पहली रात को दो रकअत नमाज़ पढ़ें जिसमें सूरह फ़ातिहा और सूरह अल-अनआम (नंबर 6) शामिल हो। फिर अल्लाह (सुब्हानहु व तआला) से दुआ करें कि वह उसे किसी भी दहशत या दर्द से महफूज़ रखे और इस महीने को पुरसुकून और महफूज़ तौर पर गुज़ारने की तौफ़ीक़ दे।
नमाज़ रू'यत अल-हिलाल - नए चाँद की ज़ियारत के वक़्त की नमाज़
हर महीने की पहली रात चाँद देखने के बाद दो रकअत नमाज़ पढ़ें (नमाज़ रू'यत अल-हिलाल) (या तीन दिन के अंदर और जितना जल्दी हो सके बेहतर है)।
पहली रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह इख्लास 30 मर्तबा पढ़ें।
दूसरी रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह क़द्र 30 मर्तबा पढ़ें।
नमाज़ के बाद सदक़ा दिया जाए। जो भी यह नमाज़ हर महीने पढ़ेगा, वह महीने भर महफूज़ रहेगा। दीगर रिवायात के मुताबिक़, नमाज़ की तकमील के बाद, जो कुछ क़ुरआनी आयात हैं, दरज-ए-ज़ैल दुआ भी कही जा सकती है:"
بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمٰنِ ٱلرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह हीर रहमानिर रहीम
अल्लाह के नाम से, जो निहायत मेहरबान, रहम करने वाला है।
وَمَا مِنْ دَابَّةٍ فِي ٱلارْضِ
वमा मिन दाब्बतिन फ़िल अर्ज़
ज़मीन में कोई भी जानवर नहीं है
إِلاَّ عَلَىٰ ٱللَّهِ رِزْقُهَا
इल्ला अला'अल्लाहे रीज़कोहा
मगर अल्लाह के ज़िम्मे उसका रिज़्क है,
وَيَعْلَمُ مُسْتَقَرَّهَا وَمُسْتَوْدَعَهَا
व यालमु मुस्तक़र्रहा व मुस्तौदअहा
और वह उसके ठिकाने और उसकी अमानत को जानता है।
كُلٌّ فِي كِتَابٍ مُبِينٍ
कुल्लुन फी किताबिन मुबीन
सब (चीज़ें) एक वाज़ेह किताब में हैं।
بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمٰنِ ٱلرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह हिर् रहमानिर रहीम
अल्लाह के नाम से, जो निहायत मेहरबान, रहम करने वाला है;