वालिद : इमाम अली (अ) | वालिदा : सैय्यदा ज़हरा (स)
भाई : इमाम हुसैन (अ)
बेटा : शहीद क़ासिम | बहन : सैयदा ज़ैनब (स)
बेटी : सैयदा शरीफा (स),इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ) की ज़ौजा और इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) की वालिदा |इंस्टा लिंक
हदीस-ए-क़िसा (चादर की हदीस)
विलादत : मदीना में 15 रमज़ान 3 हिजरी (624 ईस्वी) को, नबी के घराने में पहली अहम खुशी का मौका! !
शहादत : मदीना में उम्र 47 साल, 28 सफर 50 हिजरी (670 ईस्वी) (कुछ रिवायात के मुताबिक 7 सफर)
ज़हर के ज़रिये शहीद किया गया और मदीना के जन्नतुल बक़ी के क़ब्रिस्तान में दफ्न किया गया।
इमाम हसन (अ) - अल-इस्लाम से ली गयी किताबें
ज़िंदगी की किताब | पीडीएफ
अल्लामा ज़ीशान हैदर की तरफ से सवानिह उमरी
मुन्तहअल आमाल - शेख अब्बास क़ुम्मी - | जेपीसी पर खरीदें
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इमाम हसन (अ) की ज़िंदगी
बच्चों के लिए सवानेह उमरी (ज़िन्दगी नामा)
जन्नतुल बक़ी की ज़्यारत का एक अलग पेज
दाख़िले की इजाज़त (इज़्न-ए-दोख़ुल)
يَا مَوَالِيَّ يَا ابْنَاءَ رَسُولِ ٱللَّهِ
या मौलिया या अबना रसूलिल्लाह
ऐ मेरे सरदारों,रसूल अल्लाह के बेटे,
عَبْدُكُمْ وَٱبْنُ امَتِكُمُ
अब्दुकुम वा अब्न उमातिकुम
मैं आप के खादिम और आप की बांदी का बेटा,
ٱلذَّليلُ بَيْنَ ايْديكُمْ
अज़्ज़लीलु बैना अय्दीकुम
जो आप के सामने आज़िज़ी से खड़ा है,
وَٱلْمُضْعِفُ فِي عُلُوِّ قَدْرِكُمْ
वलमुज़़्'अफ़ु फी उलू क़द्रिकुम
जो आप की बुलंद शान के मुक़ाबले में कुछ भी नहीं,
وَٱلْمُعْتَرِفُ بِحَقِّكُمْ
वलमुअतरिफु बिहक्किकुम
और जो आप के हक़ का मुअतरिफ़ है (जो हम पर फ़र्ज़ है)—
جَاءَكُمْ مُسْتَجيراً بِكُمْ
जाअकुम मुस्तजीरन बिकुम
आप के पास आया हूँ, आप की पनाह माँगते हुए,
قَاصِداً إِلَىٰ حَرَمِكُمْ
क़ासिदन इला हरमिकुम
आप के आस्ताने की तरफ़ आते हुए,
مُتَقَرِّباً إِلَىٰ مَقَامِكُمْ
मुतक़र्रिबन इला मक़ामिकुम
आप के मक़ामात के क़रीब आने की कोशिश करते हुए,
مُتَوَسِّلاًَ إِلَىٰ اللَّهِ تَعَالَىٰ بِكُمْ
मुतवस्सिलन इला अल्लाह तआला बिकुम
और अल्लाह से आप के नामों के वसीले से दुआ माँगते हुए।
اادْخُلُ يَا مَوَالِيَّ؟
अअदखुलु या मौलिया?
क्या मैं अंदर आ सकता हूँ, ऐ मेरे सरदार?
اادْخُلُ يَا اوْلِيَاءَ ٱللَّهِ؟
अअदखुलु या औलिया अल्लाह?
क्या मैं अंदर आ सकता हूँ, ऐ अल्लाह के ख़ास बंदे?
اادْخُلُ يَا مَلاَئِكَةَ ٱللَّهِ ٱلْمُحْدِقينَ بِهٰذَا ٱلْحَرَمِ
अअदखुलु या मलाइका अल्लाह अलमुह्दिकीन बिहाज़ा अलहरम
क्या मैं अंदर आ सकता हूँ, ऐ अल्लाह के फ़रिश्ते जो इस मुक़द्दस मक़ाम के गिर्द मौजूद है,
ٱلْمُقيمينَ بِهٰذَا ٱلْمَشْهَدِ؟
अलमुकीमीन बिहाज़ा अलमशहद?
और इस रौज़े में क़याम-पज़ीर है ?"
"जब आप ख़ुशू, ख़ुज़ू और नरम दिली हासिल कर लें, तो आप अपने दाएँ पाँव से मज़ार में दाख़िल हो सकते हैं, और दर्ज़े ज़ैल कलमात कहें:"
اللَّهُ اكْبَرُ كَبيراً
अल्लाहु अकबरु कबीरन
अल्लाह सब से बड़ा है,
وَٱلْحَمْدُ لِلَّهِ كَثيراً
वल-हम्दु लिल्लाहि कसीरन
सब तारीफ़ अल्लाह के लिए है, कसरत से,
وَسُبْحَانَ ٱللَّهِ بُكْرَةً وَاصيلاًَ
व-सुब्हानल्लाहि बुक्रतन व-असीलन
अल्लाह की पाकी बयान करते हैं, सुबह ओ शाम,
وَٱلْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلْفَرْدِ ٱلصَّمَدِ
वल-हम्दु लिल्लाहि अल-फर्दि अल-स्मद
सब तारीफ़ अल्लाह के लिए है, जो यकता है, जो बेनियाज़ है,
ٱلْمَاجِدِ ٱلاحَدِ
अल-माजिद अल-अहद
जो जलील-उल-क़दर है, जो अकेला है और वाहिद है,
ٱلْمُتَفَضِّلِ ٱلْمَنَّانِ
अल-मुतफ़द्दिल अल-मन्नान
जो सब को देने वाला, सब पर एहसान करने वाला है,
ٱلْمُتَطَوِّلِ ٱلْحَنَّانِ
अल-मुततव्विल अल-हन्नान
जो अता करने वाला है, सब पर मेहरबान है,
ٱلَّذِي مَنَّ بِطَوْلِهِ
अल-लज़ी मन्ना बि-तव्लिहि
जिस ने अपनी इनायतों से हमें नवाज़ा,
وَسَهَّلَ زِيَارَةَ سَادَاتِي بِإِحْسَانِهِ
व-सह्हल ज़ियारत सादाति बि-इह्सानिहि
जिस ने अपनी रहमत से मेरे सरदारों की ज़ियारत को आसान बना दिया,,
وَلَمْ يَجْعَلْنِي عَنْ زِيَارَتِهِمْ مَمْنُوعاً
वलम यजअलनी अन ज़ियारतिहिम मम्नूआन
जिस ने मुझे उन लोगों में शामिल नहीं किया जो ज़ियारत से महरूम हैं,
بَلْ تَطَوَّلَ وَمَنَحَ
बल तवव्वल व-मनह
बल्कि उस ने मुझे ये अता फ़रमाया और मुझ पर ये एहसान किया।
फिर आप उनके रौज़े की तरफ़ बढ़ें, उनकी तरफ़ रुख़ करें, और किबला की सिम्त पीठ करके दर्ज़े ज़ैल कलमात कहें:
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ ائِمَّةَ ٱلْهُدَىٰ
अस्सलामु अलैकुम इमामत अल-हुदा
सलाम हो आप पर, ऐ हक़ीक़ी रहनुमाओं के सरदार।
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ اهْلَ ٱلتَّقْوَىٰ
अस्सलामु अलैकुम अहलल तक़वा
सलाम हो आप पर, ऐ परहेज़गार लोगों।
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ ايُّهَا ٱلْحُجَجُ عَلَىٰ اهْلِ ٱلدُّنْيَا
अस्सलामु अलैकुम अय्युहा अल-हज्ज अल-इला अहलिद-दुनिया
सलाम हो आप पर, ऐ दुनिया के बाशिंदों पर हुज्जत (सबूत)।
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ ايُّهَا ٱلْقُوَّامُ فِي ٱلْبَرِيَّةِ بِٱلْقِسْطِ
अस्सलामु अलैकुम अय्युहा अल-क़व्वामु फ़ी अल-बरीय्या बि-अल-क़िस्त
सलाम हो आप पर, ऐ लोगों पर इंसाफ़ करने वालों।
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ اهْلَ ٱلصَّفْوَةِ
अस्सलामु अलैकुम अहलिल सफ़्वा
सलाम हो आप पर, ऐ मुन्तख़ब अफ़राद।
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ آلَ رَسُولِ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैकुम आल रसूल अल्लाह
सलाम हो आप पर, ऐ रसूल अल्लाह के अहल बैत।
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ اهْلَ ٱلنَّجْوَىٰ
अस्सलामु अलैकुम अहलिल अल-नज्वा
सलाम हो आप पर, ऐ फरिश्तों के राज़दार लोगों।
اشْهَدُ انَّكُمْ قَدْ بَلَّغْتُمْ وَنَصَحْتُمْ
अश्हदु अनाकुम क़द बल्लग़्तुम व-नसह्तुम
मैं गवाही देता हूँ कि आप ने पैग़ाम पहुंचाया, नसीहत की,
وَصَبَرْتُمْ فِي ذَاتِ ٱللَّهِ
व-सबरतुम फ़ी ज़ात अल्लाहि
अल्लाह के लिए सब्र किया,
وَكُذِّبْتُمْ وَاسيءَ إِلَيْكُمْ فَغَفَرْتُمْ
व-कुज़्ज़िबतुम व-असिअ इलेकुम फ-ग़फ़रतुम
और जब आप को झुठलाया और तकलीफ दी गई, आप ने माफ़ किया।
وَاشْهَدُ انَّكُمُ ٱلائِمَّةُ ٱلرَّاشِدُونَ ٱلْمُهْتَدُونَ
व-अश्हदु अन्नाकुमु अल-इमामतु अल-राशिदून अल-मुहतदून
मैं यह भी गवाही देता हूँ कि आप हिदायत याफ़्ता, रास्त रूह रहनुमा हैं,
وَانَّ طَاعَتَكُمْ مَفْرُوضَةٌ
व-अन्न ताअताकुम मफ्रूज़तिन
कि आप की इताअत फ़र्ज़ है,
وَانَّ قَوْلَكُمُ ٱلصِّدْقُ
व-अन्न क़व्लकुमु अल-सिद्क़
कि आप के कलमात सच हैं,
وَانَّكُمْ دَعْوَتُمْ فَلَمْ تُجَابُوٱ
व-अन्नकुम दअवतुम फ-लम तुजाबू
कि आप ने (अल्लाह की तरफ़) बुलाया लेकिन आप को जवाब नहीं दिया गया,
وَامَرْتُمْ فَلَمْ تُطَاعُوٱ
व-अमरतुम फ-लम तुताअू
कि आप ने (हक़ का) हुक्म दिया लेकिन आप की पैरवी नहीं की गई,
وَانَّكُمْ دَعَائِمُ ٱلدِّينِ وَارْكَانُ ٱلارْضِ
व-अन्नकुम दआइमु अल-दीनि व-अर्कानल अर्ज़
और कि आप दीन के स्तून और ज़मीन के निगहबान हैं।
لَمْ تَزَالُوٱ بِعَيْنِ ٱللَّهِ
लम तज़ालू बि-ऐन अल्लाहि
आप हमेशा अल्लाह की नज़र में रहे
يَنْسَخُكُمْ مِنْ اصْلاَبِ كُلِّ مُطَّهَرٍ
यन्सखुकुम मिन असलाबि कुलि मुत्तहर
जिस ने आप को पाकीज़ा मर्दों की पुश्तों से
وَيَنْقُلُكُمْ مِنْ ارْحَامِ ٱلْمُطَهَّرَاتِ
व-यनकुलुकुम मिन अरहमि अल-मुत्तहरात
पाकीज़ा औरतों के रहमों में मुन्तक़िल किया।
لَمْ تُدَنِّسْكُمُ ٱلْجَاهِلِيَّةُ ٱلْجَهْلاَءُ
लम तुदन्निस्कुमु अल-जाहिलिय्या अल-जहलाअ
जहालत के अंधेरों ने आप को आलूदा नहीं किया
وَلَمْ تَشْرَكْ فِيكُمْ فِتَنُ ٱلاهْوَاءِ
वलम तशर्क़ फ़ीकुम फितनु अल-अहवाइ
और न ही नफ्सानी फ़ित्नों ने आप को अपनी तरफ़ खींचा।
طِبْتُمْ وَطَابَ مَنْبَتُكُمْ
तिब्तुम व-ताब मनबतुकुम
आप खुश हो जाएँ जैसे आप की असल खुश हुई।
مَنَّ بِكُمْ عَلَيْنَا دَيَّانُ ٱلدِّينِ
मन्ना बिकुम अलैना दैय्यन अल-दीनि
दीन के बादशाह ने हम पर आप के एतराफ़ की रहमत की;
فَجَعَلَكُمْ فِي بُيُوتٍ
फ-जअलकुम फ़ी बयूत
लिहाज़ा, उस ने आप को उन घरों में रखा
اذِنَ ٱللَّهُ انْ تُرْفَعَ
अज़ीन-अल्लाहोअल्लाहु अन तुर-फ़आ
जिन्हें अल्लाह ने बुलंद करने की इजाज़त दी है
وَيُذْكَرَ فِيهَا ٱسْمُهُ
व-युज़्क़र फ़ीहा इस्मुह
और जिन में उस का नाम लिया जाए,
وَجَعَلَ صَلاَتَنَا عَلَيْكُمْ
व-जअल सलातना अलैकुम
और उस ने हम पर आप पर दरूद भेजने को
رَحْمَةً لَنَا وَكَفَّارَةً لِذُنُوبِنَا
रहमतन लना व-कफ्फारतन लि-ज़ुनूबिना
हम पर रहमत और हमारे गुनाहों की बख़्शिश का ज़रिया क़रार दिया है।
إِذِ ٱخْتَارَكُمُ ٱللَّهُ لَنَا
इज़ी इख्तारकुमु अल्लाहु लना
अल्लाह ने आप को हमारे लिए चुना
وَطَيَّبَ خَلْقَنَا بِمَا مَنَّ عَلَيْنَا مِنْ وِلاَيَتِكُمْ
व-तय्यब ख़ल्क़ना बि-मन्ना अलैना मिन विलायतिकुम
और हमारी तख़लीक़ को आप की (खुदा की जानिब से मुक़र्रर की गई) क़ियादत की वफ़ादारी की रहमत से पाक किया।
وَكُنَّا عِنْدَهُ مُسَمِّينَ بِعِلْمِكُمْ
व-कुन्ना इनदोहु मुसम्मीन बि-इल्मिकुम
इस तरह हम ने आप के एतराफ़ और आप की तस्दीक़ के सबब अल्लाह के क़रीब अपना नाम पाया।
مُعْتَرِفِينَ بِتَصْدِيقِنَا إِيَّاكُمْ
मु`तरिफ़ीन बि-तसदीक़िना इय्याकुम
और हम ने आप की तस्दीक़ की है।
وَهٰذَا مَقَامُ مَنْ اسْرَفَ وَاخْطَا
व-हाज़ा मक़ामु मन असरफ व-अख्ता
पस, यह उस शख्स की हालत है जिसने ग़लतियाँ की हैं और गुनाह किए हैं,
وَٱسْتَكَانَ وَاقَرَّ بِمَا جَنَىٰ
व-इस्तक़ाना व-अक़र्र बि-मा जना
आप के सामने आज़िज़ी ज़ाहिर की है, और जो कुछ किया है उस का एतराफ़ किया है।
وَرَجَا بِمَقَامِهِ ٱلْخَلاَصَ
wव-रजा बि-मक़ामिहि अल-ख़लास
लिहाज़ा, इस हालत में, मैं फ़िदया की उम्मीद करता हूँ
وَانْ يَسْتَنْقِذَهُ بِكُمْ مُسْتَنْقِذُ ٱلْهَلْكَىٰ مِنَ ٱلرَّدَىٰ
व-अन् यस्तन्क़िज़ह बि-कुम मुस्तन्क़िज़ु अल-हलक़ा मिन्न अल-रदा
और यह उम्मीद करता हूँ कि आप के नामों से मुझे हलाक होने वालों की हलाकत से बचाने वाला निजात देगा।
فَكُونُوٱ لِي شُفَعَاءَ
फ-कुनू लि शुफ़ाअ
पस, (बराये मेहरबानी) मेरे शफी बन जाएं,
فَقَدْ وَفَدْتُ إِلَيْكُمْ
फ-क़द वफद्तु इलैकुम
क्योंकि मैं आप के पास आया हूँ
إِذْ رَغِبَ عَنْكُمْ اهْلُ ٱلدُّنْيَا
इज़ रगिबा अन कुम अहलल दुनिया,
जबकि दुनिया के लोगों ने आप को छोड़ दिया,
وَٱتَّخَذُوٱ آيَاتِ ٱللَّهِ هُزُواً
व-इत्खज़ू आयाति अल्लाहि हुज़ूअन,
अल्लाह की निशानियों का मज़ाक़ बनाया,
وَٱسْتَكْبَرُوٱ عَنْهَا
व-इस्तक्बरू अन्हा
और तकब्बुर से उनसे मुँह मोड़ लिया।
फिर आप अपना सर आसमान की तरफ़ उठायें और दर्ज़े ज़ैल कलमात कहें :
يَا مَنْ هُوَ قَائِمٌ لاََ يَسْهُو
या मन हु क़ायिमुन ला य-स्हू
ऐ वो ज़ात जो खुद-ब-खुद क़ायम है और कभी नहीं भूलता,
وَدَائِمٌ لاََ يَلْهُو
व-दा'इमुन ला य-ल्हू
जो हमेशा ज़िंदा है और कभी ग़ाफ़िल नहीं होता,
وَمُحيطٌ بِكُلِّ شَيْءٍ
व-मुहीतुन बि-कुल्लि शय'
और जो हर चीज़ का अहाता किए हुए है!
لَكَ ٱلْمَنُّ بِمَا وَفَّقْتَنِي
लका अल-मन्नु बि-मा व-फ्फक्तनी
तेरे ही लिए सब शुकर है कि तू ने मुझे इस (राह) की हिदायत दी
وَعَرَّفْتَنِي بِمَا اقَمْتَنِي عَلَيْهِ
व-आरफ्तनी बि-मा अक़मतनी अलैह
और तू ने मुझे इस से मुतआरिफ़ कराया जिस पर मैं ऐतिमाद करता हूँ,
إِذْ صَدَّ عَنْهُ عِبَادُكَ
इज़ सद-दा अन्हु इबादुक
जबकि तेरे बंदे इस से दूर हो गए,
وَجَهِلُوٱ مَعْرِفَتَهُ
व-जाहिलू म'अरिफतह
इस की शनाख़्त को नज़रअंदाज़ किया,
وَٱسْتَخَفُّوٱ بِحَقِّهِ
व-अस्तखफ्फू बि-हक्किह
इस के हक़ को कमतर समझा,
وَمَالُوٱ إِلَىٰ سِوَاهُ
व-मालू इलै सिवाह
और कहीं और मायल हो गए।
فَكَانَتِ ٱلْمِنَّةُ مِنْكَ عَلَيَّ
फ-कानत अल-मिन्नत मिनक अलैय्या
पस, तू ने मुझ पर ये फ़ज़्ल फ़रमाया
مَعَ اقْوَامٍ خَصَصْتَهُمْ بِمَا خَصَصْتَنِي بِهِ
म'आ अक्वाम ख़ससतहुम बि-मा ख़ससतनी बिह
और दूसरे लोगों पर भी, जिनहे तू ने ख़ास तौर पर यही अता किया।
فَلَكَ ٱلْحَمْدُ إِذْ كُنْتُ عِنْدَكَ
फ-लका अल-हम्दु इज़ कुनत्तु इनदका
पस, सब तारीफ़ तेरे ही लिए है, क्योंकि मैं
فِي مَقَامِي هٰذَا مَذْكُوراً مَكْتُوباً
फ़ी मकामी हाज़ा म-ज़्क़ूरन म-क्तूबन
इस हालत के सबब तेरे नज़दीक ज़िक्र किया गया और लिखा गया।
فَلاَ تَحْرِمْنِي مَا رَجَوْتُ
फ-ला तहरिमनी मा रजौत
पस, मुझे उस चीज़ से महरूम न कर जिस की मैं आरज़ू करता हूँ,
وَلاَ تُخَيِّبْنِي فِي مَا دَعَوْتُ
व-ला तुखय्यिबनी फ़ी मा दअवत
और मेरी दुआ के हवाले से मुझे मायूस न कर;
بِحُرْمَةِ مُحَمَّدٍ وَآلِهِ ٱلطَّاهِرِينَ
बि-हुरमत मुहम्मद व-आलिहि अल-ताहिरीन
(बराये मेहरबानी) ऐसा) मोहम्मद और उनके पाक ख़ानदान की हरमत के नाम पर फ़रमा।
وَصَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
व-सल्लल्लाहु अलैहि मुहम्मद व-आले मुहम्मद
अल्लाह मोहम्मद और आल-ए-मोहम्मद पर बरकतें नाज़िल फ़रमाए।"
अब आप अल्लाह तआला से जो कुछ चाहें, दुआ माँग सकते हैं।
तहज़ीब अल-अहकाम में शेख अल-तूसी फ़रमाते हैं: फिर आप ज़ियारत की नमाज़ (सलात अल-ज़ियारत) आठ रकात अदा कर सकते हैं; हर दो रकात चार इमामों में से एक के लिए हैं।
शेख अल-तूसी और सैय्यद इब्न ताउस फ़रमाते हैं कि अगर आप चार इमामों से रुख़सत होना चाहते हैं, तो आप दर्ज़े ज़ैल कलमात कह सकते हैं:
اَلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ ائِمَّةَ ٱلْهُدَىٰ وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ
अस्सलामु अलैकुम इमामत अल-हुदा व-रहमतुन अल्लाहि व-बरकातुहु
सलाम और अल्लाह की रहमत और बरकतें हों आप पर, ऐ हक़ीक़ी हिदायत के रहनुमाओं।
اسْتَوْدِعُكُمُ ٱللَّهَ وَاقْرَا عَلَيْكُمُ ٱلسَّلاَمَ
अस्तव्दिअुकुमु अल्लाह व-अक्रआ अलैकुमु अस्सलाम
मैं आप को अल्लाह के सुपुर्द करता हूँ और आप को सलाम भेजता हूँ।
آمَنَّا بِٱللَّهِ وَبِٱلرَّسُولِ
आमन बि-ललाह व-बि-र्रसूल
हम अल्लाह पर और रसूल पर ईमान रखते हैं
وَبِمَا جِئْتُمْ بِهِ وَدَلَلْتُمْ عَلَيْهِ
व-बि-मा जिअतुम बिहि व-दल्लतुम अलैह
और उस पर जो आप ने पहुंचाया और जिस की तरफ़ आप ने हिदायत दी।
اَللَّهُمَّ فَٱكْتُبْنَا مَعَ ٱلشَّاهِدِينَ
अल्लाहुम्मा फ-क्तुबना म'अ अल-शाहिदीन
ऐ अल्लाह, फिर हमें उन लोगों में लिख दे जो गवाही देने वाले हैं।
फिर आप जितना हो सके अल्लाह तआला से दुआ करें और उस से दोबारा इन मुक़द्दस मज़ारात की ज़ियारत का मौक़ा माँगें।
दाख़िले की इजाज़त (इज़्न-ए-दोख़ुल)
"जब आप ख़ुशू, ख़ुज़ू और नरम दिली हासिल कर लें, तो आप अपने दाएँ पाँव से मज़ार में दाख़िल हो सकते हैं, और दर्ज़े ज़ैल कलमात कहें:"
फिर आप उनके रौज़े की तरफ़ बढ़ें, उनकी तरफ़ रुख़ करें, और किबला की सिम्त पीठ करके दर्ज़े ज़ैल कलमात कहें:
फिर आप अपना सर आसमान की तरफ़ उठायें और दर्ज़े ज़ैल कलमात कहें :
अब आप अल्लाह तआला से जो कुछ चाहें, दुआ माँग सकते हैं।
तहज़ीब अल-अहकाम में शेख अल-तूसी फ़रमाते हैं: फिर आप ज़ियारत की नमाज़ (सलात अल-ज़ियारत) आठ रकात अदा कर सकते हैं; हर दो रकात चार इमामों में से एक के लिए हैं।
फिर आप जितना हो सके अल्लाह तआला से दुआ करें और उस से दोबारा इन मुक़द्दस मज़ारात की ज़ियारत का मौक़ा माँगें।
सोमवार के दिन की ज़्यारत का पहला हिस्सा
इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) पर दरूद और सलवात
सुल्ह अल-हसन (अ:स) -इमाम हसन अलैहिस्सलाम का मुआहिदा-ए-सुल्ह
इमाम हसन (अ:स) और ख़िलाफ़त
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इमाम हसन (अलैहिस्सलाम) रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-आलिहि व-सल्लम) के बेटे?
इमाम हसन (अ:स) और ख़िलाफ़त
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इमाम हसन (अलैहिस्सलाम) रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व-आलिहि व-सल्लम) के बेटे?