माहे सफर - रोज़ाना की दुआ

माहे सफर में रोज़ाना पढ़ी जाने वाली दुआ | अहमियत

माहे सफर भी अहल-ए-बैत (अलैहिमुस्सलाम) के लिए ग़म का महीना है। पाक घराना-ए-हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आळिहि वसल्लम) को कूफा और शाम/सीरिया में मुख्तलिफ़ क़िस्म के मज़ालिम का सामना करना पड़ा। ज़्यादा जानकारी के लिए
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मजीदअल-मुहद्दिस अल-फैज़ और दीगर उलमा ने ज़िक्र किया है कि अगर आप माहे सफर की बदबख्तियों और बदकिस्मतियों से महफूज़ रहना चाहते हैं तो आप इस दुआ को हर रोज़ दस मर्तबा दोहरा सकते हैं:


يَا شَدِيدَ ٱلْقِوَىٰ
या शदीद अल क़िवा
ऐ ज़बरदस्त ताक़त वाले रब!

وَيَا شَدِيدَ ٱلْمِحَالِ
व या शदीद अल मिहाल
ऐ ज़बरदस्त क़ुव्वत वाले रब!

يَا عَزِيزُ يَا عَزِيزُ يَا عَزِيزُ
या अज़ीज़ु या अज़ीज़ु या अज़ीज़ु
ऐ इज़्ज़त वाले! ऐ इज़्ज़त वाले! ऐ इज़्ज़त वाले!

ذَلَّتْ بِعَظَمَتِكَ جَمِيعُ خَلْقِكَ
ज़ल्लत बि अज़मतिका जमीयु ख़ल्किका
आपकी अज़मत के सामने आपकी तमाम मख़्लूकात आजिज़ हैं;

فَاكْفِنِي شَرَّ خَلْقِكَ
फक्फिनी शर्र ख़ल्किका 
पस, मुझे अपनी मख़्लूकात की बुराई से बचाएं,

يَا مُحْسِنُ يَا مُجْمِلُ
या मुह्सिनु या मुजमिलो
Oऐ सबसे सखी! ऐ सबसे फ़याज़!

يَا مُنْعِمُ يَا مُفْضِلُ
या मुनिएमु या मुफ़्ज़िलु
ऐ तमाम नेमतों के सरचश्मा! ऐ एहसान करने वाले!

يَا لاَ إِلٰهَ إِلاَّ انْتَ سُبْحَانَكَ
या ला इलाहा इल्ला अंतासुब्हानका
आप के सिवा कोई माबूद नहीं! तमाम तारीफ़ें आप ही के लिए हैं!

إِنِّي كُنْتُ مِنَ ٱلظَّالِمِينَ
इन्नी कुन्तु मिनज़ ज़ालिमीन
बेशक, मैं ज़ालिमों में से था,

فَٱسْتَجَبْنَا لَهُ وَنَجّيْنَاهُ مِنَ ٱلْغَمِّ
फ अस्तजबना लहू व नज्जैनाहू मिनल ग़म्मि
पस, हमने उसकी दुआ सुनी और उसे ग़म से निजात दी।

وَكَذلِكَ نُنْجِي ٱلْمُؤْمِنِينَ
व कज़ालिका नुन्जी अल-मुअमिन
और उसी तरह हम ईमान वालों को निजात देते हैं।

وَصَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِهِ ٱلطَّيِّبِينَ ٱلطَّاهِرِينَ
व सलल्लाहु अला मुहम्मद व आलिहीत तय्यिबीनत ताहिरीन
अल्लाह मोहम्मद और उनके पाक व ताहिर ख़ानदान पर रहमतें नाज़िल फ़रमाए।





माहे सफर भी अहल-ए-बैत (अलैहिमुस्सलाम) के लिए ग़म का महीना है। पाक घराना-ए-हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आळिहि वसल्लम) को कूफा और शाम/सीरिया में मुख्तलिफ़ क़िस्म के मज़ालिम का सामना करना पड़ा। ज़्यादा जानकारी के लिए
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नए महीने की रस्में
सफर के महीने के चाँद को देखते वक्त की जाने वाली दुआ, किताब अल-मुंतखब के मुअल्लिफ (लेखक) की तरफ से:
اللَّهُمَّ أَنْتَ اللَّهُ الْعَلِيمُ الْخَالِقُ الرَّازِقُ وَ أَنْتَ اللَّهُ الْقَدِيرُ الْمُقْتَدِرُ الْقَادِرُ
أَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा अन्तल्लाहुल अलीमुल खालिकुर राज़िकु व अन्तल्लाहुल क़दीरुल मुक़तदिरुल क़ादिरु
असअलुका अन तुसल्लिया अला मुहम्मदिन व आला आले मुहम्मद
“ऐ खुदा! आप सब जानने वाले, ख़ालिक़, राज़िक हैं! और आप ही वह खुदा हैं जो तक़दीर बनाते हैं, मालदार हैं! ताक़तवर हैं! इस लिए मैं आप से दुआ करता हूँ कि मोहम्मद और उनकी औलाद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर बरकतें नाज़िल फरमाएं ।

وَ أَنْ تُعَرِّفَنَا بَرَكَةَ هَذَا الشَّهْرِ وَ يُمْنَهُ وَ تَرْزُقَنَا خَيْرَهُ وَ تَصْرِفَ عَنَّا شَرَّهُ وَ تَجْعَلَنَا فِيهِ مِنَ الْفَائِزِينَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
व अन तुअर्रिफना बरकत हाजा शहरे व युम-नाहू व तर्ज़ुकना खैरहु व तस्रिफ अन्ना शर्रहु व तजअलना फ़ीहि मिनल फ़ाइजीन या अरहमर राहेमीन
हमें इस माह की बरकत और इसकी नेक शगुनियत से आगाह करें।
ऐ खुदा! हमें इसकी कसरत से नेकीयों से नवाज़ें, और हमें हर बुराई से बचाएं।
बराहे करम, हमें इसमें नजात पाने वालों में शामिल करें।
ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे ज़्यादा मेहरबान!"

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ وَ اجْعَلْنِي أَكْثَرَ الْعَالَمِينَ قَدْراً وَ أَبْسَطَهُمْ عِلْماً وَ أَعَزَّهُمْ عِنْدَكَ مَقَاماً وَ أَكْرَمَهُمْ لَدَيْكَ جَاهاً كَمَا خَلَقْتَ آدَمَ ع مِنْ تُرَابٍ وَ نَفَخْتَ فِيهِ مِنْ رُوحِكَ وَ أَسْجَدْتَ لَهُ مَلَائِكَتَكَ وَ عَلَّمْتَهُ الْأَسْمَاءَ كُلَّهَا وَ جَعَلْتَهُ خَلِيفَةً فِي أَرْضِكَ وَ سَخَّرْتَ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَ مَا فِي الْأَرْضِ جَمِيعاً مِنْكَ وَ كَرَّمْتَ ذُرِّيَّتَهُ وَ فَضَّلْتَهُمْ عَلَى الْعَالَمِينَ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व आला आले मुहम्मद व अजअलनी अक्सराल आलमीन क़दरन व अब्सतहुम इल्मन व अअज़्ज़हुम इन्दका मकामन व अकर्महुम लदैक जा हान कमाखलकता आदमन अलैहिस्सलाम मिन तुराबिन व नफखता फ़ीहि मिन रूहिका व असजदता लहु मलाइकतिका व अल्लमतहु अल-असमा कुल्लहा व जअल्तहू ख़लीफ़तन फ़ी अर्ज़िक व सख्खर्त लहु मा फ़ी अस्समावाति व मा फ़िल अर्ज़ि जमीअन मिंका व कर्रम्ता ज़ुर्रियतहु व फज़्ज़ल्तहुम अलल आलमीन
ऐ मेरे खुदा!बराहे करम मोहम्मद और उनकी औलाद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर अपनी बरकतें नाज़िल करें और मुझे दुनिया के लोगों में सबसे बुलंद मर्तबा, सबसे ज़्यादा जानने वाला, और आपके करीब सबसे ज़्यादा मोअज्ज़िज बनाएं जैसे आपने आदम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को मिट्टी से पैदा किया, उनमें अपनी रूह फूंकी, अपने फ़रिश्तों को उनके सामने सजदा करने का हुक्म दिया, और उन्हें सब नाम सिखाए।
आपने उन्हें ज़मीन पर अपना खलीफा मुक़र्रर किया।
आपने उनके मातहत आसमानों और ज़मीन की तमाम चीज़ों को लाया।
आपने उनकी औलाद को इज़्ज़त बख्शी और उन्हें दुनिया के तमाम लोगों से बर्तर बनाया।

اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ وَ مِنْكَ النَّعْمَاءُ وَ لَكَ الشُّكْرُ دَائِماً يَا لَطِيفاً بِعِبَادِهِ الْمُؤْمِنِينَ يَا سَمِيعَ الدُّعَاءِ ارْحَمْ وَ اسْتَجِبْ
अल्लाहुम्मा लक्ल्हम्दु व मिन्का नेमाओ व लक्श्शुकर दाइमन या लतीफन बिबादिहिल मोमिनीन या समीअद दूआइ रहम व अस्तजिब
ऐ मेरे खुदा! तारीफ आप ही की है और तमाम बरकतें आप ही से हैं! अबदी शुक्रगुज़ारी आपके लिए है! ऐ मोमिनों की इबादत के बारीकियों के जानने वाले! ऐ दुआओं के सुनने वाले! रहम फरमा और पूरी कर!

فَإِنَّكَ تَعْلَمُ وَ لَا أَعْلَمُ وَ تَقْدِرُ وَ لَا أَقْدِرُ وَ أَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ فَاجْعَلْ قَلْبِي وَ عَزْمِي وَ هِمَّتِي [وَ نِيَّتِي‌] وَفْقَ [وقف‌] مَشِيَّتِكَ وَ أَسِيرَ أَمْرِكَ
फा इन्नका तअलमु व ला अअलमु व तकदिरु व ला अक्दिरु व अन्त अल्लामुल ग़ुयूब फाजअल् कल्बी व अजमी व हिम्मती (व नीयती) वफ़्क़ मशीअतिका व असीरा अम्रिक
आप सब कुछ जानते हैं और मैं कुछ नहीं जानता।
आप तक़दीर कर सकते हैं लेकिन मैं नहीं कर सकता।
और आप सब छुपी हुई चीज़ों के जानने वाले हैं।
बराहे करम, मेरा दिल, मेरी ख़्वाहिश और कोशिशें आपकी मर्ज़ी के मुताबिक़ और आपके हुक्मात पर अमल पैरा होने दें।

اللَّهُمَّ إِنِّي لَا أَقْدِرُ أَنْ أَسْأَلَكَ إِلَّا بِإِذْنِكَ وَ لَا أَقْدِرُ إِلَّا أَسْأَلُكَ بَعْدَ إِذْنِكَ خَوْفاً مِنْ إِعْرَاضِكَ وَ غَضَبِكَ فَكُنْ حَسْبِي يَا مَنْ هُوَ الْحَسْبُ وَ الْوَكِيلُ وَ النَّصِيرُ
अल्लाहुम्म इन्नी ला अक्दिरु अन असअलक इल्ला बइज़्निका व ला अक्दिरु इल्ला असअलक बअद इज़्निका ख़ौफ़न मिन इअराज़िका व गज़बिका फकुन्न हिसबी या मन हु अल हिसब वल वकील व नसीर
ऐ मेरे खुदा! मुझे आपसे कुछ मांगने की ताक़त नहीं है जब तक आप इजाज़त न दें, और मुझे आपसे पूछने की ताक़त नहीं है जब आप इजाज़त देते हैं।
मुझे आपके मुंह मोड़ने और आपके ग़ज़ब से डर लगता है।
बराहे करम मेरी देखभाल करें।
ऐ वह जो मेरा देखभाल करने वाला और मददगार है।

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ وَ عَلَى جَمِيعِ مَلَائِكَتِكَ الْمُقَرَّبِينَ وَ أَنْبِيَائِكَ [وَ] الْمُرْسَلِينَ وَ عِبَادِكَ الصَّالِحِينَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
अल्लाहुम्म सल्ले अला मुहम्मदिंन व अला आले मुहम्मद व अला जमीयि मलाइकतिकल मुक़र्रबीन व अंबियाइक (व) मुरसलिन व इबादिकस्सालिहीन या अरहमर्राहिमीन
ऐ मेरे खुदा!बराहे करम मोहम्मद और उनकी औलाद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर बरकतें नाज़िल करें! और आपके तमाम करीब के फ़रिश्तों, आपके भेजे गए नबियों (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम), और नेक लोगों के मर्तबे में आपके तमाम ख़ादिमों पर।
ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले, सबसे ज़्यादा मेहरबान।

يَا جَالِيَ الْأَحْزَانِ يَا مُوَسِّعَ الضِّيقِ يَا مَنْ هُوَ أَوْلَى بِخَلْقِهِ مِنْ أَنْفُسِهِمْ وَ يَا فَاطِرَ تِلْكَ الْأَنْفُسِ أَنْفُساً وَ مُلْهِمَهَا فُجُورَهَا وَ التَّقْوَى نَزَلَ بِي يَا فَارِجَ الْهَمِّ هَمٌّ ضِقْتُ بِهِ ذَرْعاً وَ صَدْراً حَتَّى خَشِيتُ أَنْ يَكُونَ عَرَضَتْ فِتْنَةٌ
या जालिय लअह्ज़ान या मुवसिअद् ज़ीक़ या मन हु अवला बिखल्किहि मिन अनफुसिहिम् व या फातिरा तिल्कल अनफुस अनफुसा व मुल्हिमा फ़ुजूरहा व तक़वा नज़ल बी या फारिजल हम्मि हम्मुन ज़िक्तु बिही ज़रअन व सद्रन हत्ता खशीतु अन यकून अरज़त फ़ित्नतुन
ऐ वह जो ग़म दूर करता है! ऐ वह जो पाबंदियाँ दूर करता है! ऐ वह जो मखलूक के अपने आप से ज़्यादा करीब है! ऐ रूहों के ख़ालिक़ और जो उन्हें बुराई और भलाई के बारे में नसीहत करता है! ऐ वह जो ग़म को दूर करता है! मुझे ऐसा ग़म है जो मेरे दिल को जकड़ता है और मुझे डर है कि मुझ पर कुछ हो गया है।

يَا اللَّهُ فَبِذِكْرِكَ‌ تَطْمَئِنُّ الْقُلُوبُ‌ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ وَ قَلِّبْ قَلْبِي مِنَ الْهُمُومِ إِلَى الرَّوْحِ وَ الدَّعَةِ وَ لَا تَشْغَلْنِي عَنْ ذِكْرِكَ بِتَرْكِكَ مَا بِي مِنَ الْهُمُومِ إِنِّي إِلَيْكَ مُتَضَرِّعٌ
या अल्लाहु फ़बिजिकरिक तात्मइन नुल कुलूबु सल्ले मुहम्मदिन व आला आले मुहम्मद व क़ल्लिब् क़ल्बी मिनल हुमूम इल्ला र्रौहि व दअतिहि व ला तश्ग़लनी अन जिकरिक बितर्किका मा बी मिनल हुमूम इन्नी इलैक मुतज़र्रिअ
ऐ मेरे खुदा! दिल सिर्फ आपके ज़िक्र से मुतमइन होते हैं!बराहे करम मोहम्मद और उनकी औलाद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर अपनी बरकतें नाज़िल करें।
बराहे करम मेरे दिल की हालत को परेशानी से सुकून और नरमी में बदल दें।
बराहे करम मुझे परेशानियों के साथ तन्हा न छोड़ें ताकि मैं आपके ज़िक्र को भूल जाऊं।
मैं आपको गिड़गिड़ाते हुए पुकार रहा हूँ।

أَسْأَلُكَ بِاسْمِكَ الَّذِي لَا يُوصَفُ إِلَّا بِالْمَعْنَى بِكِتْمَانِكَ عن [فِي‌] غُيُوبِكَ ذِي النُّورِ وَ أَنْ تُجْلِيَ بِحَقِّهِ أَحْزَانِي وَ تَشْرَحَ بِهِ صَدْرِي بِكُشُوطِ الْهَمِّ يَا كَرِيمُ.
असअलुका बिस्मिका अल्लज़ी ला युस्फ़ु इल्ला बिल्मअना बिकित्मानिक अन (फ़ी) ग़ुयूबिका ज़ीन् नूरी व अन तुज्लिया बिहक़्किहि अह्ज़ानी व तश्रह बिहि सद्री बिकुशूतिल हम्मि या करीमु
इस लिए, मैं आपसे आपके इस नाम के ज़रिये दुआ करता हूँ जिसे सिर्फ मानी के ज़रिये बयान किया जा सकता है, जो आपके ज़रिये छुपाया गया है, और जिसमें नूर है।
मैं आपसे इसके सबब मेरा ग़म दूर करने और ग़म को दूर करके मेरे सीने को कुशादा करने की दरख्वास्त करता हूँ।
ऐ सबसे सखी!!"