِعَيْنِكَ الَّتِي لَا تَنَامُ مِنَ الْآفَاتِ كُلِّهَا حَسْبِيَ اللَّهُ مِنْ جَمِيعِ خَلْقِهِ حَسْبِيَ اللَّهُ الَّذِي يَكْفِي مِنْ كُلِّ شَيْ‌ءٍ وَ لَا يَكْفِي مِنْهُ شَيْ‌ءٌ حَسْبِيَ الْخَالِقُ مِنَ الْمَخْلُوقِينَ حَسْبِيَ الرَّازِقُ مِنَ الْمَرْزُوقِينَ حَسْبِيَ الرَّبُّ مِنَ الْمَرْبُوبِينَ حَسْبِي مَنْ لَا يَمُنُّ مِمَّنْ يَمُنُّ حَسْبِيَ اللَّهُ الْقَرِيبُ الْمُجِيبُ حَسْبِيَ اللَّهُ مِنْ كُلِّ أَحَدٍ حَسْبِيَ اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ حَسْبِيَ اللَّهُ وَ كَفَى سَمِعَ اللَّهُ لِمَنْ دَعَا لَيْسَ وَرَاءَ اللَّهِ مُنْتَهَى وَ لَا مِنَ اللَّهِ مَهْرَبٌ وَ لَا مَنْجَى‌ حَسْبِيَ اللَّهُ لا إِلهَ إِلَّا هُوَ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَ هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ‌
अल्लाहुम्मा या मन सित्रहु ला यरामु व या मन अइनहु ला तनामु अस्तुर्नी बिसित्रिक अल्लज़ी ला यरामु व अह्फज़नी बिइनिका अल्लती ला तनामु मिनल-आफाति कुल्लिहा हसबियल्लाहु मिन जमीइ खल्किह हसबियल्लाहु अल्लज़ी यक्फी मिन कुल्लि शै व ला यक्फी मिन्हु शै हसबिय अल-खालिक मिनल-मखलुक़ीन हसबिय अल-रज़िक मिनल-मरज़ुक़ीन हसबिय अल-रब्ब मिनल-मर्बूबीन हसबि मन ला यमुनु मिम्मन यमुनु हसबिय अल्लाहु अल-क़रीब अल-मुजीब हसबिय अल्लाहु मिन कुल्लि अहद हसबिय अल्लाहु वह्दहु ला शरीक लहु हसबिय अल्लाहु व कफ़ा समअ अल्लाहु लिमन दआ लैस वरा अल्लाहि मुन्तहा व ला मिन अल्लाहि महरबु व ला मंचा हसबिय अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुआ अलैहि तवक्कलतु व हुआ रब्बुल-अर्शिल-अज़ीम
"ए मेरे खुदा! ए वह जिसकी हिफाज़त कमज़ोर नहीं होती।
"ए वह जिसकी आंखें नहीं सोतीं! बराह करम मुझे अपने उस पर्दे में हिफाज़त फरमा जो कभी कमज़ोर न हो और मुझे तमाम मुसीबतों से अपनी उन आंखों के ज़रिए महफूज़ रख जो नहीं सोतीं।
"अल्लाह मुझे अपनी तमाम मख़लूक़ात पर काफ़ी है।
"अल्लाह - जो हर चीज़ से बेनियाज़ है लेकिन कोई भी उससे बेनियाज़ नहीं - मुझे काफ़ी है।
"ख़ालिक़ मुझे मख़लूक़ात की जगह काफ़ी है।
"रिज़्क़ देने वाला मुझे उनकी जगह काफ़ी है जिन्हें रिज़्क़ दिया जाता है।
"रब मुझे उनकी जगह काफ़ी है जिनके रब होते हैं।
"फ़ज़ल करने वाला मुझे उनकी जगह काफ़ी है जो फ़ज़ल हासिल करते हैं।
"अल्लाह क़रीब और हाजत रवाई करने वाला मेरे लिए काफ़ी है।
"अल्लाह मुझे सब की जगह काफ़ी है।
"अल्लाह मुझे काफ़ी है।
"वह वाहिद है। उसका कोई शरीक नहीं।
"अल्लाह मुझे काफ़ी है। वह काफ़ी है।
"अल्लाह दुआ करने वाले की दुआ सुनता है।
"अल्लाह के सिवा कोई मंज़िल नहीं।
"अल्लाह से भागने के लिए कोई जगह नहीं! और उससे बच कर जाने का कोई रास्ता नहीं!
"(अल्लाह) मुझे काफ़ी है: उसके सिवा कोई माबूद नहीं: उसी पर मेरा भरोसा है, वह अरश (अज़ीम) का रब है।" (9:129)"
اللَّهُمَّ اجْعَلْنِي فِي جِوَارِكَ الَّذِي لَا يُرَامُ وَ فِي حِمَاكَ الَّذِي لَا يُسْتَبَاحُ وَ فِي ذِمَّتِكَ الَّتِي لَا تُخْفَرُ وَ احْفَظْنِي بِعَيْنِكَ الَّتِي لَا تَنَامُ وَ اكْنُفْنِي بِرُكْنِكَ الَّذِي لَا يُرَامُ وَ أَدْخِلْنِي فِي عِزِّكَ الَّذِي لَا يُضَامُ وَ ارْحَمْنِي بِرَحْمَتِكَ يَا رَحْمَانُ
اللَّهُمَّ يَا اللَّهُ لَا تُهْلِكْنِي وَ أَنْتَ رَجَائِي يَا رَحْمَانُ يَا رَحِيمُ‌ وَ أُفَوِّضُ أَمْرِي إِلَى اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ بَصِيرٌ بِالْعِبادِ وَ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ وَ مَا شَاءَ اللَّهُ كَانَ أَعُوذُ بِعِزَّةِ اللَّهِ وَ جَلَالِ وَجْهِهِ وَ مَا وَعَاهُ اللَّوْحُ مِنْ عِلْمِ اللَّهِ وَ مَا سَتَرَتِ الْحُجُبُ مِنْ نُورِ بَهَاءِ اللَّهِ
अल्लाहुम्मा अजअलनी फी जिवारिक अल्लज़ी ला यरामु व फी हिमाक अल्लज़ी ला युस्तबाहु व फी जिम्मतिक अल्लती ला तुख्फरु व अह्फज़नी बिइनिका अल्लती ला तनामु व अक्नुफ़नी बिरुक्निका अल्लज़ी ला यरामु व अद्खिलनी फी इज़्ज़िका अल्लज़ी ला युज़ामु व अरहमनी बिरहमतिका या रहमानु अल्लाहुम्मा या अल्लाहु ला तुह्लिकनी व अंता रजाई या रहमानु या रहीमु व उफ़व्विज़ु अम्री इलल्लाहि इन्नल्लाह बसीरुन बिल-इबादि व ला हौल व ला कुव्वत इल्ला बिल्लाहिल-अलीय्यिल-अज़ीम व मा शा-अल्लाहु का न अऊज़ु बिअज़्ज़तिल्लाहि व जलालि वज्हिहि व मा वअहुल-लौहु मिन इल्मिल्लाहि व मा सतरतिल हुजुबु मिन नूरि बहाइल्लाह
ए मेरे खुदा! बराह करम मुझे अपने करीब ऐसी जगह पर कायम कर दे जो नाकाबिल-ए-तख़लीक हो।
मुझे अपनी ऐसी हिमायत में रख जो नाकाबिल-ए-नक़्ज़ हो और अपने ऐसे अहद में रख जो नाकाबिल-ए-नक़्ज़ हो।
और मुझे अपनी उन आंखों के जरिए महफूज़ रख जो नहीं सोतीं।
मुझे अपनी ऐसी हिमायत फराहम फरमा जो कभी कमजोर न हो! और मुझे अपनी ऐसी ताकत में दाखिल फरमा जो कभी मग़लूब न हो।
ए रहमान! अपनी रहमत से मुझ पर रहम फरमा।
ए खुदा! बराह करम मुझे हलाक न फरमा।
और तू ही मेरी उम्मीद है ए रहमान ए रहीम! “मैं अपना मामला अल्लाह के सुपुर्द करता हूं।
बेशक अल्लाह अपने बंदों को देख रहा है।” (40:44)
अल्लाह के सिवा कोई तबदीली और न कोई ताकत है - जो बुलंद-ओ-बाला और अज़ीम है।
जो अल्लाह चाहता है वही होता है।
मैं अल्लाह की इज्जत, उसके चेहरे की जलालत, लौह-ए-महफ़ूज़ के हिस्से और अल्लाह की अज़मत के नूर से ढके हुए हिस्से की पनाह लेता हूं।"
اللَّهُمَّ إِنِّي ضَعِيفٌ مُعِيلٌ فَقِيرٌ طَالِبُ حَوَائِجَ قَضَاؤُهَا بِيَدِكَ فَأَسْأَلُكَ
اللَّهُمَّ بِاسْمِكَ الْوَاحِدِ الْأَحَدِ الْفَرْدِ الصَّمَدِ الْكَبِيرِ الْمُتَعَالِ الَّذِي مَلَأَ الْأَرْكَانَ كُلَّهَا حِفْظاً وَ عِلْماً أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ [عَلَى‌] آلِ مُحَمَّدٍ وَ أَنْ تَجْعَلَ أَوَّلَ يَوْمِي هَذَا وَ أَوَّلَ شَهْرِي هَذَا وَ أَوَّلَ سَنَتِي هَذِهِ صَلَاحاً وَ أَوْسَطَ يَوْمِي هَذَا وَ أَوْسَطَ شَهْرِي هَذَا وَ أَوْسَطَ سَنَتِي هَذِهِ فَلَاحاً وَ آخِرَ يَوْمِي هَذَا وَ آخِرَ شَهْرِي هَذَا وَ آخِرَ سَنَتِي هَذِهِ نَجَاحاً وَ أَنْ تَتُوبَ عَلَيَ‌ إِنَّكَ أَنْتَ التَّوَّابُ الرَّحِيمُ‌
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़ईफ़ुन मुअीलुन फ़क़ीरुन तालिबु हवाएज क़ज़ाओहा बियदिक फअसअलुका
अल्लाहुम्मा बिस्मिक अल्वाहिदिल अहदिल फर्दिस समदिल कबीरील मुतआलिल्लज़ी मला अलअर्कान कुल्लहा हिफ़्ज़न व इल्मा अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन व (अला) आले मुहम्मदिं व अन तजअला अव्वल यौमी हाज़ा व अव्वल शहरी हाज़ा व अव्वल सनती हाज़िहि सलाह़न व औसत यौमी हाज़ा व औसत शहरी हाज़ा व औसत सनती हाज़िहि फ़लाह़न व आख़िर यौमी हाज़ा व आख़िर शहरी हाज़ा व आख़िर सनती हाज़िहि नजाह़न व अन तातूबा अलय्या इन्नका अन्ता तव्वाबुर रहीम
ए मेरे खुदा! मैं कमजोर हूँ, बड़े खानदान वाला हूँ, और फ़क़ीर हूँ जो अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तेरा तलबगार हूँ।
ए मेरे खुदा! इस लिए मैं तुझ से तेरे नाम के वसीले से, जो कि वाहिद है! यकता है! मुतलक है! अबदी है! अज़ीम है! सबसे बुलंद है! तूने तमाम चीज़ों के स्तंभों को हिफाज़त और इल्म से भर दिया है, सवाल करता हूँ।
मैं तुझ से सवाल करता हूँ कि मुहम्मद और उनकी आल (अलैहिमुस्सलाम) पर अपनी बरकतें नाज़िल फरमा, और इस पहले दिन, इस महीने के आगाज़ और इस साल के आगाज़ को मेरी बेहतरी के लिए बना, इस दिन के दरमियान को, इस महीने के दरमियानी दिन को और इस साल के दरमियानी दिन को मेरी खुशहाली के लिए बना, और इस दिन के इख्तिताम को, इस महीने के इख्तिताम को और इस साल के इख्तिताम को मेरी कामयाबी के लिए बना।
मैं तेरी तरफ लौटता हूँ क्योंकि तू ही सबसे ज्यादा तौबा क़ुबूल करने वाला, रहम करने वाला है!"
اللَّهُمَّ عَرِّفْنِي بَرَكَةَ هَذَا الشَّهْرِ وَ هَذِهِ السَّنَةِ وَ يُمْنَهُمَا وَ بَرَكَتَهُمَا وَ ارْزُقْنِي خَيْرَهُمَا وَ اصْرِفْ عَنِّي شَرَّهُمَا وَ ارْزُقْنِي فِيهِمَا الصِّحَّةَ وَ السَّلَامَةَ وَ الْعَافِيَةَ وَ الِاسْتِقَامَةَ وَ السَّعَةَ وَ الدَّعَةَ وَ الْأَمْنَ وَ الْكِفَايَةَ وَ الْحِرَاسَةَ وَ الْكِلَاءَةَ وَ وَفِّقْنِي فِيهِمَا لِمَا يُرْضِيكَ عَنِّي وَ بَلِّغْنِي فِيهِمَا أُمْنِيَّتِي وَ سَهِّلْ لِي فِيهِمَا مَحَبَّتِي وَ يَسِّرْ لِي فِيهِمَا مُرَادِي وَ أَوْصِلْنِي فِيهِمَا إِلَى بُغْيَتِي وَ فَرِّجْ فِيهِمَا غَمِّي وَ اكْشِفْ فِيهِمَا ضُرِّي وَ اقْضِ لِي فِيهِمَا دَيْنِي وَ انْصُرْنِي فِيهِمَا عَلَى أَعْدَائِي وَ حُسَّادِي وَ اكْفِنِي فِيهِمَا أَمْرَهُمْ بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ‌ لا إِلهَ إِلَّا أَنْتَ سُبْحانَكَ إِنِّي كُنْتُ مِنَ الظَّالِمِينَ‌ وَ صَلَّى اللَّهُ عَلَى مُحَمَّدٍ النَّبِيِّ وَ عَلَى آلِهِ وَ سَلَّمَ تَسْلِيماً
अल्लाहुम्मा अअर्रिफ़नी बरक़ता हाज़ा अश्शह्र व हाज़िहि अस्सनह व यूम्नहुम और बरक़तहुम और अरज़ुक़नी खैरहुम और अस्रिफ़ अन्नी शर्रहुम और अरज़ुक़नी फीहिमा अस्सिह्हा वस्सलामह वलआफियत वलइस्तिकामह वस्सआत वददअत वलअम्न वलकिफ़ायत वलहिरासत वलकिलायत ववफ्फ़िक़नी फीहिमा लिमा युर्ज़ीका अन्नी व बल्लिग़नी फीहिमा उम्मिय्यती व सह्हिल ली फीहिमा महब्बती व यसर ली फीहिमा मुरादी व औसिलनी फीहिमा इला बुग़्यती व फर्रिज़ फीहिमा गम्मी व इक्षिफ़ फीहिमा दुरी व अक़्ज़ी ली फीहिमा दैनी व नसुरनी फीहिमा अला अअदाई व हुज्जादी व अकफ़िनी फीहिमा अम्राहुम बिरहमतिक या अरहम अर्राहिमीन ला इलाहा इल्ला अंत सुब्हानका इन्नी कुंतु मिनज़ ज़ालिमीन व सलल्लाहु अला मुहम्मदिन् नबी व अला आलिही वसल्लमो तस्लीमा
ए मेरे खुदा! बराह करम मुझे इस महीने और इस साल की बरकतें दिखा, इसकी भलाई और बरकतों के साथ।
बराह करम मुझे इसका बेहतरीन हिस्सा अता फरमा और इसकी तमाम बुराइयों को मुझसे दूर कर दे।
बराह करम मुझे जिस्मानी सेहत, अमन, खैरियत, ताक़त, सुकून, सलामती, नेकी, खुशहाली, नर्मी और हिफ़ाज़त अता फरमा।
बराह करम मुझे इसमें वह कामयाबी अता फरमा जो तुझे मुझसे खुश कर दे।
बराह करम मुझे मेरी उम्मीदों तक पहुँचा दे, मेरी मुश्किलात को आसान कर दे, और मेरी ख़्वाहिशात को पूरा करने में आसानी पैदा कर दे।
बराह करम मुझे जल्दी से वह अता फरमा जो मैं चाहता हूँ।
बराह करम मेरे ग़म को दूर कर दे और मेरी मुश्किलात को ख़त्म कर दे और मेरे क़र्ज़ों को इसमें अदा कर दे।
बराह करम मुझे मेरे दुश्मनों और हसद करने वालों पर फ़तह अता फरमा।
उनके मामलों में मेरी मदद फरमा।
अपनी रहमत से! ए सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे ज़्यादा मेहरबान।
तेरी सिवा कोई माबूद नहीं: तेरी पाकी है: बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था!” (40:44) और अल्लाह नबी मुहम्मद और उनकी आल (अलैहिमुस्सलाम) पर बरकतें नाज़िल फरमाए।
और उन पर कसरत से सलामती हो।"
اللَّهُمَ‌ا رَبِّي وَ سَيِّدِي وَ مَوْلَايَ مِنْ الْمَهَالِكِ فَأَنْقِذْنِي وَ عَنِ الذُّنُوبِ فَاصْرِفْنِي وَ عَمَّا لَا يُصْلِحُ وَ لَا يُغْنِي فَجَنِّبْنِي
اللَّهُمَّ لَا تَدَعْ ذَنْباً إِلَّا غَفَرْتَهُ وَ لَا هَمّاً إِلَّا فَرَّجْتَهُ وَ لَا عَيْباً إِلَّا سَتَرْتَهُ وَ لَا رِزْقاً إِلَّا بَسَطْتَهُ وَ لَا عُسْراً إِلَّا يَسَّرْتَهُ وَ لَا سُوءاً إِلَّا صَرَفْتَهُ وَ لَا خَوْفاً إِلَّا أَمِنْتَهُ وَ لَا رُعْباً إِلَّا سَكَّنْتَهُ وَ لَا سُقْماً إِلَّا شَفَيْتَهُ وَ لَا حَاجَةً إِلَّا أَتَيْتَ عَلَى قَضَائِهَا فِي يُسْرٍ مِنْكَ وَ عَافِيَةٍ.
अल्लाहुम्मा रब्बी व सय्यिदी व मौलाया मिनल महालिक फअंकिनी व अनी अज़ ज़ुनूब फअस्रिफनी व अम्मा ला युसलिहु व ला युग़्नी फजन्निबनी अल्लाहुम्मा ला तदअ ज़म्बन इल्ला ग़फरतहू व ला हम्मन इल्ला फर्रज्तहू व ला ऐबन इल्ला सतरतहू व ला रिज़्क़न इल्ला बस्ततहू व ला उस्रन इल्ला यस्सरतहू व ला सूअन इल्ला सर्रफतहू व ला ख़ौफन इल्ला आमिनतहु व ला रु'बन इल्ला सक्कन्तहू व ला सुक्मन इल्ला शफैतहू व ला हाजतन इल्ला अतैता अला कज़ाइहा फी युस्रिन मिन्का व आफियाह
ए मेरे खुदा! ए मेरे रब! ए मेरे आका! ए मेरे निगहबान! बराह करम मुझे तबाही से बचा ले।
बराह करम मेरे गुनाहों को दूर कर दे और मुझे उन चीज़ों से महफूज़ रख जो मुनासिब नहीं हैं और जो मेरे लिए अच्छी नहीं हैं।
ए मेरे खुदा! बराह करम मेरे लिए कोई गुनाह न छोड़ जो तू माफ न करे, कोई ग़म न छोड़ जो तू दूर न करे, कोई खामी न छोड़ जो तू छुपा न ले, कोई रिज़्क़ न छोड़ जो तू वसीअ न करे, कोई मुश्किल न छोड़ जो तू आसान न करे, कोई बुराई न छोड़ जो तू दूर न करे, कोई ख़ौफ न छोड़ जो तू अमन न दे, कोई डर न छोड़ जो तू सुकून न दे, कोई बीमारी न छोड़ जो तू शिफा न दे, और कोई ज़रूरत न छोड़ जो तू आसानी और भलाई से पूरी न करे।

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسَأْتُ فَأَحْسَنْتَ وَ أَخْطَأْتُ فَتَفَضَّلْتَ لِلثِّقَةِ مِنِّي بِعَفْوِكَ وَ الرَّجَاءِ مِنِّي لِرَحْمَتِكَ
اللَّهُمَّ بِحَقِّ هَذَا الدُّعَاءِ وَ بِحَقِيقَةِ هَذَا الرَّجَاءِ لَمَّا كَشَفْتَ عَنِّي الْبَلَاءَ وَ جَعَلْتَ لِي مِنْهُ مَخْرَجاً وَ مَنْجًى بِقُدْرَتِكَ وَ فَضْلِكَ
اللَّهُمَّ أَنْتَ الْعَالِمُ بِذُنُوبِنَا فَاغْفِرْهَا وَ بِأُمُورِنَا فَسَهِّلْهَا وَ بِدُيُونِنَا فَأَدِّهَا وَ بِحَوَائِجِنَا فَاقْضِهَا بِقُدْرَتِكَ وَ فَضْلِكَ‌ إِنَّكَ عَلى‌ كُلِّ شَيْ‌ءٍ قَدِيرٌ وَ لَوْ أَنَّ قُرْآناً سُيِّرَتْ بِهِ الْجِبالُ أَوْ قُطِّعَتْ بِهِ الْأَرْضُ أَوْ كُلِّمَ بِهِ الْمَوْتى‌ بَلْ لِلَّهِ الْأَمْرُ جَمِيعاً وَ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ وَ مَا شَاءَ اللَّهُ كَانَ‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ عَلَى نَفْسِي وَ دِينِي وَ سَمْعِي وَ بَصَرِي وَ جَسَدِي وَ جَمِيعِ جَوَارِحِي وَ مَا أَقَلَّتِ الْأَرْضُ مِنِّي‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ عَلَى وَالِدَيَّ مِنَ النَّارِ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ عَلَى أَهْلِي وَ مَالِي وَ أَوْلَادِي‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ عَلَى جَمِيعِ مَنْ يَعْنِينِي أَمْرُهُ‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ عَلَى كُلِّ شَيْ‌ءٍ أَعْطَانِي رَبِّي‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ افْتَتَحْتُ شَهْرِي هَذَا وَ سَنَتِي هَذِهِ وَ عَلَى اللَّهِ تَوَكَّلْتُ وَ لَا حَوْلَ لِي وَ لَا حِيلَةَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ وَ مَا شَاءَ اللَّهُ كَانَ اللَّهُ أَكْبَرُ كَبِيراً وَ الْحَمْدُ لِلَّهِ كَثِيراً وَ سُبْحَانَ اللَّهِ‌ بُكْرَةً وَ أَصِيلًا سُبْحانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ وَ سَلامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ وَ الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعالَمِينَ‌ فَسُبْحانَ اللَّهِ حِينَ تُمْسُونَ وَ حِينَ تُصْبِحُونَ وَ لَهُ الْحَمْدُ فِي السَّماواتِ وَ الْأَرْضِ وَ عَشِيًّا وَ حِينَ تُظْهِرُونَ يُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَ يُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ وَ يُحْيِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِها وَ كَذلِكَ تُخْرَجُونَ‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ هَذَا الْيَوْمِ وَ مِنْ شَرِّ هَذَا الشَّهْرِ وَ مِنْ شَرِّ هَذِهِ السَّنَةِ وَ مِنْ شَرِّ مَا بَعْدَهَا وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ جَمِيعِ أَعْدَائِي أَنْ يَفْرُطُوا عَلَيَّ وَ أَنْ يَطْغَوْا وَ أُقَدِّمُ بَيْنَ يَدَيَّ وَ مِنْ خَلْفِي وَ عَنْ يَمِينِي وَ عَنْ شِمَالِي وَ مِنْ فَوْقِي وَ مِنْ تَحْتِي‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ اللَّهُ الصَّمَدُ لَمْ يَلِدْ وَ لَمْ يُولَدْ وَ لَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُواً أَحَدٌ لِنَفْسِي بِي وَ مُحِيطٌ بِي وَ بِمَالِي وَ وَالِدَيَّ وَ أَوْلَادِي وَ أَهْلِي وَ جَمِيعِ مَنْ يَعْنِينِي أَمْرُهُ وَ كُلِّ شَيْ‌ءٍ هُوَ لِي وَ كُلِّ شَيْ‌ءٍ مَعِي تَوَكَّلْتُ عَلَى‌ الْحَيِّ الَّذِي لَا يَمُوتُ وَ اعْتَصَمْتُ بِعُرْوَةِ اللَّهِ الْوُثْقَى الَّتِي‌ لَا انْفِصامَ لَها وَ اللَّهُ سَمِيعٌ عَلِيمٌ‌
اللَّهُمَّ اجْعَلْ لِي مِنْ قَدَرِكَ فِي هَذِهِ السَّنَةِ وَ مَا بَعْدَهَا حُسْنَ عَافِيَتِي وَ سَعَةَ رِزْقِي وَ اكْفِنِي
اللَّهُمَّ الْمُهِمَّ مِنْ أُمُورِ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ وَ اعْصِمْنِي أَنْ أُخْطِئَ وَ ارْزُقْنِي خَيْرَ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ قُلْ مَنْ يَكْلَؤُكُمْ بِاللَّيْلِ وَ النَّهارِ مِنَ السَّبُعِ وَ السَّارِقِ وَ الْحَيَّاتِ وَ الْعَقَارِبِ وَ الْجِنِّ وَ الْإِنْسِ وَ الطَّيْرِ وَ الْوَحْشِ وَ الْهَوَامِّ قُلِ اللَّهُ وَ جَعَلْنا فِي أَعْناقِهِمْ أَغْلالًا فَهِيَ إِلَى الْأَذْقانِ فَهُمْ مُقْمَحُونَ وَ جَعَلْنا مِنْ بَيْنِ أَيْدِيهِمْ سَدًّا وَ مِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَأَغْشَيْناهُمْ فَهُمْ لا يُبْصِرُونَ‌
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَلِمَاتِكَ التَّامَّاتِ كُلِّهَا وَ آيَاتِكَ الْمُحْكَمَاتِ مِنْ غَضَبِكَ وَ مِنْ شَرِّ عِقَابِكَ وَ مِنْ شِرَارِ عِبَادِكَ وَ مِنْ هَمَزاتِ الشَّياطِينِ وَ أَعُوذُ بِكَ رَبِّ أَنْ يَحْضُرُونِ‌ وَ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ وَ مَا شَاءَ اللَّهُ كَانَ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ وَ أَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ وَ أَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ فَإِنَّكَ تَعْلَمُ وَ تَقْدِرُ وَ لَا أَقْدِرُ وَ بِيَدِكَ مَفَاتِيحُ الْخَيْرِ وَ أَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ
اللَّهُمَّ إِنْ كَانَ مَا أُرِيدُهُ وَ يُرَادُ بِي خَيْراً لِي فِي دِينِي وَ دُنْيَايَ وَ عَاقِبَةِ أَمْرِي فَيَسِّرْهُ لِي وَ بَارِكْ لِي فِيهِ وَ اصْرِفْ عَنِّي الْأَذَى فِيهِ وَ إِنْ كَانَ غَيْرُ ذَلِكَ خَيْراً فَاصْرِفْنِي عَنْهُ إِلَى مَا هُوَ أَصْلَحُ لِي بَدَناً وَ عَافِيَةً فِي الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ وَ اقْصِدْنِي إِلَى الْخَيْرِ حَيْثُ مَا كُنْتُ وَ وَجِّهْنِي إِلَى الْخَيْرِ حَيْثُ مَا تَوَجَّهْتُ بِرَحْمَتِكَ وَ أَعْزِزْنِي
اللَّهُمَّ بِمَا اسْتَعْزَزْتُ بِهِ مِنْ دُعَائِي هَذَا وَ أُقَدِّمُ بَيْنَ يَدَيْ نِسْيَانِي وَ عَجَلَتِي‌ بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ‌ وَ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ وَ مَا شَاءَ اللَّهُ كَانَ
اللَّهُمَّ مَا حَلَفْتُ مِنْ حَلْفٍ أَوْ قُلْتُ مِنْ قَوْلٍ أَوْ نَذَرْتُ مِنْ نَذْرٍ فَمَشِيَّتُكَ بَيْنَ يَدَيْ ذَلِكَ كُلِّهِ مَا شِئْتَ مِنْهُ كَانَ وَ مَا لَمْ تَشَأْ لَمْ يَكُنْ
اللَّهُمَّ مَا حَلَفْتُ فِي يَوْمِي هَذَا أَوْ فِي شَهْرِي هَذَا أَوْ فِي سَنَتِي هَذِهِ مِنْ حَلْفٍ أَوْ قُلْتُ مِنْ قَوْلٍ أَوْ نَذَرْتُ مِنْ نَذْرٍ فَلَا تُؤَاخِذْنِي بِهِ وَ اجْعَلْنِي مِنْهُ فِي سَعَةٍ وَ فِي اسْتِثْنَاءٍ وَ لَا تُؤَاخِذْنِي بِسُوءِ عَمَلِي وَ لَا تَبْلُغْ بِي مَجْهُوداً
اللَّهُمَّ وَ مَنْ أَرَادَنِي بِسُوءٍ فِي يَوْمِي هَذَا أَوْ فِي شَهْرِي هَذَا أَوْ فِي سَنَتِي هَذِهِ فَأَرِدْهُ بِهِ وَ مَنْ كَادَنِي فَكِدْهُ وَ افْلُلْ عَنِّي حَدَّ مَنْ نَصَبَ لِي حَدَّهُ وَ أَطْفِئْ عَنِّي نَارَ مَنْ أَضْرَمَ لِي وَقُودَهَا
اللَّهُمَّ وَ اكْفِنِي مَكْرَ الْمَكَرَةِ وَ افْقَأْ عَنِّي أَعْيُنَ عَيْنِ السَّحَرَةِ وَ اعْصِمْنِي مِنْ ذَلِكَ بِالسَّكِينَةِ وَ أَلْبِسْنِي دِرْعَكَ الْحَصِينَةَ وَ أَلْزِمْنِي كَلِمَةَ التَّقْوَى الَّتِي أَلْزَمْتَهَا الْمُتَّقِينَ
اللَّهُمَّ وَ اجْعَلْ دُعَائِي خَالِصاً لَكَ وَ اجْعَلْنِي أَبْتَغِي بِهِ مَا عِنْدَكَ وَ لَا تَجْعَلْنِي أَبْتَغِي بِهِ أَحَداً سِوَاكَ
اللَّهُمَّ يَا رَبِّ جَنِّبْنِي الْعِلَلَ وَ الْهُمُومَ وَ الْغُمُومَ وَ الْأَحْزَانَ وَ الْأَمْرَاضَ وَ الْأَسْقَامَ وَ اصْرِفْ عَنِّي السُّوءَ وَ الْفَحْشَاءَ وَ الْجَهْدَ وَ الْبَلَاءَ وَ التَّعَبَ وَ الْعَنَاءَ إِنَّكَ سَمِيعُ الدُّعاءِ قَرِيبٌ مُجِيبٌ
اللَّهُمَّ أَلِنْ لِي أَعْدَائِي وَ مُعَامِلِيَّ وَ مُطَالِبِيَّ وَ مَا غَلُظَ عَلَيَّ مِنْ أُمُورِي كُلِّهَا كَمَا أَلَنْتَ الْحَدِيدَ لِدَاوُدَ عَلَيْهِ السَّلَامُ
اللَّهُمَّ وَ ذَلِّلْهُمْ لِي كَمَا ذَلَّلْتَ الْأَنْعَامَ لِوُلْدِ آدَمَ عَلَيْهِ السَّلَامُ
اللَّهُمَّ وَ سَخِّرْهُمْ لِي كَمَا سَخَّرْتَ الطَّيْرَ لِسُلَيْمَانَ عَلَيْهِ السَّلَامُ
اللَّهُمَّ وَ أَلْقِ عَلَيَّ مَحَبَّةً مِنْكَ كَمَا أَلْقَيْتَهَا عَلَى مُوسَى بْنِ عِمْرَانَ عَلَيْهِ السَّلَامُ وَ زِدْ فِي جَاهِي وَ سَمْعِي وَ بَصَرِي وَ قُوَّتِي وَ ارْدُدْ [وَ ازْدَدْ] نِعْمَتَكَ عَلَيَّ وَ أَعْطِنِي سُؤْلِي وَ مُنَايَ وَ حَسِّنْ لِي خَلْقِي وَ اجْعَلْنِي مَهُوباً مَرْهُوباً مَخُوفاً وَ أَلْقِ لِي فِي قُلُوبِ أَعْدَائِي وَ مُعَامِلِيَّ وَ مُطَالِبِيَّ الرَّأْفَةَ وَ الرَّحْمَةَ وَ الْمَهَابَةَ وَ سَخِّرْهُمْ لِي بِقُدْرَتِكَ
اللَّهُمَّ يَا كَافِيَ مُوسَى عَلَيْهِ السَّلَامُ فِرْعَوْنَ وَ يَا كَافِيَ مُحَمَّدٍ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ الْأَحْزَابَ وَ يَا كَافِيَ إِبْرَاهِيمَ عَلَيْهِ السَّلَامُ نَارَ النُّمْرُودِ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ وَ اكْفِنِي كُلَّ مَا أَخَافُ وَ أَحْذَرُ بِرَحْمَتِكَ يَا رَحْمَانُ يَا رَحِيمُ
اللَّهُمَّ يَا دَلِيلَ الْمُتَحَيِّرِينَ وَ يَا مُفَرِّجُ عَنِ الْمَكْرُوبِينَ وَ يَا مُرَوِّحُ عَنِ الْمَغْمُومِينَ وَ يَا مُؤَدِّي عَنِ الْمَدْيُونِينَ وَ يَا إِلَهَ الْعَالَمِينَ فَرِّجْ كَرْبِي وَ هَمِّي وَ غَمِّي وَ أَدِّ عَنِّي وَ عَنْ كُلِّ مَدْيُونٍ وَ أَعْطِنِي سُؤْلِي وَ مُنَايَ وَ افْتَحْ لِي مِنْكَ بِخَيْرٍ وَ اخْتِمْ لِي بِخَيْرٍ
اللَّهُمَّ يَا رَجَائِي وَ عُدَّتِي لَا تُقْطَعُ مِنْكَ رَجَائِي وَ أَصْلِحْ لِي شَأْنِي كُلَّهُ وَ افْتَحْ لِي أَبْوَابُ الرِّزْقِ مِنْ حَيْثُ أَحْتَسِبُ وَ مِنْ حَيْثُ لَا أَحْتَسِبُ وَ مِنْ حَيْثُ أَعْلَمُ وَ مِنْ حَيْثُ لَا أَعْلَمُ وَ مِنْ حَيْثُ أَرْجُو وَ مِنْ حَيْثُ لَا أَرْجُو وَ ارْزُقْنِي السَّلَامَةِ وَ الْعَافِيَةَ وَ الْبَرَكَةُ فِي جَمِيعِ مَا رَزَقْتَنِي وَ خِرْ لِي فِي جَمِيعِ أُمُورِي خِيَرَةً فِي عَافِيَةٍ وَ كُنْ لِي وَلِيّاً وَ حَافِظاً وَ نَاصِراً وَ لَقِّنِّي حُجَّتِي
اللَّهُمَّ وَ أَيُّمَا عَبْدٍ مِنْ عِبَادِكَ أَوْ أَمَةٍ مِنْ إِمَائِكَ كَانَتْ لَهُ قِبَلِي مَظْلِمَةٌ ظَلَمْتُهُ بِهَا فِي مَالِهِ أَوْ سَمْعِهِ أَوْ بَصَرِهِ أَوْ قُوَّتِهِ وَ لَا أَسْتَطِيعُ رَدَّهَا عَلَيْهِ وَ لَا تَحِلَّتَهَا مِنْهُ فَأَسْأَلُكَ اللَّهُمَّ أَنْ تُرْضِيَهُ عَنِّي بِمَا شِئْتَ ثُمَّ تَهَبَ لِي مِنْ لَدُنْكَ رَحْمَةً يَا وَهَّابَ الْعَطَايَا وَ الْخَيْرِ
اللَّهُمَّ وَ لَا تُخْرِجْنِي مِنَ الدُّنْيَا وَ لِأَحَدٍ فِي رَقَبَتِي تَبِعَةٌ وَ لَا ذَنْبٌ إِلَّا وَ قَدْ غَفَرْتَ ذَلِكَ لِي بِكَرَمِكَ وَ رَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الثَّبَاتَ فِي الْأَمْرِ وَ الْعَزِيمَةَ عَلَى الرُّشْدِ وَ أَسْأَلُكَ
اللَّهُمَّ يَا رَبِّ شُكْرَ نِعْمَتِكَ وَ حُسْنَ عِبَادَتِكَ وَ أَسْأَلُكَ قَلْباً سَلِيماً وَ لِسَاناً صَادِقاً وَ يَقِيناً نَافِعاً وَ رِزْقاً دَارّاً هَنِيئاً وَ رَحْمَةً أَنَالُ بِهَا شَرَفَ كَرَامَتِكَ فِي الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْعَافِيَةَ عَافِيَةً تَتْبَعُهَا عَافِيَةٌ شَافِيَةٌ كَافِيَةٌ عَافِيَةَ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ يَا سَيِّدِي وَ مَوْلَايَ أَنْ تَكُونَ لِي سَنَداً وَ مُسْتَنَداً وَ عِمَاداً وَ مُعْتَمَداً وَ ذُخْراً وَ مُدَّخَراً وَ لَا تُخَيِّبْ أَمَلِي وَ لَا تَقْطَعْ رَجَائِي وَ لَا تُجْهِدْ بَلَائِي وَ لَا تُسِئْ قَضَائِي وَ لَا تُشْمِتْ بِي أَعْدَائِي
اللَّهُمَّ ارْضَ عَنِّي بِرِضَاكَ وَ عَافِنِي مِنْ جَمِيعِ بَلْوَاكَ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ يَا اللَّهُ يَا أَكْبَرُ مِنْ كُلِّ كَبِيرٍ يَا مَنْ لَا شَرِيكَ لَهُ وَ لَا وَزِيرَ يَا خَالِقَ الشَّمْسِ وَ الْقَمَرِ الْمُنِيرِ يَا رَازِقَ الطِّفْلِ الصَّغِيرِ يَا مُغْنِيَ الْبَائِسِ الْفَقِيرِ يَا مُغِيثَ الْمُمْتَهَنِ الضَّرِيرِ يَا مُطْلِقَ الْمُكَبَّلِ الْأَسِيرِ يَا جَابِرَ الْعَظْمِ الْكَسِيرِ يَا قَاصِمَ كُلِّ جَبَّارٍ مُتَكَبِّرٍ يَا مُحْيِيَ الْعِظَامِ‌ وَ هِيَ رَمِيمٌ‌ يَا مَنْ لَا نِدَّ لَهُ وَ لَا شَبِيهَ
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ [عَلَى‌] آلِ مُحَمَّدٍ وَ أَسْأَلُكَ يَا إِلَهِي بِكُلِّ مَا دَعَوْتُكَ بِهِ مِنْ هَذَا الدُّعَاءِ وَ بِجَمِيعِ أَسْمَائِكَ كُلِّهَا وَ بِمَعَاقِدِ الْعِزِّ مِنْ عَرْشِكَ وَ مُنْتَهَى الرَّحْمَةِ مِنْ كِتَابِكَ وَ بِجَدِّكَ الْأَعْلَى وَ بِكَ فَلَا شَيْ‌ءَ أَعْظَمُ مِنْكَ أَنْ تَغْفِرَ لَنَا وَ تَرْحَمَنَا فَإِنَّا إِلَى رَحْمَتِكَ فُقَرَاءُ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي وَ لِوَالِدَيَّ وَ لِلْمُؤْمِنِينَ وَ الْمُؤْمِنَاتِ وَ الْمُسْلِمِينَ وَ الْمُسْلِمَاتِ الْأَحْيَاءِ مِنْهُمْ وَ الْأَمْوَاتِ وَ اجْمَعْ بَيْنَنَا وَ بَيْنَهُمْ فِي الْخَيْرَاتِ وَ اكْفِنِي
اللَّهُمَّ يَا رَبِّي مَا لَا يَكْفِينِيهِ أَحَدٌ سِوَاكَ وَ اقْضِ لِي جَمِيعَ حَوَائِجِي وَ أَصْلِحْ لِي شَأْنِي كُلَّهُ وَ سَهِّلْ لِي مَحَابِّي كُلَّهَا فِي يُسْرٍ مِنْكَ وَ عَافِيَةٍ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ وَ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيمِ مَا شَاءَ اللَّهُ كَانَ وَ صَلَّى اللَّهُ عَلَى مُحَمَّدٍ النَّبِيِّ وَ آلِهِ وَ سَلَّمَ كَثِيراً مَا شَاءَ اللَّهُ كَانَ مَا شَاءَ اللَّهُ لَا حَوْلَ وَ لَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ مَا شَاءَ اللَّهُ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللَّهِ مَا شَاءَ اللَّهُ فَوَّضْتُ أَمْرِي إِلَى اللَّهِ مَا شَاءَ اللَّهُ حَسْبِيَ اللَّهُ وَ كَفَى.
अल्लाहुम्मा इन्नी असअतू फ़अहसंत व अख़तअत फ़तफ़ज्ज़ल्त लिलस्सिक़त मिन्नी बिअफ़्विक व अर्रजाअ मिन्नी लिरह्मतिक।
अल्लाहुम्मा बिहक्क हाज़ा अद-दुआ व बिहक़ीक़त हाज़ा अर्रजाअ लम्मा कशफ़त अन्नी अल्बला व जअल्त ली मिन्हु मख़रजान व मंज़न बिक़ुद्रतिक व फ़ज़्लिक।
अल्लाहुम्मा अन्ता अल-आलिमु बिज़ुनूबिना फ़ग़फिरहा व बिअमूरिना फ़सह्हिल्हा व बिदुयूनिना फ़अद्दिहा व बिहवाइजीना फ़क़्दिहा बिक़ुद्रतिक व फ़ज़्लिक। इन्नक अला कुल्लि शैइन क़दीर, व लौ अन्न क़ुरआनन सैय्यिरत बिहिल-जिबालु औ क़ुत्तिअत बिहिल-अरज़ो औ कुल्लिमा बिहिल-मौत। बल लिल्लाहिल-अमरु जमीअन व ला हौला व ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल-अलीय्यिल-अज़ीम। व मा शा-अल्लाहु काना बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम अला नफ़सी व दीनी व समई व बसरी व जसदी व जमीअि जवारिही व मा अक़ल्लतिल-अरदु मिन्नी। बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम अला वालिदैया मिनन्नार। बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम अला अहली व माली व औलादी। बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम अला जमीअि मन यानीनी अम्रुह। बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम अला कुल्लि शैइन अअतानी रब्बी। बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम इफ्ततह्तु शहरी हाज़ा व सन्नती हाज़िहि व अला अल्लाहि तवक्कल्तु व ला हौला ली व ला हीलता व ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल-अलीय्यिल-अज़ीम। व मा शा-अल्लाहु काना अल्लाहु अकबरु कबीरा व अल्हम्दो लिल्लाहे कसीरा व सुभानल्लाहि बुक्रतन व असीला। सुभाना रब्बिका रब्बिल-इज़्ज़ति अम्मा यसिफून व सलामुन अला अल-मुरसलीन वल्हम्दुलिल्लाहि रब्बिल-आलमीन। फ़सुभानल्लाहि हिना तुंसून व हिना तुस्बिहून व लहुल्हम्दु फ़िस्समावाति वल-अरज़ व अषीय्न व हिना तुज़्हिरून। युख़रिज़ुल-हय्या मिनल-मय्यिति व युख़रिज़ुल-मय्यिता मिनल-हय्यि व युह्यिल-अरदा बअद मौतिहा व कज़ालिक तुख़रिज़ून। बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
अल्लाहुम्मा इन्नी आऊज़ो बिका मिन शर्रि हाज़ा अल-यौम व मिन शर्रि हाज़ा अश्शह्र व मिन शर्रि हाज़िहिस्सन्नह व मिन शर्रि मा बादहा व आऊज़ो बिका मिन जमीअि अअदाई अन्न यफ्रूतू अलय्य व अन्न यतग़ौ व अक़द्दिमु बैन यदय्य व मिन खल्फी व अन यमिनी व अन शिमाली व मिन फौकी व मिन तिह्ती। बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम कुल हूव-लल्लाहु अहद। अल्लाहुस्समद। लम यलिद वलम यूवलद वलम यकुल-लहु कुफ़ुवन अहद। लिनफ़सी बी व मुहीतुन बी व बिमाली व वालिदैया व औलादी व अहली व जमीअि मन यानीनी अम्रुह। व कुल्लि शैइन हुव ली व कुल्लि शैइन मअी। तवक्कल्तु अला अल-हय्यिल लज़ी ला यमूतु व अअतसमतु बिउरवातिल्लाहिल वुसका अल्लती ला इंफिसाम लहा। वल्लाहु समीउन अलीम।
अल्लाहुम्मा अजअल ली मिन क़दरिका फी हाज़िहिस्सन्नह व मा बादहा हुस्न आफ़ियती व सआत रिज़क़ी व अक्कफिनी अल्लाहुम्मा अल-मुहिम्म मिन उमूरिद-दुन्या वल-आखिरह व अअस्सिमनी अन अख़्ता व अरज़ुक़नी ख़ैरद-दुन्या वल-आखिरह। कुल मन यक्लउकुम बिल्लैली वन्नहारी मिनस्सुबऊ वस्सारिक़ि वलहय्याती वलअक़ारिबी वलजिन्नि वलइंसि वत्तैरी वलवह्शि वलहवाम्मी। कुलिल्लाहु व जअल्ना फी अअनाक़िहिम अअगलालन फ़हिया इलल-अज़क़ानि फ़हुम मुक़महून। व जअल्ना मिन बैनि ऐदीहिम सद्दन व मिन खल्फिहिम सद्दन फ़-अग़्शैनाहुम फ़हुम ला युबसिरून। अल्लाहुम्म इन्नी आऊज़ु बिकलीमातिकत्ताम्माति कुल्लिहा व आयातिक अल-मुह्कमाति मिन ग़दबिक व मिन शर्रि इक़ाबिक व मिन शिरारि इबादिक व मिन हमज़ातिश-शयातीनि व आऊज़ु बिका रब्बि अय्य याहज़ुरून। व ला हौला व ला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल-अलीय्यिल-अज़ीम व मा शा-अल्लाहु काना
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तखीरुका बिअल्मिका व अस्तक़दिरुका बिक़ुद्रतिक व असअलुका मिन फ़ज़्लिक अल-अज़ीम, फ़इन्नका तअलमु व तक़दिरु व ला अक़दिरु व बियदिका मफ़ातिहुल-ख़ैरि व अन्त अअल्लामुल-ग़ुयूब।
अल्लाहुम्मा इन्कान मा उरीदुहु व युरादु बी खैरण ली फी दीनी व दुनयाया व आक़िबति अम्री फययिस्सिरहु ली व बारिक ली फीहि व अस्रिफ अन्नी अल-अज़ा फीहि व इन्कान ग़ैरु ज़ालिका खैरण फास्रिफनी अन्हु इला मा हुआ अस्लहु ली बदनन व आाफियतन फी द्दुन्या वल-आखिरह व अक़्सिदनी इला अल-खैर हय्य्सु मा कुन्तु व वज्जिहनी इला अल-खैर हय्य्सु मा तवज्जह्तु बिरह्मतिका व अअज़िज़नी।
अल्लाहुम्मा बिमा इस्तअज़्जज़तु बिहि मिन दु'आ'ई हाज़ा व उक़द्दिमु बैन यदाई निस्यानि व अजलती बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम व ला हौला व ला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अज़ीम व मा शा-अल्लाहु कान। अल्लाहुम्मा मा हलाफ्तु मिन हल्फिन औ कुल्तु मिन कौलीन औ नज़र्तु मिन नज़्रिन फ़मशीय्यतुक बैन यदाई ज़ालिका कुल्लिहि मा शिअता मिन्हु कान व मा लम तशा' लम यकुन। अल्लाहुम्मा मा हलाफ्तु फी यौमी हाज़ा औ फी शहरी हाज़ा औ फी सन्नती हाज़िहि मिन हल्फिन औ कुल्तु मिन कौलीन औ नज़र्तु मिन नज़्रिन फ़ला तुअअखि़ज़नी बिहि व जअलनी मिन्हु फी सअतिन व फी इस्तिस्नाइन व ला तुअअख़िज़नी बिसू'इ अमली व ला तबलुग़ बी मज्हूदन । अल्लाहुम्मा व मन अरादनी बिसू'इ फी यौमी हाज़ा औ फी शहरी हाज़ा औ फी सन्नती हाज़िहि फ़आरिद्हु बिहि व मन कादनी फ़किद्हु व अफ्लुल अन्नी हद्द मन नसब ली हद्दहु व अत्फ़ि अन्नी नार मन अज़्रम ली वक़ूदहा।
अल्लाहुम्मा व अक्फ़िनी मक्र अल-मक़राह व अफ़्क़अ अन्नी अअयुना अअयनि अस्सहरह व अअस्सिमनी मिन ज़ालिक बिस्सकीनह व अल्बिस्नी दिरअक अल-हसीनह व अल्जिम्नी कलिमतत्तक़वा अल्लती अल्ज़मतहा अल-मुत्तक़ीन।
अल्लाहुम्मा व अजअल दु'आ'ई ख़ालिसन लक्क व अजअल्नी अब्तग़ी बिहि मा इन्दका व ला तजअल्नी अब्तग़ी बिहि अहदन सिवाक।
अल्लाहुम्मा या रब्बी जन्निब्नी अल-इलल वलहुमूम वलग़ुमूम वल-अहज़ान वल-अमराद वल-असक़ाम व अस्रिफ अन्नी अस्सूअ वलफह्शा वल-जह्द वल-बला वल-तअब वल-अना इन्नक समीउद्दु'आइ क़रीब मजीब।
अल्लाहुम्मा अलिन ली अअदाई व मुआमिली व मुतालिबी व मा गलुज़ अलाईय्या मिन उमूरी कुल्लिहा कमा अलन्त अल-हदीद लिदावूद अलाईहि सलाम।
अल्लाहुम्मा व ज़ल्लिल्हुम ली कमा ज़ल्लल्त अल-अनआम लिवल्द आदम अलाईहि सलाम।
अल्लाहुम्मा व सख्खिरहुम ली कमा सख्खर्त अल-तैर लिसुलैमान अलैहिस सलाम।
अल्लाहुम्मा व अल्क़ि अलाईय्या महब्बतन मिन्का कमा अल्क़ैतहा अला मूसा इब्ने इमरान अलैहिस सलाम व ज़िद फी जाही व समी व बसरी व कुव्वती व रद्द [व ज़िद्द] नेमतक अलाईय्य व अअतिनी सूली व मुना व हस्सिन ली खल्क़ी व अजअल्नी महूबन मरहूबन मख़ूफ़न व अल्क़ि ली फी कुलूब अअदाई व मुआमिली व मुतालिबी अल-रअफ़त व अल-रहमह व अल-महाबह व सख्खिरहुम ली बिक़ुद्रतिक।
अल्लाहुम्मा या काफ़िया मूसा अलाईहि सलाम फ़िरऔन व या काफ़िया मुहम्मद सल्लल्लाहु अलाईहि व आलिहिल-अहज़ाब व या काफ़िया इब्राहीम अलैहिस सलाम नारन अन-नमरूदि सल्लि अला मुहम्मद व अला आलि मुहम्मद व अक्फ़िनी कुल्ल मा अख़ाफ़ु व अह्ज़रु बिरह्मतिका या रहमानो या रहीम।
अल्लाहुम्मा या दलील अल-मुतहय्यरीन व या मुफ़र्रिज़ु अन अल-मक़रूबीन व या मुरव्विहु अन अल-मग़मूमीन व या मुअद्दी अन अल-मद्यूनीन व या इलाह अल-आलमीन फ़र्रिज़ कर्बी व हम्मी व ग़म्मी व अअद्दी अन्नी व अन कुल्ल मद्यूनी व अअतिनी सूली व मुना व इफ्तह ली मिन्का बिख़ैर व अख़्तिम ली बिख़ैर।
अल्लाहुम्मा या रजाई व उद्दती ला तुक़त्तअ मिन्का रजाई व अस्लिह ली शअनि कुल्लहू व इफ्तह ली अबवाब अल-रिज़्क़ मिन हय्य्सु अहतसिबु व मिन हय्य्सु ला अहतसिबु व मिन हय्य्सु अअलमु व मिन हय्य्सु ला अअलमु व मिन हय्य्सु अरजु व मिन हय्य्सु ला अरजु व अरज़ुक़्नी अल-सलामत व अल-आफ़ियह व अल-बरकह फी जमीअ मा रज़कतनी व खिर ली फी जमीअ उमूरी खयरत फी आफ़ियह व कुन ली वलियन व हाफ़िज़न व नासिरन व लक़्क़िन्नी हुज्जती।
अल्लाहुम्मा व अय्युम्मा अब्द मिन इबादिका औ अमत मिन इमाइक कानत लहू क़िबली मज़लिमत ज़लमतुहू बिहा फी मालिह औ समअिह औ बसरिह औ कुव्वतिह व ला अस्ततीउ रद्दहा अलाईहि व ला तहल्लतहा मिन्हू फ़असअलुक
अल्लाहुम्मा अन तुरज़ियह अन्नी बिमा शिअता सुम्म ताहबा ली मिन लदुन्क रह्मह या वह्हाब अल-अताया वल-ख़ैर।
अल्लाहुम्मा व ला तुखरिज़्नी मिन अद-दुन्या व लिअहद फी रक़बती तबिअत औ ला ज़ंबन इल्ला व क़द ग़फ़रत ज़ालिका ली बिकरमिक व रह्मतिक या अर-हमर राहिमीन।
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका अस्सबात फी अल-अम्रि वल-अज़ीमत अला अर-रुश्दि व असअलुका
अल्लाहुम्मा या रब्बी शुकर नीअमतिका व हुस्न इबादतिका व असअलुका क़ल्बन सलीमन व लिसानन सादिक़न व यकीनन नाफ़िअन व रिज़्क़न दार्रन हनीअन व रह्मतन अनालु बिहा शरफ़ करामतिका फी अद-दुन्या वल-आखिरह या अरहम अर-राहिमीन
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका अल-आफियह आफियतन तत्तबउहा आफियह शाफियह काफियह आफियत अद-दुन्या वल-आखिरह
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका या सैय्यदी व मौलाया अन तकूना ली सनदन व मुस्तनदन व इमादन व मुअतमदन व ज़ुखरन व मुद्दखरन व ला तुखय्यिब अमली व ला तक़्तअ रजाई व ला तुझ्हिद बलाई व ला तुसि’ क़जाई व ला तुश्मित बी अअदाई
अल्लाहुम्मा अर्ज़ा अन्नी बिरिज़ाक व आफिनी मिन जमीअ बलवाक अल्लाहुम्म इन्नी असअलुका या अल्लाहु या अकबरु मिन कुल्ल कबीर या मन ला शरीक लहु व ला वज़ीर या खालिक अश्शम्स वल क़मर अल-मुनीर या राज़िक अतिफ्ल अस्सगीर या मुग़्नी अल-बाइस अल-फ़कीर या मुगीथ अल-मुम्तहन अद-दीर या मुत्लिक अल-मुकब्बल अल-असीर या जाबिर अल-अज़्म अल-कसीर या क़ासिम कुल्ल जब्बार मुतकब्बिर या मुहिय अल-इज़ाम व हिया रमीमुन या मन ला निज़् लहु व ला शबीह
अल्लाहुम्मा इन्नी असअलुका अन तुसल्ली अला मुहम्मद व [अला] आल मुहम्मद व असअलुका या इलाही बिकुल्ल मा दअव्तुक बिहि मिन हाज़ा अद-दु'आ व बिजमीअ अस्माइक कुल्लिहा व बिमा'क़िद अल-इज़्ज़ मिन अर्शिक व मुन्तहा अर-रह्मह मिन किताबिक व बि-जदिका अल-अअला व बिका फला शै अअज़म मिनक अन तग़्फिर लना व तरहमना फ़इन्ना इला रह्मतिक फुक़रा या अरहम अर-राहिमीन
अल्लाहुम्मा ग़्फिर ली व लिवालिदैय्या व लिल-मुमिनीन वल मुमिनात वल मुस्लिमीन वल मुस्लिमात अल-अहयाई मिन्हुम वल अम्वात व अज्मअ बैनना व बैनहुम फी अल-खैरात व अक्फ़िनी
अल्लाहुम्मा या रब्बी मा ला यक्फ़ीनीहि अहद सिवाक व अक़्दि ली जमीअ हवाइजी व अस्लिह ली शअनि कुल्लहु व सह्हिल ली महब्बी कुल्लहा फी युसर मिन्का व आफियत या अरहम अर-राहिमीन व ला हौला व ला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अज़ीम मा शा-अल्लाहु कान व सल्ला अल्लाहु अला मुहम्मद अन-नबी व आलिहि व सल्लम कसीरन मा शा-अल्लाहु कान मा शा-अल्लाहु ला हौला व ला कुव्वता इल्ला बिल्लाह मा शा-अल्लाहु तवक्कल्तु अला अल्लाह मा शा-अल्लाहु फव्वज़्तु अम्री इला अल्लाह मा शा-अल्लाहु हस्बिय अल्लाहु व कफ़ा।
ए मेरे ख़ुदा! मैं ने ग़लत किया, लेकिन तू ने भला किया! मैं ने ग़लतियाँ कीं, लेकिन तू ने मुझ पर एहसान किया।
यह सब मेरी तेरे बख़्शिश पर भरोसा और तेरी रहमत की उम्मीद की वजह से था।
ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से इस दुआ की बरकत के वसीले से और इस उम्मीद की हक़ीक़त के वास्ते से सवाल करता हूँ कि मुझ से मुसीबतों को दूर कर दे और उन से निकलने का रास्ता दिखा दे और अपनी क़ुदरत और शरफ़ से मुझे नजात दे। ए मेरे ख़ुदा! तू हमारे गुनाहों से ख़ूब वाक़िफ़ है।
ब-राह करम इन को माफ़ फ़रमा।
तू हमारे मुआमलात से ख़ूब वाक़िफ़ है।
ब-राह करम इन को आसान कर दे।
तू हमारे क़र्ज़ों से ख़ूब वाक़िफ़ है।
ब-राह करम इन को अदा कर दे।
तू हमारी ज़रूरतों से ख़ूब वाक़िफ़ है।
ब-राह करम इन को अपनी क़ुदरत और शरफ़ से पूरी फ़रमा क्योंकि तू हर चीज़ पर क़ादिर है।
"अगर कोई क़ुरआन होता जिस से पहाड़ हिलाए जाते, या ज़मीन चीरी जाती, या मर्दे बात करते, तो वो यही होता! लेकिन, हक़ीक़त में, तमाम उमूर में हुक्म अल्लाह के साथ है!-13:31।
अल्लाह के सिवा कोई तबदीली या ताक़त नहीं - बुलंद, आला।
जो अल्लाह चाहे वही होता है।
"अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला" अपने नफ़्स, अपने दीन, अपनी सुनने की ताक़त, अपनी बिनाई और अपने तमाम जिस्मानी आज़ा और ज़मीन पर जो कुछ मेरे साथ है, पर।
"अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला" मेरे वालिदैन को आग से।
"अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला" मेरे ख़ानदान, दौलत और बच्चों पर।
"अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला" उन तमाम पर जो मुझे इस के अहकाम को अंजाम देने में मदद देते हैं।
"अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला" मेरे रब की तरफ़ से दी गई तमाम चीज़ों के लिये "अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला" मैंने इस महीने और इस रवायत का आग़ाज़ किया जबकि मैंने अल्लाह पर भरोसा किया।
अल्लाह के सिवा कोई तबदीली या ताक़त नहीं - बुलंद, आला! जो अल्लाह चाहे वही होता है।
अल्लाह सब से बड़ा है! अल्लाह की बहुत सी तारीफ़ें हों! सुबह और शाम में अल्लाह की शान बयान करें।
"आप के रब की शान, इज़्ज़त और क़ुव्वत के रब की! (वह पाक है) जो कुछ वह बयान करते हैं! और रसूलों पर सलामती हो! और अल्लाह की तारीफ़ हो, जो सब जहानों का पालने वाला है।-37:180-182।
"तो (अल्लाह की) शान बयान करो! जब तुम शाम को पहुँचो और जब तुम सुबह उठो; हाँ, आसमानों और ज़मीन में उस की तारीफ़ हो; और दोपहर के आख़िरी वक़्त और जब दिन कम होने लगे।
वही है जो ज़िन्दों को मुर्दों से निकालता है, और मुर्दों को ज़िन्दों से निकालता है, और जो ज़मीन को उस की मौत के बाद ज़िन्दगी देता है: और इसी तरह तुम्हें निकाला जाएगा" -30:17-19।
"अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला।
ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से इस दिन की बुराइयों, इस महीने की बुराइयों, इस साल की बुराइयों और बाद की बुराइयों से पनाह मांगता हूँ!
मैं तुझ से अपने दुश्मनों की बुराइयों से पनाह मांगता हूँ जो मुझ पर हद से तजावुज या बग़ावत करें! मैं यह दुआ करता हूँ कि मुझे मेरे आगे, पीछे, दाएँ, बाएँ, ऊपर और नीचे से बचा:
"अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला।
कहो: वह अल्लाह, यकता है। अल्लाह, अबदी, मुतलक़; न वह किसी का बाप है, न उस की कोई औलाद है; और न उस का कोई हमसर है।-112:1-4।
"वह मुझे, मेरी दौलत, मेरे वालिदैन, बच्चों, शरीक़ हयात और तमाम लोगों को घेर लेता है जो उस के अहकाम को अंजाम देने में मेरी मदद करते हैं।
वह हर चीज़ को घेर लेता है जो मेरी है, और जो कुछ मेरे साथ है।
मैं उस पर भरोसा करता हूँ जो हमेशा रहने वाला है और कभी ख़त्म नहीं होगा! मैं अल्लाह के सब से मज़बूत और महफ़ूज़ क़िले में पनाह लेता हूँ जो कभी नहीं टूटता।
अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम इस साल और बाद के दौरान मुझे सलामती और रिज़्क़ की फ़रावानी दे अपनी मर्ज़ी से।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम मेरे दुनियावी और आख़रत के मुआमलात के लिये काफ़ी वसाइल फ़राहम कर और मुझे ग़लतियाँ करने से बचा।
ए अल्लाह! ब-राह करम मुझे इस दुनिया और आख़रत की बेहतरीन चीज़ें अता कर।
"कहो: रात और दिन में कौन तुम्हें जानवरों, चोरों, साँपों, बिछुओं, जिन्नों, इंसानों, जंगली जानवरों, परिंदों और कीड़ों से महफ़ूज़ रख सकता है? अल्लाह फ़रमाता है, "हम ने उन की गर्दनों में तौक़ डाल दिए हैं, जो उन की ठोड़ियों तक हैं, ताकि उन के सर ऊपर उठ जाएँ (और वह नहीं देख सकते)।
और हम ने उन के आगे एक रुकावट डाल दी और उन के पीछे एक रुकावट डाल दी, और मजीद, हम ने उन को ढाँप दिया; ताकि वह नहीं देख सकें।-36:8-9।
ए मेरे ख़ुदा! मैं तेरे कामिल कलमात और मज़बूत आयात के मजमुए से तेरे ग़ज़ब, तेरे अज़ाब की बुराइयों, तेरे बंदों की बुराइयों और शैतानों की वसवसों से पनाह मांगता हूँ।
ए मेरे रब! मैं तुझ से पनाह मांगता हूँ कि वह मेरे क़रीब आएँ।
अल्लाह के सिवा कोई तबदीली या ताक़त नहीं - बुलंद, आला।
जो अल्लाह चाहे वही होता है।
ए मेरे ख़ुदा! मैं तेरे इल्म में पनाह लेता हूँ, और तेरी क़ुदरत से मदद मांगता हूँ और तुझ से तेरी अज़ीम नेमतों के वसीले से सवाल करता हूँ, क्योंकि तू जानता है और क़ुदरत रखता है, लेकिन मैं क़ुदरत नहीं रखता।
तेरे हाथ में हर भलाई की चाबी है।
और तू हर पोशीदा चीज़ का जानने वाला है।
ए मेरे ख़ुदा! अगर मैं जो कुछ मांगता हूँ या जो मेरे लिये मांगा जाता है वह मेरे दीन, मेरी ज़िन्दगी और मेरे मुआमलात के इख़्तिताम के लिये भला है, तो ब-राह करम उसे आसानी से अता कर और उस में बरकत दे और उस के दौरान मुझ से मुश्किलात को दूर कर।
लेकिन अगर कोई और चीज़ मेरे लिये भली है, तो ब-राह करम मुझे इस दुनिया और आख़रत में जिस्मानी भलाई और सलामती अता फ़रमा।
ब-राह करम अपनी रहमत से मुझे जो भी रास्ते पर हूँ और जिस तरफ़ भी जाऊं भलाई की तरफ़ रहनुमाई कर।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम मुझे उन लोगों की तरह इज़्ज़त दे जो यह दुआएं करते हैं।
मैं भूलने और जल्दी के वक़्त यह दर्ज करता हूँ: "अल्लाह के नाम से, सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाला।
अल्लाह के सिवा कोई तबदीली या ताक़त नहीं - बुलंद, आला और जो अल्लाह चाहे वही होता है।
ए मेरे ख़ुदा! तेरा ग़ालिब इरादा फ़ैसला करता है कि क्या होता है और क्या नहीं होता है जो कुछ मैंने कहा या जो कुछ मैंने अहद किया।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम मुझ से जो कुछ मैंने कहा या आज, इस महीने या इस साल में अहद किया उस के मुताल्लिक़ सवाल न कर।
ब-राह करम मुझे इस्तिस्ना दे और माफ़ी दे।
ब-राह करम मेरे बुरे आमाल के मुताल्लिक़ मुझ से सवाल न कर और मुझ पर सख़्त काम न डाल।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम जिस ने आज, इस महीने या इस साल में मेरे लिये बुरा चाहा उस के लिये बुरा चाह, और जिस ने मेरे ख़िलाफ़ मन्सूबा बनाया उस के ख़िलाफ़ मन्सूबा बना।
ब-राह करम उन से मेरी हिफ़ाज़त कर जो मुझे धमकी देते हैं और उन की आग को बुझा दे जो मुझे जलाने की कोशिश करते हैं।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम साज़िश करने वालों के मकरों से मेरी हिफ़ाज़त कर, जादूगरों को अंधा कर, सुकून के साथ उस से मेरी हिफ़ाज़त कर, मुझे अपनी मज़बूत हिफ़ाज़ती पोशाक से नवाज़ और मुझे उस परहेज़गारी से मुसल्लह कर जिस से तू ने परहेज़गारों को मुसल्लह किया है।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम मेरी दुआओं को तेरे लिये ख़ालिस बना दे।
मुझे तेरे क़रीब की चीज़ों का सवाल करने दे और किसी और से सवाल न करने दे।
ए मेरे ख़ुदा! ए रब! ब-राह करम मुझे बीमारियों, परेशानीयों, ग़मों, दुखों, अमराज़ और बीमारों से बचा।
ब-राह करम मुझ से बुराई और फ़साद, बदबख़्ती और मुसीबतें, मुश्किलात और तकलीफ़ें को दूर कर, क्योंकि तू दुआओं को सुनता है, तू क़रीब है और तू पूरा करने वाला है!
ए ख़ुदा! ब-राह करम मेरे दुश्मनों को नरम कर, और उन तमाम मुआमलात को जिन्हों ने मेरे लिये मुश्किल बना दिया है जैसे तू ने दाऊद (अलैहि सलाम) के लिये लोहे को नरम किया!
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम उन को मेरे लिये झुका दे जैसे तू ने आदम (अलैहि सलाम) के लिये चार पाँव वाले जानवरों को झुकाया।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम उन को मेरे लिये ताबे बना दे जैसे तू ने सुलैमान (अलैहि सलाम) के लिये परिंदों को ताबे बनाया।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम मुझ पर अपनी मुहब्बत डाल जैसे तू ने मूसा (अलैहि सलाम) – इमरान के बेटे (अलैहि सलाम) पर डाली।
मेरी हालत, मेरी समाअत, मेरी बिनाई और मेरी क़ुव्वत को बेहतर बना, और अपनी नेमतें मुझ पर वापस कर।
मेरी दुआओं, मेरी ख़्वाहिशों को पूरा कर और मेरे अख़लाक़ को बेहतर बना।
मुझे ऐसा बना दे कि मेरे दुश्मन मेरी हैबत से डरें और मेरे दुश्मनों के दिलों में महरबानी, रहम और ख़ौफ़ डाल, और उन को अपनी क़ुदरत और शरफ़ से मेरे लिये ताबे बना दे।
ए मेरे ख़ुदा! ए वह जो मूसा (अलैहि सलाम) के लिये फ़िरऔन के ख़िलाफ़ काफ़ी हुआ।
ए वह जो मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के लिये जमाअतों के ख़िलाफ़ काफ़ी हुआ।
ए वह जो इब्राहीम (अलैहि सलाम) के लिये नमरूद की आग के ख़िलाफ़ काफ़ी हुआ।
ब-राह करम मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) और उन की आल (अलैहि सलाम) पर अपनी रहमतें नाज़िल फ़रमा।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम मुझे उन तमाम चीज़ों से महफ़ूज़ रख जिन से मैं डरता हूँ और घबराता हूँ तेरी रहमत के वसीले।
ए रहमान! ए रहीम! ए मेरे ख़ुदा! ए वह जो गुमशुदा लोगों की रहनुमाई करता है! ए वह जो ग़मज़दा लोगों से ग़म को दूर करता है!
ए वह जो परेशान हाल लोगों की मुसीबतें दूर करता है और मक़रूज़ लोगों का क़र्ज़ अदा करता है।
ए सब जहानों के रब! ब-राह करम मेरा ग़म, मेरी परेशानी और मेरा दुख दूर कर।
मेरा क़र्ज़ और तमाम मक़रूज़ों का क़र्ज़ अदा कर।
मेरी दुआओं और ख़्वाहिशों को पूरा कर।
ब-राह करम मुझे अपनी तरफ़ से अच्छे आग़ाज़ और अच्छे इख़्तिताम के साथ महया फ़रमा।
ए मेरे ख़ुदा! ए मेरी उम्मीद, ए मेरी मदद! ब-राह करम मेरी उम्मीदों को तुझ से मत तोड़।
ब-राह करम मेरे मुआमलात को बेहतर बना और मेरे रिज़्क़ के रास्ते खोल दे उन वसाइल से जिन पर मैं एतबार करता हूँ और जिन पर मैं एतबार नहीं करता: और जिन्हें मैं जानता हूँ और जिन्हें मैं नहीं जानता, उन ज़राइ से जिन की मुझे उम्मीद है और जिन की मुझे उम्मीद नहीं है।
ए ख़ुदा! ब-राह करम मुझे सेहत, सलामती और बरकत अता कर जो कुछ भी तू ने मुझे रिज़्क़ दिया है।
ब-राह करम हर मुआमले में भलाई का इंतिख़ाब कर जो तू ने मुझे अता किया है।
मेरी मदद, मुहाफ़िज़, और मददगार बन, और मुझे दलील समझा।
ए मेरे ख़ुदा! अगर तेरे बंदों में से किसी मर्द या औरत पर मैंने ज़ुल्म किया हो चाहे उस के माल, समाअत, बिनाई या क़ुव्वत के मुतालिक़ और अब मैं उस का इज़ाला न कर सकता हूँ, या उस से माफ़ी नहीं मांग सकता हूँ।
तो ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से सवाल करता हूँ कि तू उसे मेरे लिये राज़ी कर दे जैसा तू चाहे! फिर मुझे अपनी तरफ़ से रहमत अता फ़रमा - ए अताओं और भलाइयों के बख़्शने वाले!
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम मुझे इस दुनिया से न निकाल जब तक मेरा आख़रत का अंजाम भला न हो और मेरे कोई गुनाह बाक़ी न हों जो तू ने अपनी मेहरबानी से माफ़ न किए हों।
तेरी रहमत से! ए सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाले।
ए मेरे ख़ुदा! बेशक मैं तुझ से अपने मुआमलात में इस्तिक़ामत, और नशवोनुमा में मुसलसल मिज़ाजी का सवाल करता हूँ।
ए रब! और ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से सवाल करता हूँ कि मुझे तेरी नेमतों का शुक्र गुज़ार बना दे और तेरी बेहतरीन इबादत करने का मौक़ा अता फ़रमा।
और ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से एक पुरअमन दिल, एक सादिक़ ज़बान, नाफ़िअ यक़ीन, वाफ़िर और जल्द रिज़्क़, रहमत जिस से मैं तेरे करम की इज़्ज़त दुनिया और आख़रत में हासिल कर सकूं।
ए सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाले! ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से सलामती का सवाल करता हूँ जो सलामती के बाद भी सलामती हो, कामिल सलामती जो दुनिया और आख़रत के लिये काफ़ी हो।
ए मेरे ख़ुदा! ए मेरे मालिक! ए मेरे सरपरस्त! मैं तुझ से सवाल करता हूँ कि तू मेरे लिये सहारा, मदद, एतबार और ज़ख़ीरा बन और मेरी उम्मीदों को नाकाम न कर।
मेरी उम्मीदों को नाउम्मीद न कर।
और ब-राह करम मेरी उम्मीदों को मत तोड़, मुझे सख़्त मुसीबतों से न दोचार कर, मुझे बुरी तक़दीर न दे, और मेरे दुश्मन को मेरे ख़िलाफ़ मज़ाक करने का मौक़ा न दे।
ए मेरे ख़ुदा! ब-राह करम अपनी रज़ा के ज़रिये मुझ से राज़ी हो।
और मुझे अपनी तमाम बलाओं से महफ़ूज़ रख।
ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से सवाल करता हूँ, ए ख़ुदा! ए सब से बड़े से भी बड़ा! ए वह जो बे-शरीक है! ए सूरज और चमकदार चाँद के ख़ालिक़।
ए छोटे बच्चों के रिज़्क़ देने वाले।
ए ग़रीबों के फ़ाक़ों को दूर करने वाले, ग़मज़दा हाजतमंद की मदद करने वाले! ए जो टूटे हुए हड्डियों को जोड़ता है! ए हर मग़रूर जाबिर को तोड़ने वाले! ए जो मेरी हड्डियों को उस वक़्त ज़िंदा करता है जब वह मिट्टी में मिल जाएँ! ए वह जिस का कोई हमसर या मद्दमुख़ाबिल नहीं है!
ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से सवाल करता हूँ कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) और उन की आल (अलैहि सलाम) पर बरकतें नाज़िल फ़रमा।
और ए मेरे ख़ुदा! मैं तुझ से सवाल करता हूँ कि जो कुछ मैंने इन दुआओं के ज़रिये तुझ से मांगा, अपने तमाम नामों, अर्श की अज़मत के मक़ाम, तेरे किताब की रहमत के इख़्तिताम के ज़रिये, और तेरी आला शान के ज़रिये, कि तू हमें माफ़ फ़रमा और हम पर रहम कर, बेशक हम तेरी रहमत के मोहताज हैं।
ए सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाले! ए मेरे ख़ुदा! मोमिन मर्दों और औरतों, मुस्लिम मर्दों और औरतों को माफ़ फ़रमा चाहे वह ज़िंदा हों या फौत हो चुके हों।
हमें और उन्हें भलाइयों में इकट्ठा फ़रमा।
ए मेरे ख़ुदा! मुझे उन मुआमलात में काफ़ी हो जो तेरे सिवा कोई काफ़ी नहीं हो सकता और मेरी तमाम ज़रूरतों को पूरा फ़रमा।
मेरे मुआमलात को बेहतर बना और जो कुछ मैं पसंद करता हूँ उसे आसानी और सलामती के साथ मेरे लिये महया फ़रमा।
ए सब से ज़्यादा मेहरबान, सब से ज़्यादा रहम करने वाले! अल्लाह के सिवा कोई तबदीली या ताक़त नहीं - बुलंद, आला।
जो अल्लाह चाहे वही होता है।
और अल्लाह नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) और उन की आल (अलैहि सलाम) पर अपनी रहमतें नाज़िल करे - और बे-पनाह सलाम।
जो अल्लाह चाहे वही होता है।
जो अल्लाह चाहे - अल्लाह के सिवा कोई तबदीली या ताक़त नहीं।
जो अल्लाह चाहे - मैं अल्लाह पर भरोसा करता हूँ।
जो अल्लाह चाहे - मैं अपने मुआमलात को अल्लाह के सुपुर्द करता हूँ।
जो अल्लाह चाहे - अल्लाह मेरे लिये काफ़ी है।


सैय्यद इब्न ताऊस ने इक़बाल-उल-अमाल में ज़िक्र किया है कि यह नमाज़ें पढ़ी जानी चाहिएँ इस रात में ::

पहली: एक सौ रकअत की नमाज़जिसमें हर रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा और सूरह अल-तौहीद एक बार पढ़ी जाए।

दूसरी: दो रकअत की नमाज़ जिसकी पहली रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा और al-An`am (No. 6) और दूसरी रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा और सूरह यासीन (नंबर 36) पढ़ी जाए।

तीसरी: दो रकअत की नमाज़ जिसकी हर रकअत में सूरह अल-फ़ातिहा एक बार और सूरह अल-तौहीद ग्यारह बार पढ़ी जाए।
रिवायत है कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया कि जो शख़्स इस रात में यह नमाज़ पढ़े और अगले दिन जो कि नए साल का पहला दिन है, रोज़ा रखे, उसके लिए नया साल मुकम्मल तौर पर अच्छा हो जाएगा, और वह पूरे साल महफ़ूज़ रहेगा, और अगर वह फ़ौत हो जाए तो उसे जन्नत में दाख़िल होने की इजाज़त होगी।
पहले मुहर्रम को रोज़ा रखने की के बारे में हदीस
रायान बिन शबीब (मुअतसिम के मामू) कहते हैं कि मैं मुहर्रम के पहले दिन इमाम अली रज़ा (अलैहिस्सलाम) से मिलने गया।
इमाम अली इब्न मूसा रज़ा (अलैहिस्सलाम) ने पूछा: "ऐ शबीब के बेटे! क्या तुम आज रोज़े की हालत में हो?"
मैं (रायान बिन शबीब) ने नफ़ी में जवाब दिया। इमाम (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमाया, "यह वह दिन है जब हज़रत ज़करिया (अलैहिस्सलाम) ने अपने रब से यूँ दुआ की थी: 'ऐ मेरे रब! मुझे अपनी जनाब से पाकीज़ा औलाद अता फ़रमा, बेशक तू दुआ का सुनने वाला है' (सूरह आल इमरान, 3:38)।
फिर अल्लाह (सुब्हानहू व तआला) ने उनकी दुआ क़बूल फ़रमाई और अपने फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि जाएं और उन्हें उनके बेटे हज़रत यह्या (अलैहिस्सलाम) की पैदाइश की खुशखबरी सुनाएं। फ़रिश्ते आए और उन्हें मेहराब में नमाज़ की हालत में पुकारा। लिहाज़ा जो शख्स इस दिन रोज़ा रखे और अल्लाह से अपनी हाजात मांगे, उसकी दुआ क़बूल होगी जैसे ज़करिया की दुआ क़बूल हुई थी।"
[हवाला जात: नफसुल महमूम, बाब 3, सेक्शन 2, रिवायत 1]
सैय्यद इब्न ताऊस ने पूरे मुहर्रम के दौरान रोज़े रखने के फज़ाइल ज़िक्र किए हैं और कहा है कि इस अमल से गुनाहों से बचाव होता है।

ग़ुस्ल करें,
नीयत (रिजा) के साथ कि बीमारी से शिफ़ा/तहफ़्फुज़ के लिए है। पानी पर दरज ज़ैल दुआ पढ़ें जो इस्तेमाल किया जाए:-
सुब्हान अल्लाह माल अल-मिज़ान, सुब्हान अल्लाह मुनतहा अल-हिल्म
अल्लाह की तस्बीह जो अज़ीम तवाज़ुन है, अल्लाह की तस्बीह जो हतमी नरमी है,
सुब्हान अल्लाह मबलग अल-रिज़ा, सुब्हान अल्लाह ज़ीनत अल-अर्श
अल्लाह की तस्बीह जो फ़रेफ्तगी का मकसद है, अल्लाह की तस्बीह जो अर्श की ज़ीनत है

नए महीने की नमाज़
रिवायत है कि, इमाम रज़ा (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमाया कि नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम) मुहर्रम के पहले दिन दो रकअत नमाज़ अदा किया करते थे। जब वह ख़त्म करते, तो अपने हाथ आसमान की तरफ़ उठा कर दरज ज़ैल दुआ तीन बार दोहराते थे:

اَللَّهُمَّ أَنْتَ ٱلإِلٰهُ ٱلْقَدِيمُ
अल्लाहुम्मा अन्ता अल-इलाहुल कदीम
ए अल्लाह, तू अजली ख़ुदा है

وَهٰذِهِ سَنَةٌ جَدِيدَةٌ
व हाज़िहि सनातुन जदीदह
और यह नया साल है;

فَأَسْأَلُكَ فِيهَا ٱلْعِصْمَةَ مِنَ ٱلشَّيْطَانِ
फ-अस-अलुका फीहा अल-इस्मता मिन अश-शैतान
मैं इस लिए तुझ से शैतान से हिफ़ाज़त,

وَٱلْقُوَّةَ عَلَىٰ هٰذِهِ ٱلنَّفْسِ ٱلأَمَّارَةِ بِٱلسُّوءِ
वल-कुव्वात अला हाज़िहि अन-नफ्स अल-अम्मारत बिस्सु
अपने नफ्स पर काबू, जो गुनाह करने की तरफ़ मायिल है, का तलबगार हूँ,

وَٱلاِﹾشْتِغَالَ بِمَا يُقَرِّبُنِي إِلَيْكَ يَا كَرِيمُ
वल-इश्तिगाल बिमा युक़र्रिबुनी इलाईक या करीम
और उन तमाम कामों में मशग़ूल रहना चाहता हूँ जो मुझे तेरे क़रीब कर दें, ए करीम!

يَا ذَا ٱلْجَلاَلِ وَٱلإِكْرَامِ
या ज़ूअल-जलाल वल-इकराम
ए जलाल और इज़्ज़त वाले रब!

يَا عِمَادَ مَنْ لاَ عِمَادَ لَهُ
या इमादा मन ला इमादा लहू
ए उस का सहारा जो बे सहारा है!

يَا ذَخِيرَةَ مَنْ لا ذَخِيرَةَ لَهُ
या ज़खीरता मन ला ज़ख़ीरता लहू
ए उस का रिज़्क देने वाले जो बे रिज़्क है!

يَا حِرْزَ مَنْ لاَ حِرْزَ لَهُ
या हिरज़ा मन ला हिरज़ा लहू
ए उस का पनाह देने वाले जो बेपनाह है!

يَا غِيَاثَ مَنْ لاَ غِيَاثَ لَهُ
या ग़ियासा मन ला ग़ियासा लहू
ए उस की मदद को पहुँचने वाले जिसे मदद की उम्मीद नहीं!

يَا سَنَدَ مَنْ لاَ سَنَدَ لَهُ
या सनदा मन ला सनदा लहू
ए उस का सहारा जो बे सहारा है!

يَا كَنْزَ مَنْ لاَ كَنْزَ لَهُ
या कनज़ा मन ला कनज़ा लहू
ए उस का ख़ज़ाना जो बे ख़ज़ाना है!

يَا حَسَنَ ٱلْبَلاَءِ
या हसन अल-बलाअ
ए वह जो आज़माइश और इम्तिहान का ख़ूब इल्म रखता है!

يَا عَظِيمَ ٱلرَّجَاءِ
या अज़ीम अर-रजा
ए आख़री उम्मीद!

يَا عِزَّ ٱلضُّعَفَاءِ
या इज़ अज़-ज़ुआफ़ा
ए कमज़ोरों की ताक़त!

يَا مُنْقِذَ ٱلْغَرْقَىٰ
yया मुनक़िज़ा अल-ग़रका
ए ग़रक होने वालों के नजात देने वाले!

يَا مُنْجِيَ ٱلْهَلْكَىٰ
या मुनजी अल-हलक़ा
ए तबाही से बचाने वाले!

يَا مُنْعِمُ يَا مُجْمِلُ
या मुनअम, या मुजमिल
ए सब से बड़ा अहसान करने वाले! ए सब से ज़्यादा बख़्शने वाले!

يَا مُفْضِلُ يَا مُحْسِنُ
या मुफ़ज़िलो, या मुहसिनो
ए सब से ज़्यादा नवाज़ने वाले! ए सब से ज़्यादा मेहरबान!

أَنْتَ ٱلَّذِي سَجَدَ لَكَ سَوَادُ ٱللَّيْلِ وَنُورُ ٱلنَّهَارِ
अन्त अल्लज़ी सजदा लका सवादो अल-लैल व नूर अन-नहार
तू वह है जिस के सामने रात की सियाही और दिन की रोशनी सज्दा करते हैं।

وَضَوْءُ ٱلْقَمَرِ وَشُعَاعُ ٱلشَّمْسِ
तू वह है जिस के सामने रात की सियाही और दिन की रोशनी,
चांद की रोशनी, सूरज की रोशनी,

وَدَوِيُّ ٱلْمَاءِ وَحَفِيفُ ٱلشَّجَرِ
व दवी अल-माअ व हफीफ़ अश-शजर
पानी की रवानी, और दरख़्तों की सरसराहट सज्दा करती हैं!

يَا اللَّهُ لاَ شَرِيكَ لَكَ
या अल्लाह ला शरीक लका
ए अल्लाह! तेरा कोई शरीक नहीं!

اَللَّهُمَّ ٱجْعَلْنَا خَيْراً مِمَّا يَظُنُّونَ
अल्लाहुम्मा अजअलना ख़ैरा मिम्मा यज़ुन्नून
ए अल्लाह! हमें उन की सोच से बेहतर बना!

وَٱغْفِرْ لَنَا مَا لاَ يَعْلَمُونَ
वग़फिर लना मा ला यअलमून
हमें माफ़ फ़रमा दे जो वह नहीं जानते!

وَلاَ تُؤَاخِذْنَا بِمَا يَقُولُونَ
wव ला तुआख़िज़ना बिमा यक़ूलून
हमें इस पर मलामत न करना जो वह कहते हैं!

حَسْبِيَ ٱللَّهُ لاَ إِلٰهَ إِلاَّ هُوَ
हस्बिया अल्लाह ला इलाह इल्ला हूवा
अल्लाह काफ़ी है (मेरे लिए), उस के सिवा कोई माबूद नहीं,

عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ ٱلْعَرْشِ ٱلْعَظِيمِ
अलैहि तवक्कल्त व हू रब्ब अल-अर्श अल-अज़ीम
मैं उस पर भरोसा करता हूँ, और वह अज़ीम अर्श का मालिक है।

آمَنَّا بِهِ كُلٌّ مِنْ عِنْدِ رَبِّنَا
आमनना बिहि कुल्लुन मिन इन्दा रब्बिना
हम उस पर ईमान लाए! यह सब हमारे रब की तरफ़ से है!

وَمَا يَذَّكَّرُ إِلاَّ أُوْلُوٱ ٱلأَلْبَابِ
व मा यज़-ज़क्कर इल्ला उलू अल-अलबाब
सिवाए अक़्ल वालों के कोई ग़ौर नहीं करता।

رَبَّنَا لاَ تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا
रब्बना ला तुज़िग़ कुलूबना बअद इज़ हादैतना
ए हमारे रब, हमारे दिलों को हिदायत देने के बाद टेढ़ा न कर दे,

وَهَبْ لَنَا مِنْ لَدُنْكَ رَحْمَةً إِنَّكَ أَنْتَ ٱلْوَهَّابُ
व हब लना मिन लदुंका रहमतन, इन्नका अन्त-अल वह्हाब
और हमें अपनी तरफ़ से रहमत अता फ़रमा; बेशक, तू सब से बड़ा अता करने वाला है।


तीसरी मुहर्रम: इस दिन हज़रत यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) को उनकी क़ैद से रिहा किया गया था। लिहाज़ा, अगर कोई इस दिन रोज़ा रखे तो अल्लाह तआला उसके किसी भी मुश्किल को आसान कर देगा और किसी भी मुसीबत से निजात देगा जो उसे दरपेश हो सकती है। एक हदीस के मुताबिक़ जो नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से मर्वी है, अल्लाह तआला उस शख्स की दुआ क़बूल फ़रमाएगा जो इस दिन रोज़ा रखेगा।

मुहर्रम के आगाज़ पर, हम इमाम महदी (अजल अल्लाह तआला फरजाहुश शरीफ) से दुआ करते हैं कि हमारे दिल के ज़र्फ़ को वसीअ करें और हमें अहल-ए-बैत (अलैहिमुस्सलाम) के लिए ग़मगीन होने और ताज़ियत पेश करने की ज़्यादा क़ुव्वत अता करें, जैसा कि क़ुरआन में सूरह शूरा आयत 42:23 में हुक्म दिया गया है।

"मुहर्रम के दस दिन वह वक़्त हैं जब ख़ास रिज़्क तैयार किया जाता है और तक़सीम किया जाता है। हमें इसका कोई हिस्सा मिलेगा या नहीं (या कितना मिलेगा) इसका इन्हिसार इस बात पर है कि हम इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) के क़रीब कितने हैं। आईए इनसे दुआ करें कि वह हमें अपनी खिदमत के लिए मुन्तख़ब करें।" - सय्यद महदी मदर्रिसी:


"मुहर्रम का इंतिज़ार कर रहा हूँ क्योंकि इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) की शहादत पर ग़म के आंसू बहाने से दिल में ऐसा असर होता है जो अल्फ़ाज़ में बयान नहीं किया जा सकता। यह वह चीज़ है जिसे समझने के लिए आपको खुद तजर्बा करना पड़ेगा।" "- शेख़ अज़हर नासिर

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