शैख़ अत-तूसी (रह) ने अबू’ल-क़ासिम इब्न रूḥ—इमाम अल-महदी (अ.फ.स.) के ख़ास नायब—से ये अल्फ़ाज़ भी रिवायत किए हैं:
“रजब में आप मासूमीन (अ.) के जिन- जिन रोज़ों की ज़ियारत कर सकें, करें और वहाँ ये दुआ पढ़ें:
الْحَمْدُ لِلَّهِ ٱلَّذِي اشْهَدَنَا مَشْهَدَ اوْلِيَائِهِ فِي رَجَبٍ
अल्हम्दु लिल्लाहिल-लज़ी अश्हदना मश्हदा औलियाइहि फी रजबिन
तमाम हम्द अल्लाह के लिए है जिसने हमें रजब में अपने औलिया के मशाहिद की ज़ियारत नसीब फ़रमाई
وَاوْجَبَ عَلَيْنَا مِنْ حَقِّهِمْ مَا قَدْ وَجَبَ
वा औजबा अलैना मिन हक़्क़िहिम मा क़द वजबा
और उन के हक़्क़ में जो हम पर वाजिब था, उसे हम पर वाजिब क़रार दिया
وَصَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ ٱلْمُنْتَجَبِ
वा सल्लल्लाहु अला मुहम्मदिन अल-मुन्तजबि
और अल्लाह की रहमतें व सलाम हों मुहम्मद (स.) पर, जो (उसके) मुन्तख़ब हैं
وَعَلَىٰ اوْصِيَائِهِ ٱلْحُجُبِ
वा अला औसियाइहि अल-हुजुबि
और उन के औसिया (अ.) पर, जो (अल्लाह तक पहुँचने के) पर्दे/दराबान हैं
اَللَّهُمَّ فَكَمَا اشْهَدْتَنَا مَشْهَدَهُمْ
अल्लाहुम्मा फ़कमा अश्हद्तना मश्हदहुम
ऐ अल्लाह! जैसे तू ने हमें उन के मशाहिद की ज़ियारत नसीब की
فَانْجِزْ لَنَا مَوْعِدَهُمْ
फ़-अंजिज लना मौ’इदहुम
तो हमारे लिए उन से किया हुआ वादा पूरा फ़रमा
وَاوْرِدْنَا مَوْرِدَهُمْ
वा औ’रिदना मौ’रिदहुम
और हमें भी उन्हीं के वारिद होने की जगह (मक़ाम) तक पहुँचा दे
غَيْرَ مُحَلَّئِينَ عَنْ وِرْدٍ
ग़ैर मुहल्लअ’ईना अन विर्दिन
इस हाल में कि हमें (उस) विर्द से रोक न दिया जाए
فِي دَارِ ٱلْمُقَامَةِ وَٱلْخُلْدِ
फ़ी दारिल-मुक़ामति वल-खुल्दि
दार-ए-मुक़ामत और दार-ए-ख़ुल्द (हमेशा रहने के घर) में
वस्सलामु अलैकुम
और तुम पर सलाम हो
إِنِّي قَدْ قَصَدْتُكُمْ وَٱعْتَمَدْتُكُمْ
इन्नी क़द क़सद्तुकुम वा’तमद्तुकुम
मैं ने तुम्हारी तरफ़ रुख़ किया है और तुम्हीं पर तवक्कुल/एतमाद किया है
बि-मस’अलती व हाजती
अपनी दरख़्वास्त और अपनी हाजत के साथ
وَهِيَ فَكَاكُ رَقَبَتِي مِنَ ٱلنَّارِ
व हिया फ़काकु रक़बती मिनन-नारि
और वो यह है कि मेरी गर्दन को आग (जहन्नम) से आज़ाद कर दिया जाए
وَٱلْمَقَرُّ مَعَكُمْ فِي دَارِ ٱلْقَرَارِ
वल-मक़र्रु म’अकुम फी दारिल-क़रारि
और तुम्हारे साथ दार-उल-क़रार (ठहरने के घर) में ठिकाना/क़ियाम नसीब हो
مَعَ شِيعَتِكُمُ ٱلابْرَارِ
म’अ शीय’अतिकुमुल-अब्रारि
तुम्हारे नेक शिया के साथ
وَٱلسَّلامُ عَلَيْكُمْ بِمَا صَبَرْتُمْ
वस्सलामु अलैकुम बिमा सबरतम
तुम पर सलाम हो उस सब्र के बदले जो तुमने किया
فَنِعْمَ عُقْبَىٰ ٱلدَّارِ
फ़नि’मा उक़बा अद-दारि
तो क्या ही बेहतरीन है आख़िरत का घर
انَا سَائِلُكُمْ وَآمِلُكُمْ فِيمَا إِلَيْكُمُ ٱلتَّفْوِيضُ
अना साइलुकुम व आमिलुकुम फीमा इलैकुमुत-तफ़वीदु
मैं तुमसे दरख़्वास्त करता हूँ और उन उमूर में तुमसे उम्मीद रखता हूँ जिन में तुम्हें इख़्तियार-ए-अमल हासिल है
وَعَلَيْكُمُ ٱلتَّعْوِيضُ
व अलैकुमुत-तअ’वीदु
और (उसी का) बदला/तअ’वीज़ भी तुम्हारे ही ज़िम्मे है
فَبِكُمْ يُجْبَرُ ٱلْمَهِيضُ
फ़बिकुम युज्बरुल-महीदु
यक़ीनन तुम्हारे ज़रिये ही शिकस्ता/मायूस की टुटन पूरी की जाती है
व युश्फ़ल-मरीदु
और बीमार को शिफ़ा मिलती है
وَمَا تَزْدَادُ ٱلارْحَامُ وَمَا تَغِيضُ
व मा तज़्दादुल-अरहामु व मा तग़ीदु
और जो रहमों में बढ़ता है और जो (उनमें) घटता/जज़्ब होता है
إنِّي بِسِرِّكُمْ مُؤْمِنٌ
इन्नी बिसिर्रिकुम मु’मिनुन
बेशक मैं तुम्हारे सिर्र पर ईमान रखता हूँ
व लिक़ौलिकुम मुसल्लिमुन
और तुम्हारी बात के सामने सर-ए-तसलीम ख़म करता हूँ
وَعَلَىٰ ٱللَّهِ بِكُمْ مُقْسِمٌ
व अला-ल्लाहि बिकुम मुक़्सिमुन
और मैं अल्लाह को तुम्हारा वसीला देकर क़सम देता हूँ
फ़ी रज्ई बि-हवाइजि
कि मैं अपनी हाजतों के साथ (क़ुबूलियत लेकर) पलटूँ
وَقَضَائِهَا وَإِمْضَائِهَا
व क़ज़ाइहा व इम्ज़ाइहा
उनका पूरा होना और उनका अमल में आ जाना
وَإِنْجَاحِهَا وَإِبْرَاحِهَا
व इंजाहिहा व इब्राहिहा
उनकी कामयाबी और उनका अंजाम तक पहुँचना
وَبِشُؤُونِي لَدَيْكُمْ وَصَلاحِهَا
व बिशुऊनी लदैकुम व सलाहिहा
और तुम्हारे हाँ मेरे तमाम शुऊन/उमूर का दुरुस्त हो जाना
وَٱلسَّلامُ عَلَيْكُمْ سَلامَ مُوَدِّعٍ
वस्सलामु अलैकुम सलामा मुवद्दिअ’इन
और तुम पर उस शख़्स का सलाम जो रुख़्सत हो रहा हो
وَلَكُمْ حَوَائِجَهُ مُودِعٌ
व लकुम हवाइजहु मूदिअ’उन
और अपनी तमाम हाजतें तुम्हारे सुपुर्द कर रहा हो
يَسْالُ ٱللَّهَ إِلَيْكُمُ ٱلْمَرْجِعَ
यस’अलुल्लाह इलैकुमुल-मर्जिअ’
अल्लाह से दुआ करता हो कि मुझे फिर तुम्हारी तरफ़ लौटना नसीब हो
وَسَعْيُهُ إِلَيْكُمْ غَيْرَ مُنْقَطِعٍ
व सअ’युहू इलैकुम ग़ैर मुनक़ति’इन
और मेरी तुम्हारी तरफ़ कोशिश कभी मुनक़ति’ न हो
وَانْ يَرْجِعَنِي مِنْ حَضْرَتِكُمْ خَيْرَ مَرْجِعٍ
व अन यर्जिअ’नी मिन हज़रतikum खैर मर्जिअ’इन
और मैं दुआ करता हूँ कि वह मुझे तुम्हारी हज़रत से बेहतरीन तरह वापस करे
इला जनाबिन मुमरिअ’इन
ऐसी जगह की तरफ़ जो सरसब्ज़ व शादाब हो
व ख़फ़्दिन मुवस्सअ’इन
और वुसअत वाली राहत/आसाइश
وَدَعَةٍ وَمَهَلٍ إِلَىٰ حِينِ ٱلاجَلِ
व दअ’तिन व महलिन इला हीनिल-अजलि
और सुकून व मोहलत मौत के वक़्त तक
وَخَيْرِ مَصِيرٍ وَمَحَلٍّ فِي ٱلنَّعِيمِ ٱلازَلِ
व खैरि मसीरिन व महल्लिन फिन्न-नअ’ीमिल-अज़लि
और अज़ली नेअमतों में बेहतरीन अंजाम और बेहतरीन ठिकाना
وَٱلْعَيْشِ ٱلْمُقْتَبَلِ
वल-अय्शिल-मुक़्तबलि
और फ़राग़त/ख़ुशहाली वाली ज़िन्दगी
व दवामिल-उकुलि
और हमेशा रहने वाला फल
وَشُرْبِ ٱلرَّحِيقِ وَٱلسَّلْسَلِ
व शुर्बिर-रहीक़ि वस्सल्सलि
और पाक पेय/रहीक़ और सल्सबील का पीना
وَعَلٍّ وَنَهَلٍ لا سَامَ مِنْهُ وَلاَ مَلَلَ
व अल्लिन व नहलिन ला सआम मिन्हु व ला मलल
और ऐसी ताज़गी बख़्श पीयास बुझाने वाली सरचश्मे की मय कि उससे न उकताहट हो न मलाल
وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ وَتَحِيَّاتُهُ عَلَيْكُمْ
व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू व तहिय्यातुहू अलैकुम
अल्लाह की रहमत, उसकी बरकतें और उसकी तहिय्यातें तुम पर लगातार हों
حَتَّىٰ ٱلْعَوْدِ إِلَىٰ حَضْرَتِكُمْ
हत्ता अल-अव्दि इला हज़रतikum
यहाँ तक कि मैं फिर तुम्हारी हज़रत में वापस आऊँ
وَٱلْفَوْزِ فِي كَرَّتِكُمْ
वल-फ़ौज़ि फी कर्रतिकुम
और तुम्हारी दुबारा ज़ियारत की सआदत हासिल हो
وَٱلْحَشْرِ فِي زُمْرَتِكُمْ
वल-हशरि फी ज़ुमरतिकुम
और तुम्हारे ज़ुमरे के साथ महशर में उठाए जाने की इज़्ज़त/सआदत भी
وَرَحْمَةُ ٱللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ عَلَيْكُمْ وَصَلَوَاتُهُ وَتَحِيَّاتُهُ
व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू अलैकुम व सलवातुहू व तहिय्यातुहू
अल्लाह की रहमत, उसकी बरकतें, उसकी सलवातें और उसकी तहिय्यातें तुम पर हों
وَهُوَ حَسْبُنَا وَنِعْمَ ٱلْوَكِيلُ
व हुआ हस्बुना व नि’मल-वकीलु
क्योंकि हमारे लिए सिर्फ़ अल्लाह ही काफ़ी है, और वही बेहतरीन कारसाज़ है जिस पर हम भरोसा करते हैं