3 सफ़र की नमाज़

3 सफ़र की नमाज़

सैय्यद इब्ने ताउस और कुछ इमामिया उलमाओं की किताबों के हवाले से मिलता है कि, यह मुस्तहब है कि 3 सफर को
दो रकअत नमाज़ पढ़ी जाए, जिसकी पहली रकअत में सूरह फातिहा और सूरह अल-फतह (नंबर 48) पढ़ी जाए
और दूसरी रकअत में सूरह फातिहा और सूरह अत-तौहीद पढ़ी जाए

नमाज़ मुकम्मल करने के बाद नीचे लिखे हर एक को 100 मर्तबा पढ़ें: :

(i) सलवात पढ़ें - नबी पाक और उनके अहल-ए-बैत पर बरकतें भेजना-"अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मद" (ii) लानत भेजें उमवी खानदान पर, दर्ज़-ए-ज़ैल शक्ल में,इस तरह :
َللَّهُمَّ ٱلْعَنْ آلَ ابِي سُفْيَانَ
अल्लाहुम्मा ला-अन आले अबी सुफ़यान
या अल्लाह, आले अबी सुफ़यान के ख़ानदान पर लानत भेज

iii)इस्तिग़फार - माफी की दरख्वास्त (तलबगारी), इस तरह:

अल्लाहुम्मा अग्फिरली व अतूबो इलैहे
यह सब करने के बाद, अपनी हाजात के लिए दुआ मांग सकते हैं।

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