ईमाम मोहम्मद बाक़िर
(अ०स०)
5वें इमाम अहलेबैत(अ.) में से

इमाम अली ज़ैनुल आबिदीन(अ.) के फ़र्ज़न्द और इमाम जाफ़र अस-सादिक़(अ.) के वालिद
मुख़्तसर मालूमात

लक़ब/कुनियत: अल-बाक़िर , अबू जाफ़र
वालिद: इमाम अली ज़ैनुल आबिदीन (अ) | वालिदा: फ़ातिमा-उम्मे अब्दुल्लाह, इमाम हसन (अ) की बेटी
पैदाइश: 1 रजब (या 3 सफ़र) 57 हिजरी / 675 ईस्वी
शहादत: हिशाम बिन अब्दुल मलिक के ज़रिए ज़हर देकर शहीद किए गए – 7 ज़िलहिज्जा 114 हिजरी / 733 ईस्वी | क़ब्र – बक़ी’, मदीना
उम्र: 57 साल
इमामत की उम्र: 38 साल की उम्र में इमाम बने
इमामत की मुद्दत: 19 साल
शहादत की तारीख़ : 7 ज़िलहिज्जा 114 हिजरी /

इमाम की ज़िंदगी पर किताब – बी. क़ुरैशी | किताब (पीडीएफ)
दूसरी किताबें – अल-इस्लाम
ज़िंदगी का ख़ाका (पीडीएफ) – अल ज़ीशान हैदर
मुन्तह़ल आमाल – शैख़ अब्बास क़ुम्मी | जेपीसी से ख़रीदें
विकिपीडिया
हिकमत भरे क़ौल
वाक़िआत / कहानियाँ
इमाम की दुआओं की किताब (अरबी पीडीएफ)
आबाओ-अजदाद और औलाद – अहलुलबैत (अ) का मक़ाम और अहमियत

सवानेह-ए-हयात / ज़िन्दगी नामा







ज़ियारत-ए-बक़ी (मुश्तरका) – यहाँ क्लिक करें


لسَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا البَاقِرُ لِعِلْمِ اللَّهِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल बाक़िरु लि-इल्मिल्लाहि.
तुम पर सलाम हो; ऐ अल्लाह के इल्म को खोलने वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الفَاحِصُ عَنْ دِينِ اللَّهِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल फाहिसु अन दीनिल्लाहि.
तुम पर सलाम हो; ऐ अल्लाह के दीन की तहक़ीक़ करने वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا المُبَيِّنُ لِحُكْمِ اللَّهِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल मुबय्यिनु लि-हुक्मिल्लाहि.
तुम पर सलाम हो; ऐ अल्लाह के हुक्म को वाज़ेह करने वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا القَائِمُ بِقسْطِ اللَّهِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल क़ाइमु बि-क़िस्तिल्लाहि.
तुम पर सलाम हो; ऐ अल्लाह के इंसाफ़ को क़ायम रखने वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّاصِحُ لِعبَادِ اللَّهِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहन नासिहु लि-इबादिल्लाहि.
तुम पर सलाम हो; ऐ अल्लाह के बन्दों के लिए ख़ैरख़्वाह नासिह!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الدَّاعِي إِلَى اللَّهِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहद दा‘ई इलल्लाहि.
तुम पर सलाम हो; ऐ अल्लाह की तरफ़ बुलाने वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الدَّلِيلُ إِلَى اللَّهِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहद दलीलु इलल्लाहि.
तुम पर सलाम हो; ऐ अल्लाह की तरफ़ रहनुमाई करने वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الفَضْلُ المُبِينُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल फ़ज़्लुल मुबीनु.
तुम पर सलाम हो; ऐ नुमायाँ फ़ज़्ल!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النُّورُ السَّاطِعُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहन नूरुस साते‘.
तुम पर सलाम हो; ऐ चमकता हुआ नूर!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا البَدْرُ اللامِعُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल बद्रुल लामि‘.
तुम पर सलाम हो; ऐ रौशन बद्र (चाँद)!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الحَقُّ الأَبْلَجُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल हक़्कुल अब्लजु.
तुम पर सलाम हो; ऐ उजला वाज़ेह हक़!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا السِّراجُ الأَسْرَجُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहस्सिराजुल अस्रजु.
तुम पर सलाम हो; ऐ रौशन चराग़!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّجْمُ الأَزْهَرُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहन नज्मुल अज़हरु.
तुम पर सलाम हो; ऐ चमकता सितारा!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الكَوْكَبُ الأَبْهَرُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल क़ौकबुल अब्हरु.
तुम पर सलाम हो; ऐ बहुत ज़्यादा जगमगाता सितारा!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا المُنَزَّهُ عَنِ المُعْضِلاتِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल मुनज़्जहू अनिल मु‘ज़िलाति.
तुम पर सलाम हो; ऐ मुश्किलात से पाक व मुन्नज़ह!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا المَعْصُومُ مِنَ الَزَّلاتِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल मअ‘सूमु मिनज़्-ज़ल्लाति.
तुम पर सलाम हो; ऐ لغزشों से महफ़ूज़!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الزَّكِيُّ في الحَسَبِ .
अस्सलामु अलैका अय्युहज़्-ज़किय्यु फिल-हसबि.
तुम पर सलाम हो; ऐ पाकीज़ा हसब-नसब वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الرَّفِيعُ في النَّسَبِ.
अस्सलामु अलैका अय्युहर्-रफ़ी‘उ फिन-नसबि.
तुम पर सलाम हो; ऐ बुलंद नसब वाले!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا الإِمَامُ الشَّفِيقُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल इमामुश्शफ़ीक़ु.
तुम पर सलाम हो; ऐ शफ़ीक़ इमाम!

السَّلامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا القَصْرُ المَشِيدُ.
अस्सलामु अलैका अय्युहल क़स्रुल मशीदु.
तुम पर सलाम हो; ऐ बुलंद व मज़बूत क़स्र!

السَّلامُ عَلَيْكَ يَا حُجَّةَ اللَّهِ عَلَى الخَلْقِ أَجْمَعِينَ.
अस्सलामु अलैका या हुज्जतल्लाहि ‘अलल-ख़ल्क़ि अज्म‘ईन.
तुम पर सलाम हो; ऐ तमाम मख़लूक़ पर अल्लाह की हुज्जत!

أَشْهَدُ يَا مَوْلايَ أَنَّكَ قَدْ صَدَعْتَ الحَقَّ صَدْعاً،
अश्हदु या मौलाय अन्नका क़द सदा‘तल-हक़्क़ सदा‘अन,
मैं गवाही देता हूँ, ऐ मेरे मौला, कि बेशक आपने हक़ को खुलकर बयान किया,

وَبَقَرْتَ العِلْمَ بَقْراً ،
व-बक़र्‍तल-‘इल्म बक़्रन,
और आपने इल्म को पूरी तरह चीर कर खोल दिया,

وَنَثَرْتَهُ نَثْراً ،
व-नथर्‍तहु नथ्रन,
और आपने उसे फैला दिया, बिखेर दिया,

لَمْ تَأَخُذْكَ فِي اللَّهِ لَوْمَةُ لائِمٍ،
लम तअख़ुज़्का फ़िल्लाहि लौमतु लाअ’इमिन,
अल्लाह की राह में किसी मलामत करने वाले की मलामत ने आपको नहीं रोका,

وَكُنْتَ لِدِينِ اللَّهِ مُكَاتِماً،
व-कुंता लि-दीनिल्लाहि मुकातिमन,
और आप अल्लाह के दीन के लिए हक़ को क़ायम रखने वाले थे,

وَقَضَيْتَ مَا كَانَ عَلَيْكَ،
व-क़ज़ैत मा काना ‘अलैक,
और आपने जो ज़िम्मेदारी आप पर थी, उसे पूरा कर दिया,

وَأَخْرَجْتَ أَوْلِيَاءَكَ مِنْ وِلايَةِ غَيْرِ اللَّهِ إِلى وِلايَةِ اللََّهِ ،
व-अख़रज्‍त औलियाअ’क मिन विलायतِ ग़ैरिल्लाहि इला विलायतिल्लाहि,
और आपने अपने औलिया को गैर-अल्लाह की वलायत से निकालकर अल्लाह की वलायत की तरफ़ ले आए,

وَأَمَرْتَ بِطَاعَةِ اللَّهِ،
व-अमर्‍त बि-ताअ’तिल्लाहि,
और आपने अल्लाह की इताअत का हुक्म दिया,

وَنَهَيْتَ عَنْ مَعْصِيَةِ اللَّهِ،
व-नहैता ‘अन मअ‘सियतिल्लाहि,
और आपने अल्लाह की नाफ़रमानी से रोका,

حَتَّى قَبَضَكَ اللَّهُ إلى رِضْوَانِهِ،
हत्ता क़बज़का-llahu इला रिज़्वानिहि,
यहाँ तक कि अल्लाह ने आपको अपनी रज़ामंदी की तरफ़ उठा लिया,

وَذَهَبَ بِكَ إِلَى دَارِ كَرَامَتِهِ ،
व-ज़हबा बिका इला दारि करामतिहि,
और आपको अपनी करामत के घर की तरफ़ ले गया,

وَإِلَى مَسَاكِنِ أَصْفِيَائِهِ،
व-इला मसाकिनि अस्फ़ियाअ’िहि,
और अपने खास बन्दों की बस्तियों की तरफ़,

وَمُجَاوَرَةِ أَوْلِيَائِهِ.
व-मुजावरति औलियाअ’िहि.
और अपने औलिया के जुवार व क़ुरबत में,

وَالسَّلامُ عَلَيْكَ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُه
वस्सलामु अलैका व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू.
और तुम पर सलाम हो, और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें।


एक और ज़ियारत की शक्ल
السلام عليك يا إمام الهدى
अस्सलामु अलैका या इमामुल-हुदा..
तुम पर सलाम हो, ऐ इमामे हिदायत!

السلام عليك يا بدر الدجى
अस्सलामु अलैका या बद्रद-दुजा
तुम पर सलाम हो, ऐ तारीकी में चाँद!

السلام عليك يا كهف التقى
अस्सलामु अलैका या कह्फत-तुक़ा..
तुम पर सलाम हो, ऐ तक़वा की पनाह!

السلام عليك يا قائد أهل التقوى
अस्सलामु अलैका या क़ाइद अह्लित-तक़वा
तुम पर सलाम हो, ऐ अहले-तक़वा के रहनुमा!

السلام عليك يا باقر علم النبيين
अस्सलामु अलैका या बाक़िर ‘इल्मिन-नबिय्यीन
तुम पर सलाम हो, ऐ अंबिया के इल्म को खोलने वाले!

السلام عليك يا زين السموات والأرضين ،
अस्सलामु अलैका या ज़ैनस-समावाति वल-अरज़ीन
तुम पर सलाम हो, ऐ आसमानों और ज़मीनों की ज़ीनत!

اللهم كما جعلته علما
अल्लाहुम्मा कमा जअल्तहू ‘अलमन
ऐ अल्लाह! जिस तरह तूने उन्हें अपने बन्दों के लिए ‘अलम (निशान/रहनुमा) बनाया,

لعبادك ومستودعا لحلمك ومترجما
लि‘इबादिका व मुस्तौदअन् लि-हिल्मिका व मुतरजिमन
और अपनी हिल्म (बुर्दबारी) का अमीन और अपने पैग़ामात का तरजुमान बनाया,

لوحيك فصلي عليه أفضل ما صليت
लि-वह्यिका फ-सल्लि ‘अलैहि अफ़ज़ला मा सल्लय्ता..
तो उन पर बेहतरीन दरूद भेज—वैसा बेहतरीन दरूद जो तूने भेजा हो,

على أحد من ذرية أنبيائك وأصفيائك
‘अला अहदिम् मिन ज़ुर्रियति अंबियाइका व अस्फ़ियाइका..
तेरे अंबिया की औलाद और तेरे चुने हुए बन्दों में से किसी पर,

ورسلك وأمنائك يا رب العلمين
व-रुसुलिका व उमनाइका या रब्बल-‘आलमीन ..
और तेरे रसूलों और तेरे अमीनों पर। ऐ रब्बुल आलमीन!






اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلَىٰ مُحَمَّدِ بْنِ عَلِيٍّ
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मद इब्नि अलीय्यिन
ऐ अल्लाह, मुहम्मद बिन अली पर रहमतें (दरूद) नाज़िल फ़रमा

بَاقِرِ ٱلْعِلْمِ وَإِمَامِ ٱلْهُدَىٰ
बाक़िरिल ‘इल्मि वा इमामिल हुदा
जो इल्म को खोलने वाले हैं और हिदायत के इमाम हैं,

وَقَائِدِ أَهْلِ ٱلتَّقْوَىٰ
व-क़ाइदि अह्लित-तक़वा
और अहले-तक़वा के क़ाइद हैं,

وَٱلْمُنْتَجَبِ مِنْ عِبَادِكَ
वल-मुन्तजबि मिन ‘इबादिका
और तेरे बन्दों में से चुने हुए (मुन्तख़ब) हैं।

اَللَّهُمَّ وَكَمَا جَعَلْتَهُ عَلَماً لِعِبَادِكَ
अल्लाहुम्मा व-कमा जअल्तहू ‘अलमन लि‘इबादिका
ऐ अल्लाह, जैसा कि तूने उन्हें अपने बन्दों के लिए निशान (अलम) बनाया,

وَمَنَاراً لِبِلاَدِكَ
व-मनारन लि-बिलादिका
और अपनी सरज़मीनों में मीनार/चराग़ बनाया,

وَمُسْتَوْدَعاً لِحِكْمَتِكَ
व-मुस्तव्दअन् लि-हिकमतिका
और अपनी हिकमत का अमानत-ख़ाना बनाया,

وَمُتَرْجِماً لِوَحْيِكَ
व-मुतरजिमन लि-वह्यिका
और अपनी वह्य के तर्जुमान बनाया,

وَأَمَرْتَ بِطَاعَتِهِ
व-अमर्‍ता बि-ताअतिहि
और तूने (हमें) उनकी इताअत का हुक्म दिया,

وَحَذَّرْتَ عَنْ مَعْصِيَتِهِ
व-हज़्ज़र्‍ता ‘अन मअसियतिहि
और उनकी नाफ़रमानी से आगाह किया,

فَصَلِّ عَلَيْهِ يَا رَبِّ
फ-सल्लि ‘अलैहि या रब्बि
तो ऐ परवरदिगार, उन पर दरूद भेज,

أَفْضَلَ مَا صَلَّيْتَ عَلَىٰ أَحَدٍ
अफ़ज़ला मा सल्लय्ता ‘अला अहदिन्
सबसे बेहतरीन दरूद जो तूने किसी पर भेजा हो,

مِنْ ذُرِّيَّةِ أَنْبِيَاءِكَ وَأَصْفِيَاءِكَ
मिन ज़ुर्रिय्यति अंबियाइका व-अस्फ़ियाइका
तेरे अंबिया की औलाद और तेरे चुने हुए बन्दों में से,

وَرُسُلِكَ وَأُمَنَائِكَ
व-रुसुलिका व-उमनाइका
और तेरे रसूलों और तेरे अमीनों में से।

يَا رَبَّ ٱلْعَالَمِينَ
या रब्बल ‘आलमीन
ऐ रब्बुल आलमीन!




इमाम की नमाज़ / सलात
ज़ियारत पीडीएफ | पीपीटी
इल्म फैलाने में किरदार

100 वीडियो की प्लेलिस्ट

Responsive image

Responsive image