माहे रमज़ान उल मुबारक - इंडेक्स
पहली रात और दिन

माहे रमज़ान के शुरू में अमाल और दुआ - महीने की पहली रात और दिन


पहली रात के मख़सूस दुआ और अमाल का तफ़्सीली ज़िक्र "

शाबान की आखरी रात और रमज़ान के पहली रात की दुआ
दुआचाँद देखने की रमज़ान की पहली रात में
पढ़ें 44वीं दुआ - सहीफ़ए सज्जादिया बराये खुशामदीद ए माहे रमज़ान
इसकी इन्तेहाई सिफारिश की जाती है की ईमाम हुसैन (अ:स) के रौज़े की ज़्यारत करें
आप ग़ुस्ल करें माहे रमज़ान उल मुबारक की पहली रात में
यह इन्तेहाई मशविरा दिया जाता है की क़ुरआन मजीद की हमेशा तिलावत करें very frequently रमज़ान के शुरूआती दौर में!.ईमाम जाफ़र सादिक़ (अ:स) हमेशा तिलावत का पहले और बाद में इस दुआ को पढ़ते थे
और पढ़ें 4 रकअत नमाज़ जिसकी हर रकअत में सूरह अल्हम्द के बाद सूरह तौहीद 15 मर्तबा पढ़े
पढ़े 2 रकअत नमाज़ जिसकी हर रकअत में सूरह अल-हम्द के बाद सूरह अल-अनाम (सूरह न० 6) पढ़ें और अल्लाह सुब्हान व तआला से सभी बीमारियों से हिफ़ाज़त की दुआ करें
पढ़े 'माहे रमज़ान की सभी रातों में पढ़ी जाने वाली दुआ और पढ़ें 2 रकअत नमाज़ सभी रातों में
पढ़े जौशन कबीर क्योंकि आज की रात पढ़ने का अज़ीम सवाब है.


यह 10 दुआ टैब में पढ़ें
तस्वीरें




पहले दिन के लिए दुआ और अमाल का एक अलग पेज

गुस्ल करें बहते हुए पानी में और और 30 मर्तबा चुल्लू से पानी अपने सर पर छिड़के. यह अमल अगले साल तक सभी बीमारियों और दर्दों से हिफाज़त करता है.

इसकी भी सिफ़ारिश की जाती है की अपना चेहरा गुलाब के पानी से धोयें ताकि ज़िल्लत और ग़ुरबत से निजात हासिल की जाए और इसमें कुछ सर पर उंडेल दिया जाए ताकि प्लोरेसी (बलग़म) की बीमारी से निजात हासिल हो.

पढ़े 2 रकअत नमाज़ , जिसकी पहली रकअत में सूरह हम्द के बाद सूरह फ़तह (सूरह न० 48), पढ़ें फिर दूसरी रकअत में सूरह हम्द के बाद कोई भी दूसरी सूरह पढ़ें. अगर कोई यह नमाज़ पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे तमाम बुराईओं से बचा लेगा और अगले साल तक इसे अपने हिफ़्ज़ ओ अमान में रखेगा

पढ़े 2 रकअत नमाज़ जिसकी पहली रकअत में सूरह हम्द के बाद 30 मर्तबा सूरह इख़्लास, पढ़ें, फिर दूसरी रकअत में सूरह हम्द के बाद 30 मर्तबा सूरह क़द्र पढ़ें, फिर नमाज़ के बाद सदक़ा निकालें . जिस ने भी ऐसा किया उस ने अल्लाह सुब्हान व तआला से अपनी गोया महीने भर के लिए अपनी हिफाज़त ख़रीद ली



फ़जर के बाद पहले दिन की छोटी दुआ


اللَّهُمَّ قَدْ حَضَرَ شَهْرُ رَمَضَانَ
अल्लाहुम्मा क़द हा ज़ारा शहरो रमज़ाना
या अल्लाह रमज़ान का महीना शुरू हो गया है

وَقَدِ ٱفْتَرضْتَ عَلَيْنَا صِيَامَهُ
व क़दी अफ़ता रज़ता अलैना सियामोहु
आप ने इस दौरान हम पर रोज़ा रखना फ़र्ज़ किया है

وَأَنْزَلْتَ فِيهِ ٱلْقُرْآنَ
व अनज़लता फ़ीहिल कुरआन
आप ने इसमें क़ुरआन नाज़िल फ़रमाया

هُدَىً لِلنَّاسِ وَبَيِّنَاتٍ مِنَ ٱلْهُدَىٰ وَٱلْفُرْقَانِ
हुदन लील-नासे व बैय्ये-नातिन मीनल हुदा वाल फ़ुर्क़ान
जो लोगों के लिए हिदायत और सच्ची रहनुमाई और (सही और ग़लत के दरम्यान) फ़र्क़ के पुख़्ता के तौर पर

اللَّهُمَّ أَعِنَّا عَلَىٰ صِيَامِهِ
अल्लाहुम्मा अ-इन्ना अला सियामेही
ऐ अल्लाह, इसमें हमें रोज़ा रखने की तौफ़ीक़ आता फ़रमा

وَتَقَبَّلْهُ مِنَّا
व तक़ब्बल हो मिन्ना
हम से क़ुबूल कर

وَتَسَلَّمْهُ مِنا
व तसल-लम्हो मिन्ना
और हमारी तरफ़ से (क़ुबूलियत के साथ) इसे हासिल कर

وَسَلِّمْهُ لَنَا فِي يُسْرٍ مِنْكَ وَعَافِيَةٍ
व सल्ले-मोहु लना फ़ी युसरीन मिनका व आफ़ियतिन
और इसे अपनी तरफ से आसानी और अच्छी सेहत के साथ हमारे लिए दुरुस्त रख

إِنَّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
इन्नका अला कुल्ले शैईन क़दीर
बेशक तू हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है


ईमाम मूसा काज़िम (अ:स) की पहले दिन की दुआ
अल्लामा मजलिसी ने अपनी किताब "ज़ाद अल-मेआद" में ज़िक्र किया है की कुल्लिनी, अल'तूसी और दुसरे रावियों ने ने एक पुख़्ता और मुस्तनद सिलसिले के ज़रिये ईमाम मूसा अल-काज़िम (अ:स) को रिवायत किया है, आप (अ:स ने फ़रमाया "माहे रमज़ान की पहली तारिख को यह दुआ पढ़ें, क्योंकि अगर कोई शख़्स इस दुआ के साथ अल्लाह तआला से ख़ालिस तौर पर बग़ैर किसी झूठे मक़सद या दिखावे के बग़ैर दुआ करता है तो वो साल भर में इस से निजात पायेगा उन तमाम फ़ितनो और गुमराही वाले मामले के साथ साथ वो तमाम परेशानियां से जो इसके मज़हब या इसके जिस्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं! और अल्लाह तआला इस पर इस साल होने वाली तमाम मुसीबतों के शर से बचा लेगा! ”


اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِٱسْمِكَ ٱلَّذِي دَانَ لَهُ كُلُّ شَيْءٍ
अल्लाहुम्मा इन्नी अस'अलोका बिस्मीकल लज़ी दाना लहू कुल्लो शैइन
ऐ अल्लाह मैं तुझ से तेरे इस नाम की इल्तेजा करता हूँ जिसके आगे हर चीज़ झुक जाती है

وَبِرَحْمَتِكَ ٱلَّتِي وَسِعَتْ كُلَّ شَيْءٍ
व बी रहमतेका अल्लती वसेअत कुल्लो शैईन
तेरी रहमत के नाम पर जो हर चीज़ पर मुतलक़ है ,

وَبِعَظَمَتِكَ ٱلَّتِي تَوَاضَعَ لَهَا كُلُّ شَيْءٍ
व बे अज़मतेका अल्लती तवा-ज़ा आ लहा कुल्लू शैईन
तेरी अज़मत के नाम पर जो हर चीज़ को तेरे आगे छोटा कर देती है ,

وَبِعِزَّتِكَ ٱلَّتِي قَهَرَتْ كُلَّ شَيْءٍ
व बे इज़-ज़तेका अल्लती क़हारत कुल्लो शैईन
तेरी क़ुदरत के नाम पर जो हर चीज़ को मुसाखार (दबा) कर देती है ,

وَبِقُوَّتِكَ ٱلَّتِي خَضَعَ لَهَا كُلُّ شَيْءٍ
व बे क़ुव्वतेका अल्लती ख़ा-ज़ा-आ लहा कुल्लो शैईन
आपके क़ुदरत के नाम पर जो हर चीज़ पर ग़ालिब है ,

وَبِجَبَرُوتِكَ ٱلَّتِي غَلَبَتْ كُلَّ شَيْءٍ
व बे जबरूतेका अल्लती ग़-ल-बत कुल्ला शैईन
तेरे क़ादिरे मुतलक़ के नाम पर जो हर चीज़ पर ग़ालिब है,

وَبِعِلْمِكَ ٱلَّذِي أَحَاطَ بِكُلِّ شَيْءٍ
व बे ईलमेका अल्लज़ी अहाता बे कुल्ले शैईन
और तेरे इल्म के नाम पर जो हर चीज़ का अहाता किये हुए है .

يَا نُورُ يَا قُدُّوسُ
या नूरो या कूद-दूसो
ऐ नूर ! ऐ मुक़द्दस !

يَا أَوَّلُ قَبْلَ كُلِّ شَيْءٍ
या अव्वलो क़ब्ला कुल्ले शैईन
ऐ हर चीज़ से पहले

وَيَا بَاقِياً بَعْدَ كُلِّ شَيْءٍ
व या बाक़ियन बादा कुल्ले शैईन
ऐ हर चीज़ के बाद हमेशा ज़िंदा रहने वाले !

يَا اللَّهُ يَا رَحْمٰنُ
या अल्लाहो या रहमानो
ऐ अल्लाह! ऐ रहम करने वाले !

صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मदिन
मोहम्मद और आले मोहम्मद पर दरूद ओ सलामती भेज ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تُغَيِّرُ ٱلنِّعَمَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तू-गैय्येरून ने-अम
मेरे गुनाहों को बख़्श दे जो नेमतों को बदल देते हैं ,

وَاغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تُنْزِلُ ٱلنِّقَمَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तुनज़िलोन निक़म
मेरे उन गुनाहों को माफ़ कर दे जो अज़ाब लाते हैं ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تَقْطَعُ ٱلرَّجَاءَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तक़-तउ-रजा-आ
मुझे मेरे वो गुनाह माफ़ कर दे जिन्होंने उम्मीद को ख़तम कर दिया है ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تُدِيلُ ٱلأَعْدَاءَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तुदीलो अला दा-आ
मेरे उन गुनाहों को बख़्श दे जो दुश्मनों को फ़ौक़ियत देते हैं,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تَرُدُّ ٱلدُّعَاءَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तरुद दो अला दा-आ
मेरे उन गुनाहों को बख्श दे जो नमाज़ों को रोकते हैं ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي يُسْتَحَقُّ بِهَا نُزُولُ ٱلْبَلاَءِ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती यसता हक़्क़ों बिहा नुज़ूलो अल-बला-ई
मेरे उन गुनाहों को बख्श दे जो मुझे मुसीबतों में मुब्तला करने के ज़िम्मेदार बनते हैं ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تَحْبِسُ غَيْثَ ٱلسَّمَاءِ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तहबिसो गैसा अस-समा-ई
मेरे वो गुनाह माफ़ फार्मा जो आसमान की बारिश को रोकते हैं ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تَكْشِفُ ٱلْغِطَاءَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तक-शिफ़ो अल-ग़ीता-आ
मेरे उन गुनाहों को माफ़ कर दे जिन पर मोहरबंद लगी है ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تُعَجِّلُ ٱلْفَنَاءَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती त-अजजिलो अल-फ़ना-आ
मेरे उन गुनाहों को माफ़ फ़रमा जो तबाही की वजह बनते हैं ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تُورِثُ ٱلنَّدَمَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तौरिसो अल-नादामा
मेरे उन गुनाहों को बख्श दे जो पछतावा के वजह बनते हैं ,

وَٱغْفِرْ لِيَ ٱلذُّنُوبَ ٱلَّتِي تَهْتِكُ ٱلْعِصَمَ
व अग़-फ़िरलीयज़ ज़ूनूबल लती तह-तीको अल इ-सम
मेरे उन गुनाहों को बख्श दे जो जो मेरी ईमानदारी को चीरते हैं ,

وَأَلْبِسْنِي دِرْعَكَ ٱلحَصِينَةَ الَّتِي لاَ تُرَامُ
व अल-बिसनि दिर-अका अल-हसी नता अल्लती ला तुरामो
मुझे अपने मज़बूत और मोहकम ढाल से ढांप ले ,

وَعَافِنِي مِنْ شَرِّ مَا أُحَاذِرُ بِٱللَّيْلِ وَٱلنَّهَارِ فِي مُسْتَقْبَلِ سَنَتِي هٰذِهِ
व आ फ़ीनि मीन शररे मा उ हाज़िरो बिल लैले वन नहारे फ़ी मुस्तक़बलि सना-ती हाज़े-ही
और मुझे इसके शर से महफूज़ रख! मैं इस साल के शुरू में रातों और दिनों में डरता हूँ .

اللَّهُمَّ رَبَّ ٱلسَّمَاوَاتِ ٱلسَّبْعِ
अल्लाहुम्मा रब्बास समावातिस सब-इ
ऐ अल्लाह सातों आसमानों के मालिक ,

وَرَبَّ ٱلأَرَضِينَ ٱلسَّبْعِ وَمَا فِيهِنَّ وَمَا بَيْنَهُنَّ
व रब्बल अरज़ीना अल्स-सब-ए व मा फ़ी हिन्ना व मा बैना हुन्ना
ज़मीन के (ज़मीन की) सातों तहों का रब जो कुछ इसमें है और जो कुछ इनके दरम्यान में है ,

وَرَبَّ ٱلْعَرْشِ ٱلْعَظِيمِ
व रब्बल अर्शिल अज़ीम
अर्शे अज़ीम का रब ,

وَرَبَّ ٱلسَّبْعِ ٱلْمَثَانِي وَٱلْقُرْآنِ ٱلْعَظِيمِ
व रब्बास सब-ए अल-मसानी वल क़ुरआनील अज़ीम
सात मर्तबा बार बार दोहराई जाने वाली आयात और बे मिसाल क़ुरआन का रब ,

وَرَبَّ إِسْرَافِيلَ وَمِيكَائِيلَ وَجَبْرَائِيلَ
व रब्बा ईसराफ़ीला व मिकाइला व जिब्राईला
इसराफील, मीकाईल और जिब्राइल का रब ,

وَرَبَّ مُحَمَّدٍ صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ سَيِّدِ ٱلْمُرْسَلِينَ وَخَاتَمِ ٱلنَّبِيِّينَ
व रब्बा मोहम्मदिन साल-अल्लाहो अलैहि व आलेही सैय्यदिल मुर्सलीना व ख़ातिमुन नबीयीना
और मोहम्मद साल-अल्लाहो व आलेही वसल्लम का रब, (आप पर और आपकीआल पर) रसूलों के सरदार ख़ातिमून नबीयीन !

أَسْأَلُكَ بِكَ وَبِمَا سَمَّيْتَ بِهِ نَفْسَكَ
अस-अलोका बिका व बिमा सम-मैता बेहि नफ़सेका
मैं तुझ से तेरे नाम पर और इसके नाम से दुआ करता हूँ जिसका तुझ से तज़किरा है !

يَا عَظِيمُ أَنْتَ ٱلَّذِي تَمُنُّ بِٱلْعَظِيمِ
या अज़ीमों अन्तल लज़ी तमुन्नो बिल अज़ीम
ऐ अज़ीम! आप वो हैं जो नेमतें बांटते हैं ,

وَتَدْفَعُ كُلَّ مَحْذُورٍ
व तद फ़-ओ कुल्ला महज़ूरिन
तमाम बुरी चीज़ों का दफ़ा करते हैं ,

وَتُعْطِي كُلَّ جَزِيلٍ
व तू ती कुल्ला जज़ीलिन
बे पनाह चीज़ें देते हैं,

وَتُضَاعِفُ ٱلْحَسَنَاتِ بِٱلْقَلِيلِ وَبِٱلْكَثِيرِ
व तुज़ाइ फ़ो अल-हसनाते बिल क़लीले व बिल कसीर
थोड़ी नेकियों का बदला बहुत ज़्यादा देकर दोगुना कर देते हैं ,

وَتَفْعَلُ مَا تَشَاءُ
व तफ़-अलो मा तशाओ
और जो चाहता है करता है .

يَا قَدِيرُ يَا اللَّهُ يَا رَحْمٰنُ
या क़दीरो या अल्लाहो या रहमानो
ऐ क़ादिरे मुतलक़ ! ऐ अल्लाह ! ऐ रहम करने वाले !

صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَأَهْلِ بَيْتِهِ
सल्ले अला मोहम्मदिन व अहलेबैतेहि
मोहम्मद और इनकी आल पर रहमत नाज़िल फ़रमा ,

وَأَلْبِسْنِي فِي مُسْتَقْبِلِ سَنَتِي هٰذِهِ سِتْرَكَ
व अलबिसनी फ़ी मुस्तक़बिली स नती हाज़ेही सीत-रका
मुझे इस साल के दौरान अपनी हिफाज़त के साथ घेर ले ,

وَنَضِّرْ وَجْهِي بِنُورِكَ
व नज़ ज़ीर वजही बेनूरेका
तेरी रौशनी मेरे चेहरे को संवार दे ,

وَأَحِبَّنِي بِمَحَبَّتِكَ
व अहिब बनी बे महब-बतेका
तेरी मोहब्बत मुझे तेरे क़रीब ले जाए ,

وَبَلِّغْنِي رِضْوَانَكَ
व बल लीग़नी रिज़वानका
और तेरी रज़ा मुझ तक पहुँच जाए

وَشَرِيفَ كَرَامَتِكَ
व शरीफ़ा करामातेका
इसके अलावा तेरी बेहतरीन सख़ावत

وَجَسِيمَ عَطِيَّتِكَ
व जसीमा अतियातिका
और तेरे भारी इनामात s.

وَأَعْطِنِي مِنْ خَيْرِ مَا عِنْدَكَ
व आ-तिनि मिन ख़ैरे मा इन दका
जो कुछ तेरे पास है इसमें से मुझे अता फ़रमा

وَمِنْ خَيْرِ مَا أَنْتَ مُعْطِيهِ أَحَداً مِنْ خَلْقِكَ
व मिन ख़ैरे मा अन्ता मुतिहि अहा दन मिन ख़ल्क़ेका
और तू अपने मख्लूक़ में से किसी को भी इसकी नेकी का बदला देता है ,

وَأَلْبِسْنِي مَعَ ذٰلِكَ عَافِيَتَكَ
व अल-बिस्नी मा-आ ज़ालिका आफ़ियतेका
और अपनी हिफाज़त से मुझे महफूज़ रख .

يَا مَوْضِعَ كُلِّ شَكْوَىٰ
या मौज़िया कुल्ले शक्वा
ऐ तमाम शिकायत दूर करने वाले !

وَيَا شَاهِدَ كُلِّ نَجْوَىٰ
व या शाहिदा कुल्ले नजवा
ऐ तमाम ख़ुफ़िया बातों के गवाह !

وَيَا عَالِمَ كُلِّ خَفِيَّةٍ
व या आलिमा कुल्ले ख़फ़ियातिन
ऐ तमाम छुपी हुई चीज़ों को जान्ने वाले !

وَيَا دَافِعَ مَا تَشَاءُ مِنْ بَلِيَّةٍ
व या दाफ़िया मा तशाओ मिन बलियतीन
ऐ वो जो जिस मुसीबत को चाहता है दफ़ा कर देता है !

يَا كَرِيمَ ٱلْعَفْوِ
या करीमल अफ़वे
ऐ वो जो बख़्शने वाला मेहरबान है !

يَا حَسَنَ ٱلتَّجَاوُزِ
या हसाना अल्त-तजा वुज़े
ऐ बेहतरीन नज़र रखने वाले !

تَوَفَّنِي عَلَىٰ مِلَّةِ إِبْرَاهِيمَ وَفِطْرَتِهِ
तवफ़्फ़ीनी अला मिल्लते इब्राहीमा व फ़ितरतेही
मुझे इब्राहीम के दीं और फ़ितरत पर मौत दे और ,

وَعَلَىٰ دِينِ مُحَمَّدٍ صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسُنَّتِهِ
व अला दीने मोहम्मदिन सल-अल्लाहो अलैहे व आलेही व सुन्नतेही
मोहम्मद (स:अ:व:व) के ईमान पर ,

وَعَلَىٰ خَيْرِ ٱلْوَفَاةِ فَتَوَفَّنِي مُوَالِياً لأَوْلِيَائِكَ
व अला ख़ैरी अल-वफ़ाती फ़-तवफ़-फ़नी मुवालियन ली औलिया-इका
सबसे बेहतरीन तरीके से मेरी मौत को अपने दोस्तों के पीछे चलने की सहूलत दें ,

وَمُعَادِياً لأَعْدَائِكَ
व मु-आदियन ला-अदा-इका
और तेरे दुश्मनों की मुख़ालफ़त करूँ .

اللَّهُمَّ وَجَنِّبْنِي فِي هٰذِهِ السَّنَةِ
अल्लाहुम्मा व जननिब-नी फ़ी हाज़ेहिस सा-नते
ऐ अल्लाह! मुझे उस साल में दूर रख ,

كُلَّ عَمَلٍ أَوْ قَوْلٍ أَوْ فِعْلٍ يُبَاعِدُنِي مِنْكَ
कुल्ला अमलिन औ कौलिन औ फ़े-लीन युबा-इदुनि मिनका
हर उस फ़ेल से और क़ौल से जो मुझे तुझ से दूर करता है ,

وَٱجْلِبْنِي إِلَىٰ كُلِّ عَمَلٍ أَوْ قَوْلٍ أَوْ فِعْلٍ
व अजलिबनि इला कुल्ले आमालिन औ कौलिन औ फ़े-लीन
मुझे हर काम, क़ौल या अमल की तौफ़ीक़ दे

يُقَرِّبُنِي مِنْكَ فِي هٰذِهِ ٱلسَّنَةَ
युक़र री बुनी मिनका फ़ी हाज़ेहीस सना ता
जो मुझे इस साल में तेरे क़रीब ले जाता है .

يَا أَرْحَمَ ٱلرَّاحِمِينَ
या अर हमर राहेमीन
ऐ सब रहम करने वालों से ज़्यादा रहम करने वाले !

وَٱمْنَعْنِي مِنْ كُلِّ عَمَلٍ أَوْ قَوْلٍ أَوْ فِعْلٍ
व अम ना नी मीन कुल्ले अमलीन औ कौलिन औ फ़े-लीन
मुझे वो काम क़ौल या अमल से मना फ़रमा

يَكُونُ مِنِّي أَخَافُ ضَرَرَ عَاقِبَتِهِ
यकूनो मिन्नी अ-ख़ाफ़ो ज़ा-रारा आक़ेबतेहि
की जिसके नतीजे से मैं डरता हूँ ,

وَأَخَافُ مَقْتَكَ إِيَّايَ عَلَيْهِ
व अ ख़ा फ़ो माक़ ताका ई या या अलैही
और मैं इसकी वजह से तेरे ग़ज़ब से डरता हूँ ;

حِذَارَ أَنْ تَصْرِفَ وَجْهَكَ ٱلْكَرِيمَ عَنِّي
हिज़ारा अन तस रीफ़ा वज हकल करीमा अन्नी
कहीं ऐसा न हो की तू मुझ से अपना मेहरबान चेहरा फेर ले .

فَأَسْتَوْجِبَ بِهِ نَقْصاً مِنْ حَظٍّ لِي عِنْدَكَ
फ़ अस्तौ जिबा बिहि नक़-सन मीन हज़-ज़िन ली इन्दा का
फिर मैं अपने हिस्से की ख़ुशनसीबी हासिल करने से रोक दिया जाऊं .

يَا رَؤُوفُ يَا رَحِيمُ
या रऊफ़ो या रहीमो
ऐ मेहरबान ! ऐ रहम करने वाले!

اللَّهُمَّ ٱجْعَلْنِي فِي مُسْتَقْبِلِ سَنَتِي هٰذِهِ فِي حِفْظِكَ
अल्लाहुम्मा अज-अलनी फ़ी मुस्तक़ बिली सन-नती हाज़ेही फ़ी हिफ्ज़ेका
ऐ अल्लाह मुझे साल भर अपनी हिफाज़त में रखना ,

وَفِي جِوَارِكَ وَفِي كَنَفِكَ
व फ़ी जिवारिका व फ़ी कना फ़ीका
अपने क़ुर्ब ओ जवार और अपनी देख भाल में रख .

وَجَلِّلْنِي سِتْرَ عَافِيَتِكَ
व जल लीलनि सित-रा आफ़ियतेका
मुझे अपनी हिफ़ाज़ती चादर से ढांप ले ,

وَهَبْ لِي كَرَامَتَكَ
व हब ली करा मताका
और मुझे अपनी मेहरबानी अता फ़रमा .

عَزَّ جَارُكَ
अज़ ज़ा जारुका
ताक़त वाला है वो जो तेरे क़रीब है ,

وَجَلَّ ثَنَاؤُكَ
व जल ला सना उका
तेरी हम्द पाक है ,

وَلاَ إِلٰهَ غَيْرُكَ
व ला इलाहा गैरूका
और तेरे सिवा कोई माबूद नहीं .

اللَّهُمَّ ٱجْعَلْنِي تَابِعاً لِصَالِحِي مَنْ مَضَىٰ مِنْ أَوْلِيَائِكَ
अल्लाहुम्मा अज अलनी ताबे अन लिसालेही मन माज़ा मीन औलियाएका
ऐ अल्लाह मुझे अपने नेक बन्दों की पैरवी करने वाला बना ,

وَأَلْحِقْنِي بِهِمْ
व अल-हीक़नी बिहीम
मुझे इनसे लगाव ,

وَٱجْعَلْنِي مُسَلِّماً لِمَنْ قَالَ بِٱلصِّدْقِ عَلَيْكَ مِنْهُمْ
व अज-अलनी मुसल लिमन लिमन क़ाला बिस सिदक़े अलैका मिन्हुम
मुझे इन लोगों का फ़रमाबरदार बना जो तेरी तरफ सच्चाई के साथ पहुँचते हैं.

وَأَعُوذُ بِكَ ٱللَّهُمَّ أَنْ تُحِيطَ بِي خَطِيئَتِي وَظُلْمِي
व अ उ ज़ो बिका अल्लाहुम्मा अन तुहिता बी ख़तीयती व ज़ुल्मी
मैं तेरी पनाह मांगता हूँ, ऐ मेरे ख़ुदा, कहीं ऐसा न हो की मुझे मेरे गुनाह, ख़ताओं ने घेर लिया हो ,

وَإِسْرَافِي عَلَىٰ نَفْسِي وَٱتِّبَاعِي لِهَوَايَ
व इसराफ़ी अला नफ़सी वत-तिबाई ली-हवाया
तेरी तरफ से बे एतेदाली, और अपनी ख्वाहिशात की पैरवी करता हूँ ,

وَٱشْتِغَالِي بِشَهَوَاتِي
वश-ती ग़ाली बी शहवाती
और अपनी ही ख्वाहिशात में मसरूफ रहता हूँ ;

فَيَحُولُ ذٰلِكَ بَيْنِي وَبَيْنَ رَحْمَتِكَ وَرِضْوَانِكَ
फ़ा या हुलो ज़ालिका बैनी व बैना रहमतिका व रिज़वानिका
इसके नतीजे में वो तमाम चीज़ें मुझे तेरी रहमत और ख़ुशनूदी हासिल करने से रोकेंगी

فَأَكُونُ مَنْسِيّاً عِنْدَكَ
फ़ा-अकुनो मन सियन इन्दा का
और मैं तेरी तरफ से छोड़ दिया जा सकता हूँ

مُتَعَرِّضاً لِسَخَطِكَ وَنِقْمَتِكَ
मुता अर -रेज़न ली-सख़्तेका व निक़ मते का
तेरी ग़ज़ब और अज़ाब के सामने .

اللَّهُمَّ وَفِّقْنِي لِكُلِّ عَمَلٍ صَالِحٍ تَرْضَىٰ بِهِ عَنِّي
अल्लाहुम्मा वक़-क़िफ़ नी ली कुल्ले अमलीन सालेहीन तरज़ा बिही अन्नी
ऐ अल्लाह! मुझे हर इस नेक अमल की कामयाबी के साथ रहनुमाई फ़रमा जिस से तू मुझ से राज़ी हो

وَقَرِّبْنِي إِلَيْكَ زُلْفَىٰ
व क़र-रिबनी इलैका ज़ुल्फ़ा
और मुझे अपने क़रीब ले जा .

اللَّهُمَّ كَمَا كَفَيْتَ نَبِيَّكَ مُحَمَّداً صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ هَوْلَ عَدُوِّهِ
अल्लाहुम्मा कमा कफ़यता नबीयेका मोहम्मदन साल-अल्लाहो अलैही व आलेही हौला अदूव-वेहि
ऐ अल्लाह जिस तरह तूने अपने नबी मोहम्मद (स:अ:व:व) को आल को इनके दुश्मनो की दहशत से बचाया ,

وَفَرَّجْتَ هَمَّهُ
व फ़र-रजता हम-मोहु
इनकी परेशानियों को दूर कर दिया ,

وَكَشَفْتَ غَمَّهُ
व कश्फ़-ता ग़म-महु
इनकी मुश्किलात को हटा दिया ,

وَصَدَقْتَهُ وَعْدَكَ
व सदक़-तोहू वा-दका
तूने इनसे जो वादा किया था ,

وَأَنْجَزْتَ لَهُ عَهْدَكَ
व अन्जज़ता लहू अह-दका
पूरा कर दिया,

اللَّهُمَّ فَبِذٰلِكَ فَٱكْفِنِي هَوْلَ هٰذِهِ ٱلسَّنَةِ
अल्लाहुम्मा फ़-बिज़ालिका फ़क-फ़िनि हौला हाज़ेहिस सनाते
तो ऐ अल्लाह मुझे इस साल की हवलनाकी से महफूज़ रख

وَآفَاتِهَا وَأَسْقَامَهَا
व आफ़ातिहा व अस्क़ा-महा
इसके साथ साथ वबाई बीमारियों से,

وَفِتْنَتَهَا وَشُرُورَهَا
व फ़ीतना-तहा व शोरू-रहा
फ़ितना से, बुराईयों से,

وَأَحْزَانَهَا وَضِيقَ ٱلْمَعَاشِ فِيهَا
व अहज़ा-नहा व ज़ीक़ल म-आशी फ़ीहा
उदासी और मआशी बदहालियों से .

وَبَلِّغْنِي بِرَحْمَتِكَ كَمَالَ ٱلْعَافِيَةِ
व बल्लीगनी बी-रहमतेका कमालल आफ़ियते
अपनी रहमत के नाम पर मुझे कामिल सेहत अता फ़रमा

بِتَمَامِ دَوَامِ ٱلنِّعْمَةِ عِنْدِي إِلَىٰ مُنْتَهَىٰ أَجَلِي
बी-तमामी दवामी अल-नेमती इन्दी इला मुन्तहा अ-जली
तेरी नेमतों के बे इन्तेहा कमाल के ज़रिये मेरे ज़िन्दगी के आख़िर तक .

أَسْأَلُكَ سُؤَالَ مَنْ أَسَاءَ وَظَلَمَ وَٱسْتَكَانَ وَٱعْتَرَفَ
अस'अलोका सु-आला मन असा-अ व ज़ालामा वस-तकाना व आ-तराफ़ा
मैं तुझ से इस शख्स की तरह इल्तेजा करता हूँ जिस ने ग़लती की और ज़ुल्म किया फिर इसका ऐतेराफ़ किया .

وَأَسْأَلُكَ أَنْ تَغْفِرَ لِي مَا مَضَىٰ مِنَ ٱلذُّنُوبِ
व अस'अलोकाअन तग़फ़िरा ली मा माज़ा मिनज़ ज़ुनूबी
मैं तुझ से इल्तेजा करता हूँ की मेरे पिछले गुनाह माफ़ कर दे जो

ٱلَّتِي حَصَرَتْهَا حَفَظَتُكَ
अल्लती ह-सरत-हा हफ़ाज़ातो का
जो तेरे मुहाफ़िज़ फरिश्तों के ज़रिये शुमार किये जाते हैं

وَأَحْصَتْهَا كِرَامُ مَلاَئِكَتِكَ عَلَيَّ
व अहसत-हा किरामो मला-एकतेका अलैय्या
और आप के मुक़र्रर किये हुए फ़रिश्तों के ज़रिये लिखे जाते हैं ,

وَأَنْ تَعْصِمَنِي ٱللَّهُمَّ مِنَ ٱلذُّنُوبِ
व अन-ता सिमनी अल्लाहुम्मा मिनज़ ज़ूनूबी
ऐ अल्लाह मुझे गुनाहों से बचा

فِيمَا بَقِيَ مِنْ عُمْرِي إِلَىٰ مُنْتَهَىٰ أَجَلِي
फ़ीमा बक़िया मीन उमरी इला मुन्तहा अजाली
मेरी बाक़ी ज़िंदगी में मेरी मौत तक

يَا اللَّهُ يَا رَحْمٰنُ يَا رَحِيمُ
या अल्लाहो या रहमानो या रहीमो
ऐ अल्लाह ! ऐ रहम करने वाले ! ऐ रहम करने वाले

صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَأَهْلِ بَيْتِ مُحَمَّدٍ
सल्ले अला मोहम्मदिन व अहलेबैते मोहम्मद
मोहम्मद और आले मोहम्मद पर सलामती भेज ,

وَآتِنِي كُلَّ مَا سَأَلْتُكَ وَرَغِبْتُ إِلَيْكَ فِيهِ
व अतिनि कुल्ला मा साला तोका व रागिबतो इलैका फ़ीही
और जो कुछ मैंने तुझे से माँगा है और जो कुछ तुझ से चाहा है मुझे अता फ़रमा ,

فَإِنَّكَ أَمَرْتَنِي بِٱلدُّعَاءِ
फ़-इन्नका अमर-तनी बिद-दुआइ
क्योंकि आप ने मुझे नमाज़ पढ़ने का हुक्म दिया है

وَتَكَفَّلْتَ لِي بِٱلإِجَابَةِ
व तकफ़-फ़लता ली बिल इजाबते
और तूने मुझे जवाब/तजावुज़ का वादा किया है .

يَا أَرْحَمَ ٱلرَّاحِمِينَ
या अर-हमर राहेमीन
ऐ सब रहम करने वालों से ज़्यादा रहम करने वाले !