नए इस्लामी महीने के मनासिक (रस्में)
इस्लामी महीने का आग़ाज़/पहले दिन के मनासिक



महीने के आम अमाल
पहली रात को दो रकअत नमाज़ पढ़ें जिसमें सूरह फ़ातिहा और सूरह अल-अनआम (नंबर 6) शामिल हो। फिर अल्लाह (सुब्हानहु व तआला) से दुआ करें कि वह उसे किसी भी दहशत या दर्द से महफूज़ रखे और इस महीने को पुरसुकून और महफूज़ तौर पर गुज़ारने की तौफ़ीक़ दे।
महीने के आगाज़ में कुछ पनीर खाना मुस्तहब है।

महीने भर की सलामती के लिए सदक़ा दें। नए चाँद की ज़ियारत के वक़्त इमाम सज्जाद (अलैहिस्सलाम) की दुआ पढ़ें (सहीफा सज्जादिया 43)।
महीने के पहले दिन के लिए इमाम अली (अलैहिस्सलाम) की दुआ पढ़ें (सहीफा अलवीया 124)।

नमाज़ रू'यत अल-हिलाल - नए चाँद की ज़ियारत के वक़्त की नमाज़
हर महीने की पहली रात चाँद देखने के बाद दो रकअत नमाज़ पढ़ें (नमाज़ रू'यत अल-हिलाल) (या तीन दिन के अंदर और जितना जल्दी हो सके बेहतर है)।
पहली रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह इख्लास 30 मर्तबा पढ़ें।
दूसरी रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह क़द्र 30 मर्तबा पढ़ें।
नमाज़ के बाद सदक़ा दिया जाए। जो भी यह नमाज़ हर महीने पढ़ेगा, वह महीने भर महफूज़ रहेगा। दीगर रिवायात के मुताबिक़, नमाज़ की तकमील के बाद, जो कुछ क़ुरआनी आयात हैं, दरज-ए-ज़ैल दुआ भी कही जा सकती है:"
بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمٰنِ ٱلرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह हीर रहमानिर रहीम
अल्लाह के नाम से, जो निहायत मेहरबान, रहम करने वाला है।

وَمَا مِنْ دَابَّةٍ فِي ٱلارْضِ
वमा मिन दाब्बतिन फ़िल अर्ज़
ज़मीन में कोई भी जानवर नहीं है

إِلاَّ عَلَىٰ ٱللَّهِ رِزْقُهَا
इल्ला अला'अल्लाहे रीज़कोहा
मगर अल्लाह के ज़िम्मे उसका रिज़्क है,

وَيَعْلَمُ مُسْتَقَرَّهَا وَمُسْتَوْدَعَهَا
व यालमु मुस्तक़र्रहा व मुस्तौदअहा
और वह उसके ठिकाने और उसकी अमानत को जानता है।

كُلٌّ فِي كِتَابٍ مُبِينٍ
कुल्लुन फी किताबिन मुबीन
सब (चीज़ें) एक वाज़ेह किताब में हैं।


بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمٰنِ ٱلرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह हिर् रहमानिर रहीम
अल्लाह के नाम से, जो निहायत मेहरबान, रहम करने वाला है;

وَإِنْ يَمْسَسْكَ ٱللَّهُ بِضُرٍّ فَلاَ كَاشِفَ لَهُ إِلاَّ هُوَ
व इन् यम-सस्का' अल्लाहो बिज़ुर्रिन फला काशिफा लहू इल्ला हू
और अगर अल्लाह तुम्हें कोई नुकसान पहुंचाए तो उसके सिवा कोई उसे दूर करने वाला नहीं,

وَإِنْ يُرِدْكَ بِخَيْرٍ فَلاَ رَادَّ لِفَضْلِهِ
व इन् युरिदका बिखैरिन फला रद्दा लि फ़ज़्लिहि
और अगर वह तुम्हारे लिये भलाई का इरादा करे तो उसके फज़ल को कोई रद्द करने वाला नहीं;

يُصِيبُ بِهِ مَنْ يَشَاءُ مِنْ عِبَادِهِ
युसीबु बिही मन यशाउ मिन इबादिहि
वह उसे अपने बंदों में से जिसे चाहता है पहुंचाता है;

وَهُوَ ٱلْغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ
वहुवल गफूरुर्रहीम
और वह बख्शने वाला, रहम करने वाला है।


بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمٰنِ ٱلرَّحِيمِ
बिस्मिल्लाह हिर रहमानिर रहीम
अल्लाह के नाम से, जो निहायत मेहरबान, रहम करने वाला है;

سَيَجْعَلُ ٱللَّهُ بَعْدَ عُسْرٍ يُسْراً
सयज अलूल'लाहो बा'दा उस्रिन् युस्रा
अल्लाह तंगी के बाद आसानी पैदा करता है।

مَا شَاءَ ٱللَّهُ
मा शा' अल्लाहु
जो कुछ अल्लाह चाहे, वही होता है।

لاَ قُوَّةَ إِلاَّ بِٱللَّهِ
ला कुव्वत इल्ला बिल्लाहि
अल्लाह के सिवा कोई ताकत नहीं।

حَسْبُنَا ٱللَّهُ وَنِعْمَ ٱلْوَكِيلُ
हसबुनल्लाहु व नि'मल वकीलु
अल्लाह हमारे लिये काफ़ी है और बेहतरीन हाफ़िज़ है।

وَافَوِّضُ امْرِي إِلَىٰ ٱللَّهِ
व अफव्विज़ु अम्री इलल्लाहि
और मैं अपना मामला अल्लाह के सुपुर्द करता हूँ।

إِنَّ ٱللَّهَ بَصِيرٌ بِٱلْعِبَادِ
इन्नल्लाहा बसीरुन बिल इबादि
यक़ीनन, अल्लाह बंदों को देखता है।

لاَ إِلٰهَ إِلاَّ انْتَ سُبْحَانَكَ
ला इलाहा इल्ला अन्ता सुभानका
तेरे सिवा कोई माबूद नहीं। तेरी ही पाकी है।

إِنِّي كُنْتُ مِنَ ٱلظَّالِمِينَ
इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन
यक़ीनन, मैं ज़ालिमों (गुनाह करने वालों में से) में से रहा हूँ।

رَبِّ إِنِّي لِمَا انْزَلْتَ إِلَيَّ مِنْ خَيْرٍ فَقِيرٌ
रब्बि इन्नी लिमा अन्जल्ता इलय्या मिन्न खैरिन फ़क़ीरुन
ऐ मेरे रब, यक़ीनन मैं तेरी तरफ से जो भी भलाई मुझ पर नाज़िल हो, उसका मोहताज हूँ।

رَبِّ لاَ تَذَرْنِي فَرْداً وَانْتَ خَيْرُ ٱلْوَارِثِينَ
रब्बि ला तज़रनी फर्दन व अन्ता खैरुल वारिसीन
ऐ मेरे रब, मुझे अकेला न छोड़; और तू सबसे बेहतर वारिस है।