सलमान फ़ारसी की नमाज़
रजब में पढ़ी जाने वाली नमाज़
रजब महीने की 1 तारीख़, 15 तारीख़ और आख़िरी दिन के लिए 10 रकअत की नमाज़
अहमियत

सलमान फ़ारसी रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ (और उनकी आल पर दरूद) ने फ़रमाया "ऐ सलमान! रजब के महीने में जो भी मोमिन या मोमिना 30 रकअत नमाज़ अदा करता/करती है, अल्लाह उसके/उसकी गुनाह माफ़ फ़रमा देता है और उसे उस शख़्स जैसा सवाब अता करता है जिसने पूरा महीना रोज़े रखे हों। वह आने वाले साल में नमाज़ पर क़ायम रहने वालों में से हो जाता है। उसके लिए हर दिन का अमल शहीद के अमल के बराबर लिखा जाता है। उसे जंगे बद्र के शुहदा के साथ उठाया जाएगा। हर दिन के रोज़े के बदले उसके लिए एक साल की इबादत लिखी जाती है। उसका दर्जा 1000 दर्जे बुलंद कर दिया जाता है।”
उन्होने कहा जिब्रील ने मुझे बताया "ऐ मुहम्मद! यह नमाज़ तुम्हारे और मुशरिकीन और मुनाफ़िक़ीन के दरमियान निशानी है, क्योंकि मुनाफ़िक़ इस नमाज़ को अदा नहीं करता।"
रजब की पहली, 15वीं और आख़िरी तारीख़ को 10 रकअत नमाज़ का तरीका
10 रकअत (हर बार 2 रकअत × 5)।
हर रकअत में पढ़ें: सूरह अल-फ़ातिहा 1 बार, सूरह अल-इख़लास 3 बार, और सूरह अल-काफ़िरून 3 बार
सलाम के बाद (हर 2 रकअत के आखिर में) हाथ उठाकर आम ज़िक्र और हर दिन के लिए ख़ास ज़िक्र पढ़ें:
आम (पहली, 15वीं, आख़िरी तारीख़ के लिए) हर 2 रकअत के बाद का ज़िक्र
لاَ إِلٰهَ إِلاَّ ٱللَّهُ
ला इलाहा इल्लल्लाहु
अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं,

وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ
वहदहू ला शरीक लहू
वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं।

لَهُ ٱلْمُلْكُ وَلَهُ ٱلْحَمْدُ
लहू अल-मुल्कु व लहू अल-हम्दु
बादशाही उसी की है और तमाम हम्द उसी के लिए है।

يُحْيِي وَيُمِيتُ
युह्यी व युमीतु
वही ज़िंदगी देता है और मौत देता है,

وَهُوَ حَيٌّ لاَ يَمُوتُ
वहूवा हय्युन ला यमूतु
और वही ज़िन्दा है, उसे कभी मौत नहीं आती।

بِيَدِهِ ٱلْخَيْرُ
बियदिहि अल-ख़ैरु
भलाई उसी के हाथ में है

وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
वहूवा अला कुल्लि शै’इन क़दीरुन
और वह हर चीज़ पर क़ादिर है।


रजब की पहली तारीख़:पहले ज़िक्र के बाद यह पढ़ें:
اَللَّهُمَّ لاَ مَانِعَ لِمَا أَعْطَيْتَ
अल्लाहुम्मा ला मानिअ लिमा आ‘तैता
ऐ अल्लाह! जिसे तू देता है उसे कोई रोकने वाला नहीं,

وَلاَ مُعْطِيَ لِمَا مَنَعْتَ
व ला मु‘तिया लिमा मना‘ता
और जिसे तू रोक दे उसे कोई देने वाला नहीं,

وَلاَ يَنْفَعُ ذَا ٱلْجَدِّ مِنْكَ ٱلْجَدَّ
व ला यनफ़अु ज़ल-जद्दि मिंका अल-जद्दा
और किसी वाले की बड़ाई तेरे सामने उसे कुछ फ़ायदा नहीं देती।

फिर हाथ चेहरे पर फेरें।


रजब की 15वीं (दरमियानी) तारीख़ हर 2 रकअत के आखिर में पहले ज़िक्र के बाद यह पढ़ें:
إِلٰهاً وَاحِداً أَحَداً
इलाहन वाहिदन अहदन
एक माबूद, एक, यकता,

فَرْداً صَمَداً
फ़रदन समदन
यगाना, बेनियाज़,

لَمْ يَتَّخِذْ صَاحِبَةً وَلاَ وَلَداً
लम यत्तख़िज़ साहिबतन व ला वलदन
जिसने न कोई बीवी बनाई और न कोई बेटा।


फिर हाथ चेहरे पर फेरकर अपनी हाजत पेश करें।

रजब की आख़िरी तारीख़ हर 2 रकअत के आखिर में पहले ज़िक्र के बाद यह पढ़ें:
وَصَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَىٰ مُحَمَّدٍ وَآلِهِ ٱلطَّاهِرِينَ
व सल्लल्लाहु अला मुहम्मदिन व आलिहि अत-ताहिरीन
अल्लाह मुहम्मद और उनकी पाक आल पर सलात भेजे।

وَلاَ حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلاَّ بِٱللَّهِ ٱلْعَلِيِّ ٱلْعَظِيمِ
व ला हौला व ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अज़ीम
और अल्लाह के सिवा न कोई ताक़त है न कोई क़ुदरत—जो सबसे बुलंद, सबसे अज़ीम है।

फिर हाथ चेहरे पर फेरकर अपनी हाजत पेश करें।