ज़्यारत ईमाम हुसैन (अ०स०)
रजब की 1/15 (दिन/रात) और 15 शाबान के लिए ख़ास


अहमियत

शैख़ अल-मुफ़ीद और सय्यिद इब्न ताऊस ने बयान किया है कि ज़ियारत का यह तरीक़ा रजब की पहली तारीख़ और शाबान की पंद्रहवीं रात के लिए मख़सूस है। हालाँकि, अश-शहीद ने यह इज़ाफ़ा किया है कि यह रजब की पहली रात, रजब की पंद्रहवीं रात, रजब की पंद्रहवीं तारीख़ और शाबान की पंद्रहवीं तारीख़ के लिए भी मख़सूस है। नतीजतन, ज़ियारत का यह तरीक़ा कुल छह मौक़ों के लिए मख़सूस है।


हरम में दाख़िल होते ही, मुक़द्दस क़ब्र के क़रीब ठहरें और सौ मर्तबा दोहराएँ:
اللَّهُ اكْبَرُ
अल्लाहु अकबर
अल्लाह सबसे बड़ा है।

इसके बाद यह कलिमात अर्ज़ करें:
السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ رَسُولِ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या ब्न रसूलिल्लाहि
सलाम हो आप पर, ऐ अल्लाह के रसूल के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ خَاتَمِ ٱلنَّبِيِّينَ
अस्सलामु अलैका या ब्न ख़ातमिन्नबिय्यीन
सलाम हो आप पर, ऐ ख़ातमुन-नबिय्यीन के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ سَيِّدِ ٱلْمُرْسَلِينَ
अस्सलामु अलैका या ब्न सैय्यिदिल-मुर्सलीन
सलाम हो आप पर, ऐ सैय्यिदुल-मुर्सलीन के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ سَيِّدِ ٱلْوَصِيِّينَ
अस्सलामु अलैका या ब्न सैय्यिदिल-वसिय्यीन
सलाम हो आप पर, ऐ सैय्यिदुल-वसिय्यीन के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا أَبَا عَبْدِ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या अबा अब्दिल्लाहि
सलाम हो आप पर, ऐ अबा अब्दिल्लाह।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا حُسَيْنُ بْنَ عَلِيٍّ
अस्सलामु अलैका या हुसैनु ब्न अलीyyin
सलाम हो आप पर, ऐ हुसैन इब्न अली।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بْنَ فَاطِمَةَ سَيِّدَةِ نِسَاءِ ٱلْعَالَمِينَ
अस्सलामु अलैका या ब्न फातिमता सैय्यिदति निसा'इल-आलमीन
सलाम हो आप पर, ऐ फातिमा—सैय्यिदतुन-निसा'इल-आलमीन—के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا وَلِيَّ ٱللَّهِ وَٱبْنَ وَلِيِّهِ
अस्सलामु अलैका या वलिय्यल्लाहि वब्न वलिय्यिही
सलाम हो आप पर, ऐ वली-ए-अल्लाह और उसके वली के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا صَفِيَّ ٱللَّهِ وَٱبْنَ صَفِيِّهِ
अस्सलामु अलैका या सफिय्यल्लाहि वब्न सफिय्यिही
सलाम हो आप पर, ऐ अल्लाह के चुने हुए और उसके चुने हुए के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا حُجَّةَ ٱللَّهِ وَٱبْنَ حُجَّتِهِ
अस्सलामु अलैका या हुज्जतल्लाहि वब्न हुज्जतिही
सलाम हो आप पर, ऐ अल्लाह की हुज्जत और उसकी हुज्जत के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا حَبِيبَ ٱللَّهِ وَٱبْنَ حَبِيبِهِ
अस्सलामु अलैका या हबीबल्लाहि वब्न हबीबिही
सलाम हो आप पर, ऐ अल्लाह के हबीब और उसके हबीब के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا سَفِيرَ ٱللَّهِ وَٱبْنَ سَفِيرِهِ
अस्सलामु अलैका या सफीरल्लाहि वब्न सफीरिही
सलाम हो आप पर, ऐ अल्लाह के नुमाइंदे और उसके नुमाइंदे के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا خَازِنَ ٱلكِتَابِ ٱلْمَسْطُورِ
अस्सलामु अलैका या ख़ाज़िनल-किताबिल-मस्तूरि
सलाम हो आप पर, ऐ किताब-ए-मस्तूर के ख़ाज़िन।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا وَارِثَ ٱلتَّوْرَاةِ وَٱلإِنْجِيلِ وَٱلزَّبُورِ
अस्सलामु अलैका या वारिसत-तौराति वल-इंजीलि वज़-जबूरि
सलाम हो आप पर, ऐ तौरात, इंजील और ज़बूर के वारिस।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا أَمِينَ ٱلرَّحْمٰنِ
अस्सलामु अलैका या अमीनर-रहमानि
सलाम हो आप पर, ऐ रहमान के अमीन।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا شَرِيكَ ٱلقُرْآنِ
अस्सलामु अलैका या शरीकल-क़ुरआनि
सलाम हो आप पर, ऐ क़ुरआन के शरीक।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا عَمُودَ ٱلدِّينِ
अस्सलामु अलैका या अमूदद-दीनि
सलाम हो आप पर, ऐ दीन के सुतून।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بَابَ حِكْمَةِ رَبِّ ٱلْعَالَمِينَ
अस्सलामु अलैका या बाब हिक्मति रब्बिल-आलमीन
सलाम हो आप पर, ऐ रब्बुल-आलमीन की हिकमत का दरवाज़ा।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا بَابَ حِطَّةٍ ٱلَّذِي مَنْ دَخَلَهُ كَانَ مِنَ ٱلآمِنِينَ
अस्सलामु अलैका या बाब हित्ततिन अल्लज़ी मन दख़लहू काना मिनल-आमिनीन
सलाम हो आप पर, ऐ बाब-ए-हित्तः; जो इसमें दाख़िल हुआ वह अम्न वालों में से होगा।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا عَيْبَةَ عِلْمِ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या अयबता इल्मिल्लाहि
सलाम हो आप पर, ऐ इल्म-ए-अल्लाह के ख़ज़ाने।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا مَوْضِعَ سِرِّ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैका या मौदिअ' सिर्रिल्लाहि
सलाम हो आप पर, ऐ सिर्र-ए-अल्लाह की जगह।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ يَا ثَارَ ٱللَّهِ وَٱبْنَ ثَارِهِ وَٱلْوِتْرَ ٱلْمَوْتُورَ
अस्सलामु अलैका या थारल्लाहि वब्न थारिही वल-वित्रल-मौतूरा
सलाम हो आप पर, ऐ थारुल्लाह, थारुल्लाह के फ़र्ज़ंद, और वह वित्र जो ज़ख़्मी/मज़लूम किया गया।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ وَعَلَىٰ ٱلأَرْوَاحِ ٱلَّتِي حَلَّتْ بِفِنَائِكَ وَأَنَاخَتْ بِرَحْلِكَ
अस्सलामु अलैका व अला अल-अरवाहिल्लती हल्लत बिफ़िना'इका व अनाख़त बिरह्लिका
सलाम हो आप पर, और उन रूहों पर भी जो आपके सहन में ठहरीं और आपके क़ाफ़िले के क़रीब उतर गईं।

بِأَبِي أَنْتَ وَأُمِّي وَنَفْسِي يَا أَبَا عَبْدِ ٱللَّهِ
बि-अबी अन्त व उम्मी व नफ़्सी या अबा अब्दिल्लाहि
मेरे बाप, मेरी माँ और मेरी जान आप पर फ़िदा हो, ऐ अबा अब्दिल्लाह।

لَقَدْ عَظُمَتِ ٱلْمُصِيبَةُ وَجَلَّتِ ٱلرَّزِيَّةُ بِكَ عَلَيْنَا وَعَلَىٰ جَمِيعِ أَهْلِ ٱلإِسْلاَمِ
लक़द अज़ुमतिल-मुसीबतُ व जल्लतिर-रज़िय्यतु बिका अलैना व अला जमीइ अह्लिल-इस्लामि
ऐ अबा अब्दिल्लाह! आपकी वजह से हम पर और तमाम अहले-इस्लाम पर मुसीबत बहुत बड़ी और रंज-ओ-ग़म बहुत सख़्त हो गया।

فَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً أَسَّسَتْ أَسَاسَ ٱلظُّلْمِ وَٱلْجَوْرِ عَلَيْكُمْ أَهْلَ البَيْتِ
फला'अनल्लाहु उम्मतन अस्ससत असासज़-ज़ुल्मि वल-जौरि अलैकुम अह्लल-बैत
अल्लाह की लानत हो उस क़ौम पर जिसने आप अहले-बैत पर ज़ुल्म व जौर की बुनियाद रखी।

وَلَعَنَ ٱللَّهُ أُمَّةً دَفَعَتْكُمْ عَنْ مَقَامِكُمْ
व ला'अनल्लाहु उम्मतन दफ़अ'त्कुम अन मक़ामिकुम
और अल्लाह की लानत हो उस क़ौम पर जिसने आपको आपके मक़ाम से दूर किया,

وَأَزَالَتْكُمْ عَنْ مَرَاتِبِكُمُ ٱلَّتِي رَتَّبَكُمُ ٱللَّهُ فِيهَا
व अज़ालत्कुम अन मरातिबिकुम अल्लती रत्तबाकुमुल्लाहु फीहा
और आपको उन मरातिब से हटाया जिनमें अल्लाह ने आपको मुक़र्रर किया था।

بِأَبِي أَنْتَ وَأُمِّي وَنَفْسِي يَا أَبَا عَبْدِ ٱللَّهِ
बि-अबी अन्त व उम्मी व नफ़्सी या अबा अब्दिल्लाहि
मेरे बाप, मेरी माँ और मेरी जान आप पर फ़िदा हो, ऐ अबा अब्दिल्लाह।

أَشْهَدُ لَقَدِ ٱقْشَعَرَّتْ لِدِمَائِكُمْ أَظِلَّةُ ٱلعَرْشِ مَعَ أَظِلَّةِ ٱلْخَلائِقِ
अश्हदु लक़द इक़्शअ'र्रत लिदिमा'इकुम अज़िल्लतुल-अर्शि मअ अज़िल्लतिल-ख़लाइ'क़
मैं गवाही देता हूँ कि आपके ख़ून बहने पर अर्श की सायाएँ भी मख़लूक़ की सायाओं के साथ काँप उठीं।

وَبَكَتْكُمُ ٱلسَّمَاءُ وَٱلأَرْضُ وَسُكَّانُ ٱلْجِنَانِ وَٱلْبَرِّ وَٱلْبَحْرِ
व बक़त्कुमुस्समा'उ वल-अर्दु व सुक्कानुल-जिनानि वल-बर्रि वल-बहरि
और आसमान, ज़मीन, जन्नतों के बाशिंदे, ज़मीनें और समुंदर—सब ने आपके लिए गिर्या किया।

صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْكَ عَدَدَ مَا فِي عِلْمِ ٱللَّهِ
सल्लल्लाहु अलैका अदद मा फी इल्मिल्लाहि
अल्लाह आप पर सलावात भेजे—उतनी जितनी अल्लाह के इल्म में हैं।

لَبَّيْكَ دَاعِيَ ٱللَّهِ
लَبَّयْक दा'ईَ अल्लाहि
हाज़िर हूँ आपकी ख़िदमत में, ऐ अल्लाह की तरफ़ बुलाने वाले।

إِنْ كَانَ لَمْ يُجِبْكَ بَدَنِي عِنْدَ ٱسْتِغَاثَتِكَ وَلِسَانِي عِنْدَ ٱسْتِنْصَارِكَ
इन कान लम युजिब्का बदनी इन्दा इस्तिघासतिका व लिसानी इन्दा इस्तिन्सारिका
अगर मेरे बदन ने आपकी फ़रियाद-ए-इम्दाद पर जवाब न दिया, और मेरी ज़बान ने आपकी नुसरत की पुकार पर जवाब न दिया,

فَقَدْ أَجَابَكَ قَلْبِي وَسَمْعِي وَبَصَرِي
फ़क़द अजाबका क़ल्बी व सम्अी व बसरी
तो बेशक मेरे दिल, मेरी सुनने की क़ुव्वत और मेरी नज़र ने आपकी पुकार पर लब्बैक कहा है।

سُبْحَانَ رَبِّنَا إِنْ كَانَ وَعْدُ رَبِّنَا لَمَفْعُولاً
सुब्हान रब्बिना इन कान वअ'दु रब्बिना लमफ़्ऊला
पाक है हमारा परवरदिगार! बेशक हमारे रब का वादा यक़ीनन पूरा होने वाला है।

أَشْهَدُ أَنَّكَ طُهْرٌ طَاهِرٌ مُطَهَّرٌ مِنْ طُهْرٍ طَاهِرٍ مُطَهَّرٍ
अश्हदु अन्नका तुह्रुन ताहिरुन मुतह्हरुन मिन तुह्रिन ताहिरिन मुतह्हरिन
मैं गवाही देता हूँ कि आप पाक, ताहिर और मुतह्हर हैं, और आप उन पाक, ताहिर और मुतह्हर हज़رات की नस्ल से हैं।

طَهُرْتَ وَطَهُرَتْ بِكَ ٱلْبِلاَدُ
तहुर्ता व तहुरत बिका अल-बिलादु
आप पाक हैं, और आपकी बरकत से शहर/सरज़मीनें पाक हुईं।

وَطَهُرَتْ أَرْضٌ أَنْتَ بِهَا وَطَهُرَ حَرَمُكَ
व तहुरत अर्ḍुन अन्त बिहा व तहुरा हरमुक
पाक है वह ज़मीन जिसमें आप हैं, और पाक है आपका हरम।

أَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ أَمَرْتَ بِٱلْقِسْطِ وَٱلْعَدْلِ وَدَعَوْتَ إِلَيْهِمَا
अश्हदु अन्नका क़द अमर्त बिल-क़िस्ति वल-अ'द्लि व दअ'व्त इलेहिमा
मैं गवाही देता हूँ कि आपने क़िस्त और अद्ल का हुक्म दिया और लोगों को उनकी तरफ़ बुलाया।

وَأَنَّكَ صَادِقٌ صِدِّيقٌ صَدَقْتَ فِيمَا دَعَوْتَ إِلَيْهِ
व अन्नका सादिक़ुन सिद्दीक़ुन सादक़्ता फीमा दअ'व्त इलेह
और आप सच्चे, सिद्दीक़ हैं, और जिस चीज़ की तरफ़ आपने दावत दी उसमें आपने सच्चाई दिखाई।

وَأَنَّكَ ثَارُ ٱللَّهِ فِي ٱلأَرْضِ
व अन्नका थारुल्लाहि फिल-अर्दि
और बेशक आप ज़मीन पर थारुल्लाह हैं।

وَأَشْهَدُ أَنَّكَ قَدْ بَلَّغْتَ عَنِ ٱللَّهِ
व अश्हदु अन्नका क़द बल्लग़्ता अ'निल्लाहि
और मैं गवाही देता हूँ कि आपने अल्लाह की तरफ़ से पैग़ाम पहुँचा दिया,

وَعَنْ جَدِّكَ رَسُولِ ٱللَّهِ
व अ'न जद्दिका रसूलिल्लाहि
और आपके नाना रसूल-ए-अल्लाह की तरफ़ से,

وَعَنْ أَبِيكَ أَمِيرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ
व अ'न अबीका अमीरिल-मु'मिनीन
और आपके वालिद अमीरुल-मु'मिनीन की तरफ़ से,

وَعَنْ أَخِيكَ ٱلْحَسَنِ
व अ'न अखीका अल-हसनِ
और आपके भाई हसन की तरफ़ से।

وَنَصَحْتَ وَجَاهَدْتَ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ
व नसह्ता व जाहद्ता फी सबीलिल्लाहि
और आपने नसीहत की, और राह-ए-ख़ुदा में जिहाद किया,

وَعَبَدْتَهُ مُخْلِصاً حَتَّىٰ أَتَاكَ ٱلْيَقِينُ
व अ'बद्तहू मुख़लिसन हत्ता अताकल-यक़ीनु
और आपने ख़ालिस होकर उसकी इबादत की यहाँ तक कि यक़ीन (मौत) आपके पास आ गया।

فَجَزَاكَ ٱللَّهُ خَيْرَ جَزَاءِ ٱلسَّابِقِينَ
फ़जज़ाकल्लाहु ख़ैरा जज़ा'इस-साबिक़ीन
پس अल्लाह आपको सबक़त करने वालों की बेहतरीन जज़ा अता फ़रमाए।

وَصَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْكَ وَسَلَّمَ تَسْلِيماً
व सल्लल्लाहु अलैका व सल्लम तसलीमा
और अल्लाह आप पर सलावात और सलाम नाज़िल फ़रमाए—पूरा सलाम।

اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَصَلِّ عَلَىٰ ٱلْحُسَيْنِ ٱلْمَظْلُومِ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदٍ व सल्लि अला अल-हुसैनिल-मज़लूमِ
ऐ अल्लाह! मुहम्मद और आले मुहम्मद पर सलावात भेज, और हुसैन-ए-मज़लूम पर भी सलावात भेज,

ٱلشَّهِيدِ ٱلرَّشِيدِ
अश्शहीदिर्रशीदِ
जो शहीद, रशीद हैं,

قَتِيلِ ٱلْعَبَرَاتِ
क़तीलिल-अबरातِ
गिर्या व आँसुओं के क़त्ल किए गए,

وَأَسِيرِ ٱلْكُرُبَاتِ
व असीरिल-कुरुबातِ
और ग़मों/कर्बों के अस़ीर,

صَلاةً نَامِيَةً زَاكِيَةً مُبَارَكَةً
सलातन नामियतन् ज़ाकियतन् मुबारकतन्
ऐसी सलावात जो बढ़ने वाली, पाकीज़ा और बरकत वाली हो,

يَصْعَدُ أَوَّلُهَا وَلاَ يَنْفَدُ آخِرُهَا
यस्अदु अव्वलुहा व ला यन्फदु आख़िरुहा
जिसका पहला हिस्सा बुलंद हो और जिसका आख़िर कभी ख़त्म न हो,

أَفْضَلَ مَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ أَحَدٍ مِنْ أَوْلادِ أَنْبِيَائِكَ ٱلْمُرْسَلِينَ
अफ़्दल मा सल्लय्ता अला अहदिन मिन औलादि अंबिया'इकल-मुर्सलीन
और वह बेहतरीन सलावात जो तूने अपने रसूल नबियों की औलाद में से किसी पर भी नाज़िल की हो।

يَا إِلٰهَ ٱلْعَالَمِينَ
या इलाहल-आलमीन
ऐ आलमीन के इलाह!

आप फिर मुक़द्दस क़ब्र को बोसा दे सकते हैं और उस पर पहले अपना दायाँ, फिर बायाँ गाल रख सकते हैं। फिर आप उसके चारों तरफ़ तवाफ़ करें और चारों तरफ़ से उसे बोसा दें। शैख़ अल-मुफ़ीद लिखते हैं: इसके बाद आप अली इब्न अल-हुसैन की क़ब्र की तरफ़ रुख़ करें, वहाँ ठहरें, और ये अल्फ़ाज़ कहें:
السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا ٱلصِّدِّيقُ ٱلطَّيِّبُ
अस्सलामु अलैका अय्युहल-सिद्दीक़ुत-तय्यिबु
सलाम हो आप पर, ऐ सिद्दीक़ और तय्यिब,

ٱلزَّكِيُّ ٱلْحَبِيبُ ٱلْمُقَرَّبُ
अज़्ज़किय्यु अल-हबीबुल-मुक़र्रबु
ऐ ज़की, ऐ हबीब, ऐ मुक़र्रब,

وَٱبْنَ رَيْحَانَةِ رَسُولِ ٱللَّهِ
वब्न रैहानति रसूलिल्लाहि
और ऐ रसूल-ए-अल्लाह की रैहाना के फ़र्ज़ंद।

السَّلاَمُ عَلَيْكَ مِنْ شَهِيدٍ مُحْتَسِبٍ
अस्सलामु अलैका मिन शहीदिन मुहतसिबिन
सलाम हो आप पर—ऐ सब्र करने वाले शहीद।

وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ
व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें (आप पर हों)।

مَا أَكْرَمَ مَقَامَكَ وَأَشْرَفَ مُنْقَلَبَكَ
मा अकरम मक़ामका व अशरफ़ मुनक़लबका
कितना बुज़ुर्ग है आपका मक़ाम, और कितनी बुलंद है आपकी मंज़िल।

أَشْهَدُ لَقَدْ شَكَرَ ٱللَّهُ سَعْيَكَ
अश्हदु लक़द शकरल्लाहु सअ'यका
मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह ने आपकी कोशिश को क़बूल फ़रमाया,

وَأَجْزَلَ ثَوَابَكَ
व अजज़ल सवाबका
और आपके सवाब को बहुत ज़्यादा कर दिया,

وَأَلْحَقَكَ بِٱلذَّرْوَةِ ٱلْعَالِيَةِ
व अल्हक़का बि़ज़्-ज़रवति अल-आलियति
और आपको बुलंद तरीन मुक़ाम से मिला दिया,

حَيْثُ ٱلشَّرَفُ كُلُّ ٱلشَّرَفِ
हैसुस्शरफ़ु कुल्लुश्शरफ़ि
जहाँ इज़्ज़त ही इज़्ज़त है,

وَفِي ٱلْغُرَفِ ٱلسَّامِيَةِ
व फ़िल-ग़ुरफ़िस्सामियति
और बुलंद दरजों के हुस्न-ए-मक़ामात में।

كَمَا مَنَّ عَلَيْكَ مِنْ قَبْلُ وَجَعَلَكَ مِنْ أَهْلِ ٱلبَيْتِ
कमा मन्ना अलैका मिन क़ब्लु व जअ'लका मिन अह्लिल-बैत
जिस तरह उसने पहले भी आप पर एहसान किया और आपको अहले-बैत में से बनाया,

ٱلَّذِينَ أَذْهَبَ ٱللَّهُ عَنْهُمُ ٱلرِّجْسَ وَطَهَّرَهُمْ تَطْهِيراً
अल्लज़ीना अज़्हबल्लाहु अ'न्हुमुर्रिज्सा व तख़्हरहुम तत्हीरा
जिनसे अल्लाह ने नापाकी दूर कर दी और उन्हें पूरी तरह पाक कर दिया।

صَلَوَاتُ ٱللَّهِ عَلَيْكَ وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ وَرِضْوَانُهُ
सलवातुल्लाहि अलैका व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू व रिद्वानुहू
अल्लाह की सलावात, उसकी रहमत, उसकी बरकतें और उसकी रज़ामंदी आप पर हो।

فَٱشْفَعْ أَيُّهَا ٱلسَّيِّدُ ٱلطَّاهِرُ إِلَىٰ رَبِّكَ
फ़श्फ़अ' अय्युहस्सैय्यिदुत-ताहिरु इला रब्बिक
तो ऐ पाक सैय्यिद! अपने रब के हज़ूर मेरी शफ़ाअत कीजिए,

فِي حَطِّ ٱلأَثْقَالِ عَنْ ظَهْرِي وَتَخْفِيفِهَا عَنِّي
फ़ी हत्तिल-अथ्क़ालि अ'न ज़हरी व तख़्फ़ीफ़िहा अ'न्नी
ताकि वह मेरी पीठ पर पड़े बोझ (गुनाहों) को हल्का करे और मुझे उससे राहत दे।

وَٱرْحَمْ ذُلِّي وَخُضُوعِي لَكَ وَلِلسَّيِّدِ أَبِيكَ صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْكُمَا
वरहम ज़ुल्ली व ख़ुदूई लका व लिस्सैय्यिदि अबीका सल्लल्लाहु अ'लैकुमा
और मेरी आजिज़ी और मेरे इन्किसार पर रहम कीजिए—जो आपके लिए और आपके वालिद-ए-मुक़द्दस के लिए है। अल्लाह आप दोनों पर सलावात भेजे।

फिर आप क़ब्र पर ख़ुद को डाल दें और ये अल्फ़ाज़ कहें:
زَادَ ٱللَّهُ فِي شَرَفِكُمْ فِي ٱلآخِرَةِ
ज़ादा अल्लाहु फी शरफ़िकुम फिल-आख़िरति
अल्लाह आपकी इज़्ज़त-ओ-शरफ़ को आख़िरत में बढ़ाए,

كَمَا شَرَّفَكُمْ فِي ٱلدُّنْيَا
कमा शर्रफ़कुम फ़िद्दुन्या
जैसे उसने दुनिया में आपको सरफ़राज़ किया,

وَأَسْعَدَكُمْ كَمَا أَسْعَدَ بِكُمْ
व अस्अदकुम कमा अस्अदा बिकुम
और वह आपको सआदत अता फ़रमाए, जैसे उसने आपकी वजह से दूसरों को सआदत अता की।

وَأَشْهَدُ أَنَّكُمْ أَعْلاَمُ ٱلدِّينِ
व अश्हदु अन्नकुम अअ'लामुद्दीनि
और मैं गवाही देता हूँ कि आप दीन की निशानियाँ हैं,

وَنُجُومُ ٱلْعَالَمِينَ
व नुजूमुल-आलमीन
और आलमों के सितारे हैं।

وَٱلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ
व अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
और आप पर सलाम हो, और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें।

फिर आप शुहदा की तरफ़ रुख़ करें और ये अल्फ़ाज़ कहें:
السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ يَا أَنْصَارَ ٱللَّهِ
अस्सलामु अलैकुम या अंसारल्लाहि
सलाम हो आप सब पर, ऐ अंसार-ए-अल्लाह,

وَأَنْصَارَ رَسُولِهِ
व अंसार रसूलिही
और उसके रसूल के मददगारो,

وَأَنْصَارَ عَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ
व अंसार अलीय्यि इब्नि अबी तालिबिन
और अली इब्न अबी तालिब के मददगारो,

وَأَنْصَارَ فَاطِمَةَ
व अंसार फ़ातिमता
और फ़ातिमा के मददगारो,

وَأَنْصَارَ ٱلْحَسَنِ وَٱلْحُسَيْنِ
व अंसार अल-हसनِ वल-हुसैनِ
और हसन व हुसैन के मददगारो,

وَأَنْصَارَ ٱلإِسْلاَمِ
व अंसारल-इस्लामि
और इस्लाम के मददगारो।

أَشْهَدُ أَنَّكُمْ لَقَدْ نَصَحْتُمْ لِلَّهِ
अश्हदु अन्नकुम लक़द नसह्तुम लिल्लाहि
मैं गवाही देता हूँ कि आपने अल्लाह के लिए ख़ालिस नसीहत की,

وَجَاهَدْتُمْ فِي سَبِيلِهِ
व जाहद्तुम फी सबीलिही
और उसकी राह में जिहाद किया।

فَجَزَاكُمُ ٱللَّهُ عَنِ ٱلإِسْلاَمِ وَأَهْلِهِ أَفْضَلَ ٱلْجَزَاءِ
फ़जज़ाकुमुल्लाहु अ'निल-इस्लामि व अह्लिही अफ़्दलल-जज़ा'इ
پس अल्लाह आपको इस्लाम और अहले-इस्लाम की तरफ़ से बेहतरीन बदला अता फ़रमाए।

فُزْتُمْ وَٱللَّهِ فَوْزاً عَظِيماً
फ़ुज़्तुम वल्लाहि फ़ौज़न अज़ीमा
अल्लाह की क़सम! आपने बहुत बड़ी कामयाबी पाई।

يَا لَيْتَنِي كُنْتُ مَعَكُمْ فَأَفُوزَ فَوْزاً عَظِيماً
या लैतेनी कुंतु मअ'कुम फ़-अफ़ूज़ फ़ौज़न अज़ीमा
काश मैं भी आपके साथ होता, तो मैं भी बहुत बड़ी कामयाबी हासिल करता।

أَشْهَدُ أَنَّكُمْ أَحْيَاءٌ عِنْدَ رَبِّكُمْ تُرْزَقُونَ
अश्हदु अन्नकुम अह्या'उन् इन्दा रब्बिकुम तुरज़क़ून
मैं गवाही देता हूँ कि आप अपने रब के पास ज़िंदा हैं और रोज़ी पाए जाते हैं।

أَشْهَدُ أَنَّكُمُ ٱلشُّهَدَاءُ وَٱلسُّعَدَاءُ
अश्हदु अन्नकुमुश्शुहदा'उ वस्सु'अदा'उ
मैं गवाही देता हूँ कि आप ही सच्चे शुहदा हैं और आप ही सच्चे सआदतमंद हैं,

وَأَنَّكُمُ ٱلْفَائِزُونَ فِي دَرَجَاتِ ٱلْعُلَىٰ
व अन्नकुमुल-फ़ाइज़ून फ़ी दरजातिल-अ'ुला
और बेशक आप बुलंद तरीन मरातिब में कामयाब होने वाले हैं।

وَٱلسَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ
व अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
और आप पर सलाम हो, और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें।


फिर आप इमाम के सरहाने की तरफ़ वापस आ जाएँ ताकि ज़ियारत की (दो रकअत) नमाज़ अदा करें, और अपने लिए, अपने वालिदैन के लिए, और अपने दीन के भाइयों के लिए अल्लाह-ए-अज़्ज़ व जल्ल से दुआ करें।