ईमाम मोहम्मद तक़ी अल'जवाद (अ०स०)

अहलेबैत(अ.स.) से नौवें इमाम
इमाम अली रज़ा(अ) के फ़र्ज़ंद और इमाम अली नक़ी(अ) के वालिद
मुख़्तसर मालूमात

विलादत: मदीना – 10 रजब 195 हिजरी 811 ईस्वी
शहादत: अब्बासी ख़लीफ़ा मुअतसिम के ज़रिये ज़हर दिया गया 29 ज़िलक़ादा 220 हिजरी कम उम्र 25 साल में
शहादत के वक़्त उम्र: 25 इमामत का दौर: 17 साल
मज़ार: अल-काज़िमिया दरगाह, बग़दाद, इराक़
वालिद: इमाम अली इब्न मूसा अर-रज़ा(अ)
वालिदा: ख़ैज़ोरान, साबिक़ा, सुकैना अल-मुरसिय्या
फ़र्ज़ंद: इमाम अली नक़ी(अ)
कुनियत: अबू जाफ़र लक़ब (उनवान): अल-जवाद, अत-तक़ी
ज़िंदगी पर किताब – बाक़िर क़ुरैशी
ज़िंदगी का ख़ाका पीडीएफ – अल ज़ीशान हैदर
विकिपीडिया
एक नज़र में पीडीएफ


इमाम की 10 मुनाजात बाक़ियातुस सालेहात से
3 छोटी दुआएँ | तस्वीर
इमाम जवाद(अ) का क़ुनूत – रबीउल अनाम किताब
इमाम की सलात


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रिज़्क़ के दरवाज़े – एबीटीवी सीरीज़ (ज़िंदगी पर)


ज़ियारत 1 | ज़ियारत 2 | ज़ियारत 3 | बाक़ियातुस सालेहात से ज़ियारत

ज़ियारत का पहला तरीक़ा
दाख़िले हरम के वक़्त पढ़ी जाने वाली / इज़्न-ए-दुख़ूल
اللَّهُ اكْبَرُ ٱللَّهُ اكْبَرُ
अल्लाहु अकबरु अल्लाहु अकबरु
अल्लाह सबसे बड़ा है। अल्लाह सबसे बड़ा है।

لاََ إِِلٰهَ إِِلاَّ ٱللَّهُ وَٱللَّهُ اكْبَرُ
ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबरु
अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, और अल्लाह सबसे बड़ा है।

اَلْحَمْدُ لِلَّهِ عَلَىٰ هِدَايَتِهِ لِدِينِهِ
अल्हम्दु लिल्लाहि अला हिदायतिही लिदीनिही
तमाम तारीफ़ अल्लाह के लिए है जिसने मुझे अपने दीन की हिदायत दी।

وَٱلتَّوْفِيقِ لِمَا دَعَا إِِلَيْهِ مِنْ سَبِيلِهِ
वत्तौफ़ीक़ि लिमा दआ इलैहि मिन सबीलिही
और उस रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ दी जिसकी तरफ़ उसने बुलाया।

اَللَّهُمَّ إِِنَّكَ اكْرَمُ مَقْصُودٍ
अल्लाहुम्मा इन्नका अकरमु मक़सूदिन
ऐ अल्लाह! बेशक तू सबसे इज़्ज़त वाला मक़सूद है।

وَاكْرَمُ مَاتِيٍّ
वा अकरमु मातिय्यिन
और सबसे बुज़ुर्ग मक़सद जिसके पास आया जाए।

وَقَدْ اتَيْتُكَ مُتَقَرِّباً إِِلَيْكَ
वक़द अतैतुका मुतक़र्रिबन इलैका
मैं तेरे क़रीब होने की नियत से तेरी बारगाह में हाज़िर हुआ हूँ।

بِٱبْنِ بِنْتِ نَبِيِّكَ
बिब्नि बिन्ति नबिय्यिका
तेरे नबी की बेटी के बेटे के वसीले से।

صَلَوَاتُكَ عَلَيْهِ وَعَلَىٰ آبَائِهِ ٱلطَّاهِرِينَ
सलवातुका अलैहि वा अला आबाइहिल्लात्ताहिरीन
उस पर और उसके पाक बाप-दादाओं पर तेरी दरूद हो।

وَابْنَائِهِ ٱلطَّيِّبِيـنَ
वा अब्नाइहित्तय्यिबीन
और उसके पाक बेटों पर भी।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मदिन
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद नाज़िल फ़रमा।

وَلاَ تُخَيِّبْ سَعْيِي
वा ला तुख़य्यिब सअयी
मेरी कोशिशों को नाकाम न फ़रमा।

وَلاَ تَقْطَعْ رَجَائِي
वा ला तक़तअ रजाई
और मेरी उम्मीद को क़तअ न कर।

وَٱجْعَلْنِي عِنْدَكَ وَجِيهاً
वजअल्नी इन्दका वजीहान
मुझे अपनी बारगाह में मक़बूल बना।

فِي ٱلدُّنْيَا وَٱلآخِرَةِ وَمِنَ ٱلْمُقَرَّبِيـنَ
फ़िद्दुन्या वल आख़िरति वा मिनल मुक़र्रबीन
दुनिया और आख़िरत में, और मुझे अपने क़रीबी बंदों में शामिल फ़रमा।

फिर आप दाहिना क़दम (बाएँ जानिब) आगे रखकर रौज़े में दाख़िल हो सकते हैं, और ये अल्फ़ाज़ कहें:
بِسْمِ ٱللَّهِ وَبِٱللَّهِ
बिस्मिल्लाहि वा बिल्लाहि
अल्लाह के नाम से (मैं शुरू करता हूँ), अल्लाह पर (मैं भरोसा करता हूँ),

وَفِي سَبِيلِ ٱللَّهِ
वा फ़ी सबीलिल्लाहि
और अल्लाह की राह में,

وَعَلَىٰ مِلَّةِ رَسُولِ ٱللَّهِ
वा अला मिल्लति रसूलिल्लाहि
और रसूल-ए-ख़ुदा की मिल्लत पर (मैं चलता हूँ),

صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَآلِهِ
सल्लल्लाहु अलैहि वा आलिही
अल्लाह उन पर और उनकी आले पर दरूद भेजे।

اَللَّهُمَّ ٱغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ
अल्लाहुम्मग़्फ़िर ली वा लिवालिदय्य
ऐ अल्लाह! मुझे और मेरे वालिदैन को बख़्श दे,

وَلِجَمِيعِ ٱلْمُؤْمِنِيـنَ وَٱلْمُؤْمِنَاتِ
वा लिजमीअिल-मु'मिनीन वल-मु'मिनाति
और तमाम मोमिन मर्दों और मोमिन औरतों को भी।

जब आप गुम्बद के दरवाज़े तक पहुँचें, तो वहीं रुककर दाख़िले की इजाज़त इस तरह माँगें:
اادْخُلُ يَا رَسُولَ ٱللَّهِ
आ-अदख़ुलु या रसूलल्लाहि
ऐ रसूलुल्लाह! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا نَبِيَّ ٱللَّهِ
आ-अदख़ुलु या नबिय्यल्लाहि
ऐ नबी-ए-ख़ुदा! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا مُحَمَّدُ بْنَ عَبْدِ ٱللَّهِ
आ-अदख़ुलु या मुहम्मदु ब्ना अब्दिल्लाहि
ऐ मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا امِيرَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
आ-अदख़ुलु या अमीरल-मु'मिनीन
ऐ अमीरुल-मोमिनीन! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا ابَا مُحَمَّدٍ ٱلْحَسَنُ
आ-अदख़ुलु या अबा मुहम्मदिन अल-हसनु
ऐ अबू मुहम्मद अल-हसन! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا ابَا عَبْدِ ٱللَّهِ ٱلْحُسَيْنُ
आ-अदख़ुलु या अबा अब्दिल्लाहि अल-हुसैनु
ऐ अबू अब्दिल्लाह अल-हुसैन! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا ابَا مُحَمَّدٍ عَلِيُّ بْنَ ٱلْحُسَيْنِ
आ-अदख़ुलु या अबा मुहम्मदिन अलिय्यु ब्नल-हुसैनी
ऐ अबू मुहम्मद अली बिन अल-हुसैन! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا ابَا جَعْفَرٍ مُحَمَّدُ بْنَ عَلِيٍّ
आ-अदख़ुलु या अबा जअफ़रिन मुहम्मदु ब्ना अलिय्यिन
ऐ अबू जअफ़र मुहम्मद बिन अली! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا ابَا عَبْدِ ٱللَّهِ جَعْفَرُ بْنَ مُحَمَّدٍ
आ-अदख़ुलु या अबा अब्दिल्लाहि जअफ़रु ब्ना मुहम्मदिन
ऐ अबू अब्दिल्लाह जअफ़र बिन मुहम्मद! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا مَوْلاَيَ يَا ابَا ٱلْحَسَنِ مُوسَىٰ بْنَ جَعْفَرٍ
आ-अदख़ुलु या मौलाया या अबल-हसनِ मूसा ब्ना जअफ़रिन
ऐ मेरे मौला, अबुल-हसन मूसा बिन जअफ़र! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا مَوْلاَيَ يَا ابَا جَعْفَرٍ
आ-अदख़ुलु या मौलाया या अबा जअफ़रिन
ऐ मेरे मौला, अबू जअफ़र! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

اادْخُلُ يَا مَوْلاَيَ مُحَمَّدُ بْنَ عَلِيٍّ
आ-अदख़ुलु या मौलाया मुहम्मदु ब्ना अलिय्यिन
ऐ मेरे मौला मुहम्मद बिन अली! क्या मैं दाख़िल हो सकता हूँ?

दाख़िल होते वक़्त आप नीचे लिखे जुमले को चार मरतबा दोहरा सकते हैं:
اَللَّهُ اكْبَرُ
अल्लाहु अकबरु
अल्लाह सबसे बड़ा है।



इमाम मुहम्मद अल-जवाद (उन पर सलाम हो) के लिए मख़सूस ज़ियारत के तरीक़े के बारे में, तीन बड़े उलमा (शैख़ अल-मुफ़ीद, अश-शहीद, और मुहम्मद बिन अल-मशहदी) ने यूँ बयान किया है: आप अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अली अल-जवाद (उन पर सलाम हो) की क़ब्र की तरफ़ रुख़ करें। जब आप क़ब्र के क़रीब ठहरें, तो ये अल्फ़ाज़ कहें:

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا وَلِيَّ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या वलिय्यल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के वली।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا حُجَّةَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या हुज्जतल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह की हुज्जत।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا نُورَ ٱللَّهِ فِي ظُلُمَاتِ ٱلأَرْضِ
अस्सलामु अलैका या नूरल्लाहि फ़ी ज़ुलुमातिल-अर्द़ि
आप पर सलाम हो, ऐ ज़मीन की तारीकियों में अल्लाह का नूर।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ رَسُولِ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका याब्ना रसूलिल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ रसूल-ए-ख़ुदा के फ़र्ज़ंद।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ آبَائِكَ
अस्सलामु अलैका वा अला आबाइका
आप पर और आपके आबा व अजदाद पर सलाम हो।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ أَبْنَائِكَ
अस्सलामु अलैका वा अला अब्नाइका
आप पर और आपकी औलाद पर सलाम हो।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ أَوْلِيَائِكَ
अस्सलामु अलैका वा अला औलियाइका
आप पर और आपके औलिया पर सलाम हो।

أَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ أَقَمْتَ ٱلصَّلاَةَ
अश्हदु अन्नका क़द अक़म्तस्सलाता
मैं गवाही देता हूँ कि आपने नमाज़ क़ायम की,

وَآتَيْتَ ٱلزَّكَاةَ
वा आतैतज़्ज़काता
और ज़कात अदा की,

وَأَمَرْتَ بِٱلْمَعْرُوفِ
वा अमर्त बिल-मअरूफ़ि
और नेकी का हुक्म दिया,

وَنَهَيْتَ عَنِ ٱلْمُنْكَرِ
वा नहैत अनिल-मुनकरि
और बुराई से रोका,

وَتَلَوْتَ ٱلْكِتَابَ حَقَّ تِلاَوَتِهِ
वा तलव्तल-किताबा हक़्क़ा तिलावतिही
और किताब की तिलावत उसका हक़ अदा करते हुए की,

وَجَاهَدْتَ فِي ٱللَّهِ حَقَّ جِهَادِهِ
वा जाहद्ता फ़िल्लाहि हक़्क़ा जिहादिही
और अल्लाह की राह में ऐसा जिहाद किया जैसा उसका हक़ था,

وَصَبَرْتَ عَلَىٰ ٱلأَذَىٰ فِي جَنْبِهِ
वा सबर्त अला अल-अज़ा फ़ी जन्बिही
और उसकी राह में पहुँचने वाली तकलीफ़ों पर सब्र किया,

حَتَّىٰ أَتَاكَ ٱلْيَقِينُ
हत्ता अताकल-यक़ीनु
यहाँ तक कि यक़ीन (मौत) आप तक आ पहुँचा।

أَتَيْتُكَ زَائِراً
अतैतुका ज़ाइरन
मैं आपकी ज़ियारत के लिए हाज़िर हुआ हूँ,

عَارِفاً بِحَقِّكَ
आरिफ़न बिहक़्क़िका
आप के हक़ को पहचानते हुए,

مُوَالِياً لأَوْلِيَائِكَ
मुवालियन लिऔलियाइका
और आपके औलिया से वफ़ादारी का इज़हार करते हुए।

مُعَادِياً لأَعْدَائِكَ
मुआदियन लि-अअदाइका
और आपके दुश्मनों से अदावत रखते हुए;

فَٱشْفَعْ لِي عِنْدَ رَبِّكَ
फ़श्फ़अ् ली इन्दा रब्बिका
तो अपने रब के पास मेरे लिए शफ़ाअत फ़रमाइए।

फिर आप क़ब्र को बोसा दे सकते हैं और अपने दोनों गाल उस पर रख सकते हैं। इसके बाद ज़ियारत की दो रकअत नमाज़ अदा करें, फिर जो चाहें दूसरी दुआएँ पढ़ें। इसके बाद सज्दा करें और ये अल्फ़ाज़ कहें:

إِرْحَمْ مَنْ أَسَاءَ وَٱقَتَرَفَ
इरहम् मन असाअ वक़्तरफ़ा
उस पर रहम फ़रमा जिसने बुरा किया और गुनाहों का इरतकाब किया,

وَٱسْتَكَانَ وَٱعْتَرَفَ
वस्तकाना वअतरफ़ा
फिर आज़िज़ी इख़्तियार की और इक़रार किया।

फिर आप अपना दाहिना गाल ज़मीन पर रखें और ये अल्फ़ाज़ कहें:
إِنْ كُنْتُ بِئْسَ ٱلْعَبْدُ
इन कुन्तु बीअ्सल-अब्दु
अगर मैं सबसे बुरा बंदा हूँ,

فَأَنْتَ نِعْمَ ٱلرَّبُّ
फ़अन्ता निअ्मर-रब्बु
तो तू सबसे बेहतरीन परवरदिगार है।

फिर आप अपना बायाँ गाल ज़मीन पर रखें और ये अल्फ़ाज़ कहें:
عَظُمَ ٱلذَّنْبُ مِنْ عَبْدِكَ
अज़ुमा ज़्-ज़म्बु मिन अब्दिका
तेरे बंदे का गुनाह बहुत बड़ा हो गया है,

فَلْيَحْسُنِ ٱلْعَفْوُ مِنْ عِنْدِكَ
फ़ल्यह्सुनिल-अफ़्वु मिन इन्दिका
तो तेरी तरफ़ से मुआफ़ी और भी बेहतर होनी चाहिए।

يَا كَرِيـمُ
या करीमु
ऐ करीम!

फिर आप सज्दे की हालत में लौटें और नीचे दिए गए लफ़्ज़ को सौ मरतबा दोहराएँ:
شُكْراً
शुक्रन्
शुक्र है।




अपनी किताब अल-मज़ार में सय्यिद इब्न ताऊस लिखते हैं: आप इमाम अल-जवाद (उन पर सलाम हो) की क़ब्र के पास ठहरें, उसे बोसा दें, और ये अल्फ़ाज़ कहें:


اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا أَبَا جَعْفَرٍ
अस्सलामु अलैका या अबा जअफ़रिन
आप पर सलाम हो, ऐ अबू जअफ़र।

مُحَمَّدُ بْنَ عَلِيٍّ
मुहम्मदु ब्ना अलिय्यिन
मुहम्मद बिन अली,

ٱلْبَرُّ ٱلتَّقِيُّ
अल-बर्रु अत-तक़िय्यु
जो नेकोकार और परहेज़गार हैं,

ٱلإِمَامُ ٱلْوَفِيُّ
अल-इमामु अल-वफ़िय्यु
और वफ़ादार पेशवा हैं।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلرَّضِيُّ ٱلزَّكِيُّ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-रज़िय्युज़्-ज़किय्यु
आप पर सलाम हो, ऐ रज़ामंद और पाक।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا وَلِيَّ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या वलिय्यल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के वली।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا نَجِيَّ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या नजिय्यल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के नजी।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا سَفِيـرَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या सफ़ीरल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के सफ़ीर।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا سِرَّ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या सिर्रल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के सिर्र।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا ضِيَاءَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या ज़ियाअल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह की ज़िया।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا سَنَاءَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या सना-अल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह की सना।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا كَلِمَةَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या कलिमतल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह की कलिमा।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا رَحْمَةَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या रहमतल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह की रहमत।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلنُّوُرُ ٱلسَّاطِعُ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-नूरुस्-सातिअु
आप पर सलाम हो, ऐ रौशन चमकता नूर।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلْبَدْرُ ٱلطَّالِعُ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-बद्रुत्-तालिअु
आप पर सलाम हो, ऐ उगता हुआ बद्र।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلطَّيِّبُ مِنَ ٱلطَّيِّبِينَ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-तय्यिबु मिनत्-तय्यिबीन
आप पर सलाम हो, ऐ पाक जो पाकों की नस्ल से हैं।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلطَّاهِرُ مِنَ ٱلْمُطَهَّرِينَ
अस्सलामु अलैका अय्युहत्-ताहिरु मिनल-मुतह्हरीन
आप पर सलाम हो, ऐ ताहिर जो मुतह्हरों की नस्ल से हैं।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلآيَةُ ٱلْعُظْمَىٰ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-आयतुल-उज़्मा
आप पर सलाम हो, ऐ सबसे बड़ी निशानी।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلْحُجَّةُ ٱلْكُبْرَىٰ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-हुज्जतुल-कुब्रा
आप पर सलाम हो, ऐ सबसे बड़ी हुज्जत।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلْمُطَهَّرُ مِنَ ٱلزَّلاَّتِ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-मुतह्हरु मिनज़्-ज़ल्लाति
आप पर सलाम हो, ऐ لغزشों से पाक किया गया।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلْمُنَزَّهُ عَنِ ٱلْمُعْضِلاَتِ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-मुनज़्ज़हु अनिल-मुअज़िलाति
आप पर सलाम हो, ऐ मुश्किलों और ऐबों से मुनज़्ज़ह।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلْعَلِيُّ عَنْ نَقْصِ ٱلأَوْصَافِ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-अलिय्यु अन नक़्सिल-अौसाफ़ि
आप पर सलाम हो, ऐ औसाफ़ की कमी से बुलंद।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلرَّضِيُّ عِنْدَ ٱلأَشْرَافِ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-रज़िय्यु इन्दल-अश्राफ़ि
आप पर सलाम हो, ऐ अशराफ़ के नज़दीक मक़बूल व रज़ामंद।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا عَمُودَ ٱلدِّينَ
अस्सलामु अलैका या अमूदद्-दीन
आप पर सलाम हो, ऐ दीन का सुतून।

أَشْهَدُ أَنَّكَ وَلِيُّ ٱللَّهِ
अश्हदु अन्नका वलिय्युल्लाहि
मैं गवाही देता हूँ कि आप अल्लाह के वली हैं,

وَحُجَّتُهُ فِي أَرْضِهِ
वा हुज्जतूहू फ़ी अर्द़िही
और उसकी ज़मीन में उसकी हुज्जत हैं,

وَأَنَّكَ جَنْبُ ٱللَّهِ وَخِيَرَةُ ٱللَّهِ
वा अन्नका जन्बुल्लाहि वा ख़ियारतुल्लाहि
और बेशक आप जन्बुल्लाह हैं और अल्लाह की चुनी हुई हस्ती हैं,

وَمُسْتَوْدَعُ عِلْمِ ٱللَّهِ وَعِلْمِ ٱلأَنْبِيَاءِ
वा मुस्तौदअु इल्मिल्लाहि वा इल्मिल-अम्बियाइ
और अल्लाह के इल्म और अम्बिया के इल्म के अमानतदार हैं,

وَرُكْنُ ٱلإِيـمَانِ وَتَرْجُمَانُ ٱلْقُرْآنِ
वा रुक्नुल-ईमानि वा तरजुमानुल-क़ुरआन
और ईमान का रुक्न हैं, और क़ुरआन के तरजुमान हैं।

وَأَشْهَدُ أَنَّ مَنِ ٱتَّبَعَكَ عَلَىٰ ٱلْحَقِّ وَٱلْهُدَىٰ
वा अश्हदु अन्न मनित्तबअका अलल-हक़्क़ि वल-हुदा
और मैं गवाही देता हूँ कि जो कोई हक़ और हिदायत पर आपकी पैरवी करे,

وَأَنَّ مَنْ أَنْكَرَكَ وَنَصَبَ لَكَ ٱلْعَدَاوَةَ
वा अन्न मन अन्करका वा नसबा लकल-अदावत
और जो कोई आपको नकारे और आपसे अदावत रखे,

عَلَىٰ ٱلضَّلاَلَةِ وَٱلرَّدَىٰ
अलद्-ज़लालति वर्-रदा
वह गुमराही और हलाकत पर है।

أَبْرَأُ إِلَىٰ ٱللَّهِ وَإِلَيْكَ مِنْهُمْ فِي ٱلدُّنْيَا وَٱلآخِرَةِ
अब्रउ इल्लल्लाहि वा इलैका मिन्हुम फ़िद्दुन्या वल-आख़िरति
मैं दुनिया और आख़िरत में अल्लाह और आप के सामने उनसे बेज़ारी इख़्तियार करता हूँ।

وَٱلسَّلاَمُ عَلَيْكَ مَا بَقِيتُ وَبَقِيَ ٱللَّيْلُ وَٱلنَّهَارُ
वस्सलामु अलैका मा बक़ीतु वा बक़ियल्लैलु वन्नहारु
आप पर सलाम हो, जब तक मैं बाक़ी रहूँ और जब तक रात और दिन बाक़ी रहें।


फिर इमाम मुहम्मद तक़ी जवाद (उन पर सलाम हो) पर ये सलवात (दुरूद) पढ़ें
اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَأَهْلِ بَيْتِهِ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन वा अह्लि बैतिही
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और उनकी आले-बैत पर दरूद नाज़िल फ़रमा,

وَصَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدِ بْنِ عَلِيٍّ
वा सल्लि अला मुहम्मदि ब्नि अलिय्यिन
और मुहम्मद बिन अली पर भी दरूद नाज़िल फ़रमा,

ٱلزَّكِيِّ ٱلتَّقِيِّ
अज़्-ज़किय्यि अत-तक़िय्यि
जो पाक और परहेज़गार हैं,

وَٱلْبَرِّ ٱلْوَفِيِّ
वल-बर्रि अल-वफ़िय्यि
जो नेकोकार और वफ़ादार हैं,

وَٱلْمُهَذَّبِ ٱلنَّقِيِّ
वल-मुहज़्ज़बि अन्-नक़िय्यि
जो मुहज़्ज़ब और नक़ी हैं,

هَادِي ٱلأُمَّةِ
हादी अल-उम्मति
उम्मत के हादी,

وَوَارِثِ ٱلأَئِمَّةِ
वा वारिसिल-अइम्मति
इमामों के वारिस,

وَخَازِنِ ٱلرَّحْمَةِ
वा ख़ाज़िनिर्-रह्मति
रहमत के ख़ाज़िन,

وَيَنْبُوعِ ٱلْحِكْمَةِ
वा यन्बूइल-हिक्मति
हिकमत के चश्मे,

وَقَائِدِ ٱلْبَرَكَةِ
वा क़ाइदिल-बरकति
बरकत के क़ायद,

وَعَدِيلِ ٱلْقُرْآنِ فِي ٱلطَّاعَةِ
वा अदीलिल-क़ुरआनि फ़ित्ताअति
इताअत में क़ुरआन के हमसर,

وَوَاحِدِ ٱلأَوْصِيَاءِ فِي ٱلإِخْلاَصِ وَٱلْعِبَادَةِ
वा वाहिदिल-अौसियाइ फ़िल-इख़्लासि वल-इबादति
इख़्लास और इबादत में औसिया में यकता,

وَحُجَّتِكَ ٱلْعُلْيَا
वा हुज्जतकल-उलया
तेरी आला हुज्जत,

وَمَثَلِكَ ٱلأَعْلَىٰ
वा मसलकल-अअला
तेरा सबसे बुलंद मिसाल,

وَكَلِمَتِكَ ٱلْحُسْنَىٰ
वा कलिमतकल-हुस्ना
तेरा बेहतरीन कलिमा,

ٱلدَّاعِي إِلَيْكَ
अद्-दाई इलैका
तेरी तरफ़ बुलाने वाले,

وَٱلدَّالِّ عَلَيْكَ
वद्-दाल्ली अलैका
और तेरी तरफ़ रहनुमाई करने वाले,

ٱلَّذِي نَصَبْتَهُ عَلَماً لِعِبَادِكَ
अल्लज़ी नसब्तहू अलमन लिइबादिका
जिसे तूने अपने बंदों के लिए अलामत (निशान) मुक़र्रर किया,

وَمُتَرْجِماً لِكِتَابِكَ
वा मुतरजिमन लिकिताबिका
तेरी किताब का मुतरजिम,

وَصَادِعاً بِأَمْرِكَ
वा सादिअन बिअम्रिका
तेरे हुक्म को वाज़ेह करने वाले,

وَنَاصِراً لِدِينِكَ
वा नासिरन लिदीनिका
तेरे दीन के नासिर,

وَحُجَّةً عَلَىٰ خَلْقِكَ
वा हुज्जतन अला ख़ल्क़िका
तेरी मख़लूक़ पर हुज्जत,

وَنُوراً تَخْرُقُ بِهِ ٱلظُّلَمَ
वा नूरन तख़रुक़ु बिहिज़्-ज़ुलमा
ऐसा नूर जिसके ज़रिये तारीकियाँ चीर दी जाती हैं,

وَقُدْوَةً تُدْرَكُ بِهَا ٱلْهِدَايَةُ
वा क़ुद्वतन तुद्रकु बिहल-हिदायतु
ऐसा क़ुद्वा जिसके ज़रिये हिदायत हासिल होती है,

وَشَفيعاً تُنَالُ بِهِ ٱلْجَنَّةُ
वा शफ़ीअन तुनालु बिहल-जन्नतु
और ऐसा शफ़ीअ जिसके वसीले से जन्नत पाई जाती है।

اَللَّهُمَّ وَكَمَا أَخَذَ فِي خُشُوعِهِ لَكَ حَظَّهُ
अल्लाहुम्मा वकमा अख़ज़ा फ़ी ख़ुशूइही लका हज़्ज़हू
ऐ अल्लाह! जिस तरह उसने तेरे लिए अपने ख़ुशू में अपना हिस्सा लिया,

وَٱسْتَوْفَىٰ مِنْ خَشْيَتِكَ نَصِيبَهُ
वस्तौफ़ा मिन ख़शयतिका नसीबहू
और तेरे ख़ौफ़ से अपना नसीब पूरा किया,

فَصَلِّ عَلَيْهِ أَضْعَافَ مَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ وَلِيٍّ
फ़सल्लि अलैहि अज़आफ़ा मा सल्लैत अला वलिय्यिन
तो उस पर कई गुना दरूद नाज़िल फ़रमा, जितना तूने अपने किसी वली पर नाज़िल किया है,

ٱرْتَضَيْتَ طَاعَتَهُ
इर्तज़ैत ताअतहू
जिसकी इताअत को तूने पसंद फ़रमाया,

وَقَبِلْتَ خِدْمَتَهُ
वा क़बिल्त ख़िदमतहू
और जिसकी ख़िदमत को तूने क़बूल फ़रमाया।

وَبَلِّغْهُ مِنَّا تَحِيَّةً وَسَلاَماً
वा बल्लिघ्हू मिन्ना तहिय्यतन व सलामन
और हमारी तरफ़ से उसे तहिय्यात और सलाम पहुँचा दे,

وَآتِنَا فِي مُوَالاَتِهِ مِنْ لَدُنْكَ فَضْلًا وَإِحْسَاناً
वा आतिना फ़ी मुवालातिही मिन लदुनका फ़ज़्लन व इहसानन
और उसकी मुवालात की वजह से हमें अपनी तरफ़ से फ़ज़्ल और इहसान अता फ़रमा,

وَمَغْفِرَةً وَرِضْوَاناً
वा मघफ़िरतन व रिज़वानन
और मग़फ़िरत और रज़ा (रिज़वान) भी।

إِنَّكَ ذُو ٱلْمَنِّ ٱلْقَدِيـمِ
इन्नका ज़ुल-मन्निल-क़दीम
बेशक तू क़दीम नेमतों वाला है,

وَٱلصَّفْحِ ٱلْجَمِيلِ
वस्सफ़्हिल-जमील
और खूबसूरत दरगुज़र फ़रमाने वाला।

फिर आप ज़ियारत की दो रकअत नमाज़ अदा करें और वह दुआ पढ़ें जो इस जुमले से शुरू होती है:
اَللَّهُمَّ انْتَ ٱلرَّبُّ وَانَا ٱلْمَرْبُوبُ…
अल्लाहुम्मा अन्त अर्-रब्बु वा अना अल-मरबूबु…
ऐ अल्लाह! तू परवरदिगार है और मैं परवरिश पाया हुआ…


मन-ला यज़हरुल फ़क़ीह में, शैख़ अस-सदूक़ ने ये रिवायत नक़्ल की है: जब आप इमाम अल-जवाद (उन पर सलाम हो) की ज़ियारत का इरादा करें, तो ग़ुस्ल करें और दो पाक-साफ़ (और तहारत वाली) पोशाकें पहनें। फिर ये अल्फ़ाज़ कहें:
َللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدِ بْنِ عَلِيٍّ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदि ब्नि अलिय्यिन
ऐ अल्लाह! मुहम्मद बिन अली पर दरूद नाज़िल फ़रमा,

ٱلإِمَامِ ٱلتَّقِيِّ ٱلنَّقِيِّ
अल-इमामि अत-तक़िय्यि अन्-नक़िय्यि
जो इमाम, परहेज़गार और नक़ी हैं,

ٱلرِّضِيِّ ٱلْمَرْضِيِّ
अर्-रज़िय्यि अल-मरज़िय्यि
रज़ामंद और मरज़ीदा इमाम,

وَحُجَّتِكَ عَلَىٰ مَنْ فَوْقَ ٱلأَرْضِ
वा हुज्जतिका अला मन फ़ौक़ल-अर्द़ि
और तेरी हुज्जत, उन सब पर जो ज़मीन पर हैं,

وَمَنْ تَحْتَ ٱلثَّرَىٰ
वा मन तह्तस्सरा
और उन पर भी जो ज़मीन के नीचे हैं,

صَلاَةً كَثِيرَةً
सलातन कसीरतन
बहुत कसीरत दरूद के साथ,

نَامِيَةً زَاكِيَةً مُبَارَكَةً
नामियतन ज़ाकियतन मुबारकतन
जो बढ़ती रहे, पाक हो, और बरकत वाली हो,

مُتَوَاصِلَةً مُتَرَادِفَةً مُتَوَاتِرَةً
मुतवासिलतन मुतरादिफतन मुतवातिरतन
जो लगातार, एक के बाद एक, और बिना रुकावट हो,

كَأَفْضَلِ مَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ أَحَدٍ مِنْ أَوْلِيَائِكَ
कअफ़ज़लि मा सल्लैत अला अहदिन मिन औलियाइका
और वैसी बेहतरीन दरूद जैसी तूने अपने औलिया में से किसी पर नाज़िल की हो।

وَٱلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا وَلِيَّ ٱللَّهِ
वस्सलामु अलैका या वलिय्यल्लाहि
और आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के वली।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا نُورَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या नूरल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह के नूर।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا حُجَّةَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या हुज्जतल्लाहि
आप पर सलाम हो, ऐ अल्लाह की हुज्जत।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا إِمَامَ ٱلْمُؤْمِنِينَ
अस्सलामु अलैका या इमामल-मु'मिनीन
आप पर सलाम हो, ऐ मोमिनीन के इमाम,

وَوَارِثَ عِلْمِ ٱلنَّبِيِّينَ
वा वारिसा इल्मिन्नबिय्यीन
और नबियों के इल्म के वारिस,

وَسُلاَلَةَ ٱلْوَصِيِّينَ
वा सुलालतल-वसिय्यीन
और वसिय्यीन की नस्ल से।

اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا نُورَ ٱللَّهِ فِي ظُلُمَاتِ ٱلأَرْضِ
अस्सलामु अलैका या नूरल्लाहि फ़ी ज़ुलुमातिल-अर्द़ि
आप पर सलाम हो, ऐ ज़मीन की तारीकियों में अल्लाह का नूर।

أَتَيْتُكَ زَائِراً
अतैतुका ज़ाइरन
मैं आपकी ज़ियारत के लिए हाज़िर हुआ हूँ,

عَارِفاً بِحَقِّكَ
आरिफ़न बिहक़्क़िका
आपके हक़ को पहचानते हुए,

مُعَادِياً لأَعْدَائِكَ
मुआदियन लि-अअदाइका
और आपके दुश्मनों से अदावत रखते हुए,

مُوَالِياً لأَوْلِيَائِكَ
मुवालियन लिऔलियाइका
और आपके औलिया से वफ़ादारी का इज़हार करते हुए।

فَٱشْفَعْ لِي عِنْدَ رَبِّكَ
फ़श्फ़अ् ली इन्दा रब्बिका
तो अपने रब के पास मेरे लिए शफ़ाअत फ़रमाइए।

फिर आप अपनी ज़ाती हाजात के लिए अल्लाह तआला से दुआ कर सकते हैं।

बाक़ियातुस-सालेहात से ज़ियारत का चौथा तरीक़ा

اَلسَّلاَمُ عَلَىٰ ٱلْبَابِ ٱلأَقْصَدِ
अस्सलामु अलल-बाबिल-अक़्सद
सबसे सीधी (हिदायत की) दरवाज़े पर सलाम हो,

وَٱلطَّرِيقِ ٱلأَرْشَدِ
वत्-तरीक़िल-अरशद
और सबसे दुरुस्त रास्ते पर,

وَٱلْعَالِمِ ٱلْمُؤَيَّدِ
वल-आलिमिल-मुअय्यद
और अल्लाही ताईद पाए हुए आलिम पर,

يُنْبُوعِ ٱلْحِكَمِ
यन्बूइil-हिकम
हिकमतों के चश्मे पर,

وَمِصْبَاحِ ٱلظُّلَمِ
वा मिस्बाहिज़्-ज़ुलम
और तारीकियों में चिराग़ पर,

سَيِّدِ ٱلْعَرَبِ وَٱلْعَجَمِ
सय्यिदिल-अरबि वल-अजम
अरब और अजम के सरदार पर,

ٱلْهَادِي إِلَىٰ ٱلرَّشَادِ
अल-हादी इलर्-रशाद
रशाद की तरफ़ रहनुमाई करने वाले पर,

ٱلْمُوَفَّقِ بِٱلتَّأْيِيدِ وَٱلسَّدَادِ
अल-मुवफ़्फ़क़ि बित्ताअयीदि वस्सदाद
और ताईद व सदाद के ज़रिये कामयाब किए गए पर;

مَوْلاَيَ أَبِي جَعْفَرٍ
मौलाया अबी जअफ़रिन
मेरे मौला अबू जअफ़र,

مُحَمَّدِ بْنِ عَلِيٍّ ٱلْجَوَادِ
मुहम्मदि ब्नि अलिय्यिन अल-जवादि
मुहम्मद बिन अली अल-जवाद।

أَشْهَدُ يَا وَلِيَّ ٱللَّهِ
अश्हदु या वलिय्यल्लाहि
मैं गवाही देता हूँ, ऐ अल्लाह के वली,

أَنَّكَ أَقَمْتَ ٱلصَّلاَةَ
अन्नका अक़म्तस्सलाता
कि आपने नमाज़ क़ायम की,

وَآتَيْتَ ٱلزَّكَاةَ
वा आतैतज़्ज़काता
और ज़कात अदा की,

وَأَمَرْتَ بِٱلْمَعْرُوفِ
वा अमर्त बिल-मअरूफ़ि
और नेकी का हुक्म दिया,

وَنَهَيْتَ عَنِ ٱلْمُنْكَرِ
वा नहैत अनिल-मुनकरि
और बुराई से रोका,

وَجَاهَدْتَ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ حَقَّ جِهَادِهِ
वा जाहद्ता फ़ी सबीलिल्लाहि हक़्क़ा जिहादिही
और अल्लाह की राह में ऐसा जिहाद किया जैसा उसका हक़ था,

وَعَبَدْتَ ٱللَّهَ مُخْلِصاً حَتَّىٰ أَتَاكَ ٱلْيَقِينُ
वा अबद्तल्लाहा मुख़्लिसन हत्ता अताकल-यक़ीनु
और अल्लाह की इबादत इख़्लास के साथ की, यहाँ तक कि यक़ीन (मौत) आ पहुँचा।

فَعِشْتَ سَعِيداً
फ़अिश्ता सईदन
तो आप सआदत के साथ ज़िंदगी गुज़ार गए,

وَمَضَيْتَ شَهَِيداً
वा मज़ैत शहीदन
और शहादत के साथ रुख़्सत हुए।

يَا لَيْتَنِي كُنْتُ مَعَكُمْ
या लैतेनी कुन्तु मअकुम
काश! मैं भी आपके साथ होता,

فَأَفُوزَ فَوْزاً عَظِيماً
फ़अफ़ूज़ा फ़ौज़न अज़ीमन
तो मैं भी एक अज़ीम कामयाबी हासिल करता।

وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ
वा रहमतुल्लाहि वा बरकातुहू
अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें आप पर हों।

फिर आप क़ब्र की मुबारक मिट्टी को बोसा दे सकते हैं और अपना दाहिना गाल उस पर रख सकते हैं।
फिर आप ज़ियारत की दो रकअत नमाज़ अदा करें, जिसके बाद आप अल्लाह तआला से जो चाहें दुआ कर सकते हैं।




इमाम मुहम्मद तक़ी अल-जवाद पर सलवात
साकिन और मुतमइन (उन पर सलाम हो)
जुमे के मुस्तहब अमल में, शैख़ अत-तूसी ने अपनी किताब मिस्बाह अल-मुतहज्जिद में इमाम हसन असकरी (उन पर सलाम हो) से ये नक़्ल किया है:


اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدِ بْنِ عَلِيِّ بْنِ مُوسَىٰ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदि ब्नि अलिय्यि ब्नि मूसा
ऐ अल्लाह! मुहम्मद बिन अली बिन मूसा पर दरूद नाज़िल फ़रमा,

عَلَمِ ٱلتُّقَىٰ
अलमित्-तुक़ा
जो तक़वा की अलामत हैं,

وَنُورِ ٱلْهُدَىٰ
वा नूरिल-हुदा
और हिदायत के नूर हैं,

وَمَعْدِنِ ٱلْوَفَاءِ
वा मअदिनिल-वफ़ाइ
और वफ़ा के मअदन हैं,

وَفَرْعِ ٱلأَزْكِيَاءِ
वा फ़रइल-अज़कियाइ
और अज़किया की शाख़ हैं,

وَخَلِيفَةِ ٱلأَوْصِيَاءِ
वा ख़लीफ़तिल-अौसियाइ
और औसिया के ख़लीफ़ा हैं,

وَأَمِينِكَ عَلَىٰ وَحْيِكَ
वा अमीनिका अला वह्यिका
और तेरी वही पर तेरे अमीन हैं।

اَللَّهُمَّ فَكَمَا هَدَيْتَ بِهِ مِنَ ٱلضَّلاَلَةِ
अल्लाहुम्मा फ़कमा हदैता बिहि मिनज़्-ज़लालति
ऐ अल्लाह! जिस तरह तूने उनके ज़रिये गुमराही से हिदायत दी,

وَٱسْتَنْقَذْتَ بِهِ مِنَ ٱلْحَيْرَةِ
वस्तन्क़ज़्ता बिहि मिनल-हैरति
और हैरत से निजात दी,

وَأَرْشَدْتَ بِهِ مِنِ ٱهْتَدَىٰ
वा अरशद्ता बिहि मनिह्तदा
और हिदायत पाने वालों को उनके ज़रिये राह दिखाई,

وَزَكَّيْتَ بِهِ مَنْ تَزَكَّىٰ
वा ज़क्कैत बिहि मन तज़क्का
और पाक होने वालों को उनके ज़रिये पाक किया,

فَصَلِّ عَلَيْهِ
फ़सल्लि अलैहि
तो तू उन पर भी दरूद नाज़िल फ़रमा,

أَفْضَلَ مَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ أَحَدٍ
अफ़ज़ल मा सल्लैत अला अहदिन
सबसे बेहतरीन दरूद के साथ जैसा तूने किसी पर नाज़िल किया हो,

مِنْ أَوْلِيَائِكَ وَبَقِيَّةِ أَوْصِيَائِكَ
मिन औलियाइका वा बक़िय्यति औसियाइका
अपने औलिया और औसिया के बाक़ी रहने वालों में से किसी पर।

إِنَّكَ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
इन्नका अज़ीज़ुन हकीमुन
बेशक तू अज़ीज़ है, हकीम है।




اَللَّهُمَّ أَنْتَ ٱلرَّبُّ وَأَنَا ٱلْمَرْبُوبُ
अल्लाहुम्मा अन्त अर्-रब्बु वा अना अल-मरबूबु
ऐ अल्लाह! तू परवरदिगार है और मैं परवरिश पाया हुआ हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْخَالِقُ وَأَنَا ٱلْمَخْلُوقُ
वा अन्त अल-ख़ालिक़ु वा अना अल-मख़लूक़ु
तू ख़ालिक़ है और मैं मख़लूक़ हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْمَالِكُ وَأَنَا ٱلْمَمْلُوكُ
वा अन्त अल-मालिकु वा अना अल-मम्लूकु
तू मालिक है और मैं ममलूक़ हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْمُعْطِي وَأَنَا ٱلسَّائِلُ
वा अन्त अल-मुअती वा अना अस्-साइलु
तू अता करने वाला है और मैं सवाल करने वाला हूँ।

وَأَنْتَ ٱلرَّازِقُ وَأَنَا ٱلْمَرْزُوقُ
वा अन्त अर्-राज़िक़ु वा अना अल-मरज़ूक़ु
तू रोज़ी देने वाला है और मैं रोज़ी पाने वाला हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْقَادِرُ وَأَنَا ٱلْعَاجِزُ
वा अन्त अल-क़ादिरु वा अना अल-आजिज़ु
तू क़ादिर है और मैं आजिज़ हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْقَوِيُّ وَأَنَا ٱلضَّعِيفُ
वा अन्त अल-क़विय्यु वा अना अद्-ज़ईफ़ु
तू क़वी है और मैं ज़ईफ़ हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْمُغِيثُ وَأَنَا ٱلْمُسْتَغِيثُ
वा अन्त अल-मुघीसु वा अना अल-मुस्तग़ीसु
तू फ़रियाद-रस है और मैं फ़रियाद करने वाला हूँ।

وَأَنْتَ ٱلدَّائِمُ وَأَنَا ٱلزَّائِلُ
वा अन्त अद्-दाइमु वा अना अज़्-ज़ाइलु
तू दाइम है और मैं फ़ानी होने वाला हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْكَبِيرُ وَأَنَا ٱلْحَقِيرُ
वा अन्त अल-कबीरु वा अना अल-हक़ीरु
तू कबीर है और मैं हक़ीर हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْعَظِيمُ وَأَنَا ٱلصَّغِيرُ
वा अन्त अल-अज़ीमु वा अना अस्-सग़ीरु
तू अज़ीम है और मैं सग़ीर हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْمَوْلَىٰ وَأَنَا ٱلْعَبْدُ
वा अन्त अल-मौला वा अना अल-अब्दु
तू मौला है और मैं बंदा हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْعَزِيزُ وَأَنَا ٱلذَّلِيلُ
वा अन्त अल-अज़ीज़ु वा अना अज़्-ज़लीलु
तू अज़ीज़ है और मैं ज़लील हूँ।

وَأَنْتَ ٱلرَّفِيعُ وَأَنَا ٱلْوَضِيعُ
वा अन्त अर्-रफ़ीउ वा अना अल-वज़ीउ
तू रफ़ीउ है और मैं वज़ीअ हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْمُدَبِّرُ وَا نَا ٱلْمُدَبَّرُ
वा अन्त अल-मुदब्बिरु वा अना अल-मुदब्बरु
तू मुदब्बिर है और मैं जिसका इंतज़ाम किया जाता है।

وَأَنْتَ ٱلْبَاقِي وَأَنَا ٱلْفَانِي
वा अन्त अल-बाक़ी वा अना अल-फ़ानी
तू बाक़ी है और मैं फ़ानी हूँ।

وَأَنْتَ ٱلدَّيَّانُ وَأَنَا ٱلْمُدَانُ
वा अन्त अद्-दैयानु वा अना अल-मुदानु
तू दैय्यान है और मैं जिसका हिसाब लिया जाएगा।

وَأَنْتَ ٱلْبَاعِثُ وَأَنَا ٱلْمَبْعُوثُ
वा अन्त अल-बाइसु वा अना अल-मबउसु
तू बाइस है और मैं उठाया जाऊँगा।

وَأَنْتَ ٱلْغَنِيُّ وَأَنَا ٱلْفَقِيرُ
वा अन्त अल-ग़निय्यु वा अना अल-फ़क़ीरु
तू ग़नी है और मैं फ़क़ीर हूँ।

وَأَنْتَ ٱلْحَيُّ وَأَنَا ٱلْمَيِّتُ
वा अन्त अल-हय्यु वा अना अल-मय्यितु
तू हय्य है और मैं मौत के ताबे हूँ।

تَجِدُ مَنْ تُعَذِّبُ يَا رَبِّ غَيْرِي
तजिदु मन तुअज़्ज़िबु या रब्बि ग़ैरी
ऐ मेरे रब! तू मेरे सिवा भी जिसे चाहे अज़ाब दे सकता है,

وَلاَ أَجِدُ مَنْ يَرْحَمُنِي غَيْرُكَ
वा ला अजिदु मन यरहमुनी ग़ैरुका
मगर मैं तेरे सिवा किसी को नहीं पाता जो मुझ पर रहम करे।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मद
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद नाज़िल फ़रमा,

وَقَرِّبْ فَرَجَهُمْ
वा क़र्रिब फ़रजहुम
और उनके फ़रज को क़रीब कर,

وَٱرْحَمْ ذُلِّي بَيْنَ يَدَيْكَ
वरहम ज़ुल्ली बैना यदैका
और तेरे सामने मेरी ज़िल्लत पर रहम फ़रमा,

وَتَضَرُّعِي إِلَيْكَ
वा तज़र्रुई इलैका
और मेरी तेरे सामने गिड़गिड़ाहट,

وَوَحْشَتِي مِنَ ٱلنَّاسِ
वा वह्शती मिनन्-नासि
और लोगों से मेरी वह्शत,

وَأُنْسِي بِكَ يَا كَرِيـمُ
वा उन्सी बिका या करीम
और तुझसे मेरी उन्सियत, ऐ करीम।

ثُمَّ تَصَدَّقْ عَلَيَّ فِي هٰذِهِ ٱلسَّاعَةِ
थुम्मा तसद्दक़ अलैय्या फ़ी हादिहिस्साअति
फिर इसी घड़ी मुझ पर सदक़ा (इनायत) फ़रमा,

بِرَحْمَةٍ مِنْ عِنْدِكَ تُهَدِّئُ بِهَا قَلْبِي
बिरहमतिन मिन इन्दिका तुहद्दिउ बिहा क़ल्बी
अपनी तरफ़ से ऐसी रहमत के साथ जिससे तू मेरे दिल को सुकून दे,

وَتَجْمَعُ بِهَا أَمْرِي
वा तज्मअु बिहा अम्री
और मेरे कामों को जमा कर दे,

وَتَلُمُّ بِهَا شَعَثِي
वा तलुम्मु बिहा शअथी
और मेरी बिखरी हालत को समेट दे,

وَتُبَيِّضُ بِهَا وَجْهِي
वा तुबय्यिज़ु बिहा वजह़ी
और मेरे चेहरे को रौशन कर दे,

وَتُكْرِمُ بِهَا مَقَامِي
वा तुक्रिमु बिहा मक़ामी
और मेरे मक़ाम को इज़्ज़त बख़्श,

وَتَحُطُّ بِهَا عَنِّي وِزْرِي
वा तहुत्तु बिहा अन्नी विज़्री
और मेरे बोझ (गुनाहों) को मुझसे उतार दे,

وَتَغْفِرُ بِهَا مَا مَضَىٰ مِنْ ذُنُوبِي
वा तग़्फ़िरु बिहा मा मदा मिन ज़ुनूबी
और मेरे पिछले गुनाहों को बख़्श दे,

وَتَعْصِمُنِي فِي مَا بَقِيَ مِنْ عُمْرِي
वा तअसिमुनी फ़ी मा बक़िया मिन उम्री
और मेरी बाकी उम्र में मुझे गुनाह से महफ़ूज़ रख,

وَتَسْتَعْمِلُنِي فِي ذٰلِكَ كُلِّهِ
वा तस्तअमिलुनी फ़ी ज़ालिका कुल्लिही
और मुझे इस सब में लगा दे,

بِطَاعَتِكَ وَمَا يُرْضِيكَ عَنِّي
बिताअतिक व मा युर्द़ीक अन्नी
तेरी इताअत में और उन कामों में जो तुझे मुझसे राज़ी करें,

وَتَخْتِمُ عَمَلِي بِأَحْسَنِهِ
वा तख़्तिमु अमली बिअहसनिही
और मेरे अमल का ख़ातिमा बेहतरीन अमल पर कर,

وَتَجْعَلُ لِي ثَوَابَهُ ٱلْجَنَّةَ
वा तज्अलु ली सवाबहुल-जन्नता
और उसका सवाब मेरे लिए जन्नत क़रार दे,

وَتَسْلُكُ بِي سَبِيلَ ٱلصَّالِحِينَ
वा तस्लुकु बी सबीलस्सालिहीन
और मुझे सालेहीन के रास्ते पर चला,

وَتُعِينُنِي عَلَىٰ صَالِحِ مَا أَعْطَيْتَنِي
वा तुईनुनी अला सालिहि मा अअतैतनी
और जो नेकी तूने मुझे अता की है उस पर अमल की तौफ़ीक़ दे,

كَمَا أَعَنْتَ ٱلصَّالِحِينَ عَلَىٰ صَالِحِ مَا أَعْطَيْتَهُمْ
कमा अअन्तस्सालिहीन अला सालिहि मा अअतैतहुम
जैसे तूने सालेहीन को भी उस नेकी पर मदद दी जो तूने उन्हें दी,

وَلاَ تَنْزَعْ مِنِّي صَالِحاً أَعْطَيْتِنِيهِ أَبَداً
वा ला तनज़अ् मिन्नी सालिहन् अअतैतनीहि अबदन्
और जो नेकी तूने मुझे दी है उसे मुझसे कभी न छीन,

وَلاَ تَرُدَّنِي فِي سُوءٍ ٱسْتَنْقَذْتَنِي مِنْهُ أَبَداً
वा ला तरुद्दनी फ़ी सूइन इस्तन्क़ज़्तनी मिन्हु अबदन्
और जिस बुराई से तूने मुझे बचाया है उसमें मुझे कभी वापस न लौटा,

وَلاَ تُشْمِتْ بِي عَدُوّاً وَلاَ حَاسِداً أَبَداً
वा ला तुश्मित बी अदुव्वन् वा ला हासिदन् अबदन्
और मेरे दुश्मन या हसद करने वाले को मुझ पर कभी शमातत का मौक़ा न दे,

وَلاَ تَكِلْنِي إِلَىٰ نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ أَبَداً
वा ला तकिल्नी इला नफ़्सी तर्फ़ता ऐनिन अबदन्
और मुझे मेरे हवाले पल भर के लिए भी कभी न छोड़,

وَلاَ أَقَلَّ مِنْ ذٰلِكَ وَلاَ أَكْثَرَ
वा ला अक़ल्ल मिन ज़ालिका वा ला अक्थर
न इससे कम और न इससे ज़्यादा।

يَا رَبَّ ٱلْعَالَمِينَ
या रब्बल-आलमीन
ऐ रब्बुल-आलमीन!

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन वा आलि मुहम्मद
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर दरूद नाज़िल फ़रमा,

وَأَرِنِي ٱلْحَقَّ حَقّاً فَأَتَّبِعَهُ
वा अरिनी अल-हक़्क़ हक़्क़न् फ़अत्तबिअहु
और मुझे हक़ को हक़ करके दिखा ताकि मैं उसकी पैरवी करूँ,

وَٱلْبَاطِلَ بَاطِلاً فَأَجْتَنِبَهُ
वल-बातिल बातिलन् फ़अज्तनिबहु
और बातिल को बातिल करके दिखा ताकि मैं उससे बचूँ,

وَلاَ تَجْعَلْهُ عَلَيَّ مُتَشَابِهاً
वा ला तज्अल्हु अलैय्या मुतशाबिहन्
और इसे मेरे लिए मुश्तबह न बना,

فَأَتَّبِعَ هَوَايَ بِغَيْرِ هُدىًٰ مِنْكَ
फ़अत्तबिअ हवाई बिग़ैरि हुदन् मिंका
ता कि मैं तेरी हिदायत के बग़ैर अपने नफ़्स की ख़्वाहिशों की पैरवी न कर बैठूँ।

وَٱجْعَلْ هَوَايَ تَبَعاً لِطَاعَتِكَ
वज्अल हवाया तबअन् लिताअतिक
और (मेहरबानी करके) मेरी तमाम ख़्वाहिशों को तेरी इताअत के ताबे कर दे,

وَخُذْ رِضَا نَفْسِكَ مِنْ نَفْسِي
वा ख़ुज़ रिद़ा नफ़्सिका मिन नफ़्सी
और मेरी नफ़्सानी रज़ा की जगह अपनी रज़ा को मुझ पर ग़ालिब कर दे,

وَٱهْدِنِي لِمَا ٱخْتُلِفَ فِيهِ مِنَ ٱلْحَقِّ بِإِذْنِكَ
वह्दिनी लिमा इख़्तुलिफ़ फ़ीहि मिनल-हक़्क़ि बिईज़्निक
और जिस हक़ में इख़्तिलाफ़ हो गया है, अपनी इजाज़त से मुझे उसी हक़ की तरफ़ हिदायत दे,

إِنَّكَ تَهْدِي مَنْ تَشَاءُ إِلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ
इन्नका तह्दी मन तशाउ इला सिरातिन मुस्तक़ीम
बेशक तू जिसे चाहता है सीधे रास्ते की तरफ़ हिदायत देता है।

फिर आप अपनी ज़ाती दरख़्वास्तों के लिए अल्लाह तआला से दुआ कर सकते हैं और इंशाअल्लाह वह क़ुबूल होंगी।